27-11-2024 : जी बी पंत विश्वविद्यालय के 36वें दीक्षांत समारोह में माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
जय हिन्द!
उत्तराखण्ड के इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के 36वें दीक्षांत समारोह के पावन अवसर पर आज आपके समक्ष उपस्थित होकर मुझे अत्यंत हर्ष एवं गौरव की अनुभूति हो रही है।
शिक्षा संस्थानों में जाकर आप जैसे ऊर्जावान युवाओं से मिलकर मुझे अधिक प्रसन्नता होती है, खासकर अपनी बेटियों की निरंतर उपलब्धियों से मुझे गर्व का अनुभव होता है। मुझे इस बात को लेकर संतोष होता है कि हमारे देश का भविष्य आप जैसे प्रतिभावान युवाओं के हाथों में सुरक्षित है।
भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल के तीन शूलों के समन्वय की तरह आज का दीक्षांत समारोह भी छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों, तीनों के ही सामूहिक मेहनत और समर्पण के प्रतिफल का उत्सव मनाने का दिन है। मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर सभी सफल विद्यार्थियों को हृदय से शुभकामनाएं देता हूँ, और आपके स्वर्णिम भविष्य की कामना करता हूँ।
प्रिय विद्यार्थियों,
आज जब आप इस शिक्षा के मंदिर से विदा लेंगे, तो आप अपने जीवन की एक नई यात्रा शुरू करेंगे, जो यात्रा असीमित संभावनाओं से भरी होगी। अब आप सिर्फ स्नातक ही नहीं हैं, बल्कि अब आप विकसित भारत के निर्माण के तपस्वी भी हैं। मेरा आपसे आग्रह है कि आज आप यहां से देश को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का संकल्प लेकर जाएं।
यह स्वाभाविक है कि इस विश्वविद्यालय का हिस्सा होने का गौरव भी आपके दिल और दिमाग में हमेशा गूंजता रहेगा। वह इसलिए कि यहाँ आपने, अपने बौद्धिक कौशल और पेशेवर ज्ञान को निखारा है, अपने जुनून को पोषित किया है, और अपने आस-पास की दुनिया की गहरी समझ विकसित की है। आपको यहां जो संपर्क, व्यक्तित्व विकास और अनुभव प्राप्त हुए हैं, वे आपके भविष्य के निर्माण में एक ठोस आधार का कार्य करेंगे।
साथियों,
यह हम सभी के लिए गर्व का विषय है कि गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने अपनी स्थापना के बाद से छः दशकों से अधिक समय तक भारत में कृषि क्षेत्र के आर्थिक विकास और परिवर्तन को नए आयाम दिए हैं, साथ ही देश-विदेश के अग्रणी शैक्षणिक संस्थान के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
विभिन्न स्तरों पर निरंतर पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त करने और अच्छी रैंकिंग प्राप्त करने के लिए मैं, विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करते हुए पूरे परिवार को बधाई देता हूँ।
शोध कार्य को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय ने विभिन्न संस्थानों के साथ कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। मुझे उम्मीद है कि ये समझौता ज्ञापन विश्वविद्यालय के अनुसंधान, उत्पादन एवं राज्य व देश के किसानों को मजबूती प्रदान करेंगे।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि विश्वविद्यालय से विकसित किस्मों ने हमारे देश में हरित क्रांति का सूत्रपात किया और देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया। अब तक विश्वविद्यालय ने विभिन्न फसलों की 355 किस्में विकसित की हैं। मैं इस महान कार्य में लगे सभी वैज्ञानिकों, छात्रों और कर्मचारियों को बधाई देता हूँ।
आपको मालूम होगा कि प्राकृतिक एवं जैविक खेती, विकसित उत्तराखण्ड के लिए मेरे द्वारा लिए गए 5 संकल्पों में से एक महत्वपूर्ण संकल्प है। इस विश्वविद्यालय द्वारा प्राकृतिक खेती पर अनुसंधान, प्रशिक्षण और तकनीकों का प्रदर्शन करने के लिए एक केंद्र की स्थापना और जैविक खेती पर भी एक केंद्र स्थापित करना एक सराहनीय कदम है।
विश्वविद्यालय द्वारा स्वदेशी बद्री गाय की क्लोनिंग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की गई है, मुझे पूर्ण विश्वास एवं उम्मीद है कि आने वाले एक वर्ष में हमारे पास दुनिया में बद्री गाय का पहला क्लोन होगा।
