27-12-2024 : दून विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षान्त समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
जय हिन्द!
कुलाधिपति के रूप में, दून विश्वविद्यालय के इस पांचवें दीक्षांत समारोह में प्रतिभाशाली और ऊर्जावान युवाओं के बीच आकर मुझे असीम प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।
सर्वप्रथम मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूँ और सभी पदक विजेताओं को मैं विशेष बधाई देता हूँ। आज की उपलब्धि को हासिल करने के लिए आपने अथक परिश्रम किया है, निश्चित ही इस सफलता को अर्जित करने के उपरांत आपको आज बहुत ख़ुशी हो रही होगी।
आपकी इस यात्रा में आपके माता-पिता का आपके साथ महत्वपूर्ण सहयोग रहा, यह आपकी ही नहीं बल्कि आपके माता-पिता की भी उपलब्धि है। मैं सभी विद्यार्थियों के अभिभावकों को हार्दिक बधाई देता हूँ। शिक्षकों के लिए भी आज का समारोह बहुत सम्मान और गौरव का है, क्योंकि उनके विद्यार्थी अध्ययन के उपरांत जीवन के नए क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। मैं इस अवसर पर सभी शिक्षकों को भी शुभकामनाएं देता हूँ।
यह प्रसन्नता का विषय है कि इस विश्वविद्यालय ने पिछले 15 वर्षों के शैक्षणिक यात्रा के दौरान कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं और कई ऐतिहासिक पलों का साक्षी बना। इन्हीं पलों में वह क्षण भी है जब माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी ने विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षान्त समारोह को सुशोभित कर मेधावियों को पदक प्रदान किए।
मैं, विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल जी को भी बधाई देना चाहता हूँ, क्योंकि उनके गतिशील नेतृत्व में यह विश्वविद्यालय लगातार प्रगति कर रहा है और हर वर्ष अपनी उपलब्धियों में नए अध्याय जोड़ रहा है।
इस वर्ष नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडीटेशन काउंसिल (नैक) द्वारा विश्वविद्यालय को शिक्षा एवं शोध की गुणवत्ता के आधार पर ‘ए‘ ग्रेड प्रदान किया गया है। इस उपलब्धि के लिए मैं पूरे विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि विश्वविद्यालय आने वाले समय में अपने इस उत्कृष्ट प्रदर्शन को जारी रखेगा।
मुझे खुशी है कि दून विश्वविद्यालय के विद्यार्थी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी मेधा का प्रदर्शन कर रहे हैं। राजभवन में आयोजित बसंतोत्सव के दौरान यहाँ के विद्यार्थियों ने बहुत सुंदर एवं व्यापक मीडिया कवरेज की और साथ ही शिक्षकों की मदद से बहुत अच्छी कॉफी टेबल बुक तैयार की है। जिससे उनकी प्रतिभा एवं रचनात्मकता परिलक्षित होती है। मुझे उम्मीद है कि विश्वविद्यालय इस प्रकार प्रगति पथ पर बढ़ता रहेगा।
प्यारे विद्यार्थियो,
आप सभी यदि तीन सामान्य बातों पर हमेशा ध्यान देंगे तो आप अवश्य ही सफलता और सम्मान अर्जित करेंगे। पहली बात है, सर्विस ओरिएंटेशन (ेमतअपबमवतपमदजंजपवद) यानी सेवा भावना। दूसरी बात है, लर्निंग ओरिएंटेशन (समंतदपदह वतपमदजंजपवद) यानी हमेशा सीखते रहने का उत्साह। तीसरी बात है, रिसर्च ओरिएंटेशन (तमेमंतबी वतपमदजंजपवद) यानी कुछ नया अनुसंधान करने की आकांक्षा। मुझे पूर्ण विश्वास है कि भगवान शिव की त्रिशूल की शक्ति की तरह आप इन तीन साधनों को अपनाकर उज्ज्वल भविष्य की राह पर आगे बढ़ेंगे।
