19-12-2024 : उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) युवा महिला वैज्ञानिक कॉन्क्लेव में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
जय हिन्द!
यूसर्क द्वारा आयोजित इस वैज्ञानिक कॉन्क्लेव में बौद्धिक क्षमता से परिपूर्ण युवा महिला वैज्ञानिकों के बीच आकर मुझे अत्यधिक प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।
मैं आज यहां सम्मानित होने वाली महिला वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं देता हूँ मेरा विश्वास है कि यह सम्मान आपको प्रदेश के चहुमुखी विकास में योगदान हेतु प्रोत्साहित करते हुए सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने हेतु प्रेरित करेगा।
हम सभी जानते हैं कि आज का यह युग साइंस और टेक्नोलॉजी का युग है। आज का यह कॉन्क्लेव भगवान शिव के त्रिशूल की भांति साइंस एवं टेक्नोलॉजी, महिला शक्ति और युवा शक्ति तीनों का ही अद्भुत मिश्रण है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि इन तीनों शक्तियों के बल पर हम विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्व गुरु भारत के संकल्प की सिद्धि को प्राप्त करेंगे।
यह हम सभी के लिए बेहद गर्व और हर्ष का विषय है कि हमारी मातृशक्ति और बेटियां लगातार हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं। आज देश में हो रहे नव परिवर्तन का नेतृत्व हमारी महिला शक्ति के द्वारा ही किया जा रहा है। हमें गर्व है कि वर्तमान समय में महिलाएं विज्ञान के प्रसार में भी अतुलनीय योगदान दे रही हैं।
शिक्षा हो या स्वरोजगार, साइंस हो या टेक्नोलॉजी सभी क्षेत्रों में हमारी बेटियां आगे बढ़ रही हैं और उनकी उपलब्धियां बेहद प्रभावशाली और प्रेरणादायी हैं। मैं एक बात कहना चाहूंगा, उत्तराखण्ड की महिलाएं तो अपने आप में अलग हैं, उनका सामथ्र्य उनकी क्षमता अलग ही स्तर की है।
महिला सशक्तीकरण एवं स्वरोजगार की दिशा में आ रही कठिनाईयों को विज्ञान एवं तकनीकी के माध्यम से दूर करते हुए, सामाजिक सहभागिता को बढ़ाकर हम समावेशी विकास की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इस दिशा में यूसर्क के द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं।
यह प्रसन्नता की बात है कि यूसर्क द्वारा प्रौद्योगिकी आधारित विज्ञान शिक्षा, प्रयोगशालाओं के सुदृढ़ीकरण, शोध एवं अनुसंधान के साथ ही पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक पहुँच के अन्तर्गत छात्र केन्द्रित अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। छात्रों में विज्ञान के प्रति अभिरूचि एवं समझ विकसित करने हेतु प्रदेशभर में 82 ैज्म्ड प्रयोगशालाओं की स्थापना एवं संचालन किया जा रहा है।
यूसर्क द्वारा विभिन्न नवोन्मेषी उद्यमिता विकास केन्द्रों की स्थापना, उच्च शिक्षा में अध्ययनरत एवं शोधरत विद्यार्थियों के लिए विभिन्न विज्ञान विषयों पर साप्ताहिक हैण्ड्स ऑन ट्रेनिंग सर्टिफिकेट कार्यक्रम, विभिन्न वैज्ञानिक एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों के संचालन हेतु राज्य में 200 विज्ञान चेतना केन्द्रों के माध्यम से वैज्ञानिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। यूसर्क के ये प्रयास राज्य में शोध, नवाचार, पर्यावरण संरक्षण परम्परागत ज्ञान, विज्ञान एवं शिक्षा को बढ़ावा देने में सहायक होंगे।
यूसर्क द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोध, अध्यापन, प्रशिक्षण तथा दुर्गम क्षेत्रों तक विज्ञान शिक्षा के प्रसार के साथ ही उत्तराखण्ड के सम्पूर्ण जनपदों में महिला वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों, अध्यापकों के प्रोत्साहन हेतु विभिन्न वैज्ञानिक कार्यक्रमों का आयोजन का लाभ निश्चित ही हमारे युवाओं को मिलेगा।
मेरा मानना है कि महिलाएं ऊर्जा और शक्ति का मिश्रण हैं। मेरा आपसे आग्रह है कि आप अपनी क्षमता को पहचान कर और मजबूत साहस के साथ विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व के लिए आगे आएं।
यह देश के लिए शुभ संकेत है कि आज देश में पुरुषों की तुलना में महिलाएं उच्च शिक्षा में अधिक प्रवेश ले रही हैं। आज भारत में लगभग एक-चैथाई अंतरिक्ष वैज्ञानिक महिलाएं हैं। चंद्रयान, गगन यान और मिशन मंगल जैसे हमारे प्रमुख कार्यक्रमों की सफलता के पीछे हमारी महिला वैज्ञानिकों की प्रतिभा और कड़ी मेहनत है।
मेरा मानना है कि जब महिलाएं समृद्ध होती हैं तो दुनिया समृद्ध होती है। उनका आर्थिक सशक्तीकरण विकास को बढ़ावा देता है और शिक्षा तक उनकी पहुंच वैश्विक प्रगति को आगे बढ़ाती है। उनका नेतृत्व समावेशिता को बढ़ावा देता है। महिलाओं को सशक्त बनाने का सबसे प्रभावी तरीका महिला-केंद्रित विकास को बढ़ावा देना है और भारत इस दिशा में असीम प्रगति कर रहा है।
भारत क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। एआई की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए हम विभिन्न स्तरों पर मानव इंटरफेस का भी उपयोग कर रहे हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में समान अवसर के कारण महिला वैज्ञानिकों की भूमिका बढ़ रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में महिला वैज्ञानिक समुदाय को सशक्त बनाया गया है। आज अंतरिक्ष मिशन सहित कई वैज्ञानिक संस्थान और कार्यक्रम महिलाओं के नेतृत्व में चल रहे हैं।
विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में युवा बेटियों को और अधिक आगे बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए सरकार इन क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रही है, जिसमें युवा लड़कियों को स्कूल के बाद से ही उच्च शिक्षा के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी एवं गणित अर्थात स्टेम विषयों को चुनने के लिए प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
मैं मानता हूँ कि कारोबार, खेल या शिक्षा किसी भी क्षेत्र में समान अवसर और प्रोत्साहन मिलने पर महिलाओं की क्षमता अपने समकक्ष पुरुषों से कतई कम नहीं हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपने करियर के रूप में चुनने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करने के वास्ते कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं।
हाल के दशकों में, एक गहरा बदलाव चल रहा है, क्योंकि दुनिया भर की महिलाएं तमाम बाधाओं को तोड़ कर आगे बढ़ रही हैं। ैज्म्ड के परिदृश्य को नया आकार दे रही हैं। यह अच्छी बात है कि आज भारत में स्टेम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) स्नातकों में महिलाओं का परसेंटेज निरंतर बढ़ रहा है। आज देश में लगभग 43 प्रतिशत महिलाएं स्टेम की पढ़ाई कर रही हैं।
अब जैसे-जैसे अधिक महिलाएँ ैज्म्ड में करियर बना रही हैं, वे महत्वाकांक्षी वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और टेक्नोलॉजिस्ट की अगली पीढ़ी के लिए रोल मॉडल और सलाहकार भी बन रही हैं। उनकी कहानियाँ और उपलब्धियाँ प्रेरणादायी हैं, जो दर्शाती हैं कि इन क्षेत्रों में सफलता के लिए लिंग कोई बाधा नहीं है।
ैज्म्ड में महिलाओं की इस बढ़ती भागीदारी का प्रभाव दूरगामी और बहुआयामी है। यह न केवल लैंगिक समानता और विविधता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह रचनात्मकता और नवाचार को बढ़ावा देते हुए प्रतिभा और दृष्टिकोणों के एक विशाल पूल को भी खोलता है।
विज्ञान और टेक्नोलॉजी न केवल देश की आर्थिक प्रगति बल्कि समाज के हर वर्ग के सशक्तीकरण का माध्यम भी हैं। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में विज्ञान और टेक्नोलॉजी की भूमिका अहम रहने वाली है।
टेक्नोलॉजी के उपयोग से देश की औद्योगिक प्रगति, कृषि क्षेत्र में सुधार, स्वास्थ्य सेवाओं में नवाचार और डिजिटल क्रांति को नई दिशा मिली है। इसके जरिए हम भारत को एक ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित कर सकते हैं।
डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों ने टेक्नोलॉजी के उपयोग से भारत की उत्पादन क्षमता और नवाचार में वृद्धि की है। युवाओं को विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में प्रेरित करके हम भविष्य में और अधिक अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दे सकते हैं, जो भारत को वैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाएगा।
विज्ञान ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार किया है, रोजगार के अवसरों में वृद्धि की है, लाखों लोगों की जान बचाई है, औद्योगिक विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है। मेरा आग्रह है कि विज्ञान के उपयोग को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना चाहिए, ताकि ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी टेक्नोलॉजी की सुविधा पहुंच सके। विज्ञान और टेक्नोलॉजी में उन्नति ही भारत को वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे ले जाने का महत्वपूर्ण साधन है।
विज्ञान के इस युग में हमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, तकनीकी, वर्चुअल रियलिटी सहित अन्य क्षेत्रों में भी अपने आप को साबित करना होगा। तभी हम सफलता की बुलंदियों को छू कर विकसित उत्तराखण्ड और विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
आज के इस महिला वैज्ञानिक कॉन्क्लेव में सम्मान हेतु चयनित युवा वैज्ञानिक महिलाओं को मैं पुनः बधाई देता हूँ। मुझे विश्वास है कि आपके द्वारा उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में, किए जा रहे विज्ञान शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान, कृषि एवं सम्बद्ध विज्ञान में उत्कृष्ट कार्य, प्रदेश को अग्रणी राज्य बनाने में सहायक सिद्ध होंगे।
अंत में, मैं यूसर्क की निदेशक प्रो० अनीता रावत एवं उनकी टीम को महिला कॉन्क्लेव के आयोजन हेतु बधाई देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!