मुझे प्रसन्नता है कि राज्य की जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा एक हरेला उद्यान स्थापित किया है, जिसमें बड़ी संख्या में विविध प्रजातियों के पौधों की प्रजातियाँ संरक्षित की गयी हैं। मैं इन सभी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए पूरे विश्वविद्यालय परिवार को बधाई देता हूँ।
साथियों,
आज आपके आस-पास की दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। मुख्य रूप से हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि क्षेत्र, में स्मार्ट तकनीकों, बेहतर प्रथाओं और दूरदर्शी नीतिगत सुधारों के कारण लगातार उल्लेखनीय परिवर्तन हो रहे हैं।
भारत के कृषि क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में जबरदस्त प्रगति की है। जलवायु परिवर्तन और बाजार की अनिश्चितताओं से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारतीय किसानों ने नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करते हुए उत्कृष्ट कार्य किया है, जिससे भारतीय कृषि क्षेत्र ने तेजी से विकास किया है।
भारत ने 2023 में 332 मिलियन टन से अधिक का सर्वकालिक उच्च खाद्यान्न उत्पादन दर्ज किया। जलवायु परिवर्तन खाद्यान्न उत्पादन के लिए एक गंभीर खतरा है, इसलिए हमें जलवायु-लचीली फसल किस्मों और प्रथाओं का विकास कर उन्हें अपनाना आवश्यक है, खासकर उत्तराखण्ड जैसे क्षेत्रों में, जहाँ खेती चरम मौसम की घटनाओं के प्रति संवेदनशील है।
भारत ने कृषि निर्यात के क्षेत्र में भी तेजी से प्रगति की है। 2022-23 में, चावल, समुद्री उत्पादों, मसालों और अन्य कृषि-वस्तुओं में मजबूत वृद्धि के कारण भारत का कृषि निर्यात $50 बिलियन से अधिक हो गया है। अब हमें युवा उद्यमियों को कृषि-स्टार्टअप बनाने के लिए कृषि स्टार्टअप हेतु अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर उद्यमिता को बढ़ावा देना होगा, जिससे वे अपने उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्यात कर सकें।
आज डिजिटल क्रांति के उदय और सार्वजनिक सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ने से किसानों के लिए लाभ और जानकारी तक पहुँच आसान हो गई है। डिजिटल इंडिया जैसी पहल ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाते हुए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच की खाई को समाप्त करने में महत्पूर्ण भूमिका निभाई है। मेरा मानना है कि कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (।प्-डस्), और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (प्वज्) के एकीकरण को और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
भारत सरकार स्मार्ट खेती की तकनीकों में निवेश कर रही है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सटीक खेती, उपग्रह इमेजरी और ब्लॉकचेन शामिल हैं। मेरा विश्वास है कि कीटनाशक प्रयोग और फसल स्वास्थ्य निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग, और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में प्वज् का उपयोग भविष्य के कुछ क्षेत्र हैं जो भारतीय कृषि को बदल देंगे।
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) आधारित स्मार्ट खेती की तकनीकों जैसे कि सटीक कृषि, ड्रोन आधारित फसल निगरानी को लगातार अपनाया जा रहा है। आज कृषि क्षेत्र में मोबाइल एप, पोर्टल और वेबसाइट के उपयोग ने वैज्ञानिकों से लेकर किसानों तक सूचना के प्रसार में क्रांति ला दी है।
अब ई-नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार) जैसी सरकार समर्थित पहल और वास्तविक समय की सलाहकार सेवाओं के लिए, अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म किसानों को महत्वपूर्ण डेटा, बाजार तक पहुंच बनाने और उचित निर्णय लेने के लिए सशक्त बना रहे हैं।
भारतीय कृषि ज्यादातर वर्षा पर निर्भर है, जिसके कारण उत्पादकता काफी कम है। इस कमी को दूर करने के लिए ड्रिप सिंचाई, सूक्ष्म सिंचाई और वर्षा जल संचयन जैसे कुशल जल प्रबंधन प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित कर कृषक हित में महत्वपूर्ण कदम होगा। निश्चित ही प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना इस दिशा में सहायक होगी।
