28-03-2024 : सिद्धार्थ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के दीक्षांत समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
जय हिन्द!
सिद्धार्थ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस के दीक्षांत समारोह में सम्मिलित होकर मैं, अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ।
प्यारे बच्चों,
दीक्षांत के पश्चात, अब आप सब जीवन की नई यात्रा में जा रहे हैं, इस हेतु मैं, आप सब को शुभकामनाएं देता हूँ। आप सब अपने प्राप्त ज्ञान को राष्ट्र की बेहतरी में लगाएंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
मैं, आज उपाधि प्राप्त कर रहे सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूं। यह अवसर, विद्यार्थियों के साथ-साथ, उनके शिक्षकों और अभिभावकों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस डिग्री या सर्टिफिकेट से आप सबके लिए, जीवन में आगे बढ़ने के नए रास्ते भी खुलते हैं।
पहाड़ों की गोद में स्थित सिद्धार्थ ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस ने स्थापना के लगभग डेढ दशक में ही राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर अनेकों उपलब्धियां प्राप्त की हैं। मैं इसके लिए संस्थान को बधाई देता हूं।
प्रिय मित्रों,
पूरी दुनिया कोविड के बाद के युग में भारतीय प्रतिभाशाली मानव संसाधनों की तलाश कर रही है। आज विशेष रूप से विकसित विश्व में उम्र बढ़ने और भारत के ग्लोबल मेन्यूफैक्चरिंग और नाॅलेज सर्विस सेंटर बनने से युवाओं के लिए अवसर बढ़ रहे हैं।
यह विशेष रूप से प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान में देश अपनी अनुसंधान क्षमता को बढ़ाने का निरंतर प्रयास कर रहा है, इसलिए हमें भी इस ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
कैपेसिटी को कैपेबल बनाने के लिए नाॅलेज और स्किल को निर्बाध रूप से जोड़ना न केवल रोजगार योग्य स्नातकों के लिए बल्कि उन्हें शोध अनुसंधान और उद्यमिता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, जिसका सभी संस्थानों को अनुकरण करना चाहिए।
साथियों,
नया भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र और अनिवार्य रूप से मेक इन इंडिया की दिशा में काम कर रहा है। हमें अपनी संस्कृति, विरासत और हमारी प्राचीन ज्ञान प्रणाली पर गर्व करना चाहिए, और प्रत्येक नागरिक को समाज में एकता, एकजुटता और सद्भाव के लिए भी काम करना चाहिए।
हम सभी एक जिम्मेदार नागरिक बनें और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों को ईमानदारी और नैतिकता के साथ निभाएं जिससे देश को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
नॉलेज इकोनॉमी के युग में पूरी दुनिया भारत को एक प्रमुख ग्लोबल वैल्यू चेन पार्टनर के रूप में देख रही है। आज भारत में युवाओं के संदर्भ में सबसे बड़ा डेमोग्राफिकल लाभांश है और बड़ी अच्छी बात यह है कि आज भारत के युवा का रुझान ैज्म्ड विषयों को सीखने की ओर ज्यादा है।
साथियों,
वर्तमान में पूरी दुनिया भारत के युवाओं और भारत के बढ़ते बाजार की ओर आकर्षित हो रही है। कोविड महामारी के बावजूद भारत द्वारा दिखाए गए असाधारण लचीलेपन ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है।
आज जब भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है तो दुनिया भारत के साथ काम करने के लिए और भी अधिक प्रेरित हो रही है। यह कुछ मायनों में वैसा ही दिखता है जैसे दुनिया एक हजार साल पहले भारत की तलाश में आई थी, चाहे वह अतीत में अपने धन, मसालों या रेशम की तलाश में हो या आध्यात्मिक और बौद्धिक ज्ञान या धन-संपत्ति के लिए।
प्यारे बच्चों,
अपनी उच्चतम क्षमता तक पहुंचना और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना और करोड़ों लोगों के जीवन में तभी बदलाव हो सकता है जब युवा जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हों। आज आप नई यात्रा शुरू कर रहे हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी जड़ों को हमेशा याद रखें।
