15-11-2024 : झारखंड राज्य स्थापना दिवस एवं जन जातीय गौरव दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
जय हिन्द!
झारखण्ड राज्य स्थापना दिवस की सभी झारखण्ड वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। साथ ही जनजातीय गौरव दिवस और भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती की भी आप सभी को बधाई शुभकामनाएं। 15 नवम्बर को मनाए जाने वाले इन दोनों दिवसों का उत्सव हम आज मना रहे हैं।
राज्य स्थापना का शुभ दिन झारखण्ड राज्य की गौरवमयी यात्रा और सांस्कृतिक धरोहरों का प्रतीक है। आज हम उस महान क्षण का स्मरण कर रहे हैं, जब 15 नवम्बर, 2000 को राज्य वासियों की आकांक्षा और अपेक्षा के अनुरूप झारखण्ड प्रदेश भारत का 28वां राज्य बना। यह दिन हमें झारखण्ड की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध खनिज संसाधनों, और अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहरों पर गर्व महसूस कराता है।
इस अवसर पर, मैं माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का हृदय से धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ की सोच के तहत प्रत्येक राज्य के स्थापना दिवस को अन्य राज्यों में भी मनाने की पहल की है। इस प्रकार के कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक विविधता के साथ ही राष्ट्रीय एकता की भावना और आपसी समझ को बढ़ा रहे हैं।
झारखण्ड प्राकृतिक संपदाओं के मामले में देश का समृद्ध शाली प्रदेश है। यहाँ कोयला, अभ्रक, कायनाइट और तांबे के विशाल भंडार हैं, जो इसे खनिज संपन्न राज्य बनाते हैं। साथ ही, लौह अयस्क और बॉक्साइट जैसे खनिजों में भी झारखण्ड अग्रणी है, जो इसे औद्योगिक दृष्टिकोण से और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
राजधानी रांची की बात करें तो यह प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध है। रांची हिल्स, कांके बांध, टैगोर पहाड़ी, और हुंडरू फॉल्स जैसे स्थल इसकी सुंदरता को चार-चांद लगाते हैं। स्वर्णरेखा नदी, जो रांची से बहती है, यहाँ अनेक खूबसूरत झरनों का निर्माण करती है, जिनमें से 320 फीट की ऊँचाई से गिरता हुंडरू झरना सबसे आकर्षक है। यह स्थान न केवल पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर का भी एक हिस्सा है।
झारखण्ड में रहने वाली 32 जनजातियाँ यहाँ की संस्कृति और परंपरा को विशेष पहचान देती हैं। आदिवासी हस्तशिल्प, डोकरा कला, लकड़ी की कलाकृतियाँ, पारंपरिक आभूषण और बांस के उत्पाद यहाँ के आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर हैं। इन कलाओं ने न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई है।
जब हम अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की बात करते हैं, तो उत्तराखण्ड की तरह झारखण्ड भी धार्मिक धरोहरों से समृद्ध है। केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम की तरह ही झारखण्ड की पवित्र भूमि पर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, शिव और शक्ति का यह अनूठा संगम श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था का मुख्य केंद्र है।
आइए! इस अवसर पर, हम सब यह संकल्प लें कि झारखण्ड के समृद्ध भविष्य और विकास में अपना योगदान देंगे। झारखण्ड का भविष्य उज्ज्वल हो, और यह राज्य समृद्धि और विकास की ऊँचाइयों को छुए, यही मेरी कामना है।
जनजातीय गौरव दिवस
15 नवम्बर का शुभ दिन हमारे देश की गौरवशाली आदिवासी परंपरा और संस्कृति का सम्मान करने का दिन है। जनजातीय गौरव दिवस पर हम भगवान बिरसा मुंडा जैसे महान आदिवासी नेताओं का स्मरण करते हैं, जिन्होंने हमारी आजादी की लड़ाई में अद्वितीय योगदान दिया। अपने जीवन में उन्होंने न केवल राजनीतिक आजादी की अलख जगाई बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना ध्वज वाहक भी बने।
झारखण्ड क्षेत्र के भगवान बिरसा मुंडा सहित अनेक वीरों और वीरांगनाओं ने जनजातियों तथा देश के गौरव को भी बढ़ाया है। न्याय के हित में सर्वस्व बलिदान करने की भावना, जनजातीय समाज की विशेषता रही है। देश के सभी क्षेत्रों की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में भी, जनजातीय समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
भारत का जनजातीय समाज हमेशा से ही शौर्य, समर्पण और प्रकृति के साथ संतुलित जीवन का प्रतीक रहा है। हमें गर्व है अपने उन महान योद्धाओं पर जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और हमें गौरवमयी इतिहास दिया। ब्रिटिश शासन के दौरान प्राकृतिक संपदा को शोषण से बचाने के लिए जनजातीय समुदाय के लोगों ने भीषण संघर्ष किए थे।
अधिकांश जनजातीय क्षेत्र वन एवं खनिज सम्पदा से समृद्ध रहे हैं। क्योंकि प्रकृति पर आधारित जीवन यापन कर यह समाज सम्मानपूर्वक प्रकृति की रक्षा भी करता रहा है। वन संपदा का संरक्षण काफी हद तक उनके बलिदान से ही संभव हो सका। आज के समय में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के दौर में जनजातीय समाज की जीवन शैली और वन संरक्षण के प्रति उनके दृढ़ निश्चय से सभी को शिक्षा लेने की जरूरत है।
जनजातीय समाज द्वारा मानव समुदाय, वनस्पतियों तथा जीव-जंतुओं को समान महत्व दिया जाता है। आदिवासी समाज में व्यक्ति के स्थान पर समूह को, प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को और विशिष्टता की जगह समानता को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
स्त्री-पुरुष के बीच की समानता भी आदिवासी समाज की विशेषता है। तभी तो जनजातीय समाज में जेंडर-रेशियो, सामान्य आबादी की तुलना में बेहतर है। जनजातीय समाज की ये विशेषताएं सभी देशवासियों के लिए अनुकरणीय हैं।
समग्र राष्ट्रीय विकास और जनजातीय समुदाय का विकास एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। केंद्र सरकार ने जनजातीय समुदायों के विकास के लिए विशेष कदम उठाए हैं।
आपको याद होगा कि भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती के दिन ही माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पीएम-जनमन योजना को लॉन्च किया था। इस योजना के जरिए आज देश के उन आदिवासी इलाकों में भी विकास पहुंच रहा है, जो सबसे पीछे छूट गए थे। हमें खुशी है कि ये योजना हमारे आदिवासी समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के साथ ही उन तक मूलभूत सुविधाओं की पहुंच सुनिश्चित कर रही है।
केंद्र सरकार द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है आदिवासी समाज को शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक उन्नति के अवसर भी मिलें। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में संग्रहालयों का निर्माण किया जा रहा है, ताकि नई पीढ़ी उनके बलिदानों से प्रेरणा ले सके।
पूर्वाेत्तर राज्यों में अपनी सेवा काल के दौरान लम्बे समय तक जनजातीय समाज के लोगों के बीच कार्य करने का मौका मिला है। मुझे जनजाति समुदाय की संस्कृति और रहन-सहन को बेहद करीब से जानने का मौका मिला है, जो मेरे लिए प्रेरणादायी अवसर रहा।
हमें खुशी है कि उत्तराखण्ड की जनजातियाँ प्रदेश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहीं हैं। देश की माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा यहां की जनजातीय समुदाय से राजभवन में मुलाकात की गईं जिससे वह बेहद प्रभावित भी हुईं। उन्होंने सभी जनजातीय समाज को आर्थिक रूप से सशक्त होने का आह्वान किया।
हमें जनजातियों के उत्थान और कल्याण के लिए सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। हम सभी की यह भी जिम्मेदारी है कि हम जनजाति समुदाय को आगे बढ़ाने के भरपूर अवसर प्रदान करें और उनके शिक्षा और रोजगार में सहयोग दें।
जनजातीय गौरव दिवस हम सबके लिए, प्रेरणा के साथ ही संकल्प का अवसर है। हम अपनी विरासत को सम्मान दें,उस पर गर्व करें, पूर्वजों की महानता को समझें और अपनी समृद्ध विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं।
आज के इस अवसर पर आदिवासी समाज के योगदान को याद करते हुए, हम अपने समाज और देश के विकास के लिए सामूहिक प्रयास करने का संकल्प लें।
आज के इस विशेष अवसर पर, मैं भगवान बिरसा मुंडा और सभी जनजातीय वीरों को नमन करता हूँ। एक बार पुनः आप सभी को झारखण्ड स्थापना दिवस और जनजातीय गौरव दिवस की हृदय से बधाई।
जय हिन्द!