02-12-2025 : असम एवं नागालैंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
जय हिन्द!
सर्वप्रथम मैं नागालैंड और असम के सभी नागरिकों को उत्तराखण्ड की ओर से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक विविधता हमारे देश की वास्तविक शक्ति है।
राज्य स्थापना का यह पर्व हमें अपनी जड़ों, अपनी संस्कृति, अपने संघर्ष और अपने गौरव को पुनः स्मरण करने का अवसर देता है। भारत के हर प्रदेश का इतिहास अपने भीतर अनगिनत कथाएँ समेटे हुए है, और इन कथाओं ने मिलकर भारत के वर्तमान और भविष्य को गढ़ा है।
आज का यह अवसर हमारे महान राष्ट्र की उस अखण्ड भावना का उत्सव है, जिसने विविधता को शक्ति और संस्कृति को पहचान के रूप में स्थापित किया है। असम और नागालैंड जैसे समृद्ध, जीवंत और बहुरंगी प्रदेशों के स्थापना दिवस पर हम केवल राज्यों का उत्सव नहीं मनाते, बल्कि उस भारत का अभिनंदन करते हैं, जिसकी आत्मा “विविधता में एकता” के अमूल्य सूत्र में बसी है।
नागालैंड भारत की अनूठी जनजातीय संस्कृति, जीवंत परंपराओं और साहसपूर्ण इतिहास का प्रतीक है। इसकी धरती पर ऐसे जन-नायक जन्मे जिन्होंने न केवल अपनी पहचान को सुरक्षित रखा, बल्कि भारत की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय अस्मिता के लिए भी अद्वितीय संघर्ष किया।
रानी गाइदिन्ल्यू जैसी वीरांगना ने यह सिद्ध किया कि भारत की नारियों ने हर काल में राष्ट्र रक्षा और समाज जागरण की भूमिका निभाई है। नागालैंड के आदिवासी समुदायों की बोली-भाषाएँ, लोकनृत्य, हस्तशिल्प और पहनावे भारतीय संस्कृति के दुर्लभ और कीमती अध्याय हैं।
विश्वप्रसिद्ध भ्वतदइपसस थ्मेजपअंस नागालैंड की समृद्धता को विश्व मंच पर स्थापित करता है। रंगों, गीतों, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और पारंपरिक कौशल का यह महोत्सव केवल पर्यटन का आकर्षण नहीं है, बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक वैभव का जीवंत दर्पण है।
प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण में नागालैंड की भूमिका भी उल्लेखनीय है। लुप्तप्राय पक्षियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान के कारण इसे थ्ंसबवद ब्ंचपजंस व िजीम ॅवतसक कहा जाता है। जैव विविधता, घने वन क्षेत्र और प्राकृतिक सौंदर्य नागालैंड को वास्तव में पूरब का स्विट्जरलैंड बनाते हैं।
इसी प्रकार असम अपनी ऐतिहासिक परंपराओं, प्रकृति की अपार संपदा और आध्यात्मिकता के लिए विश्वभर में जाना जाता है। भारत के “पूर्वाेत्तर द्वार” के रूप में असम केवल भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी देश की धड़कन है।
बिहू के उल्लास से लेकर सत्र परंपरा और लोक संगीत तक, असम की मिट्टी में रचनात्मकता, ऊर्जा और उत्साह सहज रूप से प्रवाहित होता है। कामाख्या मंदिर भारतीय आध्यात्मिक विरासत का पवित्र केंद्र है, जो असम को सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से और भी विशिष्ट बनाता है।
असम का प्राकृतिक वैभव अद्वितीय है- काजीरंगा एवं मानस राष्ट्रीय उद्यान, ब्रह्मपुत्र की महिमा और चाय बागानों की हरियाली इस प्रदेश को प्रकृति की अनुपम देन बनाती है। विश्वप्रसिद्ध असम टी भारत की आर्थिक समृद्धि में तो योगदान देती ही है, साथ ही “असम सिल्क” ने भारतीय हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान भी दिलाई है।
उत्तराखण्ड और असम-नागालैंड के बीच प्राकृतिक सौंदर्य की समानता और आध्यात्मिक विरासत का गहरा रिश्ता है। हमारी पर्वतमालाएँ, नदियाँ, जंगल, लोकगीत, परंपराएँ और प्रकृति के प्रति श्रद्धा हमें एक अदृश्य सूत्र में जोड़ती हैं। इसी प्रकार यह तीनों राज्य पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक संरक्षण और मानव मूल्यों को आगे बढ़ाने में अग्रणी हैं।
भारत अपनी संस्कृति, आध्यात्मिकता और प्राचीन वैदिक दृष्टि के कारण विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में अग्रणी है। हमें अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करना चाहिए। गुलामी की मानसिकता को हमें पूरी तरह त्यागना होगा।
जब तक हम अपने इतिहास, अपनी परंपराओं, अपनी मातृभूमि और अपनी पहचान को गौरव के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक राष्ट्र का निर्माण अधूरा रहेगा। भारत का हर नागरिक स्वयं और परिवार से पहले समाज और राष्ट्र के बारे में सोचे- तभी राष्ट्र सशक्त होगा, तभी विकास सुरक्षित होगा।
हम सभी जानते हैं कि राष्ट्रीय एकता भारत की प्रगति का बुनियादी आधार है। अनेक जातियाँ, अनेक भाषाएँ, अनेक परंपराएँ- फिर भी एक राष्ट्र, एक ध्वज, एक संविधान और एक संस्कृति- यही भारत की शक्ति है।
प्रत्येक नागरिक में राष्ट्र प्रथम की भावना जागृत होना आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। जब हर व्यक्ति अपने प्रदेश के विकास में योगदान देगा, तभी भारत विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्व गुरु भारत के स्वप्न को वास्तविकता में बदल सकेगा।
हमारा दायित्व है कि हम अपने-अपने राज्यों के गौरव को बढ़ाएँ, समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को प्राथमिकता दें, और राष्ट्र निर्माण की इस अखण्ड प्रक्रिया में सहभागी बनें।
आज जब तकनीक ने दूरियों को कम कर दिया है, तब राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान, संवाद, सहयोग और एकसूत्रता की भूमिका पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
एक-दूसरे से सीखना, एक-दूसरे को सम्मान देना और एक-दूसरे की परंपराओं को समझना ही राष्ट्रीय एकीकरण को नई मजबूती देता है। यही “एक भारत श्रेष्ठ भारत” कार्यक्रम की आत्मा है, जिसकी प्रेरणा हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पूरे देश को दी है।
यह कार्यक्रम न केवल भारत की अखण्डता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करता है, बल्कि राष्ट्र को सामूहिक प्रगति की ओर भी अग्रसर करता है। इस अवसर पर हम सभी संकल्प लें- हम अपने प्रदेशों को आगे बढ़ाने के लिए पूरी शिद्दत से कार्य करेंगे, इसी से हमारा सामूहिक संकल्प विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्व गुरु भारत का सपना साकार होगा।
अंत में, मैं असम और नागालैंड के सभी नागरिकों को उनके स्थापना दिवस की एक बार पुनः हृदय से बधाई देता हूँ। आपकी सांस्कृतिक समृद्धि, आपका परिश्रम, आपका साहस और आपका राष्ट्र के प्रति समर्पण भारत की शक्ति है।
मैं मंगलकामना करता हूँ कि दोनों राज्यों में शांति, प्रगति, सुशासन और समृद्धि निरंतर बढ़ती रहे, और आप सभी मिलकर भारत को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँ।
जय हिन्द!