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    20वीं राष्ट्रीय शॉर्ट ट्रैक आइस स्केटिंग चैंपियनशिप के समापन एवं राष्ट्रीय फिगर स्केटिंग चैंपियनशिप उद्घाटन समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: जून 28, 2025

    जय हिन्द!

    मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि देवभूमि उत्तराखण्ड राष्ट्रीय शॉर्ट ट्रैक स्पीड आइस स्केटिंग चैंपियनशिप के समापन और राष्ट्रीय फिगर स्केटिंग चैंपियनशिप के उद्घाटन का साक्षी बन रहा है। मैं इस आयोजन से जुड़े सभी प्रतिभागियों, आयोजकों, प्रशिक्षकों और अभिभावकों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूँ।

    इस प्रतियोगिता में देशभर के कई प्रतिभागी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं और यहाँ दर्शकों को एक बर्फीले रोमांच से भरपूर अनुभव मिल रहा है। मैं इस प्रतियोगिता के सफल संचालन के लिए आइस स्केटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (प्ै।प्) की सराहना करता हूँ और इस समारोह में मुझे आमंत्रित करने पर आभार ज्ञापित करता हूँ।

    यह आइस स्केटिंग खेल से जुड़े खिलाड़ियों के लिए खुश खबरी है कि भारत के एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर के इस आइस स्केटिंग रिंक का हाल ही में पुनर्निर्माण कर दिया गया है। यह देश में आइस स्केटिंग को बढ़ावा देने और उत्तराखण्ड को ‘खेल भूमि’ के रूप में स्थापित करने के संकल्प दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इस आयोजन से देश में विंटर स्पोर्ट्स को एक नया आयाम मिलेगा।

    भारत के कोने-कोने से आए एथलीट हमारे सामने अपने अद्वितीय आइस स्केटिंग कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं। मुझे बताया गया है कि इस प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 511 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं, जो भारत में शीतकालीन खेलों के विकास को दर्शाएंगे। हमारे देश में बर्फ के खेलों की अधिक से अधिक उन्नति हो, भारत का एकमात्र अंर्तराष्ट्रीय स्तर का यह आइस स्केटिंग रिंग इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

    युवा साथियों,

    खेल न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि मन और मस्तिष्क को भी ऊर्जावान बनाते हैं। यह हमें अनुशासन, आत्मविश्वास, संघर्षशीलता और टीम भावना जैसे मूल्य सिखाते हैं। खेलों के माध्यम से बच्चों और युवाओं में नेतृत्व क्षमता और सामाजिक समरसता का विकास होता है, जो उन्हें एक बेहतर नागरिक बनाता है। इसी कारण खेलों को व्यक्तित्व निर्माण का आधार माना गया है।

    आज भारत न केवल पारंपरिक खेलों में, बल्कि विंटर स्पोर्ट्स जैसे आइस स्केटिंग, स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग और शॉर्ट ट्रैक जैसी विधाओं में भी अपनी पहचान बना रहा है। उत्तराखण्ड राज्य प्राकृतिक रूप से पर्वतीय और बर्फीले क्षेत्रों से युक्त है, जो विंटर स्पोर्ट्स जैसे आइस स्केटिंग, स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग आदि के लिए उपयुक्त आधारभूमि प्रदान करता है।

    उत्तराखण्ड सरकार ने ‘खेल नीति – 2021’ के अंतर्गत युवाओं को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने हेतु अनेक योजनाएँ लागू की हैं। राज्य के दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर नगरों तक, खेल सुविधाओं का विकास प्राथमिकता के आधार पर किया जा रहा है। खेल छात्रवृत्ति, उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए रोजगार और अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण की सुविधा इस नीति का हिस्सा है। हम चाहते हैं कि उत्तराखण्ड का हर युवा खेलों के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो।

    उत्तराखण्ड की खेलों की दृष्टि से भी पहचान हो इसके लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। राज्य में खेलों के समग्र विकास और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए नई खेल नीति में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न सरकारी नौकरी दी जा रही है।

    उत्तराखण्ड को खेल-भूमि बनाने के उद्देश्य से जल्द ही प्रदेश सरकार ‘स्पोर्ट्स लीगेसी प्लान’ लागू कर रही है। जिसके तहत प्रदेश के आठ प्रमुख शहरों में 23 खेल अकादमियों की स्थापना की जाएगी। इन खेल अकादमियों में प्रत्येक वर्ष 920 विश्व स्तरीय एथलीट और 1000 अन्य खिलाड़ी उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। हल्द्वानी में उत्तराखण्ड का पहला खेल विश्वविद्यालय और लोहाघाट में एक महिला स्पोर्ट्स कॉलेज स्थापित करने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है।

    इस वर्ष राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी से उत्तराखण्ड में खेल की संभावनाएं बढ़ी हैं। राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखण्ड ने 25वें स्थान से 7वें स्थान पर पहुंचकर रिकॉर्ड कायम किया है। राज्य के खिलाड़ियों ने 101 पदक जीतकर देश में खेलों का गौरव बढ़ाया है।

