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    31-12-2023 : राज्यपाल ने प्रदेशवासियों को नव वर्ष 2024 की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

    प्रकाशित तिथि: दिसम्बर 31, 2023

    राजभवन देहरादून, 31 दिसम्बर, 2023

    राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने समस्त प्रदेशवासियों को नव वर्ष 2024 की बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। पूर्व संध्या में जारी अपने संदेश में राज्यपाल ने नव वर्ष 2024 में समस्त प्रदेशवासियों के उत्तम स्वास्थ्य और सभी के जीवन में प्रगति, खुशहाली एवं सुख-समृद्धि की कामना की है।

    राज्यपाल ने कहा कि यह नव वर्ष आपसी प्रेम, भाईचारे, सौहार्द एवं शांति का मार्ग प्रशस्त करे। उन्होंने कहा की नव वर्ष नए संकल्प के साथ एक नवीन आरम्भ का अवसर है। राज्यपाल ने प्रदेश वासियों से आह्वान किया कि हमें मिलकर नई सोच, नई ऊर्जा और नई आशा के साथ देवभूमि उत्तराखंड के विकास के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करना होगा।

    राज्यपाल ने कहा कि किसी भी सफल यात्रा में छोटे-छोटे पड़ावों का बहुत महत्व होता है, इसी प्रकार 2047 के विकसित भारत की यात्रा में वर्ष 2023 की उपलब्धियों का विशेष स्थान है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने नीति निर्धारण और क्रियान्वयन के केंद्र में लाभार्थियों को स्थान दिया है। आज हमारी नीतियां और योजनाएं जमीनी स्थितियों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं, क्रियान्वयन के लिए टास्क फोर्स बनाई जाती हैं, और सामाजिक सहयोग के माध्यम से अंत्योदय के स्वप्न को साकार करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

    राज्यपाल ने कहा कि हर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समन्वय सबसे महत्वपूर्ण अवयव है। उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में यह बात प्रत्यक्ष रूप से स्थापित होती है। पिछले वर्ष केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर हमने कई मोर्चों पर सफलता प्राप्त की है। चाहे जी-20 के अंतर्गत तीन महत्वपूर्ण आयोजन सम्पन्न कराने का विषय हो, आपदा प्रबंधन विषय पर वैश्विक सम्मेलन का आयोजन हो या राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन, बेहतर समन्वय से सकारात्मक नतीजे निकाले गए हैं, जिसका लाभ प्रदेश को हुआ है।

    राज्यपाल ने कहा कि पर्यटन उत्तराखण्ड की आर्थिकी का महत्वपूर्ण अवयव है, जी-20 की बैठकों के लिए उत्तराखण्ड ने विशेष तैयारियां की। हमने हर प्रतिनिधि को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाने की पहल की, अपनी लोक संस्कृति, आध्यात्मिक विशेषता और नैसर्गिक सौन्दर्य को प्रदर्शित करने के साथ साथ राज्य सरकार ने प्रयास किया कि इन महत्वपूर्ण आयोजनों में होने वाले चिंतन और मंथन के लिए योग्य वातावरण भी उपलब्ध कराएँ। जिस प्रकार की प्रतिक्रिया हमें प्रतिनिधियों से मिली उस से सिद्ध होता है कि हम इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हुए हैं।

    उन्होंने कहा कि इसी प्रकार उत्तराखण्ड ने आपदा प्रबंधन विषय पर छठे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया। इस बैठक में प्रत्यक्ष एवं वर्चुअल माध्यम से 70 देशों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। ध्यान देने योग्य बात है कि जिस दिन यह सम्मेलन प्रारंभ हुआ था उसी दिन हमने हमारी एक बड़ी चुनौती से जीत हासिल की, 17 दिनों के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार 28 नवंबर को हमने सिलक्यारा टनल में फंसे हुए अपने 41 श्रमवीरों को सकुशल बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की जो दुनिया के लिए एक नजीर बन गई। ये सभी साथी आपदा प्रतिरोधी इच्छाशक्ति के सबसे बड़े उदाहरण थे। इस मिशन की सफलता के केन्द्रबिन्दु में भी केंद्र और राज्य सरकार का बेहतर समन्वय रहा। यह मिशन दर्शाता है कि आपके पास कुशल और सुदृढ़ नेतृत्व के होने के क्या लाभ होते हैं।

