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    21-04-2022:राज्यपाल ने हरिद्वार में उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया

    प्रकाशित तिथि: अप्रैल 21, 2022

    राजभवन, देहरादून

    राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने हरिद्वार में उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षान्त समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए संस्कृत भाषा के प्रसार व उन्नयन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को सरल व सुगम बनाने के लिए प्रयास किये जाएं। राज्यपाल ने कहा कि मुझे अपार खुशी हो रही है कि देवभूमि की संस्कृति और संस्कृत भाषा के रक्षक विद्वान यहाँ उपस्थित हैं। सदियों पूर्व हमारे ऋषि-मुनि संस्कृत भाषा का प्रयोग करते थे। उन्होंने कहा कि राज्यों के शासन में भी संस्कृत भाषा का प्रयोग होता था। संस्कृत का अलौकिक ज्ञान, प्राचीनकाल से ही देश और दुनिया के लिए रिसर्च का विषय रहा है। दुनिया ने संस्कृत के इस महत्व को समझा है।
    राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि जर्मनी, फ्रांस, रशिया, बाल्टिक देशों में संस्कृत पर शोध हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज के युग में वैज्ञानिकों, इंजीनियर्स और तकनीकी से जुड़े लोगों को संस्कृत का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के डिजिटलाइजेशन के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स, सोशल मीडिया व मास मीडिया से संस्कृत भाषा का जोड़ना जरूरी है।
    राज्यपाल ने कहा कि आज हम तकनीकी युग में जी रहे हैं इस तकनीक का उपयोग भारतीय चिंतन के प्रसार और मानवमात्र के कल्याण के लिए करना होगा। संस्कृत भाषा को आधुनिक विषयों से समन्वय स्थापित करते हुए विज्ञान, तकनीकी, मीडिया, राजनीति, इतिहास आदि विषयों से जोड़ना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि योग व संस्कृत की मांग को पूरा करने के लिए तकनीकी को उपयोग में लाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय दीर्घकालीन योजना पर कार्य करे। उन्होंने विश्वविद्यालय से सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाने की दिशा में भी कार्य करने की अपेक्षा की।
    राज्यपाल ने विश्वविद्यालय से अपेक्षा की कि संस्कृत, योग और अन्य शास्त्रों को सीखने व सिखाने में बेटियां भी अपना योगदान करें। उन्होंने कहा कि आज बेटियां हर क्षेत्र में अपने कौशल व प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं, जो शुभ संकेत हैं।
    दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने 13 शोधार्थियों को पी.एच.डी की उपाधियां प्रदान करने के साथ-साथ कुल 29 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक वितरित किये। इस अवसर पर कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो.देवी प्रसाद त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा दिये जाने हेतु किये जा रहे अभिनव प्रयोगों व क्रियाकलापों की जानकारी दी।
    दीक्षान्त समारोह में सचिव संस्कृत शिक्षा चन्द्रेश कुमार यादव, जिलाधिकारी हरिद्वार विनय शंकर पाण्डेय, एस.एस.पी डॉ. योगेन्द्र सिंह रावत, वि.वि के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी के अलावा वि.वि के कार्यपरिषद् एवं विद्यापरिषद् के सदस्यों सहित वि.वि के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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