21-02-2024 : श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
(दिनांक 21 फरवरी, 2024)
जय हिन्द।
श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के इस चतुर्थ दीक्षांत समारोह में उपस्थित विद्वतजन एवं प्यारे विद्यार्थियों। आज के इस पावन अवसर पर आप सभी के बीच आने पर मुझे अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है।
सर्वप्रथम, सभी गोल्ड मेडल विजेता, पोस्ट ग्रेजुएट एवं ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करने वाले सभी स्टूडेंट्स को मेरी ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
सभी स्टूडेंट्स के पैरेंट्स, गार्जियन एवं टीचर्स भी विद्यार्थियों की सफलता के लिए हृदय से बधाई के पात्र हैं, क्योंकि टीचर्स के गाइडेंस और पैरेंट्स के त्याग एवं मेहनत से ही ये स्टूडेंट्स आज इस मुकाम पर पहुंच पाएं हैं।
पर्वत राज हिमालय, भगवान भोले शंकर का आलय एवं दिव्य रसवाहिनी गंगा-यमुना आदि नदियों के उद्गम की धरती उत्तराखण्ड, देवभूमि ही नहीं वरन ऋषि मनीषियों एवं साधु सन्तों की दिव्य तपस्थली भी है।
उत्तराखण्ड को चार धाम की भूमि, भगवान नर नारायण की तपस्थली, आदि शक्ति जगदम्बा पार्वती की जन्मभूमि, पाण्डवों की तपस्थली, वेद-पुराणों के रचयिता महर्षि वेदव्यास की कर्मभूमि, राजा भगीरथ की तपस्थली होने का गौरव हासिल है।
उत्तराखण्ड की पुण्य भूमि जो चक्रवर्ती राजा भरत की जन्म स्थली है। जिसकी महानता से यह भूखण्ड भारतवर्ष कहलाता है। जगदगुरू आदि शंकराचार्य एवं पूज्य गुरुदेव श्री गुरू गोविन्द सिंह जी की तपस्थली भी यहीं पर है।
साथियों,
जैसा कि आप जानते हैं कि गुरू गोविन्द सिंह जी का स्वरुप सैनिक, संत और विद्वान का था। वैसे ही उत्तराखण्ड की भूमि भी सैनिकों, संतों एवं विद्वानों की भूमि है। इसलिए हम सभी उत्तराखण्ड वासियों को इस पावन धरती के गौरवशाली एवं समृद्धशाली इतिहास पर गर्व की अनुभूति होती है।
उत्तराखण्ड की यह भूमि वीर योद्धाओं की भी भूमि है। देश की रक्षा के लिए मर मिटने वाले अनगिनत शहीदों की यह जन्मस्थली है। विक्टोरिया क्रास विजेता राइफलमैन गबर सिंह, पेशावर काण्ड के नायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, वीर शहीद केसरी चन्द्र, राइफलमैन जसवंत सिंह, वीर माधो सिंह भण्डारी समेत सैकड़ों वीर बांकुरों की शहीद परम्परा की एक लम्बी श्रृंखला है, जिस पर हमें गर्व है।
साथियों,
यह गर्व की बात है कि इस यूनिवर्सिटी के आदर्श भी शहीद श्रीदेव सुमन हैं। मात्र 28 वर्ष के जीवनकाल में जननायक श्रीदेव सुमन जी ने जिन नागरिक अधिकारों, सामाजिक न्याय एवं स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु गांधीवादी तरीको से संघर्ष किया वह अभूतपूर्व एवं अविस्मरणीय है।
वास्तव में, श्री देव सुमन जी एक सच्चे गांधीवादी, सामाजिक विचारक थे, जिन्होंने अपने सिद्धांतों व जीवन मूल्यों के लिए निरंतर संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी, आज इस अवसर पर हम इस महान क्रांतिकारी के बलिदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।
साथियों,
इस यूनिवर्सिटी की स्थापना राज्य में उच्च शिक्षा के प्रसार हेतु वर्ष 2011 में की गई। अनेक मापदंडों के आधार पर इस यूनिवर्सिटी को राज्य के सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी होने का गौरव प्राप्त है। यह खुशी की बात है कि कम समय में ही यह यूनिवर्सिटी अपनी अच्छी छवि बनाने में सफल रहा है।
मुझे जानकारी दी गई है कि इस यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत 217 संबद्ध संस्थान और 1 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। क्वालिटी एजुकेशन प्रदान करने की दिशा में यह यूनिवर्सिटी निरंतर अग्रसर है। यह यूनिवर्सिटी विद्यार्थियों में राष्ट्रीय चरित्र निर्माण के साथ ही ज्ञान कौशल और व्यावसायिक क्षमताएं विकसित करने के लिए कटिबद्ध है।
प्यारे बच्चों,
इस यूनिवर्सिटी के स्नातक के रूप में, आपने जो ज्ञान अर्जित किया है, जो आपने हासिल किया है। मुझे विश्वास है कि आप अपने इस ज्ञान का उपयोग सामाजिक परिवर्तन लाने एवं समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए करेंगे।
हर राष्ट्र की प्रगति के लिए यह आवश्यक है कि वहाँ का युवा अपनी क्षमताओं का कुशल उपयोग नेशन फस्र्ट एवं देश प्रेम की भावना से जुड़कर करें। यूनिवर्सिटी के शोध और नवाचार कार्य उत्तराखण्ड और देश के लिए सुखद दूरगामी परिणाम देंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।