भारत सरकार द्वारा कृषकों के हितों के संरक्षण हेतु नीतिगत योजनाएं जैसे पीएम-किसान योजना, आत्मनिर्भर कृषि योजना, कृषि संरचना कोष एवं जैविक और प्राकृतिक खेती योजना लागू की गई हैं, जिससे कृषक भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो सकें।
प्यारे बच्चों,
मैं आप सभी युवाओं से आह्वान करता हूँ कि, आप देश के प्रमुख क्षेत्रों में, उद्यमिता में नवाचार और कल्पना के रोमांच से भरी यात्रा करें, ताकि देश को विनिर्माण और प्रौद्योगिकी उत्पादन में उत्कृष्टता के लिए एक गंतव्य के रूप में स्थापित किया जा सके।
आज जब आप इस महान विश्वविद्यालय के द्वार से बाहरी दुनिया में कदम रखेंगे, तो आप विभिन्न व्यवसायों के भावी नेता बनने के साथ-साथ हमारी भूमि, हमारे भोजन और हमारे समुदायों के संरक्षक बनने के लिए भी अवश्य ही प्रेरित होंगे।
जो लोग साधन सम्पन्न होते हैं उनके पास अनेक विकल्प हो सकते हैं, लेकिन वंचित वर्ग के लोगों की आशाएं आप पर ही टिकी होती हैं। इसलिए मेरी आपको सलाह है कि आप वंचित वर्गों की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहें।
प्यारे विद्यार्थियों,
मुझे पूरा यकीन है कि आप पशु चिकित्सा विज्ञान, इंजीनियरिंग, गृह विज्ञान और मत्स्य पालन क्षेत्र जैसे विविध क्षेत्रों में भी अपनी उपलब्धियों से इस विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करेंगे। मुझे उम्मीद है कि आप किसानों के जीवन को बेहतर बनाने, सतत विकास को बढ़ावा देने और देश की खाद्य सुरक्षा और विश्व आर्थिक व्यवस्था में एक गौरवपूर्ण स्थान बनाने में योगदान देने के लिए पूर्ण समर्पण के साथ काम करेंगे।
उत्तराखण्ड, अपने विविध कृषि-जलवायु क्षेत्रों के साथ, जैविक खेती, बागवानी और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं में विविध अनुप्रयोगों के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करता है। आशा है कि आप, भविष्य के वैज्ञानिक, शोधकर्ता और उद्यमी के रूप में, इस क्षमता को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे साथ ही उत्तराखण्ड राज्य और देश को अपनी उपलब्धियों पर गौरवान्वित करेंगे।
प्यारे बच्चों, यह दीक्षांत समारोह आपकी शैक्षणिक यात्रा के उपरांत, भारत के कृषि और ग्रामीण विकास के भविष्य को आकार देने में आपकी भूमिका की शुरुआत भी है। अपने ज्ञान, कौशल और जुनून का लाभ उठाकर, आप देश के सामाजिक और राष्ट्रीय विकास में योगदान देंगे, जिससे भारत को वैश्विक चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
मुझे ज्ञात हुआ है कि विश्वविद्यालय द्वारा आगामी 20-22 फरवरी, 2025 तक 17वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है। उत्तराखण्ड राज्य में विज्ञान कांग्रेस का आयोजन प्रथम बार किया जा रहा है। मैं इसकी शानदार सफलता की कामना करता हूँ।
साथियों,
नए भारत का सामाजिक-राजनीतिक और विकास परिदृश्य तकनीकी प्रगति, नीतिगत बदलावों और सतत विकास की आवश्यकता से प्रेरित होकर तेजी से बदल रहा है।
आज नए भारत की सफलता की आशाजनक कहानी हम सबके सामने है। पिछले तीन वर्षों में, हमारा भारत सालाना 8 प्रतिशत की औसत विकास दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था रहा है, जो अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, और जल्दी ही तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा।
हमने वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का सामूहिक लक्ष्य रखा है। मेरा विश्वास है कि सामथ्र्य, ऊर्जा और उत्साह से भरी आप इस युवा पीढ़ी के द्वारा किए गए कार्य इस राष्ट्रीय संकल्प को सिद्ध करने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
मैं आशा करता हूँ कि आप जीवन पर्यन्त सदाचार एवं अच्छे कार्यों से अपने माता-पिता, संस्थान एवं देश और प्रदेश की कीर्ति बढ़ाते रहेंगे।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर हम सभी भारत का समृद्ध, समावेशी और गतिशील भविष्य बनाने के लिए संकल्प लेकर जाएं। मैं आपके प्रयासों के लिए आपको ढेरों शुभकामनाएं देता हूँ, और आपके स्वर्णिम भविष्य की कामना करता हूँ।
जय हिन्द!