Close

    22-05-2024 : गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन

    प्रकाशित तिथि: मई 22, 2024

    जय हिन्द!

    सत श्री अकाल!

    श्री हेमकुण्ड साहिब की पवित्र यात्रा के शुभारम्भ के सुअवसर पर यहां उपस्थित जनप्रतिनिधिगण, श्रद्धालुजन, सम्मानित महानुभावों!

    आज श्री हेमकुण्ड साहिब जी की यात्रा के शुभारम्भ का यह बहुत ही दिव्य दिवस है। आज की इस शुभ घड़ी पर ऋषियों की पावन भूमि ऋषिकेश से पंज प्यारों के नेतृत्व में पहला जत्था श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा के लिए रवाना हो रहा है।

    देवभूमि की इस पावन धरा को गुरु गोबिंद सिंह जी की दिव्य आध्यात्मिक शक्ति ने पवित्र किया है। इस सुअवसर पर मैं श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा पर आने वाले सभी श्रद्धालुओं का ससम्मान स्वागत करते हुए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।

    श्री हेमकुण्ड साहिब जी की यात्रा हम सबके लिए श्रद्धा, भक्ति और विश्वास की यात्रा है। यह यात्रा गुरुओं के चरणों में अपनी सच्ची आस्था प्रकट करने की यात्रा है। यह यात्रा गुरुओं की कृपा प्राप्त करने की भी यात्रा है।

    सच कहूँ तो आज मैं स्वयं भी धन्य होने की अनुभूति कर हूँ, श्री हेमकुण्ड साहिब जी की यात्रा की शुरूआत में शामिल होकर गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त करने पर मुझे अपार खुशी के अहसास के साथ ही मन प्रफुल्लित हो रहा है। हेमकुंड साहिब, हम सभी के लिए एक अत्यधिक पूजनीय तीर्थ स्थल है।

    ऐसा आध्यात्मिक स्थल जहां स्वर्ग पृथ्वी को छूता है, बर्फ से चूमती चोटियों के बीच मन में भक्ति भाव की तरंगें उठती है, एक ऐसा लोक जहां आत्मा को प्रकृति के आलिंगन में सांत्वना मिलती है। जहां पहुँचकर दिल में एक अलग ही प्रेम, श्रद्धा और भक्ति का भाव उमड़ पड़ता है। आप सभी उसके साक्षी बनने वाले हैं।

    आप सभी श्रद्धालुओं को भी हिमालय की सात चोटियों के मध्य, अमृत सरोवर की लहरों के बीच, पवित्र श्री निशान साहिब की लहराती दिव्य ध्वजा के साथ श्री हेमकुण्ड साहिब जी के पवित्र दर्शन प्राप्त कर आप दिव्य की अनुभूति करने का सौभाग्य प्राप्त होने वाला है।

    गुरुओं के ये पवित्र वचन उसी दिव्य पवित्र स्थान के बारे में हैं, गुरु गोविंद सिंह जी की शक्ति साधना और आध्यात्मिक ज्ञान की तपोभूमि श्री हेमकुण्ड साहिब के बारे में ही हैं। इन शब्दों में जो चमत्कार है, वह अपने आप में अलौकिक और दिव्य है।

    पवित्र तीर्थ स्थली श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा करना सौभाग्य की बात है। 15 हजार फीट की ऊंचाई तक की यह यात्रा, रोमांचित कर देने वाली कठिन यात्रा है। 18 किलोमीटर की यह पैदल यात्रा, हर एक श्रद्धालु की कठिन परीक्षा लेने वाली यात्रा भी है। यह प्रसन्नता की बात है कि आप सभी श्रद्धालु-जन, इस कठिन और पवित्र यात्रा के साक्षी बन रहे हैं।

    इस यात्रा का सड़क मार्ग अब पहले से काफी सुगम हो गया है। रोपवे के बन जाने के बाद आने वाले समय में यह यात्रा और भी सरल एवं आरामदेह हो जाएगी। तब हर-एक साध-संगत को गुरूओं के पवित्र धाम के दर्शन करने के अवसर प्राप्त होंगे।

    मुझे विश्वास है कि रोपवे का निर्माण जल्द पूरा हो जाएगा। इसके लिए हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार व्यक्त करते हैं। कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेल लाइन शुरू होने के बाद तो चारधाम एवं हेमकुंड साहिब की यात्रा और भी सुगम, सरल और आसान हो जाएगी।

    रतूड़ा गांव में नया गुरुद्वारा साहिब का निर्माण कार्य प्रगति पर है अगले वर्ष के भीतर इसका निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद है। इसमें एक समय में 5,000 तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था होगी। इस पुनीत कार्य के लिए मैं गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब मैनेजमैंट ट्रस्ट की हृदय से प्रशंसा करता हूँ।

