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    13-12-2025 : डी.आई.टी. विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि : दिसम्बर 13, 2025

    जय हिन्द!

    डी.आई.टी. विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह में ऊर्जावान युवाओं के मध्य उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।

    आज का दिन उन सपनों, प्रयासों और विश्वास का दिवस है, जिसके लिए आप सभी विद्यार्थियों ने अथक परिश्रम से एक लम्बी यात्रा तय की है। आपके परिवार, शिक्षक और इस प्रतिष्ठित संस्थान का गौरव – आज निःसंदेह आप सभी की उपलब्धियों के साथ और ऊँचा हुआ है।

    आपके जीवन की यह उपलब्धि, एक डिग्री प्राप्त करने से कहीं अधिक, उस नई यात्रा का आरम्भ है जो राष्ट्र के लिए जिम्मेदारी, समाज के लिए योगदान और पृथ्वी के लिए मूल्य-निर्माण का मार्ग दिखाती है। मनुष्य के भीतर चरित्र का निर्माण करे, विचारों में शक्ति दे और व्यवहार में संवेदना स्थापित करे, शिक्षा का वास्तविक मूल्य यही है।

    आपने जिस समर्पण से शिक्षा पूर्ण की है, उसके पीछे वर्षों का अनुशासन और अथक परिश्रम है। मैं आप सभी छात्र-छात्राओं को, उनके अभिभावकों को और इस विश्वविद्यालय के शिक्षकों को हृदय से बधाई देता हूँ, जिनके प्रयास से ये उपलब्धियाँ संभव हुई हैं।

    आज तकनीक, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का युग है। ज्ञान का स्वरूप बदला है, कौशल की प्रकृति बदली है, और रोजगार का मॉडल बदला है। जो इस परिवर्तन को समझेगा, वही भविष्य का नेतृत्व करेगा। डी.आई.टी. विश्वविद्यालय ने इसी भविष्य के अनुरूप आपको न केवल उच्च शिक्षा प्रदान की, बल्कि जिज्ञासा, शोध, वैज्ञानिक दृष्टि और दायित्वबोध भी विकसित किया।

    मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई कि इस विश्वविद्यालय ने इंजीनियरिंग, फार्मेसी, आर्किटेक्चर, ए.आई., डिजाइन, स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर फोरेंसिक साइंस और पर्यावरण विज्ञान तक अनेक आधुनिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया है। आपने नर्सिंग और हेल्थ केयर के क्षेत्र में जो कार्य प्रारम्भ किया है, वह न केवल चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत करेगा बल्कि उत्तराखण्ड के दुर्गम क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुँचाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

    नई शिक्षा नीति एक नए युग का आरंभ कर रही है। यह नीति शिक्षा को बहु-विषयी बनाती है, जिसमें विज्ञान और मानविकी का संतुलित समन्वय, तकनीक और परंपरा का नैतिक संगम, तथा भारतीय मूल्यों और आधुनिक कौशल का अद्भुत मेल है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि डी.आई.टी. विश्वविद्यालय ने एन.ई.पी. की भावना को अपनाते हुए विद्यार्थियों में उद्यमिता, नवाचार, नैतिकता और वैश्विक सोच विकसित करने पर भरपूर ध्यान दिया है।

    आपके शोध कार्यों ने इस विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किया है। आपके संकाय सदस्य विश्व के शीर्ष शोधकर्ताओं की सूची में स्थान प्राप्त कर चुके हैं। यह उपलब्धि आपके विश्वविद्यालय के बौद्धिक नेतृत्व और शोध संस्कृति की बड़ी उपलब्धि है।

    जैसे हम उत्तराखण्ड की रजत जयंती मना रहे हैं, वैसे ही डी.आई.टी. विश्वविद्यालय अपनी 27 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पूरी कर चुका है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उत्तराखण्ड ज्ञान का एक ऊर्जावान केन्द्र बनकर उभर रहा है।

    मेरे प्रिय विद्यार्थियों,

    आज आप अपने जीवन के नए अध्याय में प्रवेश कर रहे हैं। सफलता केवल पद, वेतन या पदवी से नहीं मापी जाती। सफलता वह है जिसका उपयोग समाज के हित में हो, जो राष्ट्र के भविष्य को बेहतर बनाए, और जो मानवता के प्रति संवेदना जागृत करे।

