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    26-12-2024 : वीर बाल दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: दिसम्बर 26, 2024

    जय हिन्द!

    वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह!

    आज हम सभी और पूरा देश, बड़े गर्व और अपार श्रद्धा के साथ भारत के साहसी, निडर और बलिदानी साहिबजादों की स्मृति में ‘वीर बाल दिवस’ मना रहा है। साहस और न्याय के संकल्प को श्रद्धांजलि देते हुए भाव-विभोर होकर आज सम्पूर्ण भारत साहिबजादों की वीर गाथाओं को भी सुन रहा है। आप सभी को मेरी ओर से इस पवित्र ‘वीर बाल दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएं!

    साथियों!

    यह अवसर केवल एक ऐतिहासिक स्मरणोत्सव नहीं है, बल्कि यह दिन राष्ट्र के बच्चों और युवाओं को प्रेरणा देने का, उनके भीतर राष्ट्रभक्ति, साहस, त्याग और बलिदान की भावना को जागृत करने का एक विशेष अवसर है।

    ‘वीर बाल दिवस’ हमें याद दिलाएगा कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती।

    ‘वीर बाल दिवस’ हमें याद दिलाएगा कि दश गुरुओं का योगदान क्या है! देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है! ‘वीर बाल दिवस’ हमें बताएगा कि- भारत क्या है, और भारत की पहचान क्या है!

    आज का दिन हमें यह सीख देता है कि चुनौतियों के सामने कभी झुकना नहीं चाहिए और अन्याय के विरुद्ध डटकर खड़े रहना चाहिए। यह दिन एक संदेश देता है कि, सच्चे साहस और त्याग की कोई सीमा नहीं होती। हम कभी भी, हम कहीं भी राष्ट्र हित के लिए कुछ कर गुजर कर अपने को इतिहास में अमर कर सकते हैं।

    मैं इस पावन अवसर पर वीर साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी के चरणों में हृदय तल से नमन करता हूँ, जिन्होंने छोटी उम्र में ही देश-धर्म और सत्य की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। उनकी शौर्य गाथा हमारे देश की अनमोल धरोहर हैं।

    इन वीर बालकों के पूज्य पिता, दशमेश पिता गुरु गोबिंद सिंह जी, माता गुजरी जी, और सभी सिख गुरुओं को भी मैं श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ, जिन्होंने मानवता, धर्म और न्याय की रक्षा के लिए अद्वितीय योगदान और बलिदान दिए।

    आज के इस अवसर पर मैं हेमकुंड मैनेजमेंट ट्रस्ट और संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना करता हूँ, जिन्होंने वीर साहिबजादों के बलिदान पर आधारित पुस्तकें लिखी है, जिनका आप सभी के समक्ष अभी विमोचन हुआ है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तकें साहिबजादों के बलिदान और उनके कृतित्व को जन-जन तक पहुंचाएंगे। आज हमने एआई चैटबाॅट का भी शुभारंभ किया, जो गुरुवाणी पर आधारित है। इसके लिए मैं यूटीयू विश्वविद्यालय के कुलपति और उनकी टीम को बधाई देता हूँ।

    साथियों!

    वीर बाल दिवस हम सभी भारतीयों के लिए न केवल शौर्य और त्याग का प्रतीक है, बल्कि यह हमें अपने अतीत के गौरव को समझने और भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरित करने का अवसर भी प्रदान करता है। यह दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए, कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है।

    वीर साहिबजादों का बलिदान यह साबित करता है कि अन्याय और अत्याचार के सामने झुकना हमारे संस्कारों में नहीं है। उनकी वीरता इस बात का प्रमाण है कि भारत की युवा पीढ़ी अपने सिद्धांतों और मूल्यों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

    आज हम अपने इतिहास के उन स्वर्णिम पन्नों को दोबारा पढ़ रहे हैं, जिन्होंने हमें बताया कि भारत केवल एक भूगोल नहीं, बल्कि विचारों, परंपराओं और संस्कारों का संगम है। वीर बाल दिवस हमें यह सिखाता है कि हमें अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेकर अपने वर्तमान और भविष्य का निर्माण करना चाहिए।

    साथियों!

    सिख परंपरा केवल एक धार्मिक धरोहर नहीं है, बल्कि यह ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के विचार का जीवंत उदाहरण भी है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में देशभर के 15 संतों और 14 कवियों की वाणी समाहित है। यह ग्रंथ केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, एकता और प्रेम का संदेश भी देता है।

    गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि भारत विविधताओं में एकता का प्रतीक है। उनका जन्म बिहार के पटना में हुआ, कार्यक्षेत्र पंजाब और उत्तर-पश्चिम के पहाड़ों में रहा, और उनकी जीवन यात्रा महाराष्ट्र में पूरी हुई।

    उनके पंज प्यारे भी अलग-अलग प्रांतों से आए थे, जिनमें गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पंजाब के लोग शामिल थे। यह दर्शाता है कि गुरु साहिब के नेतृत्व में पूरा भारत एकजुट था।

    साथियों!

