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    प्रस्तावना

    उत्तराखण्ड राज्य (प्रारम्भ में उत्तरांचल) 9 नवम्बर 2000 को भारत गणत्रंत के 27 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। उत्तराखण्ड राज्य के गठन के परिणामस्वरूप राजभवन की स्थापना अस्थायी रूप से बीजापुर हाउस, न्यू कैन्ट रोड़ देहरादून में की गयी। तत्पश्चात सर्किट हाउस देहरादून को राजभवन में बदलकर उत्तराखण्ड के प्रथम राज्यपाल श्री सुरजीत सिंह बरनाला 25 दिसम्बर 2000 को इसके प्रथम आवासी बने। सर्किट हाउस जिसे आज राजभवन के नाम से जाना जाता है, का निर्माण सन् 1902 में किया गया था। उस समय इसका नाम ’कोर्ट हाउस’ हुआ करता था, जहां तत्कालीन संयुक्त प्रान्त के ब्रिटिश गवर्नर अपने देहरादून भ्रमण के दौरान प्रायः निवास करते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जब भी देहरादून आते थे तो यहीं ठहरते थे। समय-समय पर भारत के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री इस ऐतिहासिक इमारत में निवास कर इसकी शोभा बढ़ा चुके है। राजभवन देहरादून समुद्र तल से 2305 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

    यद्यपि राजभवन को 25 दिसम्बर 2000 को सर्किट हाउस में स्थानान्तरित कर दिया गया था, किन्तु राज्यपाल सचिवालय का संचालन बीजापुर हाउस से ही होता रहा। महामहिम राज्यपाल श्री बी0एल0जोशी (तृतीय राज्यपाल) द्वारा राजभवन परिसर में राज्यपाल सचिवालय तथा प्रेक्षागृह के नवनिर्मित भवनों का उद्धघाटन दिनांक 27 जुलाई 2009 को किया गया। कुछ समय पश्चात् राजभवन परिसर में महामहिम राज्यपाल का पदेन आवास निर्मित किया गया, जिसका उद्धघाटन श्रीमती मार्ग्रेट आल्वा (चतुर्थ राज्यपाल) द्वारा दिनांक 14 अप्रैल 2010 को किया गया है। पुरानी इमारत जो कि महामहिम राज्यपाल का आवास हुआ करता थी, को राजभवन अतिथि गृह के रूप में परिवर्तित किया गया है।

    विशाल लान, बोन्जाई गार्डन तथा विभिन्न प्रकार के पुष्प प्रजाति राजभवन की खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं।

    राजभवन प्रेक्षागृह विभिन्न महत्वपूर्ण अवसरों जैसे शपथ-ग्रहण समारोह, सेमीनार, पुस्तक-विमोचन तथा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों आदि के संचालन का विशेष स्थल है।

    उत्तराखण्ड देश के उन चन्द राज्यों में से है जिसके पास दो राजभवन हैं। उत्तराखण्ड का दूसरा राजभवन नैनीताल में स्थित है। नैनीताल स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तत्कालीन संयुक्त प्रान्त की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी। स्काटिश शैली में निर्मित इस भवन को “गवर्नमेंट हाउस” के नाम से जाना जाता था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद “गवर्नमेंट हाउस” का नामान्तरण राजभवन के रूप में कर दिया गया। राजभवन नैनीताल का शिलान्यास 27 अप्रैल 1897 को किया गया और यह दो वर्ष में बन कर तैयार हुआ है। यह इमारत गोथिक भवन निर्माण शिल्प के आधार पर यूरोपीय शैली में निर्मित है।

    नैनीताल स्थित राजभवन (तत्कालीन गवर्नमेंट हाउस) के रूपरेखाकार अर्किटेक्ट स्टीवेन्स और अधिशासी अभियन्ता एफ0ओ0डब्लू0 औरेटेल थे। इमारत के निर्माण में विभिन्न प्रजातियों के टीक के साथ ही मुख्यतः बर्मा टीक का प्रयोग किया गया। निर्माण कार्य में स्थानीय पत्थरों का प्रयोग करके इस इमारत को एशलर फिनिंसिंग के साथ परिसज्जित किया गया है। ब्रिटिश काल में कुछ महत्वपूर्ण व्यक्ति, जो सभी संयुक्त प्रान्त के गर्वनर थे, इस इमारत में रह चुके है, उनके नाम हैं- सर एण्टोनी मैक डोनाल्ड, सर जेम्स, सर जान मिस्टन, सर हरबर्ट बटलर इत्यादि। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उत्तर प्रदेश की प्रथम राज्यपाल श्रीमती सरोजनी नायडू इस ऐतिहासिक इमारत की प्रथम आवासी बनी।

    राजभवन परिसर के चारों ओर 160 एकड़ में विस्तृत वनाच्छादित भूमि है जिसमें विभिन्न प्रकार के वनस्पति प्रजाति तथा पशु-पक्षी पाये जाते हैं। राजभवन नैनीताल का 45 एकड़ क्षेत्रफल में फैला अपना एक गोल्फ कोर्स है। गोल्फ कोर्स जो कि 1936 में निर्मित हुआ, भारत के प्राचीनतम गोल्फ कोर्स में शामिल है तथा भारतीय गोल्फ यूनियन (आई0जी0यू0) से सम्बद्ध है। इसमें पर्यटक मामूली शुल्क (ग्रीन फीस) का भुगतान करके गोल्फ खेलने का आनन्द उठा सकते हैं।