मैं मानता हूँ कि नई शिक्षा नीति, हमारी शिक्षा प्रणाली पर लम्बे समय तक सकारात्मक प्रभाव डालने में सफल होगी, यह नीति भारत को ’अमृत काल’ के 25 वर्षांें के दौरान कुशल जनशक्ति का वैश्विक केन्द्र बनाएगी, और इस नीति की 2047 में विकसित भारत के संकल्प को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
मुझे मालूम हुआ है कि इस कॉलेज के पूर्व स्टूडेंट्स, देश-विदेश में उच्च पदों पर सेवाएं देकर, महाविद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। इसमें से कुछ पूर्व स्टूडेंट्स इस समारोह में भी उपस्थित हैं इन्हें यूनिवर्सिटी द्वारा सम्मानित किया जाना अत्यंत ही प्रेरणादायक एवं अन्य विश्वविद्यालयों के लिए भी अनुकरणीय पहल है।
मुझे बताया गया है कि यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो० नरेन्द्र कुमार जोशी द्वारा विश्वविद्यालय एवं परिसर के आधारभूत ढांचागत विकास, फैकल्टी डेवलपमेंट, व्यापक छात्र हितों के लिए कई अभिनव पहल की गयी हैं। उनके निर्देशन एवं मार्गदर्शन में कई नवीन कार्यांें को शुरु किया गया है।
विश्वविद्यालय का सत्र नियमित कर फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना की गयी, जिसके माध्यम से अनेक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम आमंत्रित किए गये हैं। यूनिवर्सिटी द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया। भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र, रिसर्च एण्ड डेवलपमेंट सेन्टर, आर. एण्ड. डी. सेल इत्यादि केन्द्रों की स्थापना की गई।
मुझे बताया गया है कि यूनिवर्सिटी को पूर्ण रूप से कम्प्यूटीकृत करने का प्रभावी कार्य किया गया है। व्यावसायिक पाठ्यक्रम के अन्तर्गत बी०सी०ए० पाठ्यक्रम आरम्भ करने के साथ ही ऋषिकेश परिसर में बी०बी०ए० एवं बी०सी०ए० पाठ्यक्रम संचालित किए गये हैं।
छात्र-छात्राओं को नवीन शोध कार्यांें के लिए प्रोत्साहित करने एवं छात्र हितों के लिए विभिन्न ख्याति प्राप्त संगठनों के साथ एम०ओ०यू० हस्ताक्षर किए गए हैं। ये सभी प्रयास प्रशंसा योग्य हैं। इन विभिन्न कार्यांें की शुरुवात, अकादमिक उत्कृष्टता और छात्रों के समग्र विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
इस भव्य दीक्षांत समारोह के सफल आयोजन के लिए मैं, कुलपति प्रो० एन के जोशी व उनकी पूरी टीम को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय निरंतर प्रगति के पथ पर बढ़ते हुए, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक आदर्श शिक्षण संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल होगा।
साथियों,
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा ’विकसित भारत 2047ः युवाओं की आवाज’ दृष्टिकोण का आगाज हो चुका है। विकसित भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण अभियान है, जिसका उद्देश्य आजादी के 100वें वर्ष यानि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।
प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि युवा शक्ति परिवर्तन का वाहक भी है और लाभार्थी भी है। अतः विकसित भारत के लिए युवाओं की भागीदारी बहुत ही महत्वपूर्ण होगी। इसलिए सभी युवाओं को इस मुहिम के साथ जोड़ना होगा।
साथियों,
कोई भी देश अनुसंधान के बिना आगे नहीं बढ़ सकता है। मानव जाति का लाखों साल का इतिहास गवाह है कि हर कालखंड में अनुसंधान होते रहे हैं, इससे मानव हर क्षेत्र में प्रगति करता रहा है, छंजपवदंस त्मेमंतबी थ्वनदकंजपवद, कानून अनुसंधान को प्रोत्साहन देने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कदम है। इसके परिणाम बहुत दूरगामी होने वाले हैं। इस कदम से दुनिया के रिसर्च का एक हब हमारा देश बन सकता है, यह मेरा पूर्ण विश्वास है।
साथियों,
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए इस युवा शक्ति को एकीकृत कर विकसित भारत के निर्माण का हथियार बनाना होगा। आज हम डिजिटल अर्थव्यवस्था के दौर में हैं। अपनी इस सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को जारी रखने के लिए साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका महत्वपूर्ण है।
मुझे आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप जहां भी जाएं, जिस भी क्षेत्र, दिशा और व्यवसाय को अपनाएं, उसमें आगे बढ़ते हुए राज्य तथा राष्ट्र के विकास में अपना अहम योगदान देंगे। मेरा दृढ़ विश्वास है कि आप भारत को फिर से विश्वगुरू और 2047 तक विकसित भारत और सर्वश्रेष्ठ भारत बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।
अंत में आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना के साथ ही, आपकी साधना, आपके संकल्प, आपके परिश्रम से राष्ट्र परम वैभव के पथ पर अग्रसर हो, इस हेतु आपको हृदय तल से असीम शुभकामनाएं।
जय हिंद!