    गुरु गोबिंद सिंह जी के वीर साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी ने बहुत छोटी उम्र में भी मातृभूमि व धर्म की रक्षा के लिए दुश्मनों का बहादुरी से सामना किया। उन्होंने उस समय बलिदान दिया, जब वे मात्र 9 और 6 वर्ष के थे। इतने छोटे बालकों का इतना बड़ा त्याग और बलिदान, भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा देने वाला है।

    मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए प्रताड़ित किया, लेकिन इन वीर बालकों ने इस क्रूर शासक के आदेश को सिरे से नकारते हुए अपनी आस्था, धर्म और सिद्धांतों की रक्षा के लिए मौत को गले लगा लिया। उन्हें दीवारों में जिंदा चुनवा दिया गया, लेकिन उन्होंने अन्याय के आगे घुटने टेकने से इनकार कर दिया। त्याग और बलिदान का ऐसा उदाहरण विश्व के इतिहास में कोई दूसरा नहीं है।

    यह बलिदान हमें यह सिखाता है कि जब कोई समाज अपने मूल्यों की रक्षा के लिए दृढ़ता से खड़ा होता है, तो उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति अजेय हो जाती है। उसकी हस्ती को दुनिया की कोई भी ताकत नहीं मिटा सकती है।

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने केवल तलवार ही नहीं, बल्कि विचारों और सिद्धांतों के माध्यम से भी समाज को दिशा देने का कार्य किया। उन्होंने सिख पंथ की स्थापना कर मानवता की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया।

    गुरु साहिब ने लोगों को जाति, धर्म, ऊंच-नीच, और अमीरी-गरीबी जैसे भेदभावों से मुक्त करने और सभी को एक समानता के सूत्र में बांधने का कार्य किया। गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज वाणी – चाहे वह कबीर जी की हो, रविदास जी की हो, नामदेव जी की हो या बाबा फरीद जी की, यह सब हमें एकता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है।

    साथियों!

    भारत वो देश है जहां नचिकेता जैसा बालक, ज्ञान की खोज के लिए धरती-आसमान एक कर देता है। भारत वो देश है जहां इतनी कम आयु का अभिमन्यु, कठोर चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए निकल पड़ता है। भारत वो देश है जहां बालक धु्रव ऐसी कठोर तपस्या करता है, जो आज भी अतुलनीय है। भारत वो देश है जहां बालक चंद्रगुप्त, कम आयु में ही एक साम्राज्य का नेतृत्व करता है। भारत ही वह देश है जहां देश, धर्म की रक्षा के लिए छोटी उम्र में ही बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी ने अपना सर्वाेच्च बलिदान दे दिया। जिस देश की प्रेरणा इतनी बड़ी होगी, उस देश के लिए किसी भी लक्ष्य को पाना असंभव नहीं है।

    वीर बाल दिवस मात्र इतिहास को याद करने का दिन नहीं है, अपितु यह भविष्य की पीढ़ियों को दिशा देने का भी दिन है। हम सभी अपने गौरवशाली अतीत को याद रखें और उससे प्रेरणा लेकर अपने और अपने राष्ट्र का भविष्य को संवारने का कार्य करें।

    हमारा आज का भारत युवाओं का भारत है। एक समर्थ और सशक्त युवाशक्ति के निर्माण के लिए सबका प्रयास आवश्यक है। सबका प्रयास की यही सीख हमें हमारे गुरुओं ने दी है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि सबका प्रयास की इसी भावना से विकसित भारत के निर्माण का संकल्प पूर्ण होकर रहेगा।

    हमारे साहिबजादों का जीवन यह संदेश देता है कि सच्चा वीर वही है, जो अपने सिद्धांतों की रक्षा के लिए अडिग रहता है, चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी बड़ा त्याग करना पड़े। हम अपने बच्चों को वीर साहिबजादों की कहानियों से अवगत कराएं और उनमें राष्ट्र के प्रति प्रेम और त्याग की भावना विकसित करें, यही सशक्त भारत के निर्माण का आधार बनेगा।

    साथियों,

    आज जब हम अपनी समृद्ध विरासत पर गर्व कर रहे हैं, तब दुनिया का नजरिया भी हमारे प्रति बदला है। आज देश गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल रहा है। आज के भारत को अपने लोगों पर, अपने सामथ्र्य पर, अपनी प्रेरणाओं पर पूरा-पूरा भरोसा है। आज के भारत के लिए साहिबजादों का बलिदान राष्ट्रीय प्रेरणा का विषय है। जब कोई देश अपनी विरासत पर ऐसे गर्व करते हुए आगे बढ़ता है, तो दुनिया भी उसे सम्मान से देखती है, सम्मान देती है।

    इस पवित्र अवसर पर हम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने वीर साहिबजादों के बलिदान को अमर बनाने के लिए 26 दिसम्बर को ‘वीर बाल दिवस’ घोषित किया। यह निर्णय न केवल हमारे गौरवशाली इतिहास को पुनर्जीवित करेगा, बल्कि यह अपनी गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाने और राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

    आइए! हम सभी इस पावन दिन पर संकल्प लें कि हम अपने बच्चों और युवाओं को वीर साहिबजादों की वीरता, त्याग और बलिदान की गाथाएं सुनाएंगे, ताकि वे इनसे प्रेरित होकर एक सशक्त, समर्पित और राष्ट्रभक्त नागरिक बन सकें।

    मुझे विश्वास है कि वीर बाल दिवस हमें देश के प्रति त्याग एवं बलिदान के लिए प्रेरित करता रहेगा, साथ ही हमारे अंदर राष्ट्र सर्वाेपरि की भावना को प्रवाहित करता रहेगा और देश को ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प की ओर अग्रसर करेगा।

    मैं महान गुरु परंपरा को स्मरण करते हुए, एक बार पुनः वीर साहिबजादों, माता गुजरी व गुरु गोबिंद सिंह जी की वीरता व बलिदान को सादर नमन करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।

    वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह!

    जय हिन्द!