29-01-2025 : भारतीय वन्यजीव संस्थान में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
जय हिन्द!
वन्यजीव शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त, भारतीय वन्यजीव संस्थान में प्रथम बार आकर मुझे अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है।
हाल ही में, भारतीय वन्यजीव संस्थान को भारत सरकार द्वारा संचालित मिशन कर्मयोगी के तहत कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन द्वारा 4-स्टार रेटिंग प्रदान की गयी है। इस उपलब्धि के लिए, मैं भारतीय वन्यजीव संस्थान के निदेशक, वैज्ञानिकों तथा समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों को बधाई देता हूँ।
मैं 39वें सर्टिफिकेट कोर्स के सभी पदक विजेताओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ। मुझे विश्वास है कि इस पाठ्यक्रम से लाभान्वित होकर सभी प्रशिक्षु अधिकारी अपने-अपने राज्यों में वन्यजीवों के बेहतर प्रबंधन के लिए इस ज्ञान का अधिक से अधिक उपयोग करेंगे।
उत्तराखण्ड और अन्य हिमालयी राज्यों में वन्यजीव संरक्षण विशेषतः हिम तेंदुए के संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान देने वाले इस संस्थान के वैज्ञानिकएवं कुलसचिव डॉ. एस सत्यकुमार जो भारतीय वन्यजीव संस्थान में विगत तीन दशकों से शोध कार्य में संलग्न हैं और जिन्होंने 200 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। उनको मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।
साथियों,
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया न केवल वन्यजीव संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और आर्थिकी को सुदृढ़ बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत एक विशाल विविधता वाला देश है, इसलिए आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे बहुमूल्य वन्यजीवों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए हमें उन्नत क्षमताओं की आवश्यकता है।
जब हम वन्य जीव संरक्षण की बात करते हैं तो उसमें सभी जीवों का अपना महत्व है। मानवता का बेहतर भविष्य तभी संभव है, जब हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे और जैव विविधता का विस्तार होता रहे। हम सभी को मिलकर इस दिशा में प्रयास करने होंगे, इसी में मानवता की भलाई निहित है।
उत्तराखण्ड जैवविविधता और प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध राज्य है, जहाँ वन्यजीव संरक्षण का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संस्थान ने यहाँ विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं और संरक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से राज्य के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में उल्लेखनीय कार्य किया है। मेरा विश्वास है कि वन्यजीव एवं वन संपदा हमारी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदल सकते हैं, इसलिए हमें इनके महत्व को समझना चाहिए।
साथियों,
भारत में प्रकृति की रक्षा करना हमारी महान संस्कृति का अहम हिस्सा है और शायद यही वो कारण है, जिसकी वजह से भारत के पास वन्य जीव संरक्षण में कई अनूठी उपलब्धियां हैं, जिन पर हमें गर्व करना चाहिए। दुनिया के मात्र 2.4 प्रतिशत भूमि क्षेत्र के साथ भारत, वैश्विक जैव विविधता में लगभग 8 प्रतिशत योगदान देता है।
प्रकृति ने भारत, विशेषतः देवभूमि उत्तराखण्ड को वन संपदा व वन्यजीवों की प्रचुरता का वरदान दिया है। इसीलिए यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, जैव विविधता और वन्यजीवों के कारण पर्यटकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य है। हमें वन्य जीवों और जैव विविधता की रक्षा करते हुए इन संसाधनों के सतत उपयोग के माध्यम से राज्य की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने की दिशा में भी संस्थान को प्रयास करने चाहिए।
