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    07-03-2024 : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या में आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: मार्च 7, 2024

    जय हिन्द!

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मैं, सभी प्रदेशवासियों, विशेष रूप से देवभूमि की मातृशक्ति को हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं देता हूँ।

    मैं, राजभवन में आयोजित समारोह में सम्मानित होने वाली उत्तराखण्ड की जीवट मातृशक्ति को राज्यहित, समाजहित और राष्ट्रहित में आपके उल्लेखनीय योगदान के लिए हृदय तल से बधाई देता हूँ, साथ ही आपके सुखद एवं मंगलमय जीवन की कामना करता हूँ। मेरा दृढ़ विश्वास है कि आपसे प्रेरणा लेते हुए अपने उत्तराखण्ड की बेटियां देश, समाज और राष्ट्र को परम वैभव तक ले जाने के लिए कठोरतम प्रयास करेंगी।

    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पूरे विश्व की महिलाओं को समर्पित है। यह दिन समाज के लिए उनके अमूल्य योगदान को समर्पित है। इस अवसर पर मैं, नारी शक्ति और विभिन्न क्षेत्रों में उनकी अनमोल उपलब्धियों को नमन करता हूँ।

    नारी-शक्ति हमारे समाज का एक अभिन्न अंग हैं। भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान को हमेशा से ही महत्व दिया जाता है। मेरा मानना है कि नारी-शक्ति की भूमिका परिवार निर्माण, समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण और इन तीनों के विकास में अतुलनीय है।

    आज हर क्षेत्र में नारी-शक्ति की उपलब्धियाँ बढ़ती ही जा रही हैं। आज महिलाएँ ऐसे-ऐसे कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं, जिनकी कुछ वर्ष पूर्व कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। आज हम उनकी इन्हीं उपलब्धियों का और नारी-शक्ति की महत्ता को नमन कर रहे हैं।

    आज के इस पुण्य अवसर पर, हम महिलाओं के राष्ट्र और समाज निर्माण में अनेकानेक अनमोल उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए एकत्र हुए हैं। आज के इस अवसर पर हम नारी-शक्ति की अपार शक्ति, सामथ्र्य, सहनशीलता, और अटूट संकल्प का भी सम्मान करने के लिए एकत्र हुए हैं।

    महिलाओं की जीवटता, उनके सामथ्र्य और उनकी परिश्रम की पराकाष्ठा का कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। अपने जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करने के बाद भी उनका हौसला हमेशा बुलंद रहा है। विषम परिस्थितियों के बावजूद उनकी पारिवारिक जिम्मेदारी और उनकी सामाजिक भूमिका उन्हें और भी गौरव प्रदान करती है।

    दुनिया भर में महिलाओं ने अपनी शक्ति और दृढ़ संकल्प से दुनिया को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। हमारे देश में भी मातृशक्ति हर एक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का बखूबी प्रदर्शन कर रही हैं। हमें मातृशक्ति पर गर्व है कि उनका यह योगदान देश को और भी समृद्धि एवं प्रगति की ओर ले जा रहा है।

    हमारे देश में अनेक महिला विभूतियों ने अपने बाद की पीढ़ियों के लिए, देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं। रानी लक्ष्मीबाई, जो 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान साहस और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक बनीं, उनका अडिग संकल्प और संघर्ष में निर्भीकता आज भी विश्व भर में करोड़ों लोगों को प्रेरित करती है। इन्हीं की तरह वीरता, शौर्य व साहस की प्रतीक वीरांगना तीलू रौतेली की वीरता की गाथाएं उत्तराखण्ड में गायी जाती है।

    इन्हीं की तरह हमारे देश में महिलाओं के योगदान के अनगिनत प्रेरक उदाहरण मौजूद हैं। आज भारतीय नारी इनसे प्रेरित होकर, अपने साहस से, समर्पण से और संघर्ष से, देश की प्रगति में और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं तथा राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं।

    आज भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी स्वयं एक प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। वह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व कर रहीं हैं। एक सामान्य जनजातीय पृष्ठभूमि के बावजूद दुनिया के दूसरी सबसे बड़ी सेना के सर्वोच्च कमांडर के रूप में काम कर रही हैं।