मैं सभी विद्यार्थियों का आह्वान करता हूँ कि वे जीवन भर अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज में व्याप्त गरीबी दूर करने, असहाय लोगों की सहायता एवं उनके कल्याण के लिए करें। साथ ही राष्ट्रीय एकता, समाज में भाई-चारा, समरसता के ताने-बाने को सशक्त बनाने की दिशा में कार्य करें।
आप हमेशा उच्च लक्ष्य रखें, बड़े सपने संजोए और उन्हें पूरा करने के लिए पूरी ताकत से जुट जाएं। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में आप राज्य एवं देश के विकास में निःस्वार्थ भावना से अपना योगदान सुनिश्चित करें।
साथियों,
भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि
‘‘महा भूतान्यङ्ककारो बुद्धि रव्यक्त मेव च।
इन्द्रियाणि दषैकं च पञच चेन्द्रिय गोचराः ।।
मुझे खुशी है कि विश्वविद्यालय के इस दीक्षान्त समारोह की थीम ‘‘माटी‘‘ है जिसका भाव इस श्लोक से लिया गया है। इसमें भगवान कहते हैं कि मनुष्य इस जगत में जो भी कार्य करता है वह पांच महाभूतों पर ही आधारित है जिसमें धरती यानि माटी, आकाश, हवा, पानी और अग्नि शामिल है।
इन तत्वों का उपयोग मानवता के कल्याण के लिए किया जाए और इनका संरक्षण आने वाली पीढ़ियों के लिए हो, इसलिए इन विषयों का शिक्षण पाठ्यक्रमों में सम्मिलित कर विद्यार्थियों के अंदर प्रकृति के सम्मान और संरक्षण की यह भावना विकसित करना जरूरी है।
मैं विश्वविद्यालय के इस पहल की सराहना करता हूँ कि उसने इस वर्ष प्रकृति के एक महत्वपूर्ण अंग धरती यानि ‘‘माटी‘‘ को दीक्षान्त समारोह की विषय वस्तु के रूप में चुना है। मुझे विश्वास है कि विश्वविद्यालय में वर्ष भर इस विषय पर कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिससे माटी के संरक्षण और सम्मान का भाव विश्वविद्यालय से निकलकर समाज तक फैलेगा।
विद्वत शिक्षकों,
हमें यह याद रखना होगा कि किसी भी देश की प्रगति उसकी मानव सम्पदा पर निर्भर करती है और मानव सम्पदा का आधार गुणवत्तायुक्त शिक्षा के बिना सम्भव नहीं है। इसलिए शिक्षकों का दायित्व है कि वे नवाचार एवं नवोन्मेषी विचारों का उपयोग अपने रोचक व्याख्यानों में करें ताकि सशक्त और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए एक मजबूत पीढ़ी तैयार हो सके।
हमारी संस्कृति सदियों से गुरू-शिष्य परम्परा के लिए जानी जाती है। जहाँ, गुरू और शिष्य घर से दूर गुरूकुल में रहकर अध्ययन करते थे। इस व्यवस्था में विद्यार्थी को केन्द्र में रखकर उनमें विद्या, ज्ञान एवं कौशल के साथ-साथ समरसता और विश्व-बंधुत्व का भाव विकसित किया जाता था। आज आवश्यकता है कि हम गुरू-शिष्य शिक्षण की उस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए अपनी संस्कृति को समझें और प्रकृति का सम्मान कर विकसित भारत की प्रगति की नींव रखें।
आज हम विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के साथ ही सबसे बड़ी युवा शक्ति से भरपूर राष्ट्र हैं। यही कारण है कि पूरी दुनिया हमें उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। महान वैज्ञानिक एवं पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि ‘‘हमारे पास युवा संसाधन के रूप में अपार संपदा है और यदि समाज के इस वर्ग को सशक्त बनाया जाए तो हम बहुत जल्द ही महाशक्ति बनने के लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।’’
युवा शक्ति हमारी सबसे बड़ी ऊर्जा है और इस ऊर्जा का उपयोग समाज के बहुमुखी विकास में करना होगा, जिससे हम वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। मुझे अपनी इस युवा पीढ़ी के सामथ्र्य पर पूरा भरोसा है, इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम पुनः विश्व गुरु के पद पर आसीन होकर विश्व कल्याण के लिए कार्य करेंगे।
