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    23-12-2025 : ‘‘स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का प्रभावी उपयोग’’ विषय पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    प्रकाशित तिथि : दिसम्बर 24, 2025

    जय हिन्द!

    आप सभी के बीच उपस्थित होकर, आज इस मंच से स्वास्थ्य सेवा के भविष्य से जुड़े एक अत्यंत महत्वपूर्ण और दूरदर्शी विषय पर विचार साझा करते हुए मुझे विशेष प्रसन्नता और संतोष की अनुभूति हो रही है।

    हम जिस विषय पर मंथन कर रहे हैं- “स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का प्रभावी उपयोग”, यह केवल एक तकनीकी अवधारणा नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन की गुणवत्ता, चिकित्सा की दिशा और राष्ट्र के समग्र विकास की गहराई से जुड़ा हुआ विषय है। इस विषय पर व्यापक चर्चा करना एक सराहनीय पहल है।

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जिसे हम सामान्य रूप से AI के नाम से जानते हैं, आज 21वीं सदी की सबसे प्रभावशाली तकनीकी क्रांति के रूप में उभरकर सामने आई है। यह तकनीक केवल मशीनों को बुद्धिमान बनाने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह मानव क्षमताओं के विस्तार का एक सशक्त उपकरण है। स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र में AI का प्रवेश, चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देता है।

    भारत की प्राचीन परंपरा में ज्ञान, विज्ञान और करुणा को सदैव एक-दूसरे का पूरक माना गया है। आयुर्वेद का मूल दर्शन भी यही कहता है- “स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं, आतुरस्य विकार प्रशमनं।” यह आयुर्वेद के दो मुख्य उद्देश्यों को बताता है- एक बीमारी से रोकना और दूसरा बीमारी होने पर उसका उपचार करना।

    आज AI इसी भारतीय दर्शन के आधुनिक स्वरूप में हमारे सामने है, जहाँ तकनीक का उद्देश्य केवल दक्षता नहीं, बल्कि मानव कल्याण है। जब हम AI को भारतीय संस्कृति और मूल्यों से जोड़कर देखते हैं, तो यह तकनीक ‘मानवता के लिए विज्ञान’ बन जाती है।

    स्वास्थ्य क्षेत्र में AI का सबसे बड़ा योगदान सटीक निदान और शीघ्र पहचान के रूप में सामने आया है। आज AI आधारित मेडिकल इमेजिंग, रेडियोलॉजी, पैथोलॉजी और कार्डियोलॉजी जैसे क्षेत्रों में रोगों की पहचान पहले से कहीं अधिक सटीक और तेज हो रही है।

    कैंसर, हृदय रोग, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और दुर्लभ बीमारियों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान, रोगी के जीवन को बचाने में निर्णायक भूमिका निभा रही है। AI एल्गोरिदम विशाल स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण कर ऐसे पैटर्न पहचान लेते हैं, जिन्हें मानव आंख या अनुभव से पकड़ पाना कठिन होता है।

    AI का एक और महत्वपूर्ण आयाम है व्यक्तिगत चिकित्सा, जिसे हम Personalized Medicine कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की आनुवंशिक संरचना, जीवनशैली, पर्यावरण और स्वास्थ्य इतिहास अलग होता है। AI इन सभी कारकों का विश्लेषण कर रोगी-विशेष के लिए उपचार योजनाएँ तैयार करने में सक्षम है। इससे न केवल उपचार की सफलता दर बढ़ती है, बल्कि अनावश्यक दवाओं, दुष्प्रभावों और समय की भी बचत होती है। यह चिकित्सा को “ÞOne Size Fits All” से आगे ले जाकर “ÞOne Patient, One Solution” की दिशा में ले जाता है।

    दवा की खोज और विकास के क्षेत्र में भी ।प् एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला रहा है। परंपरागत रूप से किसी नई दवा के विकास में वर्षों का समय और अत्यधिक लागत लगती है। AI आधारित मॉडल संभावित दवाओं के अणुओं की पहचान, उनके प्रभाव और दुष्प्रभावों का पूर्वानुमान बहुत कम समय में कर सकते हैं। इससे न केवल दवा विकास की प्रक्रिया तेज होती है, बल्कि यह अधिक किफायती और प्रभावी भी बनती है। महामारी जैसे संकटों में यह क्षमता मानवता के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है।

    भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में, जहाँ स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुँच एक चुनौती रही है, वहाँ AI आधारित टेलीमेडिसिन और डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म एक सशक्त समाधान बनकर उभरे हैं। दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक, अब विशेषज्ञ डॉक्टरों से डिजिटल माध्यम से परामर्श प्राप्त कर पा रहे हैं। AI-सक्षम चैटबॉट्स, वर्चुअल हेल्थ असिस्टेंट्स और रिमोट मॉनिटरिंग सिस्टम, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ कर रहे हैं।

