23-09-2025 : ‘‘शिक्षा की बात’’ छात्र-छात्राओं से संवाद कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
जय हिन्द!
आज “शिक्षा की बात” जैसे अभिनव कार्यक्रम में आप सबके बीच उपस्थित होकर मुझे हृदय से प्रसन्नता और गर्व का अनुभव हो रहा है।
सर्वप्रथम राष्ट्र की आत्मा को गढ़ने वाले विद्वान शिक्षकों एवं राष्ट्र के भावी कर्णाधार- प्रिय छात्रों को इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के शुभारम्भ ‘‘शिक्षा की बात’’ के आयोजन के अवसर पर मैं शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।
शिक्षा के महत्व पर चर्चा करना अपने आप में अत्यंत पवित्र कार्य है, क्योंकि शिक्षा ही वह दीपक है, जिसकी ज्योति से अज्ञान का अंधकार मिटता है और जीवन के पथ को आलोकित करता है।
संस्कृत में कहा गया है –
“सा विद्या या विमुक्तये।” अर्थात् – वह विद्या ही विद्या है, जो हमें बंधनों से मुक्त कर आत्म उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करे।
हमारे उत्तराखण्ड की धरती केवल देवभूमि ही नहीं, बल्कि विद्या और ज्ञान की भी पावन भूमि रही है। वेदों और उपनिषदों की ऋचाओं से लेकर आदि गुरुकुलों तक, यह भूमि शिक्षा की पुण्य परंपरा को अपने भीतर संजोए हुए है।
ऋषिकेश, हरिद्वार, अल्मोड़ा और नैनीताल जैसे क्षेत्र शिक्षा और अध्यात्म के केंद्र रहे हैं। स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि शिक्षा मनुष्य को ऐसा बनाती है कि वह खड़ा हो सके, आत्मनिर्भर हो सके और सशक्त हो सके।आज उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए यह कार्यक्रम “शिक्षा की बात” शिक्षा के नए आयाम खोल रहा है।
हमारे शास्त्र कहते हैं –
“गुरुब्र्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः॥”
अर्थात् – गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं और गुरु ही महेश्वर हैं। गुरु ही साक्षात् परब्रह्म हैं, ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम है।
विद्वान गुरुजनों!
राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की भूमिका आधारशिला के समान है। यदि आधार मजबूत है तो राष्ट्र की इमारत भी सुदृढ़ होगी। आज के समय में आपका दायित्व और भी बड़ा है। अब आपको केवल पठन-पाठन तक सीमित नहीं रहना है, बल्कि बच्चों में संस्कार, आत्मविश्वास और देशभक्ति की जड़ें भी मजबूत करना है।
21वीं सदी का यह युग- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटल लर्निंग और तकनीकी नवाचार का युग है। इसलिए अब आपको तकनीक से जुड़कर शिक्षा को समसामयिक, सशक्त और गुणवत्तापूर्ण बनाना है।
विद्यार्थियों को ज्ञान देने के साथ ही कक्षा में नवीनतम तकनीक का प्रयोग करना, सतत मूल्यांकन करना और विद्यार्थियों से मित्रवत् संवाद करना आवश्यक है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने इसी दिशा में स्पष्ट मार्गदर्शन दिया है। तकनीक के माध्यम से हम शिक्षा को सबके लिए सुलभ और समान बना सकते हैं। उत्तराखण्ड सरकार द्वारा 1300 वर्चुअल कक्षाओं का संचालन इसी सोच का परिणाम है। मुझे प्रसन्नता है कि आज इसी सोच से राज्य के दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों तक शिक्षा की रोशनी पहुँच रही है।
मेरे प्यारे छात्र-छात्राओं!
आज प्रतिस्पर्धा का युग है। अवसर अनेक हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी उतनी ही अधिक हैं। आपसे मेरी अपील है कि आप शिक्षा को केवल रोजगार प्राप्त करने का साधन न समझें, बल्कि इसे जीवन के संपूर्ण विकास का मार्ग मानें।
संस्कृत में कहा गया है –
“विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम्।” अर्थात्- विद्या ही सबसे श्रेष्ठ धन है।
आपको चाहिए कि आप आत्म-अनुशासन, आत्म-नियंत्रण और आत्म-मूल्यांकन की आदत डालें। अपने जीवन में हर दिन एक नए लक्ष्य के साथ उठें और स्वयं से प्रश्न करें कि मैंने राष्ट्र और समाज के लिए आज क्या योगदान दिया? और आगे क्या योगदान कर सकता हूँ।
प्यारे बच्चों!
