29-04-2025:सूर्या ड्रोन टेक 2025 कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
आदरणीय अतिथिगण, सम्मानित आयोजकगण, नवाचार के अग्रदूत, उत्साही प्रतिभागी एवं मीडिया प्रतिनिधि, जय हिन्द,
यह मेरे लिए अत्यंत हर्ष और गौरव का विषय है कि मैं आज इस ऐतिहासिक अवसर, ‘‘सूर्य ड्रोन टेक 2025’’ में आप सबके बीच उपस्थित हूँ। इस आयोजन की मेजबानी उत्तराखण्ड जैसे जीवंत और प्रगतिशील राज्य में होना, हमारे लिए दोहरी खुशी का अवसर है। मैं इस मंच से सभी प्रतिभागियों, आयोजकों और अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ।
आज जब मैं इस सभागार में उपस्थित आप सभी जोशीले नवप्रवर्तकों, अभियंताओं, उद्यमियों और नीति-निर्माताओं को देखता हूँ, तो मुझे एक उभरते भारत की झलक दिखाई देती है – एक ऐसा भारत जो भविष्य को अपने हाथों से गढ़ने के लिए तैयार है। ड्रोन टेक्नोलॉजी में आपकी रुचि और इस क्षेत्र में संभावनाओं पर आपका विश्वास, हमारे राष्ट्र को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का संकल्प दर्शाता है। यह प्रदर्शनी न केवल तकनीकी प्रगति का साक्षी है, बल्कि यह भी प्रमाण है कि ड्रोन तकनीक किस प्रकार हमारे भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ कि जब भी मैं राज्यपाल के रूप में अपने सुंदर प्रदेश के बारे में सोचता हूँ तो मुझे यह विश्वास होता है कि यहाँ तकनीकी विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाले उद्यमियों के लिए बहुत सारी संभावनाएँ विद्यमान हैं। सच कहूँ, तो उत्तराखण्ड और ड्रोन टेक्नोलॉजी का मिलन, एक स्वर्णिम अवसर के समान हैं। उत्तराखण्ड का अनूठा भूगोल, बर्फ से ढकी हिमालयी चोटियाँ, घने वन, गहरी घाटियाँ और उपजाऊ मैदान – अपने भीतर अपार संभावनाएँ और चुनौतियाँ समेटे हुए है। ऐसे में, ड्रोन तकनीक हमें असाधारण अवसर प्रदान करती है।
चाहे बात हो आपदा प्रबंधन की, दूरस्थ गाँवों तक दवाइयाँ पहुँचाने की, या फिर सीमावर्ती क्षेत्रों में त्वरित संचार व्यवस्था स्थापित करने की, ड्रोन टेक्नोलॉजी उत्तराखण्ड के लिए गेमचेंजर बन सकती है। कल्पना कीजिए, भूस्खलन से कटे हुए गाँवों तक कुछ ही मिनटों में जीवनरक्षक दवाइयाँ पहुँचाई जा सकती हैं। आपातकालीन राहत कार्यों में, जहाँ हर सेकंड कीमती होता है, ड्रोन हमारी सबसे बड़ी ताकत बन सकते हैं। यह कोई दूर का सपना नहीं है, बल्कि एक सजीव यथार्थ है, जिसे हम सूर्य ड्रोन टेक 2025 जैसे आयोजनों के माध्यम से और निकट ला रहे हैं।
साथियों,
भारत एक कृषि प्रधान देश है, उसी प्रकार उत्तराखण्ड भी एक कृषि प्रधान राज्य है। हमारी अर्थव्यवस्था और संस्कृति दोनों में कृषि का विशेष स्थान है। आज, ड्रोन तकनीक किसानों के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकती है। ड्रोन में लगे आधुनिक सेंसर और इमेजिंग तकनीक से किसान अपनी फसलों के स्वास्थ्य, मिट्टी की स्थिति और सिंचाई की जरूरतों का सटीक आकलन कर सकते हैं। सटीक कृषि (च्तमबपेपवद ।हतपबनसजनतम) के माध्यम से न केवल उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि संसाधनों का भी दक्ष उपयोग संभव होगा। कम पानी, कम उर्वरक, और कम श्रम में बेहतर उत्पादन – यही है भविष्य की खेती, जिसे ड्रोन संभव बना रहे हैं। इससे किसानों की आय बढ़ेगी, पर्यावरणीय प्रभाव घटेगा, और उत्तराखण्ड की अर्थव्यवस्था को नया बल मिलेगा।
साथियों,
उत्तराखण्ड की पहचान उसके सुरम्य प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक स्थलों से है। पर्यटन हमारे राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। ड्रोन के माध्यम से हम पर्यटन को नई ऊँचाइयां दे सकते हैं, इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्वे, भव्य हवाई फोटोग्राफी, और पर्यटकों के लिए अद्भुत अनुभव, ये सभी ड्रोन तकनीक से संभव हैं। साथ ही, वनों की निगरानी, वन्यजीव संरक्षण, और अवैध कटान या शिकार पर नियंत्रण में भी ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हम अपने प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा में एक सशक्त उपकरण प्राप्त कर रहे हैं।
साथियों,
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने एक स्पष्ट लक्ष्य रखा है, कि हम सभी को मिलकर भारत को ड्रोन तकनीक का वैश्विक अग्रणी बनाना है। आज देशभर में लगभग 270 स्टार्टअप ड्रोन क्षेत्र में कार्यरत हैं। 2026 तक भारत में ड्रोन उद्योग का आकार 5000 करोड़ रुपए तक पहुँचने की संभावना है, जो 2029 तक बढ़कर 12000 करोड़ रुपए हो सकता है। 27,000 से बढ़ाकर 10 लाख ड्रोन संचालन का लक्ष्य बनाना, अपने आप में एक परिवर्तनकारी संकल्प है। ड्रोन भारत के विकास में नया इंजन बन रहे हैं, कृषि, लॉजिस्टिक्स, आपदा प्रबंधन, रक्षा, और कानून व्यवस्था हर क्षेत्र में।
भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना – सभी ड्रोन तकनीक को अपनी क्षमताओं में शामिल कर रहे हैं। सर्विलांस, टोही (त्मबवददंपेेंदबम), कॉम्बैट सपोर्ट, स्ट्राइक मिशन – हर मोर्चे पर ड्रोन निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। आज भारत में स्वार्म ड्रोन, लॉइटरिंग म्यूनिशन्स, टैक्टिकल न्।टे, टेदरड ड्रोन और अत्याधुनिक सर्विलांस ड्रोन का निर्माण हो रहा है। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उत्तराखण्ड भी ड्रोन हब बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ैप्क्ब्न्स् द्वारा राज्य में ड्रोन उद्योग के विकास के लिए जो पहल की गई है, वह अत्यंत सराहनीय है। ‘‘स्टेट ड्रोन प्रमोशन एण्ड यूसेज पॉलिसी’’ के अंतर्गत 1000 करोड़ रुपए तक के निवेश और 5000 युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। उत्तराखण्ड, अपनी रणनीतिक स्थिति, विविध भूगोल और नवाचार के प्रति खुले दृष्टिकोण के साथ, ड्रोन प्रौद्योगिकी का अग्रदूत राज्य बन सकता है। हम न केवल तकनीकी विकास को बढ़ावा देंगे, बल्कि अपने युवाओं को भी भविष्य के लिए तैयार करेंगे।
साथियों,
आज का ये कार्यक्रम, ‘‘सूर्या ड्रोन टेक 2025’’ एक नवाचार का उत्सव है। सूर्य ड्रोन टेक 2025 एक अनूठा मंच प्रदान कर रहा है, जहाँ उद्योग जगत, नीति-निर्माता, निवेशक, निर्माता और शोधकर्ता – सभी एक साथ आ रहे हैं। इस आयोजन में देशभर से 42 डेवलपर्स और 90 से अधिक प्रोडक्ट्स का पंजीकरण हुआ है, जो इस क्षेत्र में अदम्य ऊर्जा और उत्साह का परिचायक है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि सूर्य ड्रोन टेक 2025 न केवल तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देगा, बल्कि नए सहयोग, नए विचार और नए अवसर भी पैदा करेगा। यह आयोजन उत्तराखण्ड के लिए एक मील का पत्थर सिद्ध होगा, और पूरे भारत को ड्रोन तकनीक में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करेगा। मैं आयोजकों, प्रतिभागियों और सभी हितधारकों को इस अद्भुत प्रयास के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ।
आइए, हम सभी मिलकर इस उड़ान को और ऊँचाइयों तक पहुँचाएँ।
जय हिन्द!
जय उत्तराखण्ड!