    समाज-सुधार, राजनीति, अर्थ-व्यवस्था, शिक्षा, विज्ञान व अनुसंधान, व्यवसाय, खेल-कूद और सैन्य बलों तथा अनेक अन्य क्षेत्रों में हमारी बहनों और बेटियों ने अमूल्य योगदान दिया है। ऐसी कितनी ही महिलाएँ हैं जो प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद, विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं और नेतृत्व प्रदान कर रही हैं। उन्होंने साबित कर दिया है कि महिला होना कोई डिसएडवांटेज नहीं है।

    प्रदेश में राज्यपाल की जिम्मेदारी संभालने के बाद, मैं शुरू से ही प्रदेश की नारी-शक्ति को आगे बढ़ाने की बात करता रहा हूँ, उनके विकास को केंद्र में रखकर नीति निर्माण की बात करता हूँ। क्योंकि मैंने यहाँ की महिलाओं के नेतृत्व को, उनके सामथ्र्य को, रिजल्ट्स देने की उनकी काबिलियत को देखा है। यहाँ की नारी जब कोई ज़िम्मेदारी संभालती है तो संकल्प को सिद्धि तक ले जाने के लिए वो जी जान से जुट जाती हैं।

    प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में जब मैं अपने प्रवास पर जाता हूँ, तो मुझे राज्य की नारी शक्ति के कार्यों को देखने का मौका मिलता है, मैं अनुभव करता हूँ कि उत्तराखण्ड की धरती को यहां की मातृशक्ति ही पाल-पोस रही है, समृद्ध बना रही है। राज्यपाल के रूप में प्रदेश भर में शिक्षण संस्थानों के दीक्षांत समारोहों में मैंने देखा है कि हमारी बेटियाँ, बेटों से अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं।

    प्यारी बहनों एवं बेटियों,

    मैं मानता हूँ कि किसी भी कार्य में सफल होने के लिए यह बहुत जरुरी है कि आप अपनी प्रतिभा को पहचाने और दूसरों के पैमाने पर अपना आंकलन नहीं करें। आपके अंदर असीम शक्ति है, आप उस शक्ति को जगायें।

    मैं उत्तराखण्ड की नारी-शक्ति की प्रतिभा और क्षमताओं से भलीभांति परिचित हूँ। उत्तराखण्ड की हमारी परिश्रमी बहनें और बेटियाँ, राज्य की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ देश के आर्थिक विकास में अहम योगदान देने में सक्षम है। मैं आप सभी बहनों से अपील करूंगा कि आप अपनी प्रतिभा पहचाने और विश्वास के साथ आगे बढ़ें।

    मुझे खुशी है कि उत्तराखण्ड में स्वयं सहायता समूह समाज के वंचित और पिछड़े वर्गों, विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। हमने आजादी के शताब्दी वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन यह केवल तभी संभव होगा जब देश की हर महिला आत्मनिर्भर और सशक्त हो।

    मैं मानता हूँ कि महिला सशक्तिकरण और कार्यबल में महिलाओं की समान भागीदारी सामाजिक और आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देती है। मैं मानता हूँ कि कोई भी देश अपनी 50 फीसदी जनसंख्या की उपेक्षा करके प्रगतिशील नहीं हो सकता। यह तय है कि महिलाओं को मानवता की प्रगति में बराबर का भागीदार बनाया जाये तो हमारी दुनिया और भी अधिक खुशहाल हो जाएगी। यह निश्चित है कि यदि कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के बराबर हो तो भारत की जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।

    मेरा मानना है कि जब महिलाएं समृद्ध होती हैं तो देश समृद्ध होता है। उनका आर्थिक सशक्तिकरण विकास को बढ़ावा देता है और शिक्षा तक उनकी पहुँच वैश्विक प्रगति को आगे बढ़ाती है। महिला-केंद्रित विकास की नीति अपनाकर ही हम प्रभावी ढंग से महिलाओं को सशक्त बना सकते हैं। अच्छी बात यह है कि भारत इस दिशा में असीम प्रगति कर रहा है।

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अगुआई में भारत सरकार हर संभव प्रयास कर रही है कि महिलाओं को अधिक आर्थिक स्वायत्तता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राजनीतिक शक्ति प्राप्त हो। ’नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें मिलेंगी। यह अधिनियम महिलाओं का जीवन स्तर सुधारने के लिए, क्वालिटी ऑफ लाइफ बेहतर करने के लिए, देश में वीमेन लेड डेवलपमेंट का नया युग लाने के लिए अहम कदम है।