उत्तराखण्ड में बड़ी संख्या में पर्यटक वन्यजीव अभ्यारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों की यात्रा करते हैं, जिससे पर्यटन क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित होते हैं। मेरा आग्रह है कि अनुसंधान और संरक्षण के माध्यम से राज्य में पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और अधिक प्रयास करें।
वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, उत्तराखण्ड की आर्थिकी और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो राज्य के सतत विकास में योगदान कर सकता है। हमें वन्यजीव संरक्षण को एक महत्वपूर्ण उद्योग के रूप में विकसित करना चाहिए जिसमें वन्यजीव सफारी, इको-टूरिज्म और शोध-आधारित पर्यटन को और बढ़ावा मिल सके। इस प्रकार की योजनाएं पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा देती हैं।
मेरा मानना है कि इस संस्थान के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से स्थानीय युवाओं को वन्यजीव संरक्षण, पर्यटन और अन्य संबंधित क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जिससे उन्हें अपने क्षेत्र में ही रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके, और इससे पलायन की समस्या को कम किया जा सके।
उत्तराखण्ड देश में तीसरा सबसे अधिक बाघों की संख्या वाला राज्य है, वहीं हिम तेंदुओं की संख्या में भी लद्दाख के बाद दूसरे स्थान पर है। परंतु विकास की सतत आवश्यकताओं तथा अन्य मानवीय क्रियाकलापों के परिणामस्वरूप जैवविविधता में वैश्विक स्तर पर तीव्र गति से कमी हो रही है, जिससे कई प्रजातियां विलुप्त व संकटग्रस्त हो गयी हैं। इस विषय को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है।
मैं उत्तराखण्ड व भारत में पिछले चार दशकों से वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में, भारतीय वन्यजीव संस्थान के योगदान की सराहना करता हूँ। संकटग्रस्त प्रजातियों की पुनः प्राप्ति के कार्यक्रम में योगदान, केन्द्र व विभिन्न राज्यों की विकास परियोजनाओं में मिटीगेशन योजनाएँ तैयार करना, तकनीकी इनपुट भी प्रदान करना, साक्ष्य आधारित संरक्षण कार्य, वन्यजीव संबंधी अपराधों की फाॅरेंसिक जांच तथा केन्द्र व विभिन्न राज्यों के अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करना इत्यादि महत्वपूर्ण कार्यों के द्वारा वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन में भारतीय वन्यजीव संस्थान की भूमिका सराहनीय है।
लुप्तप्राय प्रजातियों, जैसे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, डुगोंग, गंगा नदी डॉल्फिन, संगाई, बाघ, हिम तेंदुए, सामान्य तेंदुए और हाथी की जनसंख्या अनुमान और निगरानी में भारतीय वन्यजीव संस्थान का योगदान उल्लेखनीय है। संस्थान, लुप्तप्राय व संकटग्रस्त प्रजातियों के पुनः प्राप्ति कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिनमें अफ्रीकी देशों से भारत में चीता तथा मध्य प्रदेश में गौर का पुनःस्थापन, आदि प्रमुख हैं।
जल, सभी जीवों के लिए एक अनमोल संसाधन है। इसकी स्वच्छता, शुद्धता और इसका समुचित उपयोग हम सब की जिम्मेदारी है। जल खाता अभियान जिसका उद्देश्य वर्षा जल के संरक्षण के लिए सरकारी और निजी स्कूलों में स्कूली बच्चों और स्थानीय समुदायों को शामिल करना है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत, भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा लागू किया जाने वाला जल खाता अभियान, पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जल संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, ऐसा मेरा विश्वास है।
साथियों,
आज भारतीय वन्यजीव संस्थान परिसर में सुविनियर शॉप (ैवनअमदपत ेीवच) का भी उद्घाटन किया गया। हाल ही में संस्थान में नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग सुविधा का उद्घाटन किया गया है, जिससे वन्यजीव की गणना में मदद मिलेगी, साथ ही अन्य शोध कार्यों में तेजी आएगी। नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग के तहत वन्यजीवों से संबंधित बीमारियों तथा दूसरी जैविक घटनाओं से जुड़ी आनुवांशिक भिन्नता का अध्ययन करने के लिए डीएनए या आरएनए के अनुक्रमण करने में मदद मिलेगी। यह नई वन्यजीव अनुसंधान सुविधा जैव विविधता संरक्षण के लिए परिवर्तनकारी सिद्ध होगी।
