25-02-2025 : ‘‘श्री केदारनाथ जी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर एक और प्रयास’’ कॉफी टेबल बुक के विमोचन के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
जय हिन्द!
आज का यह अवसर हम सभी के लिए विशेष है। हम यहां ‘‘श्री केदारनाथ जी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर एक और प्रयास’’ कॉफी टेबल बुक के विमोचन और उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यू.एस.डी.एम.ए.) डैशबोर्ड के लोकार्पण के लिए एकत्रित हुए हैं। यह आयोजन न केवल उत्तराखण्ड की आपदा प्रबंधन क्षमता को और अधिक सशक्त करने का प्रतीक है, बल्कि हमारे समाज की एकता, समर्पण और सेवा-भावना का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है।
उत्तराखण्ड राज्य प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टिगत एक संवेदनशील राज्य है। भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण यहां भूस्खलन, बाढ़, बादल फटना, भूकंप जैसी आपदाएं समय-समय पर आती रहती हैं। इन आपदाओं से निपटना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती रहती है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, दिनांक 31 जुलाई 2024 को श्री केदारनाथ क्षेत्र में आई आपदा एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई थी। इस कठिन परिस्थिति में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यू.एस.डी.एम.ए.) ने सभी रेखीय विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए त्वरित राहत एवं बचाव कार्य किए।
इस दौरान एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, स्थानीय प्रशासन, वायु सेना, गैर-सरकारी संगठन, स्थानीय व्यापार मंडल, तीर्थ पुरोहितगण और नागरिकों ने अपनी पूरी निष्ठा से राहत कार्यों में योगदान दिया। आपके अथक प्रयासों से लगभग 15,000 श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सुरक्षित स्थलों पर पहुँचाया गया, साथ ही मवेशियों को भी बचाने का सराहनीय कार्य किया गया।
प्रदेश सरकार ने केंद्र से समन्वय बनाते हुए इस आपदा की घड़ी में त्वरित निर्णय लेकर राहत एवं बचाव कार्य शुरू किए, जो कि सराहनीय है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने उक्त घटना का संज्ञान लेते हुए चारधाम यात्रा मार्गों पर श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त रखने एवं यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोकने के निर्देश दिए। उनकी निगरानी में युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कार्य किए गए।
राहत और बचाव कार्यों के लिए भारत सरकार द्वारा भी भरपूर सहयोग प्रदान किया गया। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी इस आपदा के बाद यात्रियों की सुरक्षा को लेकर इतने फिक्रमंद थे कि वे स्वयं इस रेस्क्यू अभियान की अपडेट लेते रहे।
राहत और बचाव कार्यों में लगी विभिन्न एजेंसियों ने मुश्किल और विपरीत परिस्थितियों में शानदार रणनीति के साथ योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया और एक सप्ताह से भी कम समय में यह अभियान संपन्न हुआ। अधिकारियों, कर्मचारियों और स्थानीय लोगों के द्वारा युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्यों में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए मैं उनकी भरपूर सराहना करता हूँ।
मुझे यह कहते हुए अत्यंत गर्व हो रहा है कि इन सभी महत्वपूर्ण प्रयासों को एक पुस्तक के रूप में संकलित किया गया है, जो भविष्य के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का कार्य करेगी। ‘‘श्री केदारनाथ जी क्षेत्र में आपदा प्रबंधन पर एक और प्रयास’’ कॉफी टेबल बुक में उन सभी बहादुर व्यक्तियों और संगठनों के योगदान को संजोया गया है, जिन्होंने अपनी निस्वार्थ सेवा से इस आपदा का प्रभाव कम करने में सहायता की।
आज, हम यू.एस.डी.एम.ए. डैशबोर्ड का भी लोकार्पण कर रहे हैं, जो आपदा प्रबंधन प्रणाली को अधिक सटीक, त्वरित और पारदर्शी बनाएगा। यह डिजिटल प्रणाली न केवल आपदाओं से संबंधित आंकड़ों के संग्रहण और विश्लेषण में सहायता करेगी, बल्कि नीति-निर्माण और त्वरित निर्णय लेने में भी सहायक सिद्ध होगी। इस डैशबोर्ड से उत्तराखण्ड को आपदा प्रबंधन में एक नई तकनीकी शक्ति मिलेगी, जिससे न केवल त्वरित प्रतिक्रिया संभव होगी, बल्कि भविष्य में बेहतर आपदा पूर्वानुमान और योजनाएं भी बनाई जा सकेंगी।
इससे मानसून के दौरान आपदा की घटनाओं का त्वरित विश्लेषण करने एवं उचित निर्णय लेने में सहायता मिलेगी। साथ ही आपदा संबंधी डेटा को किसी भी स्थान से ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकेगा। सभी जिलों से डिजिटल माध्यम से त्वरित सूचनाओं का संकलन हो सकेगा तथा स्थानीय प्रशासन एवं राहत एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय किया जा सकेगा।
उत्तराखण्ड के संवेदनशील होने का मुख्य कारण इसकी भौगोलिक संरचना है। हिमालयी पर्वतों का यह क्षेत्र अत्यधिक वर्षा और भूकंपीय गतिविधियों के कारण आपदाओं के लिए अतिसंवेदनशील हो जाता है। जलवायु परिवर्तन भी इन आपदाओं की तीव्रता को बढ़ा रहा है, जिससे राज्य के पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और जनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
उत्तराखण्ड खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर को आपदा-प्रतिरोधी बनाया जाना अत्यावश्यक है। राज्य में हो रहे निर्माण कार्यों में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि वे भूकंपरोधी और पर्यावरण के अनुकूल हों। हमें नदियों के किनारों पर बसे क्षेत्रों में विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है, ताकि बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाओं से नुकसान कम किया जा सके।
आपदा प्रबंधन के प्रशिक्षण और आपातकालीन योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। स्कूलों, कॉलेजों, और ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं ताकि हर नागरिक आपातकालीन स्थिति में अपने और दूसरों की सुरक्षा कर सके। सरकार और जनता के आपसी सहयोग से ही हम इस चुनौती से निपट सकते हैं और उत्तराखण्ड को सुरक्षित बना सकते हैं।
हमें स्थानीय स्तर पर और अधिक मजबूत आपदा प्रबंधन तंत्र स्थापित करना होगा। सरकार के साथ-साथ आम नागरिकों को भी यह जिम्मेदारी उठानी होगी कि वे पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक रहें। वनों की अंधाधुंध कटाई, अवैध निर्माण और प्रदूषण को रोकना हमारे राज्य के लिए आवश्यक है।
मैं इस अवसर पर उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और सभी संबंधित संस्थाओं को उनके समर्पण और अथक प्रयासों के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। आप सभी का परिश्रम और संकल्प इस राज्य को आपदा-प्रबंधन के क्षेत्र में एक नई ऊँचाई तक ले जाएगा।
उत्तराखण्ड एक ऐसा राज्य है, जो न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने नागरिकों की सेवा-भावना और साहस के लिए भी जाना जाता है। अंत में, मैं उन सभी व्यक्तियों और संगठनों को नमन करता हूँ, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपना कर्तव्य निभाया और लोगों की रक्षा के लिए दिन-रात कार्य किया।
आइए, हम सभी मिलकर एक सशक्त, सतर्क और आपदा-प्रतिरोधी उत्तराखण्ड के निर्माण की दिशा में कार्य करें, ताकि हम अपनी प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा करते हुए आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकें।
जय हिन्द,
जय उत्तराखण्ड!