11-06-2025 : “एक शाम सैनिकों के नाम” समारोह में मा0 राज्यपाल महोदय का उद्बोधन।
जय हिन्द!
इस गरिमामयी अवसर पर पधारे सभी वीर सैनिकों, पूर्व सैनिकों, उनके परिजनों और उपस्थित सभी अतिथियों का मैं हृदय की गहराइयों से हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।
“एक शाम सैनिकों के नाम” – आज का यह आयोजन जो हमारे वीर जांबाजों को समर्पित है, यह केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि वीरता, राष्ट्रभक्ति और बलिदान की गौरवगाथा का उत्सव है। यह अवसर उन रणबांकुरों को नमन करने का है, जिन्होंने वर्दी पहनकर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाई, जो जांबाज देश की सीमाओं की रक्षा के लिए तत्परता से जुटे हैं और जो सैनिक सेवानिवृत्ति के बाद आज भी समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं।
आज का यह उत्सव, बलिदान और शौर्य की परंपरा को याद करते हुए अपने महान राष्ट्र की अखंडता को सुरक्षित रखने और उसके वैभव को बढ़ाने के लिए संकल्प लेने का अहम अवसर भी है। आज हम सब उत्तराखण्ड वासियों के लिए यह गौरवमयी क्षण है जब इतनी संख्या में प्रदेश के अलंकृत वीर सेनानियों ने एक साथ इस मंच को सुशोभित किया है।
आज “एक शाम सैनिकों के नाम” समरोह में उत्तराखण्ड का गौरव बढ़ाने वाले एवं भारत सरकार द्वारा वीरता पदक से अलंकृत प्रदेश के सैनिकों के साथ-साथ उन पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया जा रहा है, जिन्होंने सैन्य सेवा के पश्चात कर्तव्यनिष्ठा का परिचय देते हुए राज्य की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह हम सभी के लिए बेहद गर्व के क्षण हैं। मैं आप सभी को हृदय तल से बधाई देता हूँ।
साथियों,
हमारे सैनिक राष्ट्र की आत्मा की सुरक्षा के संवाहक हैं। सेना कोई नौकरी नहीं है, यह धर्म है। यह वह जीवन है जिसमें ‘‘राष्ट्र प्रथम’’ की भावना हृदय में गहराई तक समाहित होती है। जहाँ हर सैनिक स्वयं और परिवार से ऊपर उठकर केवल राष्ट्र सर्वाेपरि के मंत्र का जाप करता है।
उत्तराखण्ड, जिसे हम वीरभूमि भी कहते हैं, न केवल देवभूमि के रूप में पूजित है, बल्कि यह उस भूमि का गौरव भी है जहाँ के युवाओं की धड़कन में देश सेवा रची-बसी है। यह प्रदेश एक ऐसा अद्भुत उदाहरण है, जहाँ हर गांव से कोई न कोई जवान देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात है। यहाँ की मिट्टी में पराक्रम, अनुशासन और समर्पण की खुशबू समाई हुई है।
उत्तराखण्ड पराक्रमी जवानों की कर्मभूमि है। यह गर्व की बात है कि आज भारतीय सेनाओं में उत्तराखण्ड का लगभग 18ः योगदान है। आजादी के बाद से अब तक हमारी इस वीरभूमि में वीरता एवं गैर वीरता पुरस्कार विजेताओं की संख्या 1843 हो चुकी है। हर वर्ष हमारे 20-30 सैन्य अधिकारी/सैनिकों को राष्ट्र द्वारा वीरता पदकों से नवाजा जाता है। ये आँकड़े नहीं, यह हमारे संस्कारों के प्रमाण हैं।
यह वह वीरभूमि है जहाँ हर माँ अपने बेटे को सेना की वर्दी में देखकर गर्व की अनुभूति करती है। देश पर बलिदान होने वाले हर पाँचवें सैनिक का उत्तराखण्ड से होना, यह कोई संयोग नहीं, बल्कि इस राज्य की रगों में दौड़ता राष्ट्रप्रेम है।
सैनिक होने के नाते सेना से मेरा सीधा और आत्मिक जुड़ाव रहा है। जब हम ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों की बात करते हैं, तो मेरा मन गर्व और भावुकता से भर उठता है। यह ऑपरेशन न सिर्फ सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह भारतीय सेना की मानवता, सेवा और संवेदनशीलता का प्रतीक बन गया। प्राकृतिक आपदाओं से लेकर आतंकवाद के खात्मे तक, भारतीय सेना ने ‘‘राष्ट्र प्रथम’’ की भावना को हर परिस्थिति में चरितार्थ किया है।
हमारे सैनिकों ने हर युद्ध में, हर संकट में देश को सिर उठाकर चलना सिखाया है। हर युद्ध में हमारे रणबांकुरों ने अपने शौर्य की ऐसी अमिट छाप छोड़ी है कि दुश्मन की रूह काँप उठी। और आज, जब हम आतंकवाद, नक्सलवाद और सीमा पार षड्यंत्रों का सामना कर रहे हैं, ऐसे समय में सैनिक ही है जो सीमा पर डटा है, ताकि हम शांति से जीवन जी सकें।
हाल ही में संपन्न “ऑपरेशन सिंदूर” इसका जीवंत उदाहरण है। भारतीय सेना ने दुश्मन के ठिकानों पर जिस प्रकार गहन, सुनियोजित और सटीक कार्रवाई की, वह विश्व के किसी भी आधुनिक सैन्य अभियान से कमतर नहीं थी। इस ऑपरेशन में हमने अपनी सेनाओं का मनोबल बढ़ाने के लिए एकजुटता दिखाई वह प्रशंसनीय है।
इस ऑपरेशन के बाद एक ठहराव आया है, जिसमें हमें सोचने की जरूरत है कि अभी हमारी सुरक्षा चुनौतियां खत्म नहीं हुई हैं। हमें चीन, पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से सतर्क रहने के साथ ही अंदरूनी सुरक्षा चुनौतियों के प्रति भी सावधान रहने की जरूरत है।
ऑपरेशन सिंदूर में जिस प्रकार टेक्नोलॉजी, ड्रोन, मिसाइल, रोबोटिक आदि का प्रयोग हुआ है वह दर्शाता है आने वाले समय में युद्व का तरीका बदल गया है, हमें इन क्षेत्रों में अपनी क्षमता को और अधिक बढ़ाने पर जोर देना होगा।
उत्तराखण्ड के जांबाजों ने इस ऑपरेशन में अग्रिम पंक्ति में रहते हुए न केवल मिशन को सफलता दिलाई, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि भारत की सेना सिर्फ रक्षात्मक नहीं, अपितु निर्णायक और आक्रामक क्षमता से भी सम्पन्न है।
आज जब विश्व आतंकवाद से जूझ रहा है, भारत ने एक स्पष्ट और सशक्त नीति के साथ आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है। ऑपरेशन सिंदूर से भारत की सेना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब हम प्रतीक्षा नहीं करते – हम प्रतिक्रिया भी करते हैं, और वो भी निर्णायक रूप से।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत की नीति अब अस्पष्टताओं और समझौतों की नहीं रही। अब न कूटनीतिक दुविधा है, न ही सीमाओं पर मौन सहिष्णुता। सर्जिकल स्ट्राइक हो, बालाकोट एयर स्ट्राइक हो या फिर ऑपरेशन सिंदूर। भारत ने पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत के खिलाफ किए जा रहे हर दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
पूर्व सैनिकों का योगदान केवल वर्दी तक सीमित नहीं है। आज जब आप समाज में विभिन्न भूमिकाओं में हैं, तब भी आपकी सेवा राष्ट्र निर्माण की नींव को मजबूत कर रही है। आपका अनुशासन, नेतृत्व और राष्ट्रभक्ति समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है।
उत्तराखण्ड के सैनिक विशेष हैं, चाहे वीरता पुरस्कारों की बात हो या रणभूमि में अपने अद्वितीय शौर्य और पराक्रम के प्रदर्शन की। यह वीरभूमि न केवल देश को पहला और वर्तमान सीडीएस प्रदान करने का गौरव रखती है, बल्कि हमारे राष्टीय सुरक्षा सलाहकार इसी सैन्य भूमि के गौरवशाली सपूत हैं।
केन्द्र एवं उत्तराखण्ड सरकार पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए निरंतर प्रतिबद्ध है। चाहे वह सैनिक कल्याण बोर्ड की योजनाएँ हों, स्वास्थ्य सुविधाएँ हों या पुनर्वास के अवसर, हम आपके सम्मान और सुविधा के लिए सतत कार्यरत हैं।
साथियों,
सैनिक सिर्फ सीमा की रक्षा नहीं करता, वह एक राष्ट्र की आत्मा की रक्षा करता है। जब वह बर्फीले तूफान में खड़ा होता है, तो वह सिर्फ एक जवान नहीं होता – वह हमारी स्वतंत्रता की दीवार बन जाता है।
सैनिकों के बलिदान से प्रेरणा लेकर हमें यह प्रण लेना होगा कि राष्ट्र हमारे लिए सर्वाेपरि है। मैं युवा पीढ़ी से भी यह आह्वान करता हूँ कि वे पूर्व सैनिकों से, उनके जीवन से, उनके मूल्यों से, और उनके समर्पण से प्रेरणा लें। मेरा मानना है कि कर्तव्य, सम्मान और राष्ट्रभक्ति के मूलमंत्र को आत्मसात करके ही हम अपने राष्ट्र को महान बना सकते हैं।
उत्तराखण्ड न केवल वीरभूमि है, बल्कि यह अपार संभावनाओं की धरती भी है। प्रकृति ने हमें अनमोल उपहार प्रदान किए हैं, जिन्हें सही दिशा में उपयोग कर हम राज्य की आर्थिकी को सशक्त बना सकते हैं।
मैं आप सभी पूर्व सैनिकों से आग्रह करता हूँ कि अपनी नेतृत्व क्षमता और अनुशासन का उपयोग करते हुए इन संभावनाओं को साकार करने में योगदान दें। विशेष रूप से होम स्टे, शहद उत्पादन (हनी) और अरोमा उद्योग जैसे क्षेत्रों में कदम बढ़ाएँ।
वीरांगनाएँ ‘स्वयं सहायता समूहों’ (ैैळ) के माध्यम से सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं, जिससे उन्हें आत्मनिर्भरता के साथ-साथ अतिरिक्त आय के अवसर भी प्राप्त होंगे।
मैं हमारे शासन-प्रशासन का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ, जो सदैव हमारे सैनिकों की समस्याओं के समाधान हेतु संवेदनशीलता और सक्रियता के साथ कार्य करते हैं। राजभवन में स्थापित ग्रीवांस सेल के माध्यम से प्राप्त शिकायतों को संबंधित अधिकारियों तक शीघ्रता से प्रेषित किया जाता है, और वे पूर्ण उत्तरदायित्व एवं अपनत्व के साथ उनका समाधान सुनिश्चित करते हैं।
मैं आज यहाँ उपस्थित हर सैनिक, हर पूर्व सैनिक और हर उस माँ को नमन करता हूँ जिन्होंने अपने लाल को राष्ट्रसेवा के लिए समर्पित किया। आपके कारण हम सुरक्षित हैं। आपके कारण हमारा महान राष्ट्र सुरक्षित है।
मैं आप सभी सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवार जनों को आदरपूर्वक नमन करता हूँ। आप हमारे समाज के गौरव हैं, और आपकी सेवा की गाथाएँ आने वाली पीढ़ियों को निरंतर प्रेरणा देती रहेगी।
अंत में, मैं पुनः आप सभी को बधाई देता हूँ। आपने मिलकर इस “एक शाम सैनिकों के नाम” कार्यक्रम को वास्तव में एक गौरवशाली स्मृति पर्व में परिवर्तित कर दिया है।
देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों का हम सभी आदर और सम्मान करते हुए उनसे प्रेरणा लें और राष्ट्र प्रथम के मंत्र को आत्मसात कर अपने दायित्व एवं कर्तव्यों का पालन करें, इस आशा, अपेक्षा और विश्वास के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!
वन्दे मातरम!
भारत माता की जय!