Close

    22-07-2025 : एचएनबी उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय, देहरादून द्वारा आयोजित ‘‘समग्र कल्याण संगोष्ठी’’ में उत्तराखण्ड के माननीय राज्यपाल का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: जुलाई 22, 2025

    जय हिन्द!

    आज ‘‘एचएनबी उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय’’ द्वारा आयोजित समग्र कल्याण संगोष्ठी में उपस्थित होकर मैं अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ। यह संगोष्ठी एक अत्यंत प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषय – “मधुमेह, उच्च रक्तचाप और तनाव जैसे जीवनशैली सम्बन्धी रोगों के समग्र प्रबंधन” पर केंद्रित है, जो समाज के समग्र स्वास्थ्य निर्माण में एक मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है।

    मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आज इस संगोष्ठी के अवसर पर एचएनबीयूएमईयू द्वारा ‘एक विश्वविद्यालय एक शोध’ अभियान के अंतर्गत किए गए महत्वपूर्ण शोध कार्यों को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘उत्तराखण्ड के राजकीय जिला चिकित्सालयों में ट्रॉमा देखभाल को बढ़ाना’’ विषय पर शोध प्रबंधन का कार्य किया गया है।

    यह कॉफी टेबल बुक विश्वविद्यालय की शानदार यात्रा एवं उसकी उपलब्धियों के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता को खूबसूरती से दर्शाती यह पुस्तक हमारे विश्वविद्यालय की बौद्धिक पूँजी और शोध की समृद्ध परंपरा का प्रमाण हैं। मैं इस सराहनीय प्रयास के लिए कुलपति महोदय एवं उनकी टीम को हार्दिक बधाई देता हूँ।

    मित्रों,

    सनातन भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही स्वास्थ्य को अत्यधिक महत्व दिया गया है। ‘‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’’ – अर्थात् शरीर ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति का साधन है। आयुर्वेद, योग और प्राचीन चिकित्सा शास्त्र हमारे देश की धरोहर हैं, जो समग्र कल्याण की बात करते हैं और केवल शरीर नहीं, बल्कि मन, बुद्धि, आत्मा और समाज के सामूहिक स्वास्थ्य की चिंता करते हैं।

    आज जब हम 21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश कर चुके हैं, इस दौर में किसी राज्य या राष्ट्र की प्रगति केवल आर्थिक सूचकांकों से नहीं आँकी जा सकती। राज्य के नागरिकों का स्वास्थ्य अब राष्ट्र निर्माण का आधारभूत तत्व बन चुका है। यह सत्य है कि मानसिक रूप से हो या शारीरिक रूप से, एक अस्वस्थ समाज, अपने विकास की गति को बनाए नहीं रख सकता।

    मधुमेह, उच्च रक्तचाप और तनाव – ये तीनों आधुनिक जीवनशैली के अवांछनीय उपहार हैं। आज भारत में लाखों लोग इन बीमारियों से ग्रसित हैं। खासकर युवा वर्ग में इनकी उपस्थिति चिंता का विषय है। उत्तराखण्ड जैसे शांत, प्राकृतिक और आध्यात्मिक राज्य में भी इन बीमारियों की बढ़ती संख्या हमें चेतावनी देती है।
    इसलिए आज इस संगोष्ठी में जिन विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार और शोध प्रस्तुत किए हैं – जैसे मायोकार्डियल इन्फार्क्शन में उच्च रक्तचाप की भूमिका, मधुमेह से किडनी पर प्रभाव, कुपोषण और तनाव प्रबंधन – ये सभी समाज के स्वास्थ्य चिंतन को दिशा देने वाले हैं। मैं इन विशेषज्ञों के विचारों को अत्यंत महत्वपूर्ण मानता हूँ और सभी चिकित्सकों, छात्रों और स्वास्थ्य नीति निर्माताओं से अपेक्षा करता हूँ कि वे इन विचारों से सीख लें और उन्हें व्यवहार में लाएँ।

    उत्तराखण्ड, हमारी यह देवभूमि, अपनी अनुपम प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और आध्यात्मिक विरासत के लिए जानी जाती है। यहाँ की हवा में शुद्धता है, नदियों के जल में पवित्रता है और पहाड़ों की शांति में मन को सुकून मिलता है। परंतु, समय के साथ, आधुनिकता की दौड़ और बदलती जीवनशैली ने हमें कई नई चुनौतियों से अवगत कराया है। आज मधुमेह (क्पंइमजमे), उच्च रक्तचाप (भ्लचमतजमदेपवद) और तनाव (ेजतमेे) जैसी जीवनशैली सम्बन्धी बीमारियां हमारे समाज में तेजी से फैल रही हैं, जो चिंता का विषय है।

    पहले जहाँ हमारे गाँवों और पहाड़ों में लोग शारीरिक श्रम से भरपूर जीवन जीते थे, शुद्ध और प्राकृतिक भोजन करते थे, वहीं अब शहरीकरण और उपभोक्तावाद की संस्कृति ने हमारी आदतों को बदल दिया है। लेकिन अब हम शारीरिक गतिविधियों से दूर हो गए हैं। बच्चे घंटों स्क्रीन से लिप्त रहते हैं और बड़े भी अक्सर बैठकर ही काम करते हैं। इसलिए हम सभी को अपनी जीवन शैली में सुधार लाना होगा।

    आज प्रोसेस्ड फूड, अत्यधिक मीठे और तले हुए भोजन का सेवन बढ़ गया है, जबकि हमारे पारंपरिक, पौष्टिक अनाज और सब्जियां हमारी थाली से गायब हो रही हैं। जीवन की भागदौड़, प्रतिस्पर्धा और अनिश्चितता ने हमारे मन में तनाव का घर बना लिया है। यह तनाव ही अनेक शारीरिक व्याधियों का मूल कारण बन रहा है।

    इन बीमारियों का परिणाम केवल व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह पूरे परिवार, समाज और अंततः राज्य की प्रगति को प्रभावित करता है। हमें स्वीकार करना होगा कि एक स्वस्थ नागरिक ही राष्ट्र निर्माण में अपना पूर्ण योगदान दे सकता है।

    इसलिए हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से प्रेरणा लेनी होगी। हम अपने पारंपरिक भोजन की शक्ति को पहचानें। मंडुआ, भट्ट, गहत, कौणी, झंगोरा ये केवल अनाज नहीं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के रक्षक हैं। इनमें भरपूर फाइबर और पोषक तत्व होते हैं, जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। हमें फास्ट फूड और जंक फूड के प्रलोभन से बचना होगा और अपने बच्चों को भी इस बारे में शिक्षित करना होगा।

    उत्तराखण्ड की भौगोलिक स्थिति ही हमें शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करती है। पैदल चलना, पहाड़ों पर चढ़ना, या खेतों में काम करना, यह सब हमारे लिए प्राकृतिक व्यायाम है। शहरी क्षेत्रों में भी हमें योग, प्राणायाम और दैनिक व्यायाम को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बनाएं। सरकार द्वारा चलाए जा रहे ‘‘फिट उत्तराखण्ड’’ जैसे अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लें।

    उत्तराखण्ड की शांति और आध्यात्मिकता तनाव प्रबंधन का सर्वाेत्तम स्रोत है। ये भारतीय परंपरा की अमूल्य देन हैं, जो मानसिक शांति और शारीरिक संतुलन प्रदान करते हैं। अपने परिवार, पड़ोसियों और समुदाय के साथ सकारात्मक सम्बन्ध बनाए रखना भी तनाव को कम करने का एक प्रभावी तरीका है।

    मित्रों,

    हमारे उत्तराखण्ड के पास वह सब कुछ है जो इसे ‘‘स्वास्थ्य कल्याण का हब’’ बना सकता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, आयुर्वेदिक संपदा, जैविक कृषि, योग परंपरा और शुद्ध जीवनशैली की परंपरा इसे विश्व में एक नई पहचान दिला सकती है।

    हमारी संस्कृति हमें सिखाती है कि रोगों को रोकना, रोग के उपचार से अधिक महत्वपूर्ण है। प्रिवेंटिव हेल्थकेयर, स्वस्थ जीवनशैली, योग, संतुलित आहार और मानसिक संतुलन को हम पुनः अपनाएँ, यही समय की माँग है।

    मैं राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करता हूँ, जिन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुलभता के लिए अनेक योजनाएँ चलाई हैं। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत लाखों नागरिकों को निःशुल्क इलाज की सुविधा मिल रही है। ईट राइट इंडिया, टीबी मुक्त भारत, फिट इंडिया मूवमेंट और नशा मुक्त भारत अभियान – ये सभी हमारे नागरिकों के समग्र कल्याण की दिशा में प्रभावी कदम हैं।

    माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किए हैं। एम्स, मेडिकल कॉलेजों का विस्तार, डिजिटल हेल्थ आईडी, टेलीमेडिसिन, स्वास्थ्य बीमा, योग दिवस की वैश्विक स्वीकृति – ये सब भारत को विश्व स्वास्थ्य नेतृत्व में अग्रणी बना रहे हैं।

    इस अवसर पर, मैं युवाओं से विशेष आग्रह करता हूँ – वे हर प्रकार के नशे से दूर रहें। यह शरीर ईश्वर का दिया हुआ एक अनमोल उपहार है। नशा इसे नष्ट करता है और साथ ही परिवार और समाज को भी प्रभावित करता है। मेरा मानना है कि सशक्त, नशा-मुक्त और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक युवा ही उत्तराखण्ड के भविष्य की रीढ़ होंगे।

    मित्रों,

    समग्र कल्याण का मतलब है कि हम न केवल बीमारियों का इलाज करें, बल्कि बीमारियों से पहले की अवस्था – यानी जीवनशैली, मानसिक स्थिति, भावनात्मक संतुलन, सामाजिक जुड़ाव और आध्यात्मिक शांति – इन सभी को समुचित महत्व दें।

    आइए, हम सब यह संकल्प लें कि हम स्वयं भी स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँगे और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। क्योंकि एक स्वस्थ नागरिक, एक सशक्त राष्ट्र की नींव होता है।

    मैं एचएनबी उत्तराखण्ड चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय को इस सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।

    आपका स्वास्थ्य, आपका सबसे बड़ा धन है। उसकी रक्षा करें। आप सभी के आरोग्यता की कामना के साथ आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
    जय हिन्द!