    हमें गर्व है कि उत्तराखण्ड के अनेक युवा खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। मैं विशेष रूप से यह कहना चाहूँगा कि विंटर स्पोर्ट्स में हमारी नारी शक्ति भी बढ़-चढ़कर भाग ले रही है, जो ‘नारी सशक्तीकरण’ की दिशा में प्रेरणादायक है।

    युवा साथियों,

    व्यक्तित्व विकास के साथ-साथ खेल, राष्ट्र निर्माण का भी माध्यम हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है- ‘खिलाड़ी केवल पदक नहीं लाते, वे राष्ट्र का मनोबल बढ़ाते हैं और वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा को नई ऊँचाइयों तक ले जाते हैं।’ इसी भावना के साथ केंद्र सरकार ने ‘खेलो इंडिया, ‘फिट इंडिया मूवमेंट, ‘ज्व्च्ै योजना जैसी पहलें आरंभ की हैं, जिनका उद्देश्य देश में जमीनी स्तर से खेल प्रतिभाओं की खोज और उनका पोषण है।

    केंद्र सरकार अपनी नीतियों में खेलों को सर्वाेच्च प्राथमिकता दे रही है। आज खेलो इंडिया, यूनिवर्सिटी गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया यूथ गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया विंटर गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया पैरा गेम्स होते हैं, यानी साल भर, अलग-अलग लेवल पर, पूरे देश स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर लगातार स्पर्धाएं होती रहती हैं। इससे हमारे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ता है, उनका टैलेंट निखरकर सामने आता है।

    भारत में स्पोर्ट्स अब एक कल्चर के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। और जितना ज्यादा भारत में स्पोर्टिंग कल्चर बढ़ेगा, उतना ही भारत की सॉफ्ट पावर भी बढ़ेगी। ओलंपिक्स खेल कभी भारत में आयोजित हों, ये हर भारतीय का सपना रहा है। आज भारत प्रयास कर रहा है, कि साल 2036 में ओलंपिक्स हमारे देश में हों।

    केंद्र सरकार देश में खेल अवसंरचना को आधुनिक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पिछले एक दशक में खेल बजट में तीन गुना से अधिक की वृद्धि की गई है, इस वर्ष खेल बजट लगभग 4,000 करोड़ रुपये का है। देश में अच्छे खिलाड़ियों के साथ-साथ उत्कृष्ट खेल पेशेवर तैयार करने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेलों को मुख्य धारा की शिक्षा का हिस्सा बनाया है।

    स्पोर्ट्स की दुनिया और स्पोर्ट्स से जुड़ी इकोनॉमी सिर्फ फील्ड तक सीमित नहीं है। आज ये नौजवानों को रोजगार और स्वरोजगार को भी नए अवसर दे रहा है। इसमें फिजियोथेरेपी, डेटा एनालिटिक्स, स्पोर्ट्स टेक्नॉलॉजी, ब्रॉडकास्टिंग, ई-स्पोर्ट्स, मैनेजमेंट, ऐसे कई सब-सेक्टर्स हैं। हमारे युवा- कोच, फिटनेस ट्रेनर, रिक्रूटमेंट एजेंट, इवेंट मैनेजर, स्पोर्ट्स लॉयर, स्पोर्ट्स मीडिया एक्सपर्ट की राह भी चुन सकते हैं। नौजवानों के लिए स्पोर्ट्स एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में भी अनेक संभावनाएं बन रही हैं।

    मेरे युवा साथियों,

    खेलों का सामाजिक और राष्ट्रीय विकास में भी अहम योगदान है। खेल युवा ऊर्जा को रचनात्मक दिशा देते हैं, नशा और हिंसा से दूर रखते हैं और राष्ट्र की एकता को मजबूती देते हैं। खेलों के माध्यम से युवाओं में आत्मविश्वास आता है और यही आत्मविश्वास राष्ट्रनिर्माण की नींव रखता है। हमारे खिलाड़ी ही नए भारत के ब्रांड एम्बेसडर हैं।

    आज जब हम एक चैंपियनशिप के समापन और दूसरी के आरंभ के साक्षी बन रहे हैं, तब यह हमारे लिए एक सकारात्मक संदेश है – ‘समापन केवल अंत नहीं होता, वह नए आरंभ का द्वार होता है।’

    हम जानते हैं, जीवन के हर क्षेत्र में स्पोर्ट्समैनशिप का बहुत बड़ा महत्व होता है। स्पोर्ट्स के मैदान में हम टीम भावना सीखते हैं, एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ना सीखते हैं। आपको खेल के मैदान पर अपना बेस्ट देना है।

    मैं सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देता हूँ कि आप हमेशा खेल भावना से आगे बढ़ें, स्वयं को निखारें और भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने की दिशा में अपना योगदान दें। आइए, हम सब मिलकर खेलों को जन आंदोलन बनाएं और प्रधानमंत्री जी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को सशक्त करें।
    जय हिन्द!