    आज भारत की बेटियाँ जीवन के हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं। मैं विशेष रूप से यहाँ उपस्थित छात्राओं की सराहना करता हूँ। मुझे विश्वास है कि शिक्षित, सशक्त और आत्मविश्वासी हमारी बेटियाँ विकसित भारत के निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाएंगी।

    मेरे ऊर्जावान युवाओं, आप सब राष्ट्र की अमूल्य संपत्ति हैं। आप भारत के उज्ज्वल भविष्य के निर्माता हैं। अपने जीवन में एक संकल्प अवश्य रखें- राष्ट्र सर्वाेपरि। अपनी प्रतिभा, परिश्रम और चरित्र को राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित करें। सबसे पहले देश एवं समाज और फिर अपनी चिंता करें।

    आज का समय उद्यमिता का है। नौकरी पाने के साथ-साथ नौकरी देने वाले बनें। नवाचार को अपना जीवन मंत्र बनाएं। पहाड़ के युवाओं में अपार क्षमता है। यदि हमारे युवा शोध, तकनीक और मदजतमचतमदमनतेीपच में आगे बढ़ें तो उत्तराखण्ड विकसित भारत का महत्वपूर्ण भाग बन सकता है।

    आज के युवाओं को नशे से दूर रहना अत्यंत आवश्यक है। नशा युवाओं की ऊर्जा और भविष्य को नष्ट कर देता है। अपने स्वास्थ्य, मन और विचारों को मजबूत बनाएं और नशामुक्त समाज के संवाहक बनें। मैं ‘‘नशा मुक्त उत्तराखण्ड’’ अभियान में सहभागी बनने के लिए संपूर्ण समाज का आवाहन करता हूँ।

    शिक्षक केवल पढ़ाते नहीं, बल्कि जीवन बनाते हैं। शिक्षकों की भूमिका युग निर्माण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। मैं इस विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों के प्रति गहरी प्रशंसा व्यक्त करता हूँ। आप केवल ज्ञान नहीं देते, आप संस्कार देते हैं। यही भारत की वास्तविक शैक्षिक परंपरा है।

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता आज हमारे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है। ए.आई. केवल तकनीक नहीं, बल्कि मानविकी, आर्थिक विकास, शिक्षा और प्रशासन के भविष्य का प्रमुख आधार है। आज भारत में ए.आई. शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, सेवा-प्रबंधन और उद्योग को नए आयाम दे रही है।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत नीतिपरक, पारदर्शी और मानव-केन्द्रित ए.आई. पर विशेष ध्यान दे रहा है। ‘‘भारत ए.आई. मिशन’’ में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश इस नई डिजिटल शक्ति को प्रत्येक नागरिक तक पहुँचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

    हमारी राष्ट्रीय नीति का उद्देश्य तकनीक को केवल व्यापार तक सीमित करना नहीं है, बल्कि मानवता, पर्यावरण, स्वास्थ्य और सेवा के नए मॉडल तैयार करना है। विकसित भारत की दिशा में हमारी यह यात्रा आज ‘विकास के साथ गरिमा’ और ‘नवाचार के साथ करुणा’ के सिद्धांतों पर आगे बढ़ रही है। मुझे विश्वास है कि नई-नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर आप स्वयं के साथ ही समाज कल्याण में अपनी अहम भूमिका अदा करेंगे।

    प्रिय विद्यार्थियों,

    आज हमारा देश आत्मनिर्भर भारत बन रहा है। यह विकसित भारत की ओर बढ़ रहा है। यह विश्व गुरु भारत की दिशा में आगे बढ़ रहा है। आप इस यात्रा के पथ-प्रदर्शक हैं। अपने ज्ञान, परिश्रम और कौशल से देश का गौरव बढ़ाएँ। अपने चरित्र से समाज को गढ़ें। अपने कर्तव्य से राष्ट्र को समृद्ध बनाएं। यह मेरी आपसे अपेक्षा है।

    अंत में, मैं आप सभी उपाधि धारकों को शुभकामनाएं देता हूँ। और आपके सुखद, उज्ज्वल और गौरवपूर्ण भविष्य की हृदय से कामना करता हूँ। आप सभी सदैव सीखते रहें, आगे बढ़ते रहें, जिम्मेदार नागरिक बनें और मानवता की सेवा के लिए समर्पित रहें।

    आप जैसे सामर्थ्यवान युवा ही विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्व गुरु भारत के निर्माण का मजबूत आधार बनेंगे। इस विश्वास के साथ आप सभी को हार्दिक आशीर्वाद एवं मंगलकामनाएं प्रेषित करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
    जय हिन्द!