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    15-11-2021 : जनजातीय समुदायों से प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा मिलती है।-राज्यपाल

    प्रकाशित तिथि: नवम्बर 15, 2021

    राजभवन देहरादून 15नवम्बर, 2021
    राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह (से नि) ने उत्तराखण्ड के जनजातीय क्षेत्रों के युवाओं का आह्वाहन किया है कि वे अपनी संस्कृति, उत्पादों तथा शिल्पों की सोशल मीडिया, मास मीडिया के माध्यम से ब्राण्डिंग, इमेंजिंग और मार्केटिंग करें। उत्तराखण्ड के जनजातीय क्षेत्र विशेषकर जहां भोटिया, थारू, बुक्सा, जौनसारी लोग रहते हैं पर्यटकों के लिये कल्चरल टूरिज्म के बड़े हब के रूप में स्थापित हो सकते हैं। राज्य के जनजातीय समुदायों के स्थानीय ज्ञान व अनुभवों पर विश्वविद्यालयों में शोध किया जाना चाहिये। नई पीढ़ी को जनजातीय समुदायों के इतिहास, संस्कृति, कलाओं व जीवन को जानना चाहिये। राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय समुदायों का स्थानीय ज्ञान व अनुभव एक धरोहर है। उनकी संस्कृति सबसे सुन्दर है। जनजातीय समुदायों की पर्यावरण हितैषी परम्पराएं आज पूरे विश्व में अनुकरणीय हैं।
    राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह (से नि ) ने सोमवार को राजभवन में राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर जनजाति क्षेत्र में किये गये उत्कृष्ट कार्यों के लिए एकलव्य माडल रेजिडेंशियल स्कूल, कालसी के प्राचार्य, उप प्राचार्य तथा छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर एकलव्य माडल रेजिडेंशियल स्कूल कालसी के प्राचार्य डा0 गिरीश चन्द्र बडोनी, उप-प्राचार्य श्रीमती सुधा पैन्यूली तथा इस विद्यालय के विद्यार्थी योगेश कुमार, सोनम चौहान, अंशुल चौहान, अजय राठौर, प्रवीण वर्मा को सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि यह सभी मेधावी छात्र-छात्राएं बुक्सा तथा जौनसारी जनजातीय क्षेत्र से हैं तथा देश के विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों में अध्ययनरत हैं। राज्यपाल ने हाल ही में पदमश्री से सम्मानित जौनसार क्षेत्र के निवासी श्री प्रेमचन्द शर्मा को भी सम्मानित किया।
    राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह (से नि ) ने कहा कि जनजातीय समुदायों से प्राकृतिक संसाधनों एवं पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा मिलती है। आज क्लाइमेट चेंज व ग्लोबल वार्मिंग के चुनौतीपूर्ण समय में जनजातीय समुदायों के पर्यावरण हितैषी संस्कृति एवं परम्पराओं का महत्व बड़ा है। जनजातीय समुदायों एवं ग्रामीण लोगों की रूरल जीनियस व स्थानीय ज्ञान अमूल्य धरोहर है। हमें इसे संरक्षित करने तथा सीखने की जरूरत है।
    राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि 15 नवम्बर को बिरसा मुंडा जी की जयन्ती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। भगवान बिरसा मुंडा ने सन् 1875 के चुनौतीपूर्ण समय में जनजातीय समाज के गौरव के लिये ब्रिटिश साम्राज्य से संघर्ष किया तथा शहादत दी। राज्यपाल ने कहा कि दुनियाभर में सबसे गहरी और सुन्दर संस्कृति जनजातियों की है। उत्तराखण्ड के जनजातीय समुदायों की संस्कृति, गीत-संगीत, नृत्य और समृद्ध परम्पराएं अपनी एक विशेष पहचान रखती है। जनजातीय संस्कृति का सरंक्षण एवं संवर्धन किया जाना चाहिये। वे विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन रही है।
    इस अवसर पर सचिव श्री राज्यपाल डा0 रंजीत कुमार सिन्हा, अपर निदेशक जनजाति कल्याण श्री योगेन्द्र रावत, शोध अधिकारी श्री राजीव सोलंकी उपस्थित थे।