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    21-06-2025 : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: जून 21, 2025

    जय हिन्द!

    सर्वप्रथम, इस आयोजन, में उपस्थित, योग से जुड़े, आप सभी साधकों, को मैं, 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की, हार्दिक शुभकामनाएं, देता हूँ। यह, हम सभी, उत्तराखण्ड-वासियों का, परम सौभाग्य है कि, इस महत्वपूर्ण अवसर पर, हमें माननीया राष्ट्रपति महोदया का, सानिध्य मिला है।

    योग, भारत की प्राचीनतम, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का, हिस्सा है, जिसने संपूर्ण विश्व को, जोड़ने का कार्य किया है। प्रसन्नता की बात है कि, आज यह दिवस, न केवल भारत के लिए, अपितु संपूर्ण विश्व के लिए स्वास्थ्य, शांति, और समरसता का, प्रतीक बन चुका है।

    हम सभी, भारतीयों के लिए, गर्व का विषय है कि, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की, परि-कल्पना, हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा, की गई थी। इस संबंध में, उनके दूरदर्शी प्रस्ताव को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने, स्वीकार कर, 21 जून को, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, घोषित किया। यह विश्व कूटनीति के इतिहास का, एक असाधारण क्षण था, और तब से लेकर, आज तक, यह दिन, वैश्विक जन-आंदोलन, बन चुका है।
    प्रियजनों,

    उत्तराखण्ड, जिसे हम, श्रद्धा से देवभूमि कहते हैं, यह वास्तव में, योगभूमि भी है। जहाँ हिमालय की गोद में, ऋषि-मुनियों ने, सदियों पूर्व, योग की साधना की। ऋषिकेश, आज विश्वभर में, योग का तीर्थ, बन चुका है। योग की आत्मा, इसकी ऊर्जा और इसकी तपस्या, उत्तराखण्ड की वादियों में, बसती है।

    योग, भारत की, हजारों वर्षों पुरानी, विरासत है। यह हमारे लिए, केवल व्यायाम या आसन नहीं, बल्कि, एक जीवनशैली है। ऋषि पतंजलि द्वारा, प्रतिपादित अष्टांग योग – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि, – यह एक समग्र, साधना पथ है। यह केवल शरीर की लय नहीं, बल्कि, आत्मा की चेतना का, आलोक है।

    इस वर्ष, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम हैः, श्ल्वहं वित व्दम म्ंतजीए व्दम भ्मंसजीश्ए – अर्थात, “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग।” यह थीम, भारत की सनातन सोच, ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की, वैश्विक अभिव्यक्ति है, जो हमें याद दिलाता है कि, हमारा व्यक्तिगत स्वास्थ्य, हमारी प्रकृति, हमारा पर्यावरण, और हमारी सामाजिक संरचना, – सभी परस्पर, गहराई से, जुड़े हुए हैं।

    योग का उद्देश्य, केवल शरीर को स्वस्थ बनाना नहीं है, बल्कि, मन, बुद्धि और आत्मा के बीच, संतुलन स्थापित करना है। यह तनाव, चिंता, अवसाद, जैसे मानसिक विकारों से, मुक्ति का, मार्ग है। योग, आत्म-अनुशासन का विज्ञान है, और इसी आत्म अनुशासन से, एक बेहतर नागरिक, एक बेहतर समाज, और एक स्वस्थ राष्ट्र, की कल्पना साकार होती है।

    आज, विश्व के 190 से अधिक, देशों ने योग को, अपना लिया है, जिससे, विश्वभर के, लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन में, सकारात्मक बदलाव, आया है। यह भारत की, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की, वैश्विक स्वीकृति है।

    प्रियजनों,

    योग, न केवल आत्म-नियंत्रण की शिक्षा है, बल्कि, यह भविष्य की चुनौतियों से, निपटने का सामर्थ्य, भी देता है। मानसिक एकाग्रता, भावनात्मक संतुलन और निर्णय-शक्ति में योग अद्भुत वृद्धि करता है।

    योग हमें जोड़ता है – अपने भीतर से, अपने समाज से और समस्त सृष्टि से।

    योग की भूमि, भारत, विश्वगुरु बने, – यही हमारा संकल्प है। योग से, युग बदलेगा, – यही हमारी आस्था है। आजादी के इस ‘अमृत काल’ में, जब भारत वर्ष 2047 तक, विकसित राष्ट्र बनने का संकल्प ले चुका है, तब, योग हमारे संकल्पों को सशक्त बनाने का, माध्यम बन सकता है।

    अंत में, मैं यही कहूँगा, “योग भारत का अनमोल उपहार है, इसे अपनाएं, और विश्व को स्वस्थ, एवं शांत बनाएं।” आइए! हम सब मिलकर यह संदेश दें कि, भारत, ज्ञान, ध्यान और योग के माध्यम से, “विश्वगुरु” के रूप में, अपनी भूमिका निभा रहा है।

    एक बार फिर से, मैं, आप सभी को, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की, हार्दिक बधाई, और शुभकामनाएं देता हूँ, और इस आयोजन की, गरिमा बढ़ाने के लिए, माननीया राष्ट्रपति जी का, पूरे उत्तराखण्ड की ओर से, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
    जय हिन्द!