    उन्होंने कहा कि साल के अंत में राज्य सरकार ने “ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट” का सफल आयोजन किया। यह आयोजन सशक्त उत्तराखण्ड के स्वप्न को साकार करने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने के संकल्प की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। आयोजन के दौरान ही लक्ष्य से अधिक के एमओयू और ग्राउंड ब्रेकिंग से इस आयोजन की सफलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उत्तराखण्ड को निवेश और उद्योग अनुकूल राज्य बनाने के लिए 30 से अधिक नीतियों का निर्धारण एवं पुनर्गठन किया गया है।

    अब सबसे महत्वपूर्ण कार्य है कि किस प्रकार इन नीतियों के सफल क्रियान्वयन से निवेश को धरातल पर उतारा जाए। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि इस पूरी प्रक्रिया का लाभ हमारे युवाओं को मिले, हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि युवाओं को शिक्षित के साथ साथ स्किल्ड भी बनाया जाए, उत्तराखण्ड में स्किल्ड युवाओं की भरमार है, इसलिए इस पूरे कार्यक्रम के सबसे लाभार्थी भी इन्हीं को होना चाहिए। इस आयोजन को इकोनॉमी, इकोलॉजी, एथिक्स और इम्प्लॉयमेंट का संगम बनाना हम सबका कर्तव्य है।

    राज्यपाल ने कहा कि तकनीकी और वैज्ञानिक नवाचार के साथ, भारत महत्वपूर्ण आर्थिक विकास के मार्ग पर प्रगतिशील है। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, स्मार्ट सिटी मिशन ऐसी पहल हैं जिनसे देश के विकास को और गति मिल रही है। साथ ही हमारे सामने यह अवसर भी है कि हम विभिन्न क्षेत्रों में विकास पहलों की योजना बनाने, और डिजाइन बनाते समय ही आपदाओं के जोखिमों को कम करने की प्रक्रियाओं को भी साथ में लेकर चलें।

    राज्यपाल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि ‘‘को-ऑपरेट, कॉर्पाेरेट और कम्यूनिटी’’ की विशेष भागीदारी से ही विकास की कहानी लिखी जा सकती है। “सुदृढ़, समृद्ध एवं स्वावलंबी” भारत का निर्माण राष्ट्र के स्वप्न हैं और हम सबका संकल्प है। जिस प्रकार 2023 में हम सभी उत्तराखण्ड वासियों ने ईमानदार प्रयासों से कार्य किये हैं, हमें शपथ लेनी चाहिए कि इस क्रम को 2024 में और तेज गति के साथ आगे ले जाएँ। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हर भारतवासी कृत संकल्पित है, आने वाला समय भारत के उत्तरोत्तर प्रगति का हो, इसके लिए हम सभी को आज से ही कार्य करना है, इसलिए प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि “यही समय है, सही समय है” जिसे हम सभी को चरितार्थ करना होगा।

    “यही समय है, सही समय है” –

    लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वीएसएम (से नि), राज्यपाल उत्तराखंड।

    किसी भी यात्रा में छोटे छोटे पड़ावों का बहुत महत्व होता है, इसी प्रकार विकसित भारत@2047 की यात्रा में वर्ष 2023 की उपलब्धियों का विशेष स्थान है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने नीति निर्धारण और क्रियान्वयन के केंद्र में लाभार्थियों को स्थान दिया है। आज हमारी नीतियां और योजनाएं जमीनी स्थितियों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं, क्रियान्वयन के लिए टास्क फोर्स बनाई जाती हैं, और सामाजिक सहयोग के माध्यम से अंत्योदय के स्वप्न को साकार करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

    हर लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समन्वय सबसे महत्वपूर्ण अवयव है। उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में यह बात प्रत्यक्ष रूप से स्थापित होती है। पिछले वर्ष केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर हमने कई मोर्चों पर सफलता प्राप्त की है। चाहे जी 20 के अंतर्गत तीन महत्वपूर्ण आयोजन सम्पन्न कराने का विषय हो, आपदा प्रबंधन विषय पर वैश्विक सम्मेलन का आयोजन हो या राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन, बेहतर समन्वय से सकारात्मक नतीजे निकाले गए हैं, जिसका लाभ प्रदेश को हुआ है।

