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    20-06-2025 : पश्चिम बंगाल राज्य स्थापना दिवस पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन।

    प्रकाशित तिथि: जून 20, 2025

    जय हिन्द!

    मैं पश्चिम बंगाल राज्य स्थापना दिवस के इस गौरवपूर्ण अवसर पर, यहाँ उपस्थित आप सभी लोगों और इस राज्य के सभी नागरिकों को अपनी ओर से अग्रिम शुभकामनाएँ और बधाई प्रेषित करता हूँ।

    पश्चिम बंगाल, जो अपने समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक वैभव और राष्ट्र-निर्माण में अतुलनीय योगदान के लिए जाना जाता है, न केवल भारत का गौरव है, अपितु ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ की भावना का प्रखर प्रतीक भी है। यह वह भूमि है जिसने भारत को स्वामी विवेकानंद, रवींद्रनाथ ठाकुर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे अमर विभूतियाँ दी हैं। पश्चिम बंगाल का साहित्य, कला, संगीत, नृत्य और विज्ञान, भारत की सांस्कृतिक आत्मा में रचा-बसा हुआ है।

    यह राज्य राष्ट्र प्रथम की भावना को अपने विचारों, कार्यों और त्याग से निरंतर पुष्ट करता रहा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की वह अमर वाणी – ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’’ – आज भी हर भारतीय के दिल में जोश भर देती है। यह राष्ट्र सर्वाेपरि के सिद्धांत का उद्घोष है।

    प्रियजनों,

    ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ की संकल्पना केवल एक योजना नहीं, यह एक जीवंत विचार है जो हमारे संविधान, संस्कृति और नागरिक चेतना की आत्मा में बसता है। यह संकल्पना देश के हर राज्य, हर भाषा, हर संस्कृति को एक सूत्र में बाँधने का प्रयास है।

    पश्चिम बंगाल ने इस विचार को यथार्थ रूप में जीया है। यह राज्य विविधताओं में एकता की प्रतिमूर्ति है – जहाँ दुर्गा पूजा के रंग हैं, जहाँ टैगोर की रवींद्र संगीत की मधुरता है, वहीं सत्यजीत रे की फिल्मों की गहराई भी है।

    आज जब भारत, विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, तब हमारे राज्यों का परस्पर सद्भाव, उनकी सहभागिता और साझा जिम्मेदारी अत्यंत आवश्यक है। उत्तराखण्ड और पश्चिम बंगाल – दोनों ही राज्यों ने इस दिशा में अनुकरणीय कार्य किया है।

    साथियों,

    राष्ट्रीय एकता और अखंडता केवल भौगोलिक सीमा से तय नहीं होती, वह हमारे विचारों, हमारे आचरण और हमारे चरित्र से निर्मित होती है। भारत की विविधता, उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। हम अलग-अलग भाषाएं बोल सकते हैं, अलग-अलग परंपराएँ निभा सकते हैं, परंतु हम सभी की आत्मा एक है -और वह है भारतीयता।

    इस भावना को बनाए रखने में हमारे युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज का युवा केवल तकनीकी रूप से दक्ष नहीं, बल्कि संवेदनशील, दूरदर्शी और देशप्रेम से ओतप्रोत है। राष्ट्र निर्माण की यात्रा में युवा शक्ति हमारी सबसे बड़ी पूंजी है।

    मैं इस मंच से युवाओं से आह्वान करता हूँ कि वे राष्ट्र सर्वाेपरि के सिद्धांत को अपना जीवन मंत्र बनाएँ। आज का युवा सोशल मीडिया की ताकत रखता है, विचारों को जनांदोलन में बदलने की क्षमता रखता है। मेरी आप से अपील है कि इस शक्ति का प्रयोग राष्ट्रहित में होना चाहिए।

    भारत की वर्तमान विकास यात्रा अभूतपूर्व है। आज भारत न केवल विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि अंतरिक्ष, रक्षा, डिजिटल तकनीक, स्टार्टअप्स, जलवायु समाधान और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व स्थापित कर रहा है। जी-20 की अध्यक्षता, चंद्रयान-3 की सफलता, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान – ये सब भारत के पुनरुत्थान की कहानियाँ हैं।

    यह भी गर्व की बात है कि भारत की रक्षा नीति में ‘राष्ट्र प्रथम’ का संकल्प सर्वाेपरि है। आतंकवाद के विरुद्ध प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रही निर्णायक नीति, हमारे सीमाओं की रक्षा करने वाले जवानों के मनोबल को अटूट बनाती है।

    हमारा उत्तराखण्ड राज्य, जो सैन्य बलों में सबसे अधिक योगदान देने वाले राज्यों में अग्रणी है, सदैव ‘राष्ट्र सर्वाेपरि’ की भावना को साकार करता आया है। हमने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे निर्णायक अभियानों के माध्यम से भारत के सम्मान को सर्वाेच्च रखा है। यह अभियान आतंकवाद के विरुद्ध भारत की अदम्य इच्छाशक्ति और कार्रवाई की स्पष्ट नीति का परिचायक है।

    युवा मित्रों,

    विकसित भारत का लक्ष्य केवल केंद्र या राज्यों की जिम्मेदारी नहीं, यह जन-जन का अभियान है। जब तक हम राज्यों के बीच आपसी समरसता, सांस्कृतिक विनिमय और आर्थिक सहयोग को नहीं बढ़ाएंगे, तब तक भारत की पूर्ण क्षमता को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

    इस दिशा में ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ जैसी पहलें हमें सिखाती हैं कि राज्यों के बीच भाषा, संस्कृति, खानपान, विचारों का आदान-प्रदान हमें केवल जोड़ता ही नहीं, बल्कि हमें समृद्ध भी बनाता है। मैं इस अवसर पर यह कहना चाहता हूँ कि उत्तराखण्ड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य जब एक-दूसरे की ताकत को पहचानते हैं, साझा करते हैं, तो देश मजबूत होता है।

    प्रिय साथियों,

    राष्ट्र निर्माण की राह आसान नहीं है। लेकिन जब हम सब मिलकर चलेंगे, जब हम अपने-अपने राज्यों से उठकर भारत माता की सेवा में जुटेंगे, तो कोई ताकत हमें श्रेष्ठ बनने से रोक नहीं सकती।

    आज जब हम विकसित भारत 2047 के सपने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, तब हमें यह स्मरण रखना होगा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति केवल भौतिक संसाधनों से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, सामाजिक समरसता और राज्यों के बीच परस्पर सहयोग की भावना से ही संभव है।

    आइए! आज पश्चिम बंगाल स्थापना दिवस के पावन अवसर पर हम यह संकल्प लें – कि हम राष्ट्र प्रथम की भावना को अपने जीवन का हिस्सा बनाएंगे, हम भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को सुदृढ़ बनाएंगे, हम भारत को 2047 तक एक विकसित, आत्मनिर्भर और श्रेष्ठ राष्ट्र बनाएंगे और हम ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के सपने को संकल्प और सिद्धि दोनों बनाएंगे।

    पश्चिम बंगाल, भारत की आत्मा है – उसका साहित्य, उसकी कला, उसका इतिहास, उसका राष्ट्रप्रेम – सब हमें प्रेरणा देता है। अंत में, मैं पश्चिम बंगाल के बहादुर, प्रतिभाशाली और संस्कृति प्रेमी जनमानस को एक बार फिर से राज्य स्थापना दिवस की अग्रिम शुभकामनाएँ देता हूँ।

    जय हिन्द!