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    29-07-2025 : उत्तराखण्ड से गणतंत्र दिवस परेड शिविर में प्रतिभाग करने वाले एन.एस.एस. स्वयंसेवकों को माननीय राज्यपाल का संबोधन

    प्रकाशित तिथि: जुलाई 29, 2025

    जय हिन्द!

    मेरे प्रिय एन.एस.एस. स्वयंसेवकों,

    आज आप सभी से भेंट कर हृदय को गहरी प्रसन्नता मिली है। मैं आप सभी को, विशेष रूप से उन चार स्वयंसेवकों को, जिन्होंने गणतंत्र दिवस परेड-2025 में उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व किया, हार्दिक बधाई देता हूँ। आपने न केवल राज्य, बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ाया है। आप अनुशासित और समर्पित, जागरूक युवा उत्तराखण्ड की युवा शक्ति की पहचान और प्रेरणास्रोत हैं।

    एन.एस.एस. की परंपरा, सेवा, अनुशासन और राष्ट्रीय चेतना की मिसाल रही है। यह अत्यंत गर्व की बात है कि राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस.) का पहला गणतंत्र दिवस परेड शिविर वर्ष 1988 में आरम्भ हुआ था, और आज, चार दशकों बाद भी यह परम्परा व उद्देश्य और अधिक प्रासंगिक और प्रभावी होते जा रहे हैं।

    दिल्ली में आयोजित होने वाला यह विशेष शिविर न केवल स्वयंसेवकों को गणतंत्र दिवस परेड में भागीदारी का गौरव देता है, बल्कि उन्हें विविधताओं से भरे इस महान देश के अन्य हिस्सों के युवाओं से संवाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बंधने का अवसर भी प्रदान करता है।

    मैं बी.आई.टी. पटना, बिहार में आयोजित पूर्व गणतंत्र दिवस शिविर में चयनित 16 स्वयंसेवकों और विशेष रूप से उन चार श्रेष्ठ चयनित स्वयंसेवकों की प्रशंसा करता हूँ जिन्होंने 1 से 31 जनवरी 2025 तक दिल्ली शिविर में उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व करते हुए कर्तव्य पथ पर 26 जनवरी को गौरवशाली परेड में भाग लिया। आपसे मिलने के पश्चात यह स्पष्ट हो जाता है कि उत्तराखण्ड की युवा पीढ़ी राष्ट्र निर्माण की दिशा में पूरी निष्ठा से जुटी हुई है।

    आप सभी ने शिविर के दौरान महामहिम राष्ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति जी से भेंट की, यह आपके जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव होगा, जो आपको सदैव प्रेरित करता रहेगा। यह अवसर न केवल सम्मान है, बल्कि आपके कन्धों पर बड़ी जिम्मेदारी का आह्वान भी है।

    मैं यह देखकर अत्यंत प्रसन्न हूँ कि आप सभी स्वयं सेवक केवल शिविरों तक ही सीमित नहीं रहते हैं, बल्कि समाज सेवा के विविध क्षेत्रों में निरंतर योगदान दे रहे हैं।

    आपके द्वारा ‘‘एक पेड़ माँ के नाम’’ अभियान के अंतर्गत 28,000 से अधिक वृक्षारोपण, स्वच्छता ही सेवा अभियान में सक्रिय भागीदारी, रक्तदान शिविरों का संचालन – ये सभी गतिविधियाँ सराहनीय ही नहीं, बल्कि प्रेरणादायक हैं।

    आप सभी ‘‘स्वयं से पहले आप’’ की भावना को जीते हैं। यही भावना एन.एस.एस. की आत्मा है। यही भावना भारत को महान बनाती है। जब एक युवा यह सोचता है कि ‘‘मैं समाज के लिए क्या कर सकता हूँ’’, तभी एक सशक्त, आत्मनिर्भर और समरस भारत का निर्माण होता है।

    राष्ट्रीय सेवा योजना का मूल उद्देश्य ‘‘समाज सेवा के माध्यम से विद्यार्थियों का व्यक्तित्व विकास’’ केवल विचार नहीं, बल्कि आपके जीवन में दिखाई दे रहा है। आप सहिष्णुता, सहभागिता, सेवा भाव, स्वावलंबन और स्वदेश प्रेम के जीवंत उदाहरण बन चुके हैं।

    मुझे विश्वास है कि आप सभी आने वाले समय में भी राष्ट्रीय एकता, अखंडता, समरसता और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता देंगे। देश के प्रति यह समर्पण ही राष्ट्र सर्वाेपरि और राष्ट्र प्रथम की भावना को मजबूत करता है। भारत का गौरवशाली इतिहास हमें यही सिखाता है कि जब युवा जागरूक होता है, तभी राष्ट्र जागरूक होता है।

    आज भारत जिस दिशा में अग्रसर है, उसमें हमारी युवा शक्ति सबसे बड़ी ताकत है। यही युवा भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगे, यही युवा भारत को सुरक्षित बनाएंगे, और यही युवा भारत को विकसित राष्ट्र और विश्वगुरु बनाएंगे।

    मैं आप सबसे विशेष आग्रह करता हूँ – आप नैतिक मूल्यों को अपने जीवन का मूल मंत्र बनाएं, हर प्रकार के नशे से सदैव दूर रहें, समाज में जागरूकता फैलाएं, आदर्श नागरिक के रूप में कार्य करें, पर्यावरण संरक्षण को जन अभियान बनाएं और अपने आस-पास स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा दें।

    प्रिय युवाओं,

    आपकी ऊर्जा, आपकी लगन, आपकी सेवा भावना ही देश की उम्मीद है। आपके विचारों में भारत का भविष्य छिपा है। आप जहाँ भी जाएँ, अपने व्यवहार, सोच और कार्यों से उत्तराखण्ड और भारत का नाम रोशन करें। आपकी आँखों में जो चमक है, वह केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों की नहीं, बल्कि भारत के उज्ज्वल भविष्य की है।

    मैं एनएसएस के समस्त अधिकारियों, कार्यक्रम समन्वयकों और स्वयंसेवकों को उनके इस अनुकरणीय योगदान के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। आपका यह समर्पण ‘नए भारत’ के निर्माण में मील का पत्थर सिद्ध होगा।

    आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें – ‘‘हम राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों का पूरी निष्ठा, ईमानदारी और समर्पण से निर्वहन करेंगे। हम भारत को सुरक्षित, स्वावलंबी और विश्वगुरु बनाने की दिशा में निरंतर कार्य करते रहेंगे।’’

    आप सबके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।

    जय हिन्द!