राज्यपाल ने ‘‘कोविड -19 के दौरान और बाद में पर्यावरण प्रबंधन’’ विषय पर आयोजित 10 वां एक्सीड पर्यावरण और सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।
राजभवन देहरादून 08 अक्टूबर, 2021
राज्यपाल ले ज गुरमीत सिंह (से नि) ने शुक्रवार को ‘‘कोविड -19 के दौरान और बाद में पर्यावरण प्रबंधन’’ विषय पर राजपुर रोड स्थित एक स्थानीय होटल में आयोजित 10 वां एक्सीड पर्यावरण और सीएसआर पुरस्कार और सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि आज हम सब यहाँ विश्व की सबसे ज्वलंत दो समस्याओं के प्रबंधन और समाधान के विषय पर मंथन करने के लिए एकत्र हुए हैं। जिस समस्या और संकट पर विचार करते हुए यह सम्मेलन आयोजित किया गया वह विषय हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन के आयोजन से कोविड प्रभावित हर एक व्यक्ति और संस्थानों के हित में कुछ महत्वपूर्ण चिन्तन मनन होगा तथा लाभकारी बिन्दु सामने आयेंगे। आपकी यह पहल, संचालन, समाधान निश्चित ही सही दिशा में बढ़ रहा है। यह प्रयास हर भारतीय को एक अलग ही दिशा, गति, स्तर पर ले जायेगा।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है, मनुष्य के पास ही समाधान होता है बशर्ते की समस्या और कठिनाई से निकलने का विचार हमारे मस्तिष्क में आने लगे। एक बार जब समाधान निकालने का निश्चय करते हैं तो सब कठिनाईयों के हल हमें मिलने लगते हैं। दशम गुरू ने कहा था कि ‘‘निश्चय कर अपनी जीत करू’’।
राज्यपाल ने कहा कि कोविड ने हमें कई शिक्षाएं दी। हमने अपने समाधान स्वयं निकाले। हम वैक्सीन के निर्माण में आत्मनिर्भर हुये। वैक्सीनेशन का आंकड़ा 100 करोड़ से अधिक पहुंच चुका है। इसके पीछे कुशल मैनेजमेंट, सोच, लीडरशिप है। हमने एक दिन में दो करोड़ से अधिक वैक्सीनेशिन का रिकॉड बनाया। कल ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने योग नगरी, आधात्मिक नगरी, पर्यटन नगरी ऋषिकेश से देशभर के 35 पीएएस ऑक्सीजन प्लाण्टों का लोकापर्ण किया।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि हमारे आज के सम्मेलन का विषय ‘कोरोना पश्चात पर्यावरण प्रबंधन’ है। यह अच्छी सोच है। कोविड के कारण मानव जीवन की अपार क्षति हुई ये तो हम सभी ने देखा लेकिन मानव जीवन की रक्षा के लिए जो भी सामान उपकरण इस्तेमाल किये गये और किये जा रहे हैं, उनसे प्रकृति और पर्यावरण दूषित भी हुआ है और इस सामग्री का बहुत ज्यादा मात्रा में पर्यावरण में प्रवेश हो गया है। मास्क, फेसशील्ड, पी.पी.ई किट, सैनेटाइजर अन्य सामान जो भी मानव सुरक्षा के काम आ रहे हैं, उनके उचित निपटान न होने के कारण प्रकृति में प्रदूषण का भार बढ़ रहा है, जो कि हर बुद्धिजीवी की चिंता का विषय है।
राज्यपाल ने कहा कि कोरोना महामारी ने सम्पूर्ण विश्व व समाज के सामने अनेक प्रकार की कठिन चुनौतियां खड़ी कर दी है। पूरी दुनिया इससे प्रभावित हुई है। भारत में भी ऐसा कोई वर्ग नहीं जिस पर कोरोना महामारी का असर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से न पड़ा हो।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि हर छोटा-बड़ा उद्योग और जन जीवन किस प्रकार कोरोना से प्रभावित हुआ यह भी हमने देखा और अनुभव किया पर्यावरण संरक्षण सभी लोगां की जिम्मेदारी है। प्रत्येक नागरिक को इसकी सुरक्षा के लिये सोचना और कार्य करना होगा।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि हम सभी 02 साल पहले तक कई तरह की सुरक्षा, आत्मरक्षा आदि शब्दों को सुन, समझ और सीख चुके थे लेकिन कोरोना आने के बाद हम सभी ने स्वास्थ्य सुरक्षा के बारे में सीखा है। अब हम सभी अपने और अपने परिवारों की स्वास्थ्य की सुरक्षा कोरोना से करना सीख गये हैं। मास्क, सैनेटाइजर, टीकाकरण जैसे रक्षा कवच ने हमारे जीवन में स्थान बना लिया है। हम दूसरे को भी यह सीख देने लगे हैं कि कोरोना के विभिन्न सुरक्षा उपयों का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना है और सुरक्षित रहना है। ठीक वैसे ही हमें पर्यावरण और उद्योगों को भी कोरोना की उपस्थिति के बावजूद सुरक्षा कवच उपलब्धकराते हुए आगे बढ़ना है।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों ने निश्चित ही स्वास्थ्य क्षेत्र और उद्यमों को मजबूती देने के लिए बेहतर प्रबन्धन और नीति निर्धारण किया है। अब हमारे समक्ष मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और उद्योगों को पूर्व की भाँति सशक्त बनाने की चुनौती है। उम्मीद है कि इस सम्मेलन में सम्मिलित होने वाले विद्वान उक्त बातों पर चिंतन मनन करके एक सतुंलित नीति और उपायों को साझा करेंगे जो कोरोना संकट के बाद पर्यावरणीय दृष्टि से विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन नीति बन सके।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कोरोना के बाद जब पूरी दुनिया आर्थिक संकट से निपटने के उपाय ढूँढ रही है तब भारत में प्रत्यक्ष निवेश की दिशा में सरकार द्वारा किये गये नीतिगत सुधारों, निवेश की सिवधा और व्यापार करने में किये गये आसान उपायों के परिणामस्वरूप देश में एफडीआई प्रवाह में बढोतरी हुई है। हम फिर से सब चुनौतियों को स्वीकार करते हुए नये वातारण की हर कठिनाई को पार करते हुए मबजूत इरादों के साथ सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक, हेल्थ सेक्टर में संगठित होकर आगे बढ़ रहे हैं।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि हेल्थ सेक्टर सुविधाओं में हमने जो कर दिखाया है वह पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे आवश्यकता के अनुसार वेंटिलेटर का निर्माण, स्वदेशी कोविड टीके का निर्माण और दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान हमने संपादित किया, जरूरत बढ़ने पर दस गुना से भी ज्यादा ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाया जाना, पी.पी.ई. किट के निर्यातक बनना ये किसी और ने नहीं हमारे ही वैज्ञानिक, हमारे ही चिकित्सक और हमारे मैन्युफैक्चरर्स ने किया है।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि कोरोना ने पूरी दुनिया को जब त्रास्दी और संकटों की भयावह तस्वीर दिखाई तो वहीं दूसरी तरफ समाज के ही बीच से कुछ अच्छाई ओर सद्भावना से काम करने वाले लोग, संगठन और संस्थाओं ने सामने आकर मानवता, समरसता और सहयोग की मिसाल समाज के सामने पेश की। हमें कोरोना ने संगठित रहना, अनुशासन से सुरक्षित बने रहना, धैर्य न छोड़ना, कमजोर का सहयोग करना सिखाया। महामारी ने तकनीकी के महत्व को समझाया है, यह बेहद सराहनीय है कि कई उद्योगों ने पहल करते हुये पर्यावरण संरक्षण की दिशा में डिजिटाइजेशन, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, ऑटोमेशन तथा इन्टरनेट ऑफ थिंग्स जैसी स्मार्ट तकनीक को अपनाया है और अपने उद्यमों में प्रोत्साहित किया है।
राज्यपाल ले. ज. गुरमीत सिंह ने कहा कि हमें उद्योगों में नये-नये विचारों एवं अविष्कारों को प्रोत्साहित करना होगा। ऊर्जा की खपत को कम से कम करने का प्रयास करना होगा। वायु एव जल प्रदूषण एवं ठोस कूड़े का सही निपटान करना होगा। आशा है कि हमारी सामूहिक जागरूकता और सतर्कता कोरोना के भयावह तस्वीर को पुनः देश में आने नहीं देगी। इस सम्मेलन से हम उद्योगों में पर्यावरण हितैषी परम्पराओं को प्रोत्साहित कर पायेंगे तथा कोरोना महामारी से प्रभावित पर्यावरण और उद्योगों में समन्वय स्थापित करने में सफल होंगे।
गौरतलब है कि सस्टेनेबल डिवलपमेंट फाउण्डेशन की यूनिट ‘एक काम देश के नाम’ वर्ष 2007 से सामाजिक उत्थान के कार्यों में लगी हुई है।
कार्यक्रम में सस्टेनेबल डिवलपमेंट फाउण्डेशन के प्रेसिडेंट श्री राजीव बब्बर तथा अन्य सदस्य उपस्थित थे।