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    27-12-2024 : स्व नित्यानन्द स्वामी जी की 96 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन।

    प्रकाशित तिथि: दिसम्बर 27, 2024

    जय हिन्द!

    पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नित्यानंद स्वामी की जयंती के अवसर पर उन्हें नमन करते हुए हम विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। राज्य के विकास हेतु आपके द्वारा दिया गया योगदान अविस्मरणीय है।

    एक स्वस्थ लोकतंत्र की जीवंतता इस बात से तय होती है कि शासन-प्रशासन द्वारा सामाजिक-आर्थिक न्याय को अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक कितनी आसानी से पहुंचाया जा सकता है और यहीं पर राजनीति की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।

    समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सेवा प्रदान करने की स्वामी जी की संकल्प बद्धता अभूतपूर्व थी। वह राजनीति के सच्चे पुरोधा थे। उनका जीवन सभी के लिए एक प्रेरणापुंज के समान है। उन्होंने अंत्योदय के विचार को अपने कार्यों के माध्यम से सिद्ध किया।

    स्वामी जी की स्मृति में ‘‘श्री नित्यानंद स्वामी जन सेवा समिति’’ द्वारा शुरु की गई ‘‘स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान’’ की यह पहल सराहनीय है। जो राजनीति से जुड़े लोगों को राजनीतिक शुचिता के लिए प्रेरित करेगा। उनके जन्मदिन के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में निस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित करना एक सराहनीय कदम है।

    आज के इस अवसर पर ‘‘स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान’’ से विभूषित होने वाले कैबिनेट मंत्री, उत्तराखण्ड डॉ. धन सिंह रावत जी को मैं हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ। मुझे विश्वास है कि यह सम्मान आपको पूरी निष्ठा और मनोयोग से कठिन परिश्रम से कार्य करने की प्रेरणा देते हुए स्वच्छ राजनीति हेतु बल प्रदान करेगा।

    आज विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को भी ‘‘उत्तराखण्ड गौरव सम्मान’’ प्रदान किया गया है। जो समाज के प्रति उनकी सेवाओं की सराहना का प्रतीक है। मुझे विश्वास है कि यह सम्मान आपको अपने-अपने क्षेत्र में और अधिक उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा।

    साथियों,

    स्वामी जी सहृदय, निश्छल, व्यवहार कुशल, बहु प्रतिभा के धनी व मधुर भाषी व्यक्ति थे। यही कारण था कि नवोदित उत्तरांचल राज्य के गठन के बाद उसकी बागडोर श्री स्वामी जी के हाथों में सौंपी गई।

    नवोदित राज्य के आधार को मजबूती देने के लिए स्वामी जी के कार्यकाल में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा। उनके द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद् में सभापति काल में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लिए गए ऐतिहासिक निर्णय आज भी नजीर के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं।

    स्वतंत्रता आन्दोलन में भी स्वामी जी ने अहम योगदान दिया। उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन में भी भाग लिया और इसके लिए जेल भी गए। स्वामी जी का उद्देश्य केवल और केवल न्याय और जनहित रहा।

    साथियों,

    मेरा मानना है कि राजनीति के द्वारा हम समाज के दबे-कुचले लोगों और उपेक्षित समुदायों को ऊपर उठाते हुए सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।

    सकारात्मक राजनीति ही भारत की समेकित संस्कृति और सह-अस्तित्व की भावना को अक्षुण्ण रख सकती है। सकारात्मक राजनीति एवं राजनीति में शुचिता से विकास के नए शिखर छुए जा सकते हैं, और देश को निरंतर आगे बढ़ाया जा सकता है। ये राजनीति की जिम्मेदारी होती है कि वह उपेक्षितों और शोषितों की पक्षधर हो।

    कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जिस प्रकार से गरीबों एवं असहायों की सहायता के लिए राजनीतिक दूर-दृष्टि के साथ शासन एवं प्रशासन का कार्य किया है, वह संस्थाओं के नेतृत्व का श्रेष्ठ उदाहरण है।

    श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को राजनीति और कूटनीति के माध्यम से राज्य, धर्म एवं समाज की रक्षा करने के लिए प्रेरित किया है। धर्म के विपरीत आचरण करने वालों और सत्ता, सुख-संपदा, धन-वैभव एवं ऐश्वर्य के लिए जीने वालों को उन्होंने समस्त संसार के लिए विनाशकारी बताया है।

    इसलिए हमारी राजनीति के विमर्श में लोक मंगल की भावना होना बहुत आवश्यक है। राजनीति को सत्ता पाने का अवसर मानने वाली अनैतिकता ही अस्वस्थ राजनीतिक परंपरा को पोषित करती है। यदि राजनीति में नैतिकता, मूल्यों एवं आदर्श का समावेश करते हुए सेवाभाव से कार्य किया जाए तो एक स्वस्थ, सक्षम एवं सजग समाज और सशक्त राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।

    स्व. नित्यानन्द स्वामी जी ने अपने सार्वजनिक जीवन में हमेशा ईमानदारी और नैतिकता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उनके सात दशकों के निष्कलंक सार्वजनिक जीवन और आदर्श राजनीति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता प्रेरणादायक एवं अनुकरणीय है।हम उनके जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेते हुए एक आदर्श समाज के निर्माण में अपना सर्वाेच्च योगदान देने का संकल्प लें।

    मेरा मानना है कि राजनीति में शुचिता तभी बनी रह सकती है जब प्रत्येक कार्य पारदर्शिता तरीके से किया जाए। स्वामी जी के प्रति सच्ची श्रद्वांजलि होगी जब हम उनके बताए गए रास्ते पर चलते हुए, उनके द्वारा कायम की गई राजनीतिक शुचिता की दिशा में आगे बढें।

    जय हिन्द!