हम अपनी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और उसके सही मार्ग या धर्म पर गर्व करें। जिनमें बताया गया है कि अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निभाते हुए कैसे सही मार्ग का नेतृत्व कर सकते हैं।
इसी तरह, हमारे संविधान में निहित मूल्यों-यानी समानता, न्याय, बंधुत्व और स्वतंत्रता के प्रति हम हमेशा सजग रहें। यह अंतिम मील विकास के विचार के मूल में है।
साथियों,
हम सभी जानते हैं कि जी-20 की सफलता से देश-दुनिया में भारत की छवि और भी निखरी है। हमारे द्वारा नियोजित सभी कार्य भारत की उपलब्धियों और क्षमताओं के साथ-साथ भारत की जीवंत संस्कृति और समृद्ध विरासत को सही मायने में प्रदर्शित करने में सफल रही है।
भारत के जी.20 प्रेसीडेंसी का विषय-‘वसुधैव कुटुम्बकम‘ या ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य‘ एक स्थायी, न्यायसंगत दुनिया में भागीदार बनने का आह्वान है, जिसे वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता मिली है।
इस प्रकार आज हमारे कार्यों से भारत को विश्व गुरु के रूप में सही मायने में स्थापित किया जा सकता है, साथ ही दुनिया भर में युवाओं के लिए अधिक रास्ते भी बनाए जा सकते हैं, चाहे वह एक सर्विस के रूप में हो या एक उद्यमी के रूप में हो।
साथियों,
मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि संस्थान के प्राचार्य एवं शिक्षकों के राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं, और इस संस्थान के छात्र-छात्राओं ने उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू एण्ड कश्मीर की प्रतिष्ठित न्यायिक सेवाओं में चयनित होकर संस्थान को गौरवान्वित किया है।
मुझे बताया गया है कि सिद्धार्थ इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी के विद्यार्थी विभिन्न फार्मा एमएनसीज़ में उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 2023 में फार्मेसी के विद्यार्थियों का विभिन्न कंपनियों में उच्च पदों पर चयन हुआ है जो संस्थान की एक बड़ी उपलब्धि है।
मुझे जानकारी दी गई है कि फार्मेसी कॉलेज में एक इक्यूप्ड “एनिमल रिसर्च सेंटर” (सुसज्जित ‘पशु अनुसंधान गृह’) विकसित किया गया है जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े फार्मेसी एवं चिकित्सा क्षेत्र के शोधार्थी भी रिसर्च के लिए आते रहते हैं, अभी तक लगभग 200 शोधार्थियों ने इंस्टीट्यूट की शोध सुविधाओं का लाभ उठाकर अपनी रिसर्च पूरी की है, जो प्रशंसनीय है।
साथियों,
यह बहुत सराहनीय है कि संस्थान ने सामाजिक गतिविधियों में भी अपने आपको आगे रखा है इसके लिए संस्थान शिक्षक एवं विद्यार्थी विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता रैलियां, विचार गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक एवं जनसंपर्क अभियान चलाते हैं। विधिक व्यवसाय को प्रोत्साहन देने के लिए ‘फ्री लीगल एड सेंटर’ स्थापित किया गया है जो विभिन्न गांवों और कस्बों में कैंप लगाकर लोगों को मुफ्त विधिक परामर्श उपलब्ध कराता है।
संस्थान अपना ब्लाइंड पियर रिवीव्ड अर्धवार्षिक जर्नल ‘लीगल विज़डम’ प्रकाशित कर रहा है जिसमें उच्च कोटि के शोध पत्रों को प्रकाशित किया जाता है, जो कि सराहनीय है।
प्यारे बच्चों,
यदि आप वास्तव में जिम्मेदारी ले सकते हैं तो आपके लिए पूरा आसमां खुला है। आप भी 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान दे सकते हैं।
आप नेशन फस्ट के मंत्र को आत्मसात कर, जिम्मेदारी के साथ अपने कार्यों को करें और आप जहां भी हों, राज्य और भारत का गौरव बढ़ाएं, आपसे ऐसी अपेक्षा करता हूं।
मैं, सभी छात्रों को अपने जीवन में एक प्रमुख मील का पत्थर हासिल करने के लिए सक्षम बनाने में आपके निरंतर प्रयासों के लिए विश्वविद्यालय के प्रबंधन, कुलपति, संकाय और सभी कर्मचारियों को बधाई देता हूं।
साथ ही सभी उत्तीर्ण स्नातकों को भी बधाई देता हूं और उनके भावी जीवन सफल होने के लिए शुभकामनाएं प्रदान करता हूं।
जय हिन्द!