    पर्यटन उत्तराखण्ड की आर्थिकी का महत्वपूर्ण अवयव है, जी 20 की बैठकों के लिए उत्तराखण्ड ने विशेष तैयारियां की। हमने हर प्रतिनिधि को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाने की पहल की, अपनी लोक संस्कृति, आध्यात्मिक विशेषता और नैसर्गिक सौन्दर्य को प्रदर्शित करने के साथ साथ राज्य सरकार ने प्रयास किया कि इन महत्वपूर्ण आयोजनों में होने वाले चिंतन और मंथन के लिए योग्य वातावरण भी उपलब्ध कराएँ। जिस प्रकार की प्रतिक्रिया हमें प्रतिनिधियों से मिली उस से सिद्ध होता है कि हम इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हुए हैं।

    इसी प्रकार उत्तराखण्ड ने आपदा प्रबंधन विषय पर छटवें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया। इस बैठक में प्रत्यक्ष एवं वर्चुअल माध्यम से 70 देशों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। ध्यान देने योग्य बात है कि जिस दिन यह सम्मेलन प्रारंभ हुआ था उसी दिन हमने हमारी एक बड़ी चुनौती से जीत हासिल की, 17 दिनों के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार 28 नवंबर को हमने सिलक्यारा टनल में फंसे हुए अपने 41 श्रमवीरों को सकुशल बाहर निकालने में सफलता प्राप्त की। ये सभी साथी आपदा प्रतिरोधी इच्छाशक्ति के सबसे बड़े उदाहरण थे। इस मिशन की सफलता के केन्द्रबिन्दु में भी केंद्र और राज्य सरकार का बेहतर समन्वय रहा। यह मिशन दर्शाता है कि आपके पास कुशल और सुदृढ़ नेतृत्व के होने के क्या लाभ होते हैं।

    तकनीकी और वैज्ञानिक नवाचार के साथ, भारत महत्वपूर्ण आर्थिक विकास के मार्ग पर प्रगतिशील है। मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, स्मार्ट सिटी मिशन ऐसी पहल हैं जिनसे देश के विकास को और गति मिल रही है। साथ ही हमारे सामने यह अवसर भी है कि हम विभिन्न क्षेत्रों में विकास पहलों की योजना बनाने, और डिजाइन बनाते समय ही आपदाओं के जोखिमों को कम करने की प्रक्रियाओं को भी साथ में लेकर चलें।

    साल के अंत में राज्य सरकार ने “ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट” का सफल आयोजन किया। यह आयोजन सशक्त उत्तराखण्ड के स्वप्न को साकार करने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बनाने के संकल्प की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। आयोजन के दौरान ही लक्ष्य से अधिक के एमओयू और ग्राउंड ब्रेकिंग से इस आयोजन की सफलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। उत्तराखण्ड को निवेश और उद्योग अनुकूल राज्य बनाने के लिए 30 से अधिक नीतियों का निर्धारण एवं पुनर्गठन किया गया है।

    अब सबसे महत्वपूर्ण कार्य है कि किस प्रकार इन नीतियों के सफल क्रियान्वयन से निवेश को धरातल पर उतारा जाए। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि इस पूरी प्रक्रिया का लाभ हमारे युवाओं को मिले, हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली में इस बात का विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि युवाओं को शिक्षित के साथ साथ स्किल्ड भी बनाया जाए, उत्तराखण्ड में स्किल्ड युवाओं की भरमार है, इसलिए इस पूरे कार्यक्रम के सबसे लाभार्थी भी इन्हीं को होना चाहिए। इस आयोजन को आयोजन इकोनॉमी, इकोलॉजी, एथिक्स और इम्प्लॉयमेंट का संगम बनाना हम सबका कर्तव्य है।

    स्पष्ट है कि ‘‘को-ऑपरेट, कॉर्पारेट और कम्यूनिटी’’ की विशेष भागीदारी से ही विकास की कहानी लिखी जा सकती है। “सुदृढ़, समृद्ध एवं स्वावलंबी” भारत का निर्माण राष्ट्र के स्वप्न हैं और हम सबका संकल्प है। जिस प्रकार 2023 में हम सभी उत्तराखण्ड वासियों ने ईमानदार प्रयासों से कार्य किये हैं, हमें शपथ लेनी चाहिए कि इस क्रम को 2024 में और तेज गति के साथ आगे ले जाएँ। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हर भारतवासी कृत संकल्पित है, आने वाला समय भारत के उत्तरोत्तर प्रगति का हो, इसके लिए हम सभी को आज से ही कार्य करना है, इसलिए प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि “यही समय है, सही समय है”

    जय हिन्द जय उत्तराखण्ड