    सामाजिक स्तर पर भी तीन तलाक जैसी जिन कुरीतियों के कारण महिलाओं पर अत्याचार होते थे, इसके लिए कानून बनाकर करोड़ों मुस्लिम बहनों को आज तीन तलाक की अमानवीय कुप्रथा से सुरक्षा मिली है।

    प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने नारी शक्ति के जीवन चक्र से जुड़ी हर समस्या को दूर करने पर पूरी गंभीरता से ध्यान दिया है। शौचालय ना होने की वजह से बेटियाँ स्कूल ना छोड़े, इसके लिए करोड़ों शौचालय। बेटी की शिक्षा जारी रहे, इसके लिए सुकन्या समृद्धि योजना।

    बहिनों को रसोई में लकड़ी का धुआँ ना सहना पड़े, इसके लिए उज्ज्वला गैस कनेक्शन। बहिन-बेटी को पानी के इंतजाम में परेशान ना हो, इसके लिए हर घर नल योजना शुरू की गई है।

    बहिन-बेटी अंधेरे में ना रहें, इसके लिए सौभाग्य योजना से मुफ्त बिजली कनेक्शन। बीमारी के इलाज के लिए 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा। बेटी का घर की संपत्ति पर भी अधिकार हो, इसके लिए पीएम आवास में उसे संयुक्त भागीदारी। रोजगार, स्वरोजगार के लिए लोन देने वाली मुद्रा योजना शुरू की गई है।

    आज बेटी सैनिक स्कूल जाना चाहती है, तो उसके लिए भी सैनिक स्कूल के द्वार खोल दिए हैं। बेटी अगर सेना में अफसर बनना चाहे तो तीनों सेनाओं में बेटियों के लिए अवसर मौजूद है। गाँव की बहनों को कमाई के अवसर मिले, इसके लिए 9 करोड़ से ज्यादा बहनों तक सेल्फ हेल्प ग्रुप का विस्तार किया गया है। और इस साल लाल किले से प्रधानमंत्री जी ने देश में 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने और सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को ड्रोन देने की योजना का भी ऐलान किया है।

    आज परिवार से लेकर पंचायत तक, इकोनॉमी से लेकर एजुकेशन और उद्यमशीलता तक, हमारी बहन-बेटियाँ हर क्षेत्र में अभूतपूर्व काम कर रही हैं। भारत को चाँद तक पहुँचाने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका रही है। आज हमारे स्टार्टअप्स हों, सेल्फ हेल्प ग्रुप्स हो, या स्वच्छता जैसे सामाजिक अभियान हों, महिलाओं की भागीदारी और भूमिका देश की ताकत बन रही है।
    आज भारत में ग्रामीण स्थानीय निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों में 46 प्रतिशत महिलाएँ हैं, जिनकी संख्या 1.4 मिलियन है। भारत में 80 प्रतिशत से अधिक नर्स और दाईयाँ महिलाएँ हैं। महामारी के दौरान, वे हमारी रक्षा की अग्रिम पंक्ति थीं और हमें उनकी उपलब्धियों पर गर्व है।

    विकसित भारत के लिए, हमें यह सुनिश्चित करना है कि देश का प्रत्येक नागरिक आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो। यह सभी की जिम्मेदारी है कि महिलाएँ आर्थिक विकास को गति प्रदान करें और महिला नेतृत्व वाले विकास के विचार को क्रियान्वित करें। मेरा विश्वास है कि महिला सशक्तिकरण के बल पर देश प्रगति के पथ पर तेजी से अग्रसर होगा।

    हम सब ने संकल्प लिया है कि आज़ादी के 100 वर्ष पूरे होने तक, हम भारत को विकसित राष्ट्र बनाकर ही रहेंगे। एक डेवलप्ड कंट्री बनाकर के रहेंगे। इसमें देश की जो आधी आबादी है, उसकी सक्रिय भागीदारी से इस सपने को हम अवश्य ही साकार कर लेंगे, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।

    मैं पुनः आज के इस समारोह में उपस्थित सभी माताओं, बहनों और बेटियों को, विशेष रूप से सम्मानित होने वाली बेटियाँ व मातृ शक्ति को बधाई व शुभकामनाएँ देता हूँ। और आप सभी के मंगलमय जीवन की कामना करता हूँ।

    जय हिंद!