29-03-2024 : ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आयोजित गोष्ठी में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
जय हिन्द!
आप सभी को शुभ संध्या। ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित आज की इस शाम में आप सभी के बीच पहुँच कर मुझे प्रसन्नता हो रही है।
आज उपस्थित प्रख्यात वक्ता एक बहुत ही प्रासंगिक विषय पर चर्चा करेंगे जिसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं या चर्चा नहीं करते हंै, और ये विषय है स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता और सुरक्षा के उपाय।
हम सब जानते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता ही बचाव है। इसके प्रति खासकर महिलाओं को जागरूक करने की अधिक आवश्यकता है, क्योंकि महिलाएं ही इससे अधिक प्रभावित होती हंै।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि यदि हम दृढ़ संकल्प लें तो स्तन कैंसर को हरा सकते हैं। डब्ल्यू.एच.ओ. के अनुसार, ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं को होने वाला सबसे आम कैंसर है। ऐसे में इसके कारण, लक्षण और अवसाद के उपायों को जानना जरूरी है, जिससे समय पर इलाज के लिए सही कदम उठाए जा सकें।
आज विश्व स्तर पर, स्तन कैंसर महिलाओं में मृत्यु का प्रमुख कारण बन गया है। जागरूकता और शीघ्र पता लगाने से, इसके बढ़ते बोझ को रोका जा सकता है और यह स्तन कैंसर के खिलाफ लड़ाई में पहला कदम है।
महिलाओं में प्रारंभिक अवस्था में शर्मीलापन और भय प्रमुख व्यावहारिक बाधाएं हैं। निम्न आर्थिक वर्ग की वित्तीय परेशानी भी इलाज में देरी के रूप में एक बड़ा कारण है। इस बीमारी के बारे में, विशेषकर निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग में जागरूकता का अभाव है। अपने स्वयं के स्वास्थ्य और सामाजिक और व्यावहारिक बाधाओं को प्राथमिकता देने में महिलाओं में दुविधा रहती है। इसलिए समाज में विभिन्न स्तरों पर उपयुक्त जागरूकता अभियान चलाए जाने जरूरी हैं।
स्तन कैंसर वैश्विक स्तर पर महिलाओं में होने वाले सबसे आम कैंसरों में से एक है, जिसके हर साल लगभाग 1.7 मिलियन से अधिक नए मामले सामने आते हैं और 5 लाख 22 हजार मौतें होती हैं, जिससे यह दुनिया भर के 140 देशों में महिलाओं में सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर बन गया है।
हालाँकि, इसके उपचार से संबंधित कई मिथक अभी भी मौजूद हैं, खासकर एशियाई महिलाओं के बीच। उनमें से अधिकांश को स्तन कैंसर के सामान्य प्रारंभिक संकेतों और लक्षणों के बारे में पता नहीं है, जो कम स्क्रीनिंग दरों और उपचार में देरी से बढ़ता जाता है।
कई अध्ययनों से पता चला है कि स्तन कैंसर के बारे में महिलाओं की जागरूकता बढ़ाकर निदान और उपचार में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सकता है। इसलिए इस दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
अब यह तथ्य स्पष्ट हो गया है कि जागरूकता और शीघ्र पता लगाने से बीमारी के बढ़ते बोझ को रोका जा सकता है और यह ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ लड़ाई में पहला कदम है। हालाँकि, ऐसे अध्ययनों एवं जागृति कार्यक्रम की कमी है जो भारत में स्तन कैंसर के प्रति निःसंकोच रूप से विचार-विमर्श कर सकें।
मुझे इस बात की बेहद ख़ुशी है कि आज इस कार्यक्रम के लिए हमारे साथ कई डॉक्टर्स, विभिन्न क्षेत्रों की महिलाएँ, तुलाज इंस्टीट्यूट, उत्तरांचल विश्वविद्यालय की छात्राएँ और वेल्हम गल्र्स स्कूल की शिक्षिकाएं भी शामिल हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि प्रस्तुत कार्यक्रम के माध्यम से सभी इस विषय के प्रति जागरूक होंगी और अन्य महिलाओं को भी इसके प्रति जागरूक करेंगी।
ब्रेस्ट कैंसर, भारत समेत दुनियाभर में महिलाओं में होने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (प्ब्डत्) के हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दिल्ली समेत देश के अन्य चार राज्यों में सबसे ज्यादा स्तन कैंसर का जोखिम देखा गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्य में रहने वाली महिलाओं में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर की बीमारी का खतरा है और इन राज्यों में सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर के मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, इस अध्ययन में यह आशंका भी जताई गई है कि 2025 तक भारत में स्तन कैंसर के 56 लाख मामले सामने आ सकते हैं, जो बहुत ही चिंता का विषय है।
ब्रेस्ट कैंसर विश्व स्तर पर बढ़ती एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता है। भारत में तो हर चार मिनट में एक महिला का निदान होने से यह सबसे आम कैंसर बन जाता है। 50 प्रतिशत महिलाओं में उन्नत चरणों में निदान होता है जिसके कारण मृत्यु दर लगभग 45 प्रतिशत हो जाती है।
इसलिए भारत में स्तन कैंसर निदान के एक्सलेटेड स्टेज, और बढ़ती मृत्यु दर को देखते हुए महिलाओं में कैंसर साक्षरता को बढ़ाना जरूरी है।
हमें स्तन कैंसर के उपचार और कार्य संतुलन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, यह चिंता की बात है कि भारत में लगभग 48 प्रतिशत स्तन कैंसर 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में हो रहे हैं। भारत में इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ रोकथाम और शीघ्र पता लगाने के बाद उचित उपचार की आवश्यकता है।
आज के समय में गतिहीन जीवन शैली, देर से विवाह, देरी से बच्चे का जन्म, जागरूकता की कमी, स्क्रीनिंग और उपचार तक सीमित पहुंच स्तन कैंसर के मुख्य कारक हैं। स्तन कैंसर को कुछ मामलों में रोका जा सकता है और अधिकांश मामलों में इसका इलाज किया जा सकता है। लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि महिलाएं इसके प्रति सचेत हो जाएं।
वैश्विक स्तर पर साल-दर साल कैंसर रोगियों और मृतकों की संख्या बढ़ रही है। भारत में बीते सालों में कैंसर के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 2022 में लगभग 10 मिलियन लोगों की मृत्यु कैंसर के कारण हुई।
सरकार का 1.64 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना के पीछे एक उद्देश्य है कि प्राथमिक कैंसर जांच पहले चरण में ही की जाए। आयुष्मान भारत योजना ने न सिर्फ करोड़ों लोगों की जान बचाई है बल्कि उन्हें गरीबी रेखा से नीचे जाने से भी बचाया है।
वर्तमान में स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में होने वाले सभी कैंसर का लगभग एक चैथाई (23ः) है। विकासशील देशों में बढ़ते अनुपात के साथ, वर्ष 2030 तक स्तन कैंसर का वैश्विक बोझ 2 मिलियन से अधिक होने की उम्मीद है, जोकि सोचनीय विषय है।
ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए दिल से आपकी प्रशंसा करता हूँ। साथ ही ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जन जागरूकता के लिए आयोजित इस गोष्ठी के आयोजकों को मैं हार्दिक धन्यवाद देता हूँ, मुझे विश्वास है कि आपके नेक प्रयास सफल होंगे और निकट भविष्य में इससे देशभर की महिलाओं को इस बीमारी से निजात मिल पाएगी।
जय हिन्द!