खुली आँखों से बड़े सपने देखिए, ऊँचे लक्ष्य बनाइए और उन्हें पूरा करने का संकल्प लीजिए। याद रखिए! जीवन में जो विद्यार्थी संकल्प लेता है, वही भविष्य में सफलता के शिखर पर पहुँचता है।
सच्ची शिक्षा वही है जो हमें केवल किताबों का ज्ञाता नहीं बनाती, बल्कि हमें अच्छा इंसान भी बनाती है। मैं आप सबको कहना चाहता हूँ कि आधुनिक तकनीक और कौशल के साथ-साथ आप नैतिक मूल्यों को भी अपने जीवन में स्थान दें। अपने माता-पिता, शिक्षकों और संस्कृति का सम्मान करें। राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाएँ और श्रेष्ठ नागरिक बनें।
आज देश को ऐसे युवाओं की आवश्यकता है जिनमें ज्ञान हो, पर साथ ही अनुशासन, निष्ठा और देशभक्ति का भाव भी हो।
प्रिय विद्यार्थियों एवं आदरणीय शिक्षकों,
आज देश और प्रदेश के लिए एक बड़ा संकट है- नशे की लत। मैं आप सभी छात्रों से आग्रह करता हूँ कि आप हर प्रकार के नशे से दूर रहें। नशा न केवल आपके स्वास्थ्य को नष्ट करता है, बल्कि आपके सपनों को भी निगल जाता है। शिक्षकों से भी मेरा आग्रह है कि वे नशे के विरुद्ध समाज में एक आंदोलन खड़ा करें और विद्यार्थियों को इसके खतरों से बचाएँ।
राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर नई पहल कर रही है। वर्चुअल कक्षाओं का विस्तार, नई तकनीक का प्रयोग, विद्यालयों में बुनियादी ढाँचे का सुदृढ़ीकरण, शिक्षकों की नियुक्ति और छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
“शिक्षा की बात” जैसे अभिनव कार्यक्रम के पीछे माननीय मंत्री विद्यालयी शिक्षा डॉ. धन सिंह रावत जी की दूरदर्शी सोच और शैक्षिक उन्नयन की अभिलाषा है। इसके लिए मैं उन्हें हृदय से बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।
हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बार-बार कहा है कि – “आज का विद्यार्थी ही 2047 के विकसित भारत का निर्माता है।”
वास्तव में, शिक्षा के बल पर ही भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में अग्रसर होगा। शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनाएगी और आत्मनिर्भर भारत ही विकसित भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मेरे प्यारे विद्यार्थियों!
आपकी आँखों में जो सपने हैं, वही कल भारत का भविष्य हैं। आपका प्रत्येक प्रयास, आपकी प्रत्येक सफलता इस राष्ट्र की उन्नति में योगदान है। याद रखिए-
“उद्यमेन हि सिद्ध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥”
अर्थात- केवल कल्पना करने से कार्य पूरे नहीं होते, उन्हें पूरा करने के लिए कठोर परिश्रम करना ही पड़ता है। जैसे सोए हुए सिंह के मुख में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करता।
इसलिए अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठोर परिश्रम करें, आत्मविश्वास रखें और राष्ट्र निर्माण के महान कार्य में अपना योगदान दें।
विद्वत शिक्षकों से मेरा अनुरोध है- आपके शब्द और आचरण, दोनों ही आपके विद्यार्थियों को गढ़ते हैं। उन्हें ऐसा गढ़िए कि वे न केवल सफल हों, बल्कि संस्कारित भी हों।
आइए! हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि शिक्षा की शक्ति से हम उत्तराखण्ड को शैक्षिक उत्कृष्टता का केंद्र बनाएँगे और विकसित भारत 2047 की परिकल्पना को साकार करने में सर्वाधिक योगदान देंगे।
अंत में, मैं “शिक्षा की बात” कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए आप सभी को हृदय से बधाई देता हूँ। शिक्षा के उन्नयन के लिए आपकी यह सोच फलीभूत हो इस हेतु असीम शुभकामनाएं देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!