    गुरूओं की सीख हमें इस पवित्र धाम की कठिन यात्रा को पार करने की शक्ति प्रदान करती है। दिव्य हेमकुंड साहिब का पवित्र स्थान हमें गुरु गोविंद सिंह जी के बताए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। हमें गुरूओं की इस सीख पर चलने की शपथ लेनी है।
    युद्ध कला, युद्ध रणनीति ‘निश्चय कर अपनी जीत करौ’ विजय हासिल करने की शिक्षा, निंदा, चुगली से दूर रहने की शिक्षा, जरूरतमंद की सेवा करने की शिक्षा, शस्त्र विद्या की शिक्षा, नशे से दूर रहने की शिक्षा, ये सभी शिक्षाएं हमें गुरूओं ने दी है।

    स्वाभिमान, साहस, बलिदान, परिश्रम और सेवा के मार्ग पर चल कर ‘सवा लाख ते एक लड़ावां’ का संदेश अदम्य साहस की शिक्षाओं का सार है। गुरुजी ने समाज को सेवाभाव का मार्ग दिखाकर अपने कर्तव्यों पर चलते हुए परिश्रम और ईमानदारी से कार्य करने की प्रेरणा दी है।

    गुरु महाराज ने प्रत्येक व्यक्ति को आत्म सम्मान पर आधारित जीवन जीने का बोध कराया है। गुरु गोविन्द सिंह जी की ऐसी पवित्र शिक्षाओं के प्रसार के लिए उत्तराखण्ड की यह धरती समर्पित है।

    देवभूमि की यह धरा गुरु परम्परा की समृद्ध धरती है, गुरु गोविंद सिहं जी की दिव्य तपस्थली हेमकुण्ड साहिब के साथ-साथ गुरु नानक देव जी की चमत्कारिक शक्ति का केन्द्र रीठा साहिब, नानकमत्ता साहिब, पांउटा साहिब सहित गुरु परम्परा के अनेक पवित्र स्थान इस देवभूमि पर गुरुओं की शिक्षाओं का प्रसार कर रहे हैं।

    गुरुओं की इसी पवित्र शिक्षा के बल पर सिखों ने पूरी दुनियां में नाम कमाया है, एक ऊंचा मुकाम हासिल किया है। श्री हेमकुंड साहिब के पवित्र स्थान की खोज करने वाले महान आत्माओं को आज इस यात्रा के शुभारम्भ अवसर पर अवश्य ही याद करना चाहिए।

    सरदार श्री सोहन सिंह, जी संत श्री मोआन सिंह जी, संत श्री थांडी सिंह जी और संत श्री सूरत सिंह ऐसे महापुरूष हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन गुरुद्वारा श्री हेमकुण्ड साहिब जी की खोज और निर्माण में लगा दिया था।

    हेमकुण्ड साहिब की यात्रा निरंतर निर्बाध रूप से चलती रहे, इस अभियान में यात्रा कार्यों में जुड़े सभी सेवादारों तथा संगत की भूरि-भूरि प्रसंशा करता हूं तथा उन्हें हृदय तल से बधाई देता हूँ।

    हेम कुंड साहिब की यात्रा का संचालन कर रही गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के सभी सदस्यों, पदाधिकारियों को इस पवित्र यात्रा को संगत के लिए सरल, सुगम, सहज और आनंददायी बनाने के लिए मैं हार्दिक बधाई देता हूँ।

    उत्तराखण्ड की चारधाम यात्रा भी चरम पर है। राज्य सरकार का प्रयास है कि देवभूमि उत्तराखण्ड आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार से परेशानी न हो, इसके लिए हर संभव व्यवस्थाएं की गई हैं। चारधाम यात्रा और श्री हेमकुण्ड साहिब जी की यात्रा को सुव्यवस्थित रूप से चलाने एवं सुगम बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

    मेरा अनुरोध है कि सभी श्रद्धालु और यात्रा से जुड़े उत्तराखण्ड परिवहन व्यवसायी रोड़ सेफ्टी का पूर्ण रूप से ध्यान रखें। पहाडों पर ड्राइविंग सोच-विचारकर व सावधानीपूर्वक कर यात्रा को सफल बनाएं। श्रद्धालुओं से मेरा आग्रह है कि देवभूमि की प्रकृति से कतई छेड़-छाड़ न करें, साथ ही यात्रा के दौरान जितना हो सके प्लास्टिक का प्रयोग कम से कम करें। अपनी यात्रा को प्लास्टिक मुक्त रखें। सभी के सामुहिक प्रयासों से हम देवभूमि के प्राकृतिक सौंदर्य को बरकरार रख सकेंगे।

    एक बार पुनः सभी श्रद्धालुओं एवं इस गौरवदायी स्वर्णिम पलों के साक्षी बनें सभी महानुभावों को मैं हृदय की गहराइयों से बधाई और असीम शुभकामनाएं देता हूँ।

    जय हिन्द!