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    30-03-2024 : राजस्थान दिवस पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    प्रकाशित तिथि: मार्च 30, 2024

    जय हिन्द!

    पधारो म्हारे उत्तराखंड।

    आज राजस्थान के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। राजस्थान के स्थापना दिवस की आप सभी राजस्थान वासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।

    हमें इस बात की बहुत खुशी है कि आज के इस उत्सव को हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के महान संकल्प के साथ मना रहे हैं।

    एक ऐतिहासिक निर्णय के बाद अब पूरे देश में सभी राजभवनों से सभी प्रदेशों के स्थापना दिवस समारोह आयोजित किये जा रहे हैं। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ भारत की एकता और अखंडता को मजबूती देने वाली एक ऐसी अनोखी पहल है।

    ये समारोह हमारी ताकत का परिचायक है। ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना हमारी सदियों पुरानी एकता की शक्ति को बल देने वाली है।

    आप सब जानते होंगे, राज्य स्थापना दिवस को मनाने के अवसर पर हम देश की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं को समझने की कोशिश करते हैं। 30 मार्च 1949 इस दिन राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति तथा बलिदान को नमन किया जाता है।

    यहाँ की लोक कलाएँ, समृद्ध संस्कृति, महल, व्यंजन आदि एक विशिष्ट पहचान रखते हैं। इस दिन कई उत्सव और आयोजन होते हैं जिनमें राजस्थान की अनूठी संस्कृति का दर्शन होता है।

    इसे पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था, कुल 19 रियासतों को मिलाकर यह राज्य बना तथा इसका नाम ‘राजस्थान’ किया गया जिसका अर्थ है ‘राजाओं का स्थान’ क्योंकि स्वतंत्रता से पूर्व यहाँ कई राजा-महाराजाओं ने राज किया।

    30 मार्च 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों के विलय से ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना। इसमें सरदार वल्लभभाई पटेल जी की सक्रिय भूमिका रही। राजा महाराणा प्रताप और महाराणा सांगा, महाराजा सूरजमल, महाराजा जवाहर सिंह, वीर तेजाजी अपनी असाधारण राज्यभक्ति और शौर्य के लिये जाने जाते है।

    पन्ना धाय जैसी बलिदानी माता, मीराबाई जैसी जोगिन यहां की एक बड़ी शान है। कर्माबाई जैसी भक्तणी जिसने भगवान जगन्नाथ जी को अपने हाथों से खीचड़ा (खिचड़ी) खिलाया था।

    राजस्थान भारत का एक राज्य है जो पर्यटन के लिए सबसे अच्छा राज्य माना जाता है। राजस्थान राज्य में हर जिले में कई दर्शनीय स्थल देखने को मिलते है। यहां विशेष रूप से दुर्ग है जो लगभग हर जिले में है। इनके अलावा राजस्थान में कई पौराणिक मन्दिर भी है।

    प्राकृतिक सुंदरता और महान इतिहास से संपन्न राजस्थान में पर्यटन उद्योग समृद्धिशाली है। राजस्थान देशीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों, दोनों के लिए एक उचित पर्यटन स्थल है।

    भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने जरूर आता है क्योंकि यह भारत आने वाले पर्यटकों के लिए ‘गोल्डन ट्रायंगल’ का हिस्सा है।

    जयपुर का हवामहल, उदयपुर की झीलें और जोधपुर, बीकानेर तथा जैसलमेर के भव्य दुर्ग भारतीय और विदेशी सैलानियों के लिए सबसे पसंदीदा जगहों में से एक हैं। इन प्रसिद्ध स्थलों को देखने के लिए यहाँ हजारों पर्यटक आते हैं।
    अगर राजस्थान घूमने जा रहे हैं तो ये चीजें खरीदना न भूलें, आप यहां से यादों के तौर पर यहां से खरीद कर ले जा सकते हैं। आभूषण और रत्न, लघु चित्र, कठपुतली, गुड़िया और खिलौने, चित्रकला, कालीन, मिट्टी के वर्तन, कपड़े का कारीगरी, धातु शिल्प, जोधपुरी जूती, और मसाले राजस्थान की पहचान हैं।

    यहाँ की मुख्य मिठाई ‘घेवर’ का कोई जबाब नहीं है। ये मिठाई पूरे राजस्थान में हर मिठाई की दुकान पर बिकती हैं। कोटा की कचैरी भी बहुत फेमस हैं।

    इस आयोजन से राज्यों के लोगों से परस्पर परिचय, प्रवासी लोगों के बीच संवाद, एकता की भावना, राज्यों की विविध परम्पराएं, कला, संस्कृति, वेशभूषा, और खान-पान की शैली का भी आदान-प्रदान होता है।

    हमारे हर एक राज्य की एक विशिष्ट पहचान है, हर एक राज्य की एक भाषा, विविधतापूर्ण कला और संस्कृति है। यह विविधता भारत की ताकत है। तमाम अनेकताओं के बावजूद भी हम सब एक हैं। यही भारत की विशेषता है।

    मैं आज के इस समारोह में यहां उपस्थित सभी महानुभावों को भारत के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प के साथ इस ऐतिहासिक दिवस की सभी राजस्थान वासियों को और आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ।
    जय हिन्द!