    देवभूमि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय और भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण राज्य के लिए AI का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। हमारे राज्य के अनेक गाँव आज भी दुर्गम क्षेत्रों में स्थित हैं, जहाँ विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियमित उपलब्धता कठिन है। ऐसे में AI आधारित मोबाइल हेल्थ यूनिट्स, ड्रोन के माध्यम से मेडिकल सप्लाई, रिमोट डायग्नोस्टिक टूल्स और टेली-आईसीयू जैसी पहलें स्वास्थ्य सेवा की तस्वीर बदल सकती हैं। यह तकनीक न केवल दूरी को कम करती है, बल्कि समय पर उपचार सुनिश्चित कर जीवन रक्षा में सहायक बनती है।

    हालाँकि, यह भी उतना ही आवश्यक है कि हम AI को केवल तकनीकी चमत्कार के रूप में न देखें, बल्कि इसके नैतिक, सामाजिक और मानवीय पहलुओं पर भी गंभीरता से विचार करें। रोगी डेटा की गोपनीयता, साइबर सुरक्षा, एल्गोरिदमिक पारदर्शिता और निर्णयों में मानवीय संवेदनशीलता-ये सभी ऐसे विषय हैं, जिन पर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता। AI का उपयोग मानव विवेक का स्थान लेने के लिए नहीं, बल्कि उसे सशक्त बनाने के लिए होना चाहिए।

    मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि AI डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का विकल्प नहीं है। यह उनके ज्ञान, अनुभव और करुणा का पूरक है। मानव-मशीन सहयोग ही भविष्य की स्वास्थ्य प्रणाली की आधारशिला है, जहाँ मशीनें विश्लेषण और पूर्वानुमान में सहायक होंगी, और अंतिम निर्णय मानवीय विवेक, नैतिकता और संवेदना पर आधारित होंगे।

    स्वास्थ्य प्रबंधन और प्रशासनिक दक्षता के क्षेत्र में भी AI की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। अस्पतालों में संसाधनों का बेहतर आवंटन, मरीजों की प्रतीक्षा अवधि में कमी, आपातकालीन सेवाओं का त्वरित प्रबंधन और सप्लाई चेन का अनुकूलन- ये सभी AI के माध्यम से संभव हो रहे हैं। इससे न केवल लागत में कमी आती है, बल्कि सेवा की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।

    माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में आज भारत का स्वास्थ्य क्षेत्र एक ऐतिहासिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा का अधिकार मिला है, वहीं आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने डिजिटल हेल्थ आईडी, इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड और एकीकृत स्वास्थ्य डेटा के माध्यम से एक भविष्यगामी स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया है।

    ई-संजीवनी जैसी टेलीमेडिसिन सेवाओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि तकनीक के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाई जा सकती है। यह सभी प्रयास प्रधानमंत्री जी के उस विजन को साकार कर रहे हैं, जिसमें स्वास्थ्य सेवा को सुलभ, किफायती और भरोसेमंद बनाने का संकल्प निहित है।

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रभावी उपयोग को नई दिशा दी है। AI आधारित रोग पूर्वानुमान, डिजिटल डायग्नोस्टिक्स, स्टार्टअप्स द्वारा विकसित हेल्थ-टेक समाधान और अनुसंधान आधारित नवाचारों को निरंतर प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

    राष्ट्रीय स्तर पर AI और स्वास्थ्य के समन्वय से भारत ‘इलाज आधारित प्रणाली’ से आगे बढ़कर ‘निवारण, सटीक निदान और समग्र कल्याण’ की ओर अग्रसर हो रहा है। यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में AI मानवता की सेवा का सशक्त माध्यम बनकर उभर रहा है और भारत वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व की ओर मजबूती से बढ़ रहा है।

    अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में भारत के पास अपार संभावनाएँ हैं। आवश्यकता है सरकार, शिक्षण संस्थानों, अनुसंधान केंद्रों और निजी क्षेत्र के बीच सशक्त सहयोग की। AI आधारित स्वास्थ्य नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए नीतिगत समर्थन, निवेश और कौशल विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। उत्तराखण्ड जैसे राज्य, जहाँ शिक्षा, अनुसंधान और आयुष की समृद्ध परंपरा है, इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।

    अंत में, मैं सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, तकनीकी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, नीति-निर्माताओं और युवाओं से आह्वान करता हूँ कि हम मिलकर AI को एक मानव-केंद्रित, नैतिक और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली का आधार बनाएं। तकनीक तभी सार्थक होती है, जब वह अंतिम व्यक्ति तक आशा, सुरक्षा और स्वास्थ्य पहुँचाएं।

    आइए, हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करें कि स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता केवल भविष्य की संभावना न बने, बल्कि वर्तमान की सशक्त वास्तविकता बनकर हर नागरिक के जीवन को बेहतर बनाए।
    जय हिन्द!