23-11-2024 : ‘हंस फाउंडेशन’ की 15वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
जय हिन्द!
आप सभी प्रबुद्ध जनों की गरिमामयी उपस्थिति में आज के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आपके बीच पहुँचकर मुझे अत्यंत गर्व की अनुभूति हो रही है।
हंस फाउंडेशन’ की 15वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित भद्रजनों को मैं हार्दिक बधाई एवं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने वाले महान समाजसेवी ‘हंस फाउंडेशन’ के प्रेरणास्रोत पूज्य माताश्री मंगला जी, पूज्य श्री भोले जी महाराज जी को कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ।
आज वास्तव में हम सभी के लिए बहुत ही खुशी और गर्व के क्षण हैं। वह इसलिए कि 15 वर्ष पहले आज ही के दिन, पूज्य माताश्री मंगला जी एवं पूज्य श्री भोले जी महाराज जी की प्रेरणा से जिस सेवा रूपी वृक्ष को रोपित किया गया था। आज उस विराट वृक्ष की छांव में आप सभी समाज सेवी, स्वस्थ, शिक्षित और विकसित भारत के निर्माण में अहम योगदान दे रहे हैं। निःसंदेह इस संस्था की 15 वर्ष की यह यात्रा एक गौरवशाली यात्रा रही है।
अभी हम प्रदर्शनी के माध्यम से ‘द हंस फाउंडेशन’ की सेवा यात्रा को देख रहे थे। हमें खुशी है कि इस विशाल सेवा मिशन में आप निरंतर स्वास्थ्य, शिक्षा, पलायन, स्वरोजगार, दिव्यांगता, पेयजल, कृषक कल्याण, समाज कल्याण, महिला सशक्तीकरण, ग्रामीण विकास, बाल विकास, ऊर्जा आदि क्षेत्रों जो सेवाएं दे रहे यह सच में अद्भुत है, अनुकरणीय है।
साथियों,
हम सभी जानते हैं कि मनुष्य सहित समस्त चराचर जगत के पालक और रक्षक ईश्वर हैं। मनुष्य और अन्य जीवों की सेवा करने से हम ईश्वरीय विधान का अनुपालन करते हैं, इसीलिए सेवा को सभी पंथों में पुण्य कर्म माना जाता है।
मेरा मानना है कि सेवा के लिए परहित की भावना जरूरी है। सेवा वही सार्थक होती है, जो बिना शर्त के, निःस्वार्थ भाव से की जाए। इस दृष्टि से हंस फाउंडेशन की सेवाएं निश्चित तौर पर सार्थक रही है, जो मानव जीवन में बदलाव लाकर उन्हें जीने की राह दिखाने का नेक कार्य कर रही है।
आज जब मैं स्वयं देखता हूँ, तो गर्व महसूस करता हूँ कि आपकी सेवाओं का कितना विशाल परिवार है। कुछ सेवाओं का उल्लेख मैं आज जरूर यहां करना चाहूंगा।
आप वृंदावन में बन रहे 450 बिस्तरों वाले धर्मार्थ केशव माधव अस्पताल के निर्माण में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। आपके मार्ग दर्शन में देशभर में कई डायलिसिस केंद्र संचालित हो रहे हैं। ‘हर घर स्वास्थ्य की दस्तक’ के तहत देश भर के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल मेडिकल यूनिटों का संचालन किया जा रहा है।
उत्तराखण्ड में ‘द हंस फाउंडेशन’ जनरल अस्पताल सतपुली, पौड़ी गढ़वाल और हंस फाउंडेशन आई केयर अस्पताल हरिद्वार के माध्यम से आप असंख्य लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं तो दे ही रहे हैं साथ ही, चारधाम में विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर हाई एल्टीट्यूड पर स्थित अस्पतालों के संचालन में सहयोग भी कर रहे हैं। आप उत्तराखण्ड में दूरगामी ग्रामीण क्षेत्र स्वच्छ जल प्रदान करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।
स्वास्थ्य के पटल पर आप लिटिल हार्ट एवं सेवा हृदय जैसे प्रोग्रामों के माध्यम से असंख्य लोगों को नव जीवन प्रदान कर रहे हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में आप स्वस्थ माँ और स्वस्थ शिशु के पोषण, मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षित भविष्य के लिए निरंतर गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को पौष्टिक आहर उपलब्ध करवा रहे हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में आप देश भर में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक तौर पर कमजोर मेधावी स्टूडेंट्स को शिक्षित करने के लिए निरंतर सहयोग कर रहे हैं। आपके माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में स्थित सरकारी स्कूल, कॉलेजों के पुस्तकालयों, कक्षाओं एवं प्रयोगशालाओं का नवीनीकरण कार्य अतुलनीय है।
खेल के क्षेत्र में भी आपकी संस्था समय-समय पर राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं के आयोजन साथ ही अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने वाले खिलाड़ियों को निरंतर सहयोग प्रदान कर रही है।
देश के पहाड़ी राज्यों जैसे उत्तराखण्ड और हिमाचल में समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से जनमानस को जागरूक करने और बचाने के लिए आपके द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
महिला सशक्तीकरण की बात करें तो आप महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, उन्हें प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाने के लिए उन्हें कुटीर उद्योगों से जोड़ रहे है, साथ ही विधवा, विकलांगों, बुर्जगों एवं जरूरतमंदों को पेंशन प्रदान कर रहे है।