राजाजी बाघ अभ्यारण्य तथा जिम काॅर्बेट बाघ अभ्यारण्य की धारण क्षमता (ब्ंततलपदह बंचंबपजल) का अध्ययन भी भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा किया जा रहा है। जिम काॅर्बेट बाघ अभ्यारण्य दुनिया में सर्वाधिक बाघ घनत्व वाला क्षेत्र है, जिसके परिणामस्वरूप मानव-वन्यजीव संघर्ष की आशंकाएं रहती हैं, हमें इसके समाधान के कारगर उपाय ढूँढने होंगे।
यह प्रसन्नता का विषय है कि संस्थान ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीव विज्ञान से संबंधित शोध के वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार करने के लिए जर्नल ऑफ वाइल्डलाइफ साइंस की शुरुआत की है, जो कि वन्यजीव विज्ञान के क्षेत्र मे भारत का पहला शोध जर्नल है।
साथियों,
प्रकृति प्रदत्त वन संपदा इस धरा पर हमारे लिए अनमोल उपहार है। हमें समझना होगा कि जब वन रहेंगे तभी तो वन्यजीव सुरक्षित रह पाएंगे। इसलिए हम वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। वर्तमान में मानव वन्यजीव संघर्ष हमारे समक्ष एक बड़ी चुनौती है, इसका प्रमुख कारण वन्यजीवों का घर अर्थात वन क्षेत्रों का संकुचन है। जिसका निदान खोजना नितांत आवश्यक है।
हमें वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण में आम जनमानस की सहभागिता प्राप्त करने पर जोर देना जरूरी है। मैं मानता हूँ कि स्थानीय लोगों तथा जनसामान्य के सहयोग के बिना वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण हेतु चलाई जा रही योजनाएं फलीभूत नहीं हो सकती है।
मेरा सभी से आग्रह है कि इस अवसर पर हम प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने का संकल्प लें। मैं तो कहता हूँ कि यह पृथ्वी केवल मानव जाति नहीं अपितु सभी जीवित प्राणियों का घर है। सभी जीव बहुमूल्य हैं, हमें उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए कठोर प्रयास करने होंगे। मेरा सुझाव है कि इंसानों और वन्य जीवों के संघर्ष को कम करने के लिए आप अधिक से अधिक टेक्नोलॉजी की मदद लेने का प्रयास करें।
आपका योगदान राज्य और राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संस्थान का कार्य क्षेत्र भविष्य में उत्तराखण्ड की आर्थिकी और पर्यावरण संरक्षण में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं साथ ही वन्यजीवों के संरक्षण और पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन के साथ-साथ स्थानीय लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी सहायक हो ऐसी अपेक्षा करता हूँ।
मैं भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों को उनके समर्पण और उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई देता हूँ। मैं कामना करता हूँ कि भारतीय वन्यजीव संस्थान अपने शोध, क्षमता निर्माण, शिक्षा, केंद्र और राज्य सरकारों के परामर्श सेवाओं के माध्यम से वन्यजीव विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर नई उंचाइयों को छुए। भविष्य के प्रयासों हेतु आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।
हमारा भारत, विविधता में एकता के साथ आगे बढ़ रहा है। आज का नया भारत हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। हमने एक परिवार की तरह मिलकर हर चुनौती का सामना किया और नई सफलताएं हासिल की हैं। मुझे विश्वास है कि आप भी राष्ट्र प्रथम की भावना से कार्य करते हुए अपने क्षेत्र में श्रेष्ठ योगदान देंगे और भारत के सतत विकास में अहम भागीदारी निभाएंगे, जिससे हम समृद्ध भारत, आत्म निर्भर भारत और विकसित भारत के लक्ष्य को निर्धारित समय पर प्राप्त करने में सफल होंगे।
जय हिन्द!