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    29-06-2025 : “ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग” पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: जून 29, 2025

    जय हिन्द!

    आज की इस शुभ बेला में ‘‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग’’ पुस्तक के लोकार्पण के इस गरिमामय अवसर पर आप सभी के मध्य उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता और गर्व की अनुभूति हो रही है।

    यह पुस्तक न केवल एक अधिकारी के असाधारण सैन्य जीवन की गाथा है, बल्कि यह एक प्रेरक दस्तावेज भी है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक का कार्य करेगी। एक महत्वपूर्ण प्रेरणादायी संस्मरण ‘‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग’’ लेखन के लिए मैं जनरल शक्ति गुरुंग जी को हृदय से बधाई देता हूँ।

    इस पुस्तक के लेखक, लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग न केवल भारतीय सेना के एक तेजस्वी और कुशल सेनानायक रहे हैं, बल्कि वह एक प्रेरक विचारक और गहन अनुभवों के धनी व्यक्ति भी हैं। मैं यह साझा करते हुए अत्यंत गौरव की अनुभूति कर रहा हूँ कि जनरल गुरुंग और मैं, दोनों ने सैन्य सेवा में एक साथ नौगाम सेक्टर, कश्मीर घाटी में ब्रिगेड की कमान संभाली थी। हम दोनों ने उन चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है, जिनका हमारे सैनिक हर दिन सामना करते हैं और बिना किसी शिकायत के “राष्ट्र प्रथम” की भावना से प्रेरित होकर अपना कर्त्तव्य निभाते हैं।
    यह मेरे लिए बहुत गर्व और सम्मान की बात है कि उन्होंने मुझे इस मंच पर यह विशेष अधिकार दिया है। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि रक्षा सेवाओं के अनुभवी जांबाजों को अपनी सेवा के अनुभव और विशेषज्ञता को किसी भी रूप में अपनी युवा पीढ़ी के लाभ के लिए उनसे साझा करना चाहिए। जनरल गुरुंग ने इसे अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझा, इसलिए मैं इस बेहतरीन प्रयास के लिए उन्हें बधाई और शुभकामना देता हूँ।

    सैनिकों का जीवन अनुशासन, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा का पर्याय है। जब हम अपने घरों में चैन की नींद लेते हैं, तब सीमाओं पर खड़े हमारे वीर सैनिक, हर क्षण सजग रहते हैं। उनका समर्पण और सतर्कता ही हमारे महान राष्ट्र की अखंडता और सुरक्षा का मूल आधार है। सेना की यह निरंतर जागरूकता ही है जो हमें वह निश्चिंतता प्रदान करती है, जिसमें हम जीवन और प्रगति के अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ सकते हैं।

    जनरल गुरुंग की यह पुस्तक केवल एक आत्मकथा नहीं है, यह एक ‘कॉल टू एक्शन’ है- युवा पीढ़ी को, नीति निर्माताओं को और हर उस व्यक्ति को जो राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनना चाहता है। इस पुस्तक में उन्होंने जिन अनुभवों को साझा किया है, वे अत्यंत मूल्यवान हैं। मैं बार-बार यह कहता आया हूँ कि हमारे सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों को अपने अनुभवों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना चाहिए, ताकि युवा सैनिकों और समाज को इससे मार्गदर्शन और प्रेरणा मिल सके।

    हमारा महान राष्ट्र आज एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत न केवल वैश्विक मंच पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर भी दृढ़ता से अग्रसर है। इस दिशा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे सैन्य अभियान, भारत के सैन्य कौशल, रणनीतिक क्षमता और आत्मनिर्भरता की स्पष्ट मिसाल हैं।

    यह अभियान इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया करने वाला देश नहीं, बल्कि निर्णय लेने वाला राष्ट्र बन चुका है। हमारे सैनिकों की निपुणता, साहस और तकनीकी आत्मनिर्भरता ने भारत को एक सैन्य महाशक्ति के रूप में स्थापित किया है।

    मुझे प्रसन्नता है कि ‘‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग’’ में जनरल गुरुंग ने न केवल अपनी सेवा के विशिष्ट अनुभवों को साझा किया है, बल्कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों, जम्मू-कश्मीर और म्यांमार जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी भूमिका के माध्यम से, भारत की सामरिक रणनीति और सैन्य कूटनीति का गहराई से विश्लेषण भी प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक के पन्नों में जो सीखें समाहित हैं, वे न केवल सैनिकों के लिए बल्कि सिविल सेवकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और सामान्य नागरिकों के लिए भी समान रूप से उपयोगी हैं।

    सैनिकों से हम न केवल साहस और पराक्रम की प्रेरणा पाते हैं, बल्कि हमें यह भी सीखने को मिलता है कि ‘कर्तव्य’ क्या होता है। भारतीय सेना में वह क्षमता है कि वह नेतृत्व, नैतिकता और राष्ट्र सेवा के उच्चतम मानकों को स्थापित करे। मेरा यह दृढ़ मत है कि यदि हर नागरिक अपने कार्यक्षेत्र में सैन्य अनुशासन, निष्ठा और दक्षता को अपनाए, तो “विकसित भारत” और “विकसित उत्तराखण्ड” का लक्ष्य दूर नहीं है।

    वास्तव में, उत्तराखण्ड जैसा वीरभूमि प्रदेश, जहाँ का प्रत्येक परिवार सेना से जुड़ा है, वहाँ युवाओं को प्रेरणा देने के लिए ऐसे संस्मरण अत्यंत उपयोगी हैं। यह प्रदेश न केवल वीरता की भूमि है, बल्कि यह एक नई चेतना का केंद्र भी बनता जा रहा है- जहाँ ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना बचपन से ही प्रत्येक बच्चे के अंतर्मन में बैठ जाती है।

    मैं विशेष रूप से जनरल गुरुंग द्वारा पुस्तक के अंतिम अध्याय में दिए गए ‘जीवन के बीस सबक’ की सराहना करता हूँ। यह केवल एक अनुभवी सैन्य अधिकारी की सीख नहीं है, यह जीवन का व्यावहारिक दर्शन है, जिसे हर पाठक अपने जीवन में आत्मसात कर सकता है।

    आज जब हम विकसित भारत की कल्पना कर रहे हैं, तब हमें यह भी स्मरण रखना होगा कि विकास केवल बुनियादी ढांचे, तकनीक या अर्थव्यवस्था से नहीं होता। यह नागरिकों की चेतना से होता है। जब प्रत्येक नागरिक अपने दायित्वों के प्रति सजग होगा, तभी सशक्त भारत का निर्माण संभव होगा। और इस चेतना का बीज बोने का कार्य हमारे वीर सैनिकों की जीवन गाथाएँ, उनके अनुभव और उनके द्वारा बताए गए मूल्य बेहतर रूप में कर सकते हैं।

    मुझे विश्वास है कि ‘‘ब्रेकिंग द ग्लास सीलिंग’’ न केवल एक प्रेरणादायक संस्मरण के रूप में अपनी पहचान बनाएगी, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ के रूप में भी स्थापित होगी।

    मैं पुनः इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल शक्ति गुरुंग को इस अद्वितीय प्रयास के लिए हृदय से बधाई देता हूँ और इस आयोजन को अपनी उपस्थिति से गरिमा प्रदान करने के लिए आप सभी का आभार व्यक्त करता हूँ।

    जय हिन्द!