इसके अलावा गरीब तबके के लोगों के लिए भी कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। कोरोना की लड़ाई में केंद्र और राज्य सरकार को सहयोग के साथ ही जरूरतमंद लोगों की सेवा में फाउंडेशन का सहयोग सराहनीय रहा।
मैं स्वयं कई बार देखता हूँ कि देश में कहीं भी कोई व्यक्ति गंभीर रोग से ग्रस्त हो जाता हैं, या किसी दुर्घटना का शिकार हो जाता हैं, तो हर व्यक्ति की आशा सीधे हंस फाउंडेशन पर आकर रूकती है, और आपके सहयोग से वह स्वस्थ और प्रसन्न होकर अपने परिवार में लौटता है। मैं भली भांति जानता हूँ कि हर कदम पर श्री भोले जी और श्री मंगला जी आकांक्षी सभी लोगों के लिए अपना दिल खोल देते हैं।
पूज्य माताश्री मंगला जी एवं पूज्य भोले जी महाराज की सेवाओं के इस गुलदस्ते में सेवा के इतने फूल हैं कि उनके संपूर्ण रंगों की व्याख्या करने में बहुत समय लगेगा। आज खुशियां बांटने और खुशियां मानने का दिन है। इस अवसर पर मैं, हंस फाउंडेशन परिवार से एक अपील जरूर करना चाहूंगा कि मानव सेवा के कल्याण के लिए जो रोशनी आपके पास है, इससे पूरे भारत को जगमगा दीजिए।
मैं बधाई देना चाहूंगा, श्वेता जी को, कि आप अपने माता-पिता जी की सेवा भावनाओं को उन लोगों तक पहुँचा रहे हैं, जो वास्तव में इस दुनिया में आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरतमंद है। आपकी इस सेवा भावना में मनोज भार्गव जी जिस तटस्थता के साथ चल रहे है, यह सच में सराहनीय है।
साथियों,
शास्त्रों में कहा गया है कि ‘‘सेवा परमो धर्मः’’ अर्थात् सेवा ही परम धर्म है। यही तो हमारी संस्कृति है। हमारी संस्कृति में मिल-जुलकर रहने और त्याग की भावना निहित है। युग-युगांतर से प्रचलित ‘सेवा परमो धर्मः’ को आत्मसात कर चरितार्थ करने वालों को ही भविष्य में महा मानव की उपाधि मिलती है।
निष्काम सेवा तो लोक-परलोक दोनों में अंग-संग रहती है। सेवा के माध्यम से सभी प्राणियों के संरक्षण से ही विश्व में स्थिरता, पर्यावरण संतुलन के साथ-साथ सम्पूर्ण संसार की रक्षा और समृद्धि संभव है।
नर सेवा ही नारायण सेवा है। यह सिद्धान्त हमारे समाज में बहुत सी संस्थाओं को प्रेरणा देता है। हमें प्रसन्नता है कि इसी कड़ी में इस संस्था द्वारा ऐसी सेवा गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है।
मेरा दृढ़ विश्वास है कि ऐसे ही समाज सेवी अधिक से अधिक लोगों की सेवा कर उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएंगे, जो ‘सशक्त भारत’ के निर्माण में उनकी ओर से अहम योगदान होगा।
साथियों,
संतों का जीवन राष्ट्र और मानव कल्याण के लिए समर्पित होता है। समय-समय पर संत, महापुरुषों ने देश और समाज की सेवा के लिए बढ़-चढ़कर कार्य किए हैं। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए हर पल तैयार हंस फाउंडेशन समाज सेवा को समर्पित है। इस संस्था के सेवा कार्य अनुकरणीय है।
यह संस्था मानव और राष्ट्र कल्याण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके नेक कार्य, राष्ट्र कल्याण के प्रति संकल्प और समर्पण को दर्शाते हैं, जो ‘विकसित भारत’ के संकल्प को साकार करने में भी नई ऊर्जा भरने वाले हैं।
मानव सेवा से बड़ा धर्म कुछ भी नहीं है, इसी भावना से प्रेरित हंस फाउंडेशन उत्तराखण्ड समेत देशभर में मानव कल्याण के कार्य में निरंतर सहयोग कर रहा है। हमें गर्व हैं कि हंस फाउंडेशन ने वास्तव में देश के सबसे दूरदराज के इलाकों तक अपने लोगों में पहुंच बनाई है। और असमानताओं के अंतर को पाटने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किए हैं।
प्रबुद्ध जनों,
परमात्मा तक पहुँचने के कई मार्ग होते हैं। उनमें से एक मार्ग सेवा कार्य भी है। हमारे देश में तत्व ज्ञानियों की कमी नहीं है। वे बुद्धियोग, कर्मयोग एवं मनोयोग से परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग जानते हैं। सम्पूर्ण प्राणियों के हृदय में परमात्मा ही विराजमान है, इसलिए उनकी सेवा ईश्वर की ही सेवा है। यह आत्म उत्थान का मार्ग है। यह अत्यन्त गूढ़ रहस्य है। इसे जानने वाले आत्मीय जनों के समक्ष उपस्थित होकर मैं धन्य हूँ।
सेवा के माध्यम से समाज में दुःखी, पीड़ित एवं वंचित वर्गों को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए हो रहे प्रयत्नों की श्रृंखला में इस संस्था द्वारा किए जा रहे प्रयास अत्यंत प्रेरणादायी हैं।
मैं ईश्वर से कामना करता हूँ कि इस संस्था की मानवता के कल्याण के लिए जारी यह सेवा यात्रा निरंतर ऐसे ही आगे बढ़ती रहे।
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु। सर्वेषां शान्तिर्भवतु। सर्वेषां पूर्णभवतु। सर्वेषां मंगलंभवतु। शान्तिः शान्तिः शान्ति।
अर्थात् सबका कल्याण हो, सर्वत्र शांति हो, सबकी इच्छाएं पूरी हो, सबका मंगल हो।
इसी पवित्र विचार के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!