22-05-2025 : ‘‘गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा के शुभारंभ’’ अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब जी की पवित्र यात्रा का शुभारंभ आत्मिक उन्नयन, आस्था और सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रेरणादायक क्षण।
देवभूमि की पावन धरा को गुरु गोबिंद सिंह जी की दिव्य आध्यात्मिक शक्ति ने किया है पवित्र।
यह यात्रा केवल एक धार्मिक तीर्थयात्रा नहीं है, यह आत्म शुद्धि का, सेवा का और गुरु के प्रति समर्पण का मार्ग।
गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन से प्रेरणा लेकर हम सीखते हैं कि कठिनाइयों को साधना में परिवर्तित किया जा सकता है।
हम इस पवित्र यात्रा को न केवल आध्यात्मिक रूप से सफल बनाएँ, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी उदाहरण प्रस्तुत करें।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह यात्रा आपके जीवन को नई दिशा, नया दृष्टिकोण और गहराई से जुड़ी हुई अध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करेगी।
जय हिन्द!
सत श्री अकाल!
परम आदरणीय संत और महात्माओं, धार्मिक गुरु, श्रद्धालुजन, पंज प्यारे, गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के पदाधिकारीगण, जनप्रतिनिधिगण एवं उपस्थित सभी श्रद्धेय अतिथिगण!
आज का यह शुभ अवसर, गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब जी की पवित्र यात्रा के शुभारंभ का दिन, न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत है, बल्कि आत्मिक उन्नयन, आस्था, और सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रेरणादायक क्षण भी है।
आज जब ऋषियों की तपोभूमि ऋषिकेश से पंज प्यारों के नेतृत्व में पहला जत्था श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा के लिए रवाना हो रहा है, इस शुभ घड़ी का साक्षी बनकर, मैं स्वयं को भी पुण्य का भागी समझ रहा हूँ। श्री हेमकुण्ड साहिब जी की यात्रा की शुरूआत में सहभागी बनकर गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने पर आज मेरा मन प्रफुल्लित हो रहा है।
देवभूमि की यह पावन धरा जिसे, तपोभूमि और वीरभूमि भी कहा गया है। यह हमारा सौभाग्य है कि इस भूमि को गुरु गोबिंद सिंह जी की तपोभूमि, श्री हेमकुण्ड साहिब का सान्निध्य प्राप्त है। इस पावन धरा को गुरु गोबिंद सिंह जी की दिव्य आध्यात्मिक शक्ति ने पवित्र किया है। यह वही भूमि है, जहाँ सात हिमालयी चोटियों से घिरे अमृत सरोवर के समीप गुरुत्व, त्याग और तपस्या की अद्भुत गाथा रची गई। यहाँ आत्मा को प्रकृति के आलिंगन में अध्यात्म की अनुभूति होती है।
आज जब ऋषिकेश से पंज प्यारे पहले जत्थे का नेतृत्व कर रहे हैं, तो यह दृश्य हमें सिख पंथ की उस महान परंपरा की याद दिलाता है जो सेवा, त्याग और आध्यात्मिकता की मिसाल है। यह यात्रा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हेमकुण्ड साहिब की यात्रा केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह साहस, तप और समर्पण का भी परिचायक है। कठिन चढ़ाई और चुनौतीपूर्ण मौसम के बीच श्रद्धालु इस यात्रा को गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रति अपनी श्रद्धा के रूप में पूरा करते हैं, यह यात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व की यात्रा है।
आदरणीय श्रद्धालुजनों!
श्री हेमकुण्ड साहिब की यह यात्रा केवल एक धार्मिक तीर्थयात्रा नहीं है, यह आत्म शुद्धि का, सेवा का, और गुरु के प्रति समर्पण का मार्ग है। 15 हजार फीट की ऊँचाई की यह अत्यंत कठिन लेकिन पवित्र यात्रा, हर श्रद्धालु के धैर्य, आस्था और साहस की परीक्षा भी है।
गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन से प्रेरणा लेकर हम सीखते हैं कि कठिनाइयों को साधना में परिवर्तित किया जा सकता है। ‘‘निश्चय कर अपनी जीत करौं’’-यही उनकी वाणी है, यही उनका संदेश है।
उनके द्वारा दी गई शिक्षाएँ-आत्मसम्मान, साहस, सेवा, परिश्रम और ईमानदारी यह हम सबके जीवन का पथ प्रदर्शक बन सकती हैं। गुरुजी ने यह सिखाया कि ‘‘सवा लाख से एक लड़ाऊँ’’-यह केवल युद्ध की बात नहीं, बल्कि आंतरिक विश्वास और धैर्य की सबसे बड़ी परीक्षा का प्रतीक है।
आज जब हम इस दिव्य यात्रा का शुभारंभ कर रहे हैं, तो हम उन महान आत्माओं को भी नमन करते हैं, जिन्होंने श्री हेमकुण्ड साहिब की खोज और निर्माण में अपना जीवन समर्पित किया। सरदार सोहन सिंह, संत मोआन सिंह, संत थांडी सिंह और संत सूरत सिंह जैसे महान विभूतियों का योगदान अमूल्य है।
मित्रों,
राज्य सरकार की ओर से हम इस पवित्र यात्रा को सरल, सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। सड़क मार्गों का विस्तार, रोपवे परियोजना का कार्य और कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेललाइन जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रयास, तीर्थयात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं। यह सब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व और संकल्प के कारण संभव हो पा रहा है।
हमें प्रसन्नता है कि हर वर्ष की तरह इस बार भी हेमकुण्ड साहिब यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह है। उत्तराखण्ड प्रशासन और गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने यात्रा के सफल आयोजन के लिए सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। रास्तों की सफाई, चिकित्सा सुविधाएँ, पेयजल और ठहरने की व्यवस्था को सुनिश्चित किया गया है। यात्रा मार्ग पर सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी असुविधा का सामना न करना पड़े।
मौसम की अनिश्चितता को देखते हुए सुरक्षा और सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए मेडिकल कैंप, ऑक्सीजन सुविधा और आपातकालीन सेवाएँ उपलब्ध कराई गई हैं।
मेरी श्रद्धालुओं से अपील है कि वे यात्रा से पहले ऑनलाइन पंजीकरण अवश्य कराएँ और यात्रा के दौरान प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अवश्य पालन करें, पंजीकरण से यात्रा प्रबंधन में आसानी होगी। मुझे विश्वास है कि सभी श्रद्धालु यात्रा को शांतिपूर्ण और अनुशासित बनाने में पूरा सहयोग करेंगे।
पवित्र यात्रा पर पधार रहे सभी श्रद्धालुओं और परिवहन व्यवसायियों से मेरा विनम्र अनुरोध है कि वे सड़क सुरक्षा के सभी नियमों का पालन करें। पहाड़ी मार्गों पर वाहन चलाते समय विशेष सतर्कता बरतें, ताकि यात्रा सुखद और सुरक्षित बनी रहे। हम सभी का कर्तव्य है कि हम इस पवित्र यात्रा को न केवल आध्यात्मिक रूप से सफल बनाएँ, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी उदाहरण प्रस्तुत करें।
राज्य के स्थापना दिवस पर 9 नवम्बर, 2024 को माननीय प्रधानमंत्री जी ने यहाँ आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों से 4 आग्रह किए। प्लास्टिक से परहेज, लोकल उत्पादों का समर्थन, यातायात नियमों का पालन और तीर्थस्थलों की मर्यादा का सम्मान। मेरा मानना है कि इनमें भारत की संस्कृति, उत्तराखण्ड की प्रकृति और आने वाली पीढ़ियों का उज्ज्वल भविष्य निहित है।
यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम इस यात्रा को न केवल सुरक्षित, बल्कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील भी बनाए रखें। मैं सभी श्रद्धालुओं से आग्रह करता हूँ कि वे प्लास्टिक मुक्त यात्रा को अपनाएँ, हिमालय की जैव विविधता की रक्षा करें, और स्थानीय उत्पादों को अपनाकर ‘वोकल फॉर लोकल’ का संदेश मजबूत करें।
भारतीय सेना न केवल हमारी सीमाओं की रक्षा करने में दिन-रात तत्पर है, बल्कि देश के नागरिकों के कल्याण और उनकी धार्मिक यात्राओं को सुचारु रूप से संपन्न कराने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। कठिन परिस्थितियों और प्रतिकूल मौसम के बावजूद, भारतीय सेना के जवानों ने बर्फ से ढके यात्रा मार्ग को सुगम बनाने के लिए अथक मेहनत की ताकि तीर्थयात्रियों को पवित्र स्थल तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो। मैं इन जवानों का दिल से आभार प्रकट करता हूँ।
मैं इस यात्रा को सफल बनाने के लिए दिन-रात जुटे गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी, सभी सेवादारों, प्रशासनिक अधिकारियों और सुरक्षा बलों का आभार प्रकट करता हूँ। इसके साथ ही हेमकुण्ड साहिब की यात्रा निरंतर निर्बाध रूप से चलती रहे, इस अभियान में यात्रा कार्यों में जुड़े सभी सेवादारों तथा संगत का भी आभार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएँ देता हूँ।
श्रद्धालु साथियों,
श्री हेमकुण्ड साहिब की यह यात्रा आत्मा को प्रकाशवान करने की यात्रा है। यह हमें अपने भीतर के गुरु से जुड़ने का अवसर देती है। जब आप हिमालय की उन ऊँचाइयों पर पहुँचेंगे, जब आप अमृत सरोवर की शीतल लहरों को स्पर्श करेंगे, जब आप श्री निशान साहिब की लहराती पताका को देखेंगे- तो अवश्य ही आपके भीतर एक नया तेज, एक नई ऊर्जा और एक दिव्यता का जन्म होगा।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि यह यात्रा आपके जीवन को नई दिशा, नया दृष्टिकोण और गहराई से जुड़ी हुई आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करेगी।
इस गौरवदायी स्वर्णिम पलों के साक्षी बनें सभी महानुभावों को हार्दिक बधाई देता हूँ और इस दिव्य यात्रा के लिए आप सभी श्रद्धालुओं को मैं हृदयतल से शुभकामनाएँ देता हूँ। भगवान भोले शंकर, प्रभु और वाहे गुरुजी आपका मार्ग प्रशस्त करें, आपकी यात्रा मंगलमय, सुरक्षित और सार्थक हो।
सतनाम वाहेगुरु!
जय हिन्द!