Close

    22-03-2024 : ईट राइट मिलेट “श्री अन्न” मेले में मा. राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: मार्च 22, 2024

    जय हिन्द।

    द्रोणनगरी, देहरादून के इस ईट राइट मिलेट “श्री अन्न” मेले में आपके साथ सम्मिलित होने पर मुझे अपार खुशी हो रही है। यह स्वास्थ्य, पोषण और सचेत भोजन विकल्पों का उत्सव है। वास्तव में अपने स्वास्थ्य के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए इस तरह के आयोजन बहुत ही सराहनीय है।

    साथियों,

    मैं मानता हूँ कि ईट राइट इंडिया केवल एक अभियान नहीं है, यह एक आंदोलन है जो हमें अपने भोजन के बारे में सही निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह हमें भोजन को बुद्धिमानी से चुनने की स्वतंत्रता देता है, न केवल अपनी भलाई के लिए बल्कि पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी।

    ईट राइट इंडिया अभियान, सभी भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षित, स्वस्थ और गुणवत्तापूर्ण भोजन सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है।

    ईट राइट इंडिया अभियान का टैगलाइन ‘सही भोजन-बेहतर जीवन’ अपने आप में एक प्रेरक मैसेज है। भगवान शिव के त्रिशूल की तरह ‘ईट राइट इंडिया’ तीन व्यापक स्तंभों पर निर्मित है। 1. ‘ईट हेल्दी’ 2. ‘ईट सेफ’ 3. ‘ईट सस्टेनेबल’ जो कि प्रशंसनीय है।

    जैसा कि हम इस खूबसूरत शहर की हरी-भरी वादियों के बीच खड़े हैं, आइए! हम आहार संबंधी आदतों के कुछ महत्वपूर्ण प्रमुख पहलुओं पर ध्यान दें जो न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं बल्कि हमारे मानसिक कल्याण और जीवन की समग्र गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।

    हम सब जानते हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है। इसलिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार लेना जरूरी है। संतुलित आहार शरीर को मजबूत बनाता है तथा रोगों से लड़ने के लिए उसकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही दिमाग को तेज तथा स्वस्थ भी बनाता है।

    महत्वपूर्ण विषय तो यह है कि हम संतुलित आहार के लिए कितने जागरूक हैं। यह बहुत बड़ा व गंभीर विषय होने के बावजूद इसे हल्के में लेकर हम कई बार परेशानी में पड़ जाते हैं।

    पहले समय में लोग, हरी सब्जियाँ व दालें खाने के बाद कसरत करने से तंदुरुस्थ रहते थे, लेकिन वर्तमान समय में तला-भुना खाना व जंक फूड की तरफ बढ़ते रुझान ने भी कई तरह की बीमारियों को जन्म दिया है। इनका सेवन न केवल वयस्कों को बल्कि बच्चों को भी कई बीमारियों का शिकार बना रहा है।

    हम सभी जानते है कि ज्यादा जंक फूड का प्रयोग जहर समान है। लेकिन संतुलित आहार की बजाय जंक फूड लेना आज की युवा पीढ़ी व बच्चों की आदत बन गई है। मैं अपील करता हूँ कि बच्चों में इसके प्रति लालसा को रोकने के लिए अभिभावकों को खुद भी जागरूक होना होगा।

    आपको मालूम ही है कि भारत के प्रस्ताव के आधार पर ही, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) के रूप में घोषित किया गया था। भारत को “श्री अन्न” का वैश्विक हब बनाने के लिए और मिलेट “श्री अन्न” के लाभों के बारे में आमजन को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इस संदर्भ में यहां पर “श्री अन्न” मेले का आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम है।

    मिलेट्स की ग्लोबल ब्रांडिंग को देखते हुए, भारत में मिलेट्स या मोटे अनाज को, अब “श्रीअन्न” की पहचान दी गई है। “श्री अन्न” केवल खेती या खाने तक सीमित नहीं है। भारत की परंपराओं में किसी के आगे ‘श्री’ ऐसे ही नहीं जुड़ता है। जहां श्री होती है, वहाँ समृद्धि भी होती है, और समग्रता भी होती है।

    आज “श्रीअन्न” भी भारत में समग्र विकास का एक माध्यम बन रहा है। इसमें गाँव भी जुड़ा है, गरीब भी जुड़ा है। “श्रीअन्न” देश के छोटे किसानों की समृद्धि का द्वार है। यह देश के करोड़ों लोगों के पोषण का आधार है। “श्रीअन्न” कम पानी में ज्यादा फसल की पैदावार है। “श्रीअन्न” केमिकल मुक्त खेती का बड़ा आधार है।“श्रीअन्न” क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने में मददगार है।

    हमारे यहाँ 12-13 राज्यों में प्रमुखता से मिलेट्स की खेती होती है। भारत “श्रीअन्न” को ग्लोबल मूवमेंट बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है। 2018 में मिलेट्स को न्यूट्री-सीरियल्स के तौर पर घोषित किया था।

    आज मिलेट्स फूड प्रोडक्ट्स की बिक्री में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। अब जगह-जगह मिलेट कैफे नजर आने लगे हैं, मिलेट्स से जुड़ी रेसीपीज के सोशल मीडिया चैनल्स बन रहे हैं। देश के 19 जिलों में मिलेट्स को ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ स्कीम के तहत भी सेलेक्ट किया गया है।

    हम जानते हैं कि “श्रीअन्न” उगाने वाले ज्यादातर किसान छोटे किसान हैं। भारत का मिलेट मिशन, देश के ढाई करोड़ किसानों के लिए वरदान साबित होने जा रहा है। जब मिलेट्स-श्रीअन्न का मार्केट बढ़ेगा तो इन ढाई करोड़ छोटे किसानों की आय बढ़ेगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बहुत लाभ मिलेगा।

    आज प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड आइटम्स के जरिए मिलेट्स स्टोर्स और मार्केट तक पहुँच रहा है। पिछले कुछ वर्षों में ही देश में “श्रीअन्न” पर काम करने वाले 500 से ज्यादा स्टार्टअप्स भी बने हैं। स्वयं सहायता समूहों के जरिए महिलाएं भी मिलेट्स के उत्पाद बना रहीं हैं।

    गाँव से निकलकर ये प्रोडक्ट्स माॅल और सुपरमार्केट्स तक पहुँच रहे हैं। यानी, देश में एक पूरी सप्लाई चेन विकसित हो रही है। इससे युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है, और छोटे किसानों की भी बहुत बड़ी मदद हो रही है। प्रसन्नता की बात है कि भारत में हाल के वर्षों में “श्रीअन्न” (मिलेट्स) का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है।

    भारत का मोटो वन अर्थ, वन फैमली, वन फ्यूचर है। पूरे विश्व को एक परिवार मानने की ये भावना, “श्रीअन्न” योजना में भी झलकती है। विश्व के प्रति कर्तव्य भावना और मानवता की सेवा का संकल्प, सदैव भारत के मन में रहा है।

    आप देखिए, जब हम योग को लेकर आगे बढ़े तो हमने ये भी सुनिश्चित किया कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के जरिए पूरे विश्व को उसका लाभ मिले। प्रत्येक भारतीय को गर्व है कि आज दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में योग को अधिकृत रूप से बढ़ावा मिल रहा है। आज दुनिया के 30 से ज्यादा देश आयुर्वेद को भी मान्यता दे चुके हैं।

    देहरादून, अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता के साथ, एक ऐसा स्थान भी है जहाँ पाक परंपराएँ फलती-फूलती हैं। हालांकि, हम जो भोजन खाते हैं उसमें भी सही भोजन का चुनाव करना आवश्यक है।

    ऐसी दुनिया में जहां फास्ट-फूड और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाने की आदतें प्रचलित हैं। आज विभिन्न आहार संबंधी बीमारियाँ सभी आयु वर्गों में फैली हुई हैं, इसलिए हमें सही भोजन के चुनाव के बारे जागरूक होना आवश्यक हैं।

    साथियों,

    स्कूल और कॉलेज नवाचार और अनुसंधान के केंद्र हैं, जहां अभूतपूर्व विचारों का जन्म और पोषण होता है। शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग करके, हम नवाचार को चलाने और जटिल चुनौतियों को हल करने के लिए बौद्धिक पूंजी का उपयोग कर सकते हैं।

    मैं आशा करता हूँ कि हम सब मिलेट्स को अपनी थाली में स्थान देंगे। मुझे विश्वास है कि “ईट राइट मिलेट” आंदोलन लोगों को पौष्टिक आहार लेने के लिए प्रेरित करने में सफल साबित होगा।

    मैं, आयोजकों, स्वयंसेवकों और प्रतिभागियों के प्रयासों की सराहना करते हुए हार्दिक बधाई देता हूँ, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अथक प्रयास किया है।

    मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आज यहां उपलब्ध संसाधनों और जानकारियों का भरपूर लाभ उठाएं। आइए! हम स्वस्थ खाने की आदतों को अपनाएं। आइए! हम स्थानीय किसानों और उत्पादकों का समर्थन करें। आइए! अपने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और अधिक मजबूत फूड सिस्टम बनाने में योगदान दें।

    अंत में आप सभी को उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।
    जय हिन्द!