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    17-10-2024-विश्व ट्रॉमा दिवस के अवसर पर एम्स ऋषिकेश में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    प्रकाशित तिथि: अक्टूबर 17, 2024

    जय हिन्द!

    आज विश्व ट्रॉमा दिवस के अवसर पर आपके बीच उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। आज का यह दिन हमें आपातकालीन परिस्थितियों में जीवन बचाने में ट्रॉमा देखभाल की महत्वपूर्ण भूमिका और जन जागरूकता व कुशल प्रणालियों के विकास की निरंतर आवश्यकता की याद दिलाता है।

    आपने देखा होगा कि हमारे आस-पास आए दिन दुर्घटनाएं घटती रहती हैं, जिसकी कोई उम्मीद भी नहीं करता है। ऐसे में ये घटनाएं लोगों के दिल व दिमाग पर ऐसा असर डालती है। कई बार तो ट्रॉमा की वजह से व्यक्ति की जान भी चली जाती है। व्यक्ति को किसी घटना के कारण अचानक गहरा सदमा लग जाना ही ट्रॉमा (आघात) है।

    ट्रॉमा से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित होता है। इसलिए, इस समस्या से पीड़ित लोगों को समर्थन देने और संसाधन उपलब्ध कराने पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है। हर साल दुनियाभर में 17 अक्टूबर को विश्व ट्रॉमा दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य ट्रॉमा से शिकार व्यक्ति की उचित देखभाल के लिए लोगों को जागरूक करना है।

    वर्तमान समय में सड़क दुर्घटनाएं दुनिया भर में आघात का प्रमुख कारण हैं। यह विश्व भर में 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं के मृत्यु का प्रमुख कारण हैं। देश भर में यातायात से संबंधित दुर्घटनाओं में हर दिन 400 से अधिक लोगों की मृत्यु होती हैं। जो बड़ी चिंता का विषय है।

    विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वैश्विक सