28-02-2024 : राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर नवाचार उत्सव समापन समारोह में मा0 राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर नवाचार उत्सव समापन समारोह में मा0 राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
(दिनांक 28 फरवरी, 2024)
जय हिन्द!
शहर की भीड़भाड़ से दूर टॉन्स नदी के तट पर यहाँ के शांत वातावरण में मन की सुषुप्त जिज्ञासाएं आकार लेने लगती हैं। ये जिज्ञासा, मन में उठते हुए सवाल, और प्रश्नों के उत्तर ढूँढने की प्रेरणा देती है, इसलिए विज्ञान धाम में आकर मुझे अत्यंत सुख की अनुभूति होती है, मैं, उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में, कई बार यहाँ आ चुका हूँ। यह प्रसंशनीय है कि हर कार्यक्रम किसी नए विषय पर केंद्रित होता है।
आज के दौर में साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी हर समाज, हर राज्य, हर देश की मूलभूत आवश्यकता बन चुकी हैं, और मुझे प्रसन्नता है कि राज्य सरकार, यूकॉस्ट के माध्यम से प्रदेश में साइंस और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की दिशा में बहुत तेजी से कार्य कर रही है।
अभी कुछ महीने पहले ही आपने देखा है कि कैसे भारत का चंद्रयान वहां पहुंचा, जहां कोई देश नहीं पहुंच पाया। इस सफलता ने देश के नौजवानों के साइंटिफिक टेंपर को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।
समय की आवश्यकता के अनुरूप, आज भारत ैज्म्ड एजुकेशन का भी बहुत बड़ा भ्न्ठ है। यह खुशी की बात है कि बड़ी संख्या में भारत में बेटियाँ, बेटों से भी ज़्यादा संख्या में, ैबपमदबमए ज्मबीदवसवहलए म्दहपदममतपदह और डंजी की पढ़ाई कर रहीं हैं।
चाहे सीमांत जनपदों के लिए पर्वतीय बाल विज्ञान महोत्सव हो या फिर बाल विज्ञान सम्मेलन, साइंस आउटरीच के कार्यक्रम हों या फिर टेक्नोलॉजी संगम, यूकॉस्ट जन-जन में, खासकर दूर दराज के दुर्गम क्षेत्रों के बच्चों, महिलाओं और युवाओं में वैज्ञानिक चेतना और नवाचारी सोच विकसित करने के लिए सराहनीय कार्य कर रही है। इसके लिए मैं यूकॉस्ट की पूरी टीम को बधाई देना चाहता हूँ।
मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि, यूकॉस्ट द्वारा 8 और 9 फरवरी, 2024 को उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी में 18वें उत्तराखण्ड स्टेट साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इस तरह के आयोजन आम जीवन में साइंस और टेक्नोलॉजी का समावेश कर समाज के सर्वागीण विकास के लिए बहुत आवश्यक है। साथ ही राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों, प्राध्यापकों तथा वैज्ञानिकों के महत्वपूर्ण शोध कार्यों तथा वोकल फाॅर लोकल को प्रदर्शित करने का महत्वपूर्ण माध्यम हैं।
इस सम्मेलन का मुख्य विषय, ’विश्व शांति और सद्भाव के लिए भारतीय ज्ञान-विज्ञान परंपरा’ था जो आज के संदर्भ में बेहद प्रासंगिक है। यह हमारा कर्तव्य है कि आज की युवा पीढ़ी को प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान परंपराओं के प्रति जागरूक किया जाए।
यह अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि इस सम्मेलन में भारतीय ज्ञान-विज्ञान परम्परा, वैदिक गणित, यौगिक विज्ञान, तथा विज्ञान एवं आध्यात्म जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रदेश व देशभर के प्रख्यात वैज्ञानिकों तथा शिक्षाविदों द्वारा गहन विचार मंथन किया गया।
आजादी के अमृतकाल में जब भारत विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए विकास के नये युग का श्रीगणेश कर रहा है, तब हमें अपने गौरवशाली परंपराओं को जानने, समझने और पूरी लगन के साथ उन पर अमल करने का, और अभ्यास करने की जरूरत है।
अमृतकाल की आज की युवा पीढ़ी गुलामी के दबाव और प्रभाव से पूरी तरह मुक्त है। आज की आवश्यकता है- विकास भी, और विरासत भी। योग हो या आयुर्वेद हो, हमेशा भारत के लिए एक पहचान के रूप में रहा है। लेकिन आजादी के बाद इन्हें ऐसे ही भुला दिया गया। आज दुनिया इन्हें स्वीकार कर रही है। आज भारत का युवा योग-आयुर्वेद का ब्रांड एंबेसडर बन रहा है।
परिषद् द्वारा इस नवाचार उत्सव के माध्यम से विभिन्न वर्ग की प्रतिभाओं को एक मंच देने का कार्य जो किया गया है, यह अत्यंत सराहनीय कदम है। मुझे विश्वास है कि यह महोत्सव राज्य के सर्वागीण विकास तथा वैज्ञानिक चेतना के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा तथा विद्यार्थियों, उद्यमियों, स्टार्टअप्स आदि को एक विस्तृत मंच प्रदान करेगा।
