26-03-2025 : हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय देहरादून के सप्तम दीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
जय हिन्द!
इस महत्वपूर्ण समारोह में आज आप सब के बीच उपस्थित होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। हेमवती नन्दन बहुगुणा उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय देहरादून के सप्तम दीक्षांत समारोह के इस विशेष अवसर पर मैं आज उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को इस गौरवशाली उपलब्धि पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ।
यह दिन उपाधि प्राप्त करने वाले सभी स्टूडेंट्स के जीवन का एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि आज प्राप्त की गई उपाधि आपको समाज में एक अलग पहचान देती है। इस सफलता में आपकी योग्यता, लगन और मेहनत के साथ-साथ आपके शिक्षकों और माता-पिता की तपस्या भी शामिल है, आपको यह भी स्मरण रखना चाहिए कि आपकी शिक्षा में समाज का भी बड़ा योगदान है।
आज का यह शुभ दिन आप सभी के लिए एक नए सफर की शुरुआत है। मुझे प्रसन्नता और खुशी भी है कि इस वर्ष कुल 2415 सफल छात्र-छात्राएं और 57 पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं। मैं आज इस महत्वपूर्ण दीक्षान्त समारोह में सभी प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को आशीर्वाद देता हूँ कि उनके जीवन में निरंतर प्रगति, खुशहाली और उन्नति के अवसर प्राप्त हों।
भारत के इस अमृत काल में प्रत्येक नागरिक को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं तथा स्वस्थ्य रहने के लिए समग्रता से किए जाने वाले प्रयासों में उत्तराखण्ड के इस चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा योग्य मानक संसाधन तैयार किया जाना एक महत्वपूर्ण योगदान है। मैं इसके लिए पूरे विश्वविद्यालय परिवार को हृदय से बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ।
आज, जब आप चिकित्सा क्षेत्र में अपनी पढ़ाई पूर्ण कर इस संस्था से बाहर निकल रहे हैं, तो आप केवल एक डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टॉफ या स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं हैं, बल्कि आप समाज के एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनने जा रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आपने जो ज्ञान और कौशल अर्जित किया है, अब वह समाज के सेवा कार्य में लगेगा।
स्वास्थ्य को सबसे बड़ा सुख माना गया है। कहा जाता है कि ‘पहला सुख निरोगी काया’। हमारी परंपरा में समस्त विश्व के आरोग्य और कल्याण की कामना की गई है। सदियों से हम प्रार्थना करते आए हैं ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः’ अर्थात सभी सुखी रहें और सभी रोग-मुक्त रहें। यह आप सभी का सौभाग्य है कि आप ऐसे महत्वपूर्ण प्रोफेशन से जुड़ रहे हैं।
प्यारे विद्यार्थियों,
मेडिकल प्रोफेशन केवल आजीविका का साधन मात्र नहीं है। यह प्रोफेशन लोगों के दुखों को कम करने, बीमार लोगों का उपचार करने और समाज की भलाई में योगदान देने की पवित्र जिम्मेदारी देता है। इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप अपने पेशे में हमेशा करुणा, सेवा भाव और ईमानदारी बनाए रखें।
आपके पास आने वाला रोगी केवल एक मेडिकल केस नहीं होता है। वह बीमारी से परेशान तथा आशंका और उम्मीद के बीच उलझा हुआ एक इंसान होता है। उसका केवल मेडिकल ट्रीटमेंट ही नहीं, बल्कि उत्साहवर्धन भी आवश्यक होता है। इसलिए आपकी भूमिका, केवल एक डॉक्टर की ही नहीं, बल्कि एक कंपैशनेट हीलर की भी होनी चाहिए। मेरी आपसे अपेक्षा है कि आप समाज, राष्ट्र और सबसे बढ़कर मानवता की सेवा में अपनी भूमिका को गंभीरता से निभाएं।
यह सच है कि चिकित्सा क्षेत्र में चुनौतियाँ कम नहीं हैं। लम्बी कार्य अवधि, मानसिक दबाव और कठिन परिस्थितियाँ आपके सामने आएंगी, लेकिन यह भी सच है कि आपके एक उपचार से किसी की जान बच सकती है, आपके एक मुस्कान से किसी को नया जीवन मिल सकता है। यही आपकी सबसे बड़ी सफलता होगी।
देश और दुनिया आज नई-नई बीमारियों, महामारी और स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे समय में आप जैसे समर्पित और कुशल स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप हमेशा नवीनतम चिकित्सा ज्ञान के साथ अद्यतन रहें और हर परिस्थिति में मानवता की सेवा के लिए तत्पर रहें।
प्यारे विद्यार्थियों,
आज का युग टेक्नोलॉजी का युग है। मेडिकल के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी अहम भूमिका निभा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसी तकनीकें चिकित्सा प्रक्रिया को अधिक सरल और सटीक बना रहे हैं। मेरी आपसे अपील है कि आप आधुनिकतम तकनीकों को अपनाने के लिए सदैव तत्पर रहें। इससे न केवल रोगियों का इलाज सुगम होगा बल्कि आपके ज्ञान और कार्यक्षमता में भी वृद्धि होगी।
आज चाहे डॉक्टर हो अथवा पैरामेडिकल कर्मी सभी तकनीकी उपकरणों का उपयोग बीमारी के कारणों का पता लगाने और उपचार में करने लगे हैं, जिसे हम मात्र उपभोगकर्ता के साथ-साथ अन्वेषण व विकसित करने वाली भूमिका में आना देशहित में जरूरी है। चिकित्सा उपकरणों के निर्माण व व्यापार की बड़ी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनना देश को विकसित राष्ट्र बनाने में बड़ा योगदान देने वाला है।
मैं अपने चिकित्सा विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों सहित सभी का आह्वान करता हूँ कि आप सामाजिक आवश्यकताओं और हो रहे परिवर्तनों के अनुरूप अपने शिक्षण-प्रशिक्षण के तरीकों में बदलाव करें ताकि हम चिकित्सा व स्वास्थ्य क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका अदा कर सकें।
हमारे देश में अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा कर रहे लोगों की सूची बढ़ती ही जा रही है। इस कमी को दूर करने में कृत्रिम अंगों का विकास और लोगों द्वारा अंग दान करना महत्वपूर्ण है। लेकिन अंग दान के प्रति आम लोगों में एक तरह की झिझक होती है। इस झिझक को दूर करने में डॉक्टर्स की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। आप लोगों को अंग दान के महत्व को बता कर उन्हें इस पुनीत कार्य के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
साथियों,
विगत कुछ वर्षों में भारत सरकार ने ‘स्वस्थ भारत’ के निर्माण के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। जैसे देशभर में मेडिकल कॉलेजों की संख्या और एमबीबीएस तथा पीजी की सीटों में बहुत वृद्धि हुई है। सभी को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए नए ।प्प्डै स्थापित किए गए हैं।
स्वास्थ्य सेवा को अधिक पारदर्शी, सुरक्षित, समावेशी और सुलभ बनाने के उद्देश्य से आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया है। ‘आयुष्मान वय वंदना कार्ड योजना’ के अंतर्गत 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को 5 लाख रुपये का निःशुल्क स्वास्थ्य कवर प्रदान किया जा रहा है। प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए देशभर में एक लाख पचहत्तर हजार से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित किए जा रहे हैं।
सरकार के इन प्रयासों के सुखद परिणाम भी आ रहे हैं। लेकिन इन सभी प्रयासों की सतत सफलता में सभी भागीदारों का सहयोग आवश्यक है। सरकार द्वारा बनाए गए हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का समुचित उपयोग कुशल और समर्पित डॉक्टरों के माध्यम से संभव हो सकेगा।
प्रिय विद्यार्थियों,
आपके पास चरक और सुश्रुत से शुरू हुई चिकित्सा पद्धति सेे लेकर अब तक की आधुनिक चिकित्सा पद्धति तक के विकास की यात्रा की विरासत है। तकनीकी के प्रयोग से आज की चिकित्सा प्रणाली में अभूतपूर्व प्रगति हो चुकी है और आने वाले समय में अपार संभावनाएं पैदा होती दिख रही है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के चिकित्सा मानकों को अपने देश में स्थापित करने के साथ-साथ अपनी भौगोलिक व सामाजिक विषमताओं के दृष्टिगत सभी को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी समझना और क्रियान्वित करना आवश्यक हो गया है, जिसे हम अपनी सृजनात्मक क्षमता और प्रत्येक नागरिक को स्वस्थ रखने की प्रतिबद्धता से पूरा कर सकते है।
आप सभी को विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के पांच प्रण फिर याद दिलाना चाहता हूँ ये आप सभी के जीवन के प्रण है ये भारत के गौरव के प्रण हैैः-
विकसित और आत्मनिर्भर भारत बनाएं।
गुलामी की मानसिकता से मुक्त भारत बनाएं।
अपनी विरासत और भारत के प्राचीन गौरवमयी सच्चे इतिहास पर गर्व करंे।
राष्ट्र की एकता के लिए अपने देशवासियों की एकता में दृढ़ विश्वास रखें।
संविधान के सम्मान के साथ नागरिक कर्तव्यों का पालन करें।
विकसित व आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ समृद्ध और ज्ञानवान भारत के भविष्य के लिए आपका कौशल, आपकी करूणा, दया, परोपकार, उत्कृष्ट सेवा हमारे समाज के स्वास्थ्य और कल्याण में बहुत बड़ा योगदान देने वाला होगा।
प्यारे विद्यार्थियों,
हम सब ने भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने में युवा डॉक्टर्स की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में एजुकेशन, रिसर्च और एंटरप्रेन्योरशिप के द्वारा भारत को अग्रिम पंक्ति में लाना आपका संकल्प होना चाहिए। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
अंत में, मंै पूरे विश्वविद्यालय परिवार को सातवें दीक्षांत समारोह के सफलतापूर्वक आयोजित कीे बधाई देते हुए आप सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। मेरा विश्वास है कि आप अपनी कड़ी मेहनत और सेवा भावना से चिकित्सा क्षेत्र में नई ऊंचाइयाँ प्राप्त करेंगे और मानवता की सेवा में अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे।
आपकी यात्रा उद्देश्यपूर्ण और सफलता से भरी हो। इन्हीं शब्दों के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!