18-04-2021:स्कूल डैशबोर्ड के लोकार्पण अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का संबोधन
‘स्कूल डैशबोर्ड’ का लोकार्पण उत्तराखण्ड की शिक्षा व्यवस्था में तकनीकी नवाचार का प्रतीक।
प्रवेशोत्सव पूरे परिवार के सपनों की शुरुआत, हम सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा शिक्षा से न रहे वंचित।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आवासीय विद्यालय अपवंचित एवं कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए सराहनीय पहल।
उत्तराखण्ड को “शिक्षा का हब” बनाने की दिशा में हम लगातार प्रयासरत।
‘विश्व गुरु भारत’ की पुनर्प्रतिष्ठा एक मजबूत और समावेशी शिक्षा व्यवस्था से ही संभव।
21वीं सदी के इस युग में, जब तकनीक जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है, तब शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का समावेश अत्यंत आवश्यक।
जय हिन्द!
भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल के तीन शूलों की शक्ति की तरह आज यहाँ पर तीन कार्यक्रमों ‘स्कूल डैशबोर्ड’ का लोकार्पण, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आवासीय विद्यालयों को सहायता राशि वितरण और प्रवेश उत्सव कार्यक्रम के अवसर पर इस सभागार में उपस्थित सभी गणमान्य जनों का मैं हृदय से अभिनंदन करता हूँ।
नई तकनीकों के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे उत्तराखण्ड के लिए आज का यह अवसर विशेष है। इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ। ‘स्कूल डैशबोर्ड’ का लोकार्पण न केवल उत्तराखण्ड की शिक्षा व्यवस्था में तकनीकी नवाचार का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य के हर बच्चे को गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
मैं वीर माधो सिंह भण्डारी टेक्निकल यूनिवर्सिटी, तकनीकी विशेषज्ञों, और सभी शिक्षकों को बधाई देता हूँ जिन्होंने ‘स्कूल डैशबोर्ड’ को साकार किया। यह केवल एक तकनीकी उपकरण नहीं है, बल्कि यह उत्तराखण्ड की शिक्षा के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी क्रांति की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक भी है।
साथियों,
प्रवेशोत्सव का यह उल्लासपूर्ण अवसर केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि शिक्षा के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हर वर्ष शैक्षिक सत्र की शुरुआत में, हम नव-प्रवेशी बच्चों को केवल स्कूल में नहीं लाते, बल्कि उन्हें एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करते हैं। यह पहल बच्चों के मन में स्कूल के प्रति आत्मीयता और जुड़ाव की भावना विकसित करती है।
मैं शिक्षा विभाग के प्रवेश उत्सव पहल की सराहना करता हूँ, जिसके माध्यम से बच्चों और उनके अभिभावकों को शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक किया जा रहा है। एक बच्चे का स्कूल में प्रवेश केवल एक सामान्य कदम नहीं, बल्कि एक पूरे परिवार के सपनों की शुरुआत है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
साथियों,
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आवासीय विद्यालय की पहल, जिनमें छात्रावासों में रहकर अपवंचित एवं कमजोर वर्ग के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यह एक सराहनीय पहल है, जो विभिन्न कारणों से विद्यालयी शिक्षा से वंचित, समाज के उन अनाथ, बेघर, और कमजोर वर्ग के बच्चों के जीवन को नया स्वरूप दे रही है। हमारा यह केवल एक सामाजिक उत्तरदायित्व नहीं, बल्कि एक भावनात्मक कर्तव्य भी है।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का नाम साहस, सेवा और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक है। उनके नाम से स्थापित ये छात्रावास उसी भावना को आत्मसात करते हुए हर बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान देने का कार्य कर रहे हैं। शिक्षा विभाग द्वारा इन छात्रावासों का उच्चीकरण कर इन्हें कक्षा 12वीं तक विस्तारित करना एक दूरदर्शी निर्णय है। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी बच्चा केवल संसाधनों के अभाव में अपने सपनों से वंचित न रह जाए।
साथियों,
देवभूमि उत्तराखण्ड शिक्षा की भूमि के रूप में भी विश्व विख्यात हो, उत्तराखण्ड के राज्यपाल के रूप में अपनी भूमिका के शुरुआत से ही इस दिशा में मेरा भरसक प्रयास रहा है। यह देवभूमि केवल आध्यात्मिकता और प्रकृति की सुंदरता के लिए ही नहीं जानी जाती, बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में भी एक सशक्त पहचान बना रही है। यहाँ के शिक्षण संस्थान- चाहे वह स्कूल हों, केंद्रीय विद्यालय हों, सैनिक स्कूल हों या प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
21वीं सदी के इस युग में, जब तकनीक जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है, तब शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल तकनीक का समावेश अत्यंत आवश्यक हो गया है। ‘स्कूल डैशबोर्ड’ इसी सोच की एक सशक्त अभिव्यक्ति है। यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो छात्रों की उपस्थिति, शिक्षक प्रशिक्षण, विद्यालयों की अवस्थिति, और शैक्षणिक प्रदर्शन जैसी महत्वपूर्ण जानकारियों को एक ही मंच पर लाकर नीति निर्धारकों, शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को लाभान्वित करेगा।