वास्तव में इस तरह के आयोजन विभिन्न चुनौतियों के वैज्ञानिक समाधान ढूंढने की क्षमता विकसित करते हैं और कौशल के साथ-साथ अनुभावात्मक ज्ञान के प्रति भी जागरूकता उत्पन्न करते हैं।
मुझे बताया गया है कि इस तीन दिवसीय नवाचार उत्सव के दौरान विभिन्न श्रेणियों में कई रचनात्मक वैज्ञानिक गतिविधियां आयोजित की गयी और मुझे विश्वास है कि यह महोत्सव प्रतिभागियों की रचनात्मकता को बढ़ावा देगा तथा उनमें वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने में मदद करेगा।
इस महोत्सव के दौरान नवीन उत्पादों, विचारों, वैज्ञानिक प्रक्रियाओं का प्रदर्शन, विशेषज्ञ, इनोवेटर, स्टार्टअप व्याख्यान, क्रिएटिव रोबो डिजाइन, विचार प्रतियोगिता, विज्ञान प्रश्नोत्तरी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों पर कार्यशाला सहित विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गयी।
यह एक महत्वपूर्ण संयोग है कि आज राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के इस वर्ष के लिए ’विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक’ थीम के अनुरूप विज्ञान धाम में यह विशाल आयोजन संपन्न हुआ है।
आज सरकार का पूरा प्रयास है कि युवाओं को खुला आसमान दें, युवाओं के सामने आने वाली हर रुकावट को दूर करें। आज चाहे शिक्षा हो, रोजगार हो, उद्यमिता हों, स्टार्टअप हों, स्किल्स या स्पोट्र्स हों, देश के युवाओं को सपोर्ट करने के लिए हर क्षेत्र में एक आधुनिक डाइनैमिक इकोसिस्टम तैयार हो रहा है। आपको 21वीं सदी की आधुनिक शिक्षा देने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है।
प्यारे बच्चों,
आज का भारत एक युवा भारत है। युवा ही भारत की असली ताकत है। देश और राज्य का भविष्य युवाओं के सामथ्र्य पर निर्भर है। आज भारत दुनिया की टॉप फाइव इकोनाॅमी में आया है, तो इसके पीछे भारत के युवाओं की ताकत है। आज भारत, दुनिया के टॉप थ्री स्टार्टअप इकोसिस्टम में आया है, तो इसके पीछे भारत के युवाओं की ताकत है। आज भारत एक से बढ़कर एक इनोवेशन कर रहा है। आज भारत दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बन रहा है, तो इसका आधार भारत के युवा हैं, भारत के युवाओं का सामथ्र्य है।
कहते हैं- जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है। आज देश का मिजाज भी युवा है, और देश का अंदाज भी युवा है। और जो युवा होता है, वो पीछे नहीं चलता, वो स्वयं लीड करता है। इसलिए आज आपके लिए ये समय सपनों को विस्तार देने का समय है। अब हमें केवल समस्याओं के समाधान नहीं खोजने हैं। हमें केवल चुनौतियों पर विजय नहीं पानी है। हमें खुद अपने लिए नए चैलेंज भी तय करने हैं।
हमें जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है। हमें आत्मनिर्भर भारत अभियान के सपने को सिद्धि देनी है। हमें सर्विसेस और प्ज् सेक्टर की तरह ही भारत को विश्व का मैन्युफैक्चरिंग हब भी बनाना है। इन आकांक्षाओं के साथ-साथ भविष्य के प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ भी हैं। जलवायु परिवर्तन की चुनौती हो, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना हो हमें लक्ष्य बनाकर तय समय में इन्हें प्राप्त भी करना है।
मैं विज्ञान और प्रौद्योगिकी सम्मेलन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले चयनित शोधार्थियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ तथा साथ ही सभी आयोजकों को इस भव्य आयोजन के लिए हार्दिक धन्यवाद देता हूँ।
प्यारे बच्चों,
आज अमृतकाल का ये कालखंड युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर है। आज आपके पास मौका है इतिहास बनाने का, इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने का। अब आपको अमृतकाल में भारत को एक नई ऊंचाई पर लेकर जाना है। आप ऐसा कुछ नया काम करिए कि अगली पीढ़ी आपको याद करे, आपके पराक्रम को याद करें।
मुझे विश्वास है, आपका सामथ्र्य, आपका सेवाभाव, देश को, समाज को नई ऊंचाई पर ले जाएगा। आपका प्रयास, आपका परिश्रम, युवा भारत की शक्ति का पूरी दुनिया में परचम लहराएगा। इस आकांक्षा के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिंद!