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    20-06-2025 : राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान, देहरादून में माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन

    प्रकाशित तिथि: जून 20, 2025

    जय हिन्द!

    यह मेरे लिए, अत्यंत हर्ष, और गौरव का विषय है, कि, आज मैं, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी), देहरादून के, इस विशेष कार्यक्रम में, आप सभी के मध्य, उपस्थित हूँ। आज का यह अवसर, हमारे लिए, और भी, विशेष इसलिए बन गया है, क्योंकि, आज हमारे बीच, भारत की, महामहिम राष्ट्रपति जी की, गरिमामयी उपस्थिति है। मैं इस, प्रेरणादायक कार्यक्रम में, शामिल होने के लिए, माननीया राष्ट्रपति जी का, हृदय से, अभिनंदन करता हूँ।

    सर्वप्रथम, मैं इस संस्थान के, समर्पित अध्यापकों, प्रशिक्षकों और, कर्मचारियों को नमन, करता हूँ, जो वर्षों से, दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों के, जीवन में, प्रकाश और आत्मनिर्भरता का, दीप प्रज्वलित, कर रहे हैं।

    मैं इस अवसर पर, यहाँ उपस्थित, सभी प्रतिभावान विद्यार्थियों को, विशेष बधाई, देता हूँ। आज, आपने, जो, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, उन्होंने, न केवल मंच को, जीवंत किया, बल्कि, यह भी सिद्ध कर दिया, कि, सामर्थ्य दृष्टि में, नहीं, संकल्प में, होता है।

    प्रिय विद्यार्थियों,

    आप, हम सबके लिए, प्रेरणा हैं। आपने, यह दिखा दिया है कि, यदि संकल्प दृढ़ हो, तो कोई भी, बाधा रास्ता नहीं, रोक सकती। आपने, जिस आत्मविश्वास, और सृजनशीलता के साथ, अपनी प्रतिभा का, प्रदर्शन किया है, वह वास्तव में, राष्ट्र की नई चेतना, और आत्मनिर्भर भारत के, भाव को, अभिव्यक्त, करता है।

    मैं यह भी देखकर प्रसन्न हूँ कि, यहाँ आधुनिक तकनीकों का, उपयोग कर, दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को, न केवल शिक्षा, बल्कि विज्ञान, गणित, कम्प्यूटर, संगीत, खेल और अन्य सह-शैक्षणिक गतिविधियों में, दक्ष बनाया जा रहा है। यह डिजिटल समावेशन, (क्पहपजंस प्दबसनेपवद) की दिशा में, एक महत्वपूर्ण प्रयास, है।

    आदरणीय गुरुजनों,

    आज का, भारत एक परिवर्तनकारी दौर से, गुजर रहा है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में, हम ‘विकसित भारत 2047’ के, लक्ष्य की ओर, बढ़ रहे हैं।

    आप सभी से, मेरा अनुरोध है कि, आप ‘‘राष्ट्र सर्वाेपरि’’ के मंत्र को, अपने शिक्षण में, आत्मसात करें, और उसे विद्यार्थियों में भी, रोपित करें।

    प्रिय विद्यार्थियों,

    आपका भविष्य, उज्ज्वल है। आपमें, वही ऊर्जा, वही क्षमता, और वही जुनून है, जो एक समर्थ, सशक्त और विकसित भारत का, निर्माण कर सकता है। आप राष्ट्र के अनमोल, रत्न हैं, और भारत के उज्ज्वल भविष्य के, वाहक हैं।

    प्रबुद्धजनों,

    यह गर्व की बात है कि, छप्म्च्टक्ए जैसे संस्थान, न केवल दिव्यांगजनों को, सशक्त बना रहे हैं, बल्कि एक समावेशी, समानता पर, आधारित, और करुणामय समाज के निर्माण की, दिशा में, कार्य कर रहे हैं।

    आज, जब माननीया राष्ट्रपति जी जैसे, प्रेरणास्रोत, हमारे बीच उपस्थित हैं, तो, यह हम सबके लिए, न केवल एक अवसर है, बल्कि, एक संदेश भी है – कि भारत का, हर नागरिक, चाह,े वह किसी भी स्थिति में हो, राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया का, अभिन्न अंग है।

    आइए, हम सब मिलकर, एक ऐसे भारत का निर्माण करें, जहाँ दिव्यांगजन, समाज की धुरी बनें, जहाँ समावेशी विकास की, मिसाल कायम हो, और जहाँ हर बच्चा, – चाहे वह दृष्टिबाधित हो, श्रवणबाधित हो, या किसी भी प्रकार की विशेष आवश्यकता वाला हो, – अपने सपनों को, खुलकर जी सके।

    अंत में, मैं कहना चाहता हूँ,- शिक्षा से बड़ी कोई शक्ति नहीं, संकल्प से बड़ा, कोई साधन नहीं, और राष्ट्र प्रथम से ऊँचा, कोई धर्म नहीं।

    मुझे पूर्ण विश्वास है कि, इस कार्यक्रम में, माननीया राष्ट्रपति जी की उपस्थिति, एवं उनका प्रेरणादायी सम्बोधन, निश्चित ही, आपके अंदर, एक नई ऊर्जा, और उत्साह का संचार, करेगा। मैं, इस आयोजन में, गरिमामयी उपस्थिति के लिए, पुनः, पूरे उत्तराखण्ड की ओर से, माननीया राष्ट्रपति जी का, अभिनंदन करते हुए, आभार व्यक्त करता हूँ।

    जय हिन्द!