साथियों,
यह हम सभी के लिए बड़ी चिंता का विषय है कि आज की हमारी आधुनिक युवा पीढ़ी एक बहुत बड़ी समस्या से ग्रसित हो रही है। एक समाज के रूप में हमें इस ओर ध्यान देने की ज़रूरत है। ये समस्या है, नशे और ड्रग्स की। इस समस्या से हमें अपनी युवाशक्ति को बचाना है। इसके लिए सरकारों के साथ-साथ परिवार और समाज की शक्ति को भी अपनी भूमिका अदा करनी होगी।
आज युवाओं के लिए अवसरों एवं कैरियर च्वाइस की भरमार है। निजी क्षेत्र में अनेक सम्भावनाएं हैं। युवा स्वयं को रोजगार प्रदाता के रूप में भी विकसित कर सकते हैं। हमारे स्नातकों की विश्वभर में मांग है। हमने स्वयं को ज्ञान और कौशल के साथ दुनिया की मदद करने वाले देश के रूप में स्थापित किया है। इसलिए आप जो भी करते हैं आपको पूरे दिल और ईमानदारी से करना चाहिए।
साथियों,
टेक्नोलॉजी सबसे बड़ी परिवर्तनकारी शक्ति है। इसका इस्तेमाल कर एक राष्ट्र संसाधन की कमी को दूर कर सकता है और पूंजी पर निर्भरता घटा सकता है। इससे सामाजिक समानता, गरीबी उन्मूलन और जीवन स्तर में सुधार लाने में भी मदद मिलेगी, इसके जरिए कृषि से लेकर उद्योग, बिजली, संचार और परिवहन तक सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की जा सकती है।
भारत के विकास की उल्लेखनीय कहानी साइंस टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में निहित है। हमने देखा, पिछले एक दशक में देश का तेजी से विकास इन तीनों क्षेत्रों में प्रगति के कारण हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमने विभिन्न क्षेत्रों में बड़ा बदलाव देखा है।
स्टार्टअप के उभार से लेकर जैव प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और क्वांटम विज्ञान में क्रांतिकारी सफलताओं तक। इसलिए हमें यदि युवाओं को सशक्त बनाना है तो टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को बढ़ावा देना आवश्यक है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी गांव, गरीब, किसान, नौजवान और महिलाओं को देश के विकास की मुख्य धारा से जोड़कर ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’’ की भावना से कार्य कर रहे हैं। कल्याणकारी योजनाओं, सड़कों, एक्सप्रेसवे, बंदरगाहों, एअरपोर्टाे के निर्माण, सैकड़ों अन्य योजनाओं और अभियानों के माध्यम से एक नए भारत का निर्माण हो रहा है, जिनके माध्यम से आज लाखों लोगों के लिए रोजगार सृजन भी हो रहा है।
आज का नया भारत उस स्टेज पर खड़ा है, जहां वैश्विक चुनौतियों के समाधान में भारत बड़ी भूमिका निभा रहा है। अर्थव्यवस्था हो या विज्ञान, अनुसंधान हो या खेल, नीति हो या रणनीति, आज हर क्षेत्र में भारत नई बुलंदी की तरफ बढ़ रहा है। और इसलिए यही समय है, सही समय है, ये भारत का समय है। हम मिलकर आजादी की शताब्दी वर्ष 2047 तक आने वाले इन सालों में, भारत के सामथ्र्य की पराकाष्ठा का प्रचंड प्रदर्शन करें, ताकि हम विकसित भारत के अपने संकल्प को नियत समय पर पूरा कर सकें।
प्रिय विद्यार्थियों,
आज जब आप अपने इस संस्थान से विदाई ले रहे हैं। मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप भारत माता की संतान के रूप में हर सम्भव तरीके से समाज की बेहतरी के लिए अपना सर्वाेत्तम योगदान देंगे। राष्ट्र सर्वाेपरि की भावना को आत्मसात कर प्रत्येक कार्य करेंगे। आपका ज्ञान, आपकी विशेषज्ञता, आपका सामथ्र्य देश के काम आए।
इसी मंगल कामना के साथ मैं एक बार पुनः आप सभी को उज्ज्वल भविष्य के लिए हृदय से शुभकामनाएं देता हूँ।
जय हिन्द!