मुझे गर्व है कि उत्तराखण्ड को “शिक्षा का हब” बनाने की दिशा में हम लगातार प्रयासरत हैं। आज ‘स्कूल डैशबोर्ड’ जैसे नवाचार इस बात का प्रमाण हैं कि हम पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन यह भी ध्यान रहे! उत्तराखण्ड को देश का सबसे समृद्ध, विकसित और सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए हम सभी को पूरी ईमानदारी, मेहनत एवं लगन से कार्य करते हुए अपना श्रेष्ठ योगदान देना होगा।
प्रिय विद्यार्थियों,
आप भारत के भविष्य के कर्णधार हैं। आज जब हम ‘विश्व गुरु भारत’ के पुनर्प्रतिष्ठा की बात करते हैं, तब हमें यह समझना होगा कि उसका आधार एक मजबूत और समावेशी शिक्षा व्यवस्था ही हो सकती है। भारत ने प्राचीन काल में तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों के माध्यम से विश्व को ज्ञान का प्रकाश दिया था। अब समय आ गया है कि हम आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से उसी गौरव को फिर से स्थापित करें।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने हमें यह अवसर प्रदान किया है कि हम शिक्षा को केवल डिग्री प्राप्त करने का माध्यम न मानें, बल्कि इसे जीवन को समझने, कौशल विकसित करने और चरित्र निर्माण का साधन बनाएँ। हमें प्रसन्नता है कि उत्तराखण्ड इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
टेक्नोलॉजी अब केवल एक विकल्प नहीं रही, बल्कि यह शिक्षा का अभिन्न अंग बन गई है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का प्रयोग अब स्कूल स्तर पर भी हो रहा है। ‘स्कूल डैशबोर्ड’ जैसे माध्यम से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर बच्चा, चाहे वह पहाड़ के सुदूर गांव में क्यों न रहता हो, उसे भी समान शैक्षणिक अवसर मिले।
प्यारे बच्चों! आपको मिल रहा यह अवसर एक नई सुबह की तरह है। आप पूरे समर्पण, अनुशासन और आत्मविश्वास के साथ शिक्षा प्राप्त करें। आपके सपनों को साकार करना ही हमारे देश की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। मेरा आग्रह है कि आप शिक्षा को केवल एक जिम्मेदारी न मानें, बल्कि इसे एक अवसर समझें। ऐसा अवसर जो आपके जीवन को एक नई दिशा देगा और देश को विश्व में अग्रणी बनाएगा। आपकी सोच, आपका दृष्टिकोण, आपकी मेहनत- यही आने वाले भारत की तस्वीर तय करेगी।
आज जब हम ‘डिजिटल इंडिया’ की बात करते हैं, तब यह आवश्यक है कि हम डिजिटल शिक्षा की दिशा में भी आगे बढ़ें। ‘स्कूल डैशबोर्ड’ जैसे कदमों से हम न केवल शिक्षण पद्धतियों में सुधार ला सकते हैं, बल्कि हम छात्रों की भागीदारी को भी बढ़ा सकते हैं। मुझे विश्वास है कि उत्तराखण्ड का प्रत्येक युवा अब इस डिजिटल युग की ताकत को समझेगा और उसे शिक्षा के माध्यम से अपने और समाज के विकास में प्रयोग करेगा।
प्यारे बच्चों! आप उत्तराखण्ड और भारत का भविष्य हैं। आपके अंदर वह ऊर्जा, प्रतिभा और संभावनाएँ हैं, जो आने वाले समय में हमारे समाज और राष्ट्र को नई ऊँचाइयों तक ले जा सकती हैं। स्कूल वह स्थान है जहाँ आपके सपनों को आकार मिलता है, जहाँ आप ज्ञान, अनुशासन और संस्कार प्राप्त करते हैं। इसलिए बड़े सपने देखें, लेकिन खुली आँखों से, और उन्हें पूरा करने के लिए पूरे मनोयोग से जुट जाएँ, सफलता अवश्य आपके कदम चूमेगी।
विद्वत शिक्षकगण,
आपकी भूमिका केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं है, बल्कि आप बच्चों के मार्गदर्शक, प्रेरणास्त्रोत और आदर्श होते हैं। मेरा आपसे आग्रह है कि आप हर बच्चे को स्नेह और संवेदना के साथ गढ़ें, ताकि वह न केवल एक अच्छा विद्यार्थी बने, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक भी बने, ताकि वह सशक्त राष्ट्र के निर्माण में अपना श्रेष्ठ योगदान दे सके।
हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम टेक्नोलॉजी का उपयोग करके शिक्षकों को भी और सशक्त बनाएँ, ताकि शिक्षक अपने नवीन कौशल से विद्यार्थियों को वर्तमान समय के अनुकूल पारंगत बना सके। हम छात्रों की प्रगति को नियमित रूप से ट्रैक करें, और समावेशी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ। हमें छात्रों को अपने देश की महान विरासत, संस्कृति और परंपराओं के बारे में जानकारी देना भी जरूरी है ताकि वे अपनी जड़ों की ओर आकृष्ट हो सकें।
आइए! हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम उत्तराखण्ड को न केवल एक आध्यात्मिक केंद्र बनाएंगे, बल्कि इसे ज्ञान और नवाचार का केंद्र भी बनाएंगे। हम शिक्षा के माध्यम से समाज में समता, समानता और समरसता का संदेश देंगे।
आइए! हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि उत्तराखंड का हर बच्चा विद्यालय में नामांकित हो, नियमित रूप से स्कूल आए और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करे।
आइए! हम सब मिलकर समृद्ध भारत, आत्मनिर्भर भारत और विश्व गुरु भारत के निर्माण में अपना-अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देते हुए भारत के पुरातन वैभव को पुनः स्थापित करें।
इस आकांक्षा, अपेक्षा और विश्वास के साथ मैं आप सभी को पुनः बधाई और शुभकामनाएँ देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!