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    08-10-2024 : वन्यजीव सप्ताह 2024 के समापन के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    प्रकाशित तिथि: अक्टूबर 8, 2024

    जय हिन्द!

    वन्यजीव सप्ताह के समापन समारोह के अवसर पर आप सभी प्रकृति प्रेमियों के बीच आकर मुझे बहुत ही खुशी की अनुभूति हो रही है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार प्राप्त करने वाले सभी वन कार्मिकों, अधिकारियों को हृदय से बधाई देता हूँ।

    इस अवसर पर हमने संजय सोंधी द्वारा लिखित पुस्तक डवजीे व िप्छक्प्। । थ्प्म्स्क् ळन्प्क्म् का विमोचन किया। मैं इस ज्ञानवर्धक गाइड बुक को लिखने के लिए सोंधी जी को बधाई देता हूँ। आपने ने इस गाइड बुक में भारत से दर्ज की गई 1500 प्रजातियों के मोथ्स के बारे में बताया है, और इसमें प्रत्येक प्रजाति की तस्वीरें और भारत भर में मोथ्स का वितरण शामिल है। मेरा मानना है की यह गाइड लोगों को मोथ्स की पहचान करने और मोथ वॉचिंग को शौक के रूप में लोकप्रिय बनाने में मदद करेगी।

    देवभूमि उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय और मंत्रमुग्ध कर देने वाला है। यहां की हरी-भरी घाटियां, ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़, गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियां, और घने जंगल प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियां सूर्याेदय और सूर्यास्त के समय अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं।

    हमारी राज्य वन एवं वन्य जीव संपदा से समृद्ध प्रदेश है। यह देवभूमि अपनी अनूठी प्राकृतिक सुन्दरता के साथ ही विशिष्ट जैव विविधता के लिए विश्वभर में विख्यात है। यहां की विशिष्ट भौगोलिक स्थलाकृति व जलवायु विविधता के कारण ही यहां अनेकों प्रकार के वन और वन्य जीव पाए जाते हैं। जिस कारण देश विदेश के लाखों पर्यावरण एवं वन्य जीव प्रेमी वर्ष भर यहां आते रहते हैं।

    हम सभी को मालूम है कि वन्य जीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण के उद्देश्य से देश भर में अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह को वन्य जीव सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।

    हर्ष का विषय है कि वन विभाग, उत्तराखण्ड द्वारा वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से 2 से 8 अक्टूबर 2024 तक वन्य जीव सप्ताह के रूप में मनाया गया।

    मुझे मालूम हुआ है कि वन्यजीव सप्ताह के दौरान पूरे उत्तराखण्ड राज्य में वन्य प्राणियों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु आम जन-मानस में जागरुकता पैदा करने एवं मानव वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम और जन सहभागिता प्राप्त करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

    मुझे विश्वास है कि इस दौरान विभाग द्वारा आयोजित इन तमाम गतिविधियों से प्रदेश की जनता वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूक होगी।

    साथियों,

    अनुकूल वातावरण के कारण ही हमारा राज्य वन्य जीवों के लिए एक शांत और सुरक्षित घर है। यही कारण है कि उत्तराखण्ड राज्य में 2 टाइगर रिजर्व, कार्बेट एवं राजाजी अवस्थित हैं। हमारा कार्बेट नेशनल पार्क एवं फूलों की घाटी विशेष रूप से विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं। यूनेस्को द्वारा फूलों की घाटी तथा नन्दा देवी राष्ट्रीय पार्क को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्रदान किया गया है।

    यह प्रसन्नता की बात है कि राज्य में वन्यजीव संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप राज्य में मुख्य वन्य जीवों बाघ, हाथियों और हिम तेंदुओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

    यह कहना उचित होगा कि उत्तराखण्ड में पक्षियों का पूरा संसार बसता है। वह इसलिए कि उत्तराखण्ड में पूरे भारत में पाए जाने वाली पक्षी प्रजातियों की आधी से अधिक प्रजातियां पाई जाती है।

    हमारे उत्तराखण्ड राज्य के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जड़ी-बूटियों का विशाल भण्डार है इसके अलावा प्रदेश के ऊंचाई स्थित वन, हिम शिखर और ग्लेशियर पूरे पवित्र गंगा-यमुना और अन्य कई नदियों के लिए पानी मुहैया कराते हैं साथ ही विश्व पर्यावरण को सन्तुलित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।

    साथियों,

    आज आधुनिकीकरण की अंधी दौड़ एवं लगातार जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न पर्यावरण एवं पारिस्थितिकीय असंतुलन, वन्य जीवों के वास स्थलों (घर) का संकुचन, जलवायु व मृदा प्रदूषण के कारण जैव विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन सभी कारणों से बढ़ते जैविक दबाव के कारण वन्य जीवों के जीवन पर भी संकट पैदा हो रहा है।

    वर्तमान में हमारे प्रदेश में मनुष्यों का वन्य जीवों के साथ संघर्ष भी एक बहुत बड़ी समस्या है, मानव एवं वन्य जीवों के हितों को सुरक्षित रखते हुए मानव वन्यजीव संघर्ष खत्म करना, स्वयं में एक चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसका समाधान जनसहयोग से ही सम्भव है।

    यह हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है कि पिछले कुछ सालों में पहाड़ी क्षेत्रों में वन्य जीवों द्वारा खेती को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं निरंतर बढ़ रही है जिस कारण किसान खेती से विमुख हो रहे हैं। वन विभाग द्वारा इस दिशा में भी ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।

    साथियों,

    रथ के दो पहियों की तरह विकास के लिए परंपरा और आधुनिकता दोनों का महत्व है। हालांकि, कुछ मामलों में आधुनिकता की वजह से प्रकृति का शोषण हो रहा है और पारंपरिक ज्ञान को उपेक्षित किया जा रहा है। पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए, आर्थिक विकास की सीमाओं को तय करते समय पर्यावरणीय विकास को भी ध्यान में रखना जरूरी है।

    मानव समाज वन एवं वन्य जीवों के महत्व को जान-बूझ कर भुलाने की गलती कर रहा है। हम यह भूलते जा रहे हैं कि वन हमारे लिए जीवन दाता हैं। साथ ही यह वन्य जीवों का घर भी है। सच्चाई यह है कि जंगलों ने ही धरती पर जीवन को बचा रखा है।

    मानव केंद्रित विकास के इस कालखंड में विकास के साथ-साथ विनाशकारी परिणाम सामने आए हैं। प्राकृतिक संसाधनों के अनुचित दोहन ने मानवता को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां विकास के मानकों का पुनरू मूल्यांकन करना होगा।

    आज यह समझना बहुत जरूरी है कि हम पृथ्वी के संसाधनों के ओनर नहीं हैं बल्कि ट्रस्टी हैं। हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए।

    वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के जरिए मानव जीवन को संकट से बचाया जा सकता है, इसलिए पृथ्वी की जैव-विविधता एवं प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। हमें वन एवं वन्य जीवों की उपयोगिता एवं मानव वन्यजीव सह-अस्तित्व के महत्व को समझना होगा।

    हमें प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन ही नहीं करना है बल्कि परंपरा से संचित ज्ञान का मानवता के हित में उपयोग करना है। हमको आधुनिकता एवं परंपरा का समन्वय करके वन संपदा एवं वन्य जीवों की रक्षा करनी है तथा वनों पर आधारित लोगों के हितों को आगे बढ़ाना है। ऐसा करके हम सही अर्थों में पर्यावरण-अनुकूल और समावेशी योगदान दे सकेंगे।

    देश प्रदेश के साथ ही विश्व के कई भागों में वन संसाधनों, वन्य जीवों के घरों की क्षति बहुत तेजी से हुई है। वनों का विनाश किया जाना एक तरह से मानवता का विनाश करना है। साइंस एंड टेक्नोलॉजी की मदद से हम क्षति-पूर्ति तेज गति से कर सकते हैं।

    मेरी अपील है कि आधुनिक वैज्ञानिक प्रबन्धन के जरिए वन्य जीवों के संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु वन विभाग द्वारा ठोस कदम उठाएं जाएं और इस अमूल्य निधि की सुरक्षा हेतु आम जनता भी अपना अहम सहयोग दे।

    जंगलों एवं वन्य जीवों के संरक्षण, संवर्धन एवं पोषण की जिम्मेदारी हम सभी की है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम अपने इस अहम दायित्व के प्रति सजग और सचेत होंगे एवं पूर्ण निष्ठा से वन एवं वन्य जीव संरक्षण हेतु अपना श्रेष्ठ योगदान देंगे।

    हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि अपनी आने वाली पीढियों के हितों को ध्यान में रखकर प्राकृतिक सम्पदा की सुरक्षा में अपना योगदान दें। आओ हम सभी प्रकृति उन्मुख हों और वन्य जीवों के प्रति प्रेम एवं सद्भाव का भाव रखें तथा अपनी धरा को स्वच्छ एवं हरा-भरा बनाते हुए विकास के पथ पर आगे बढ़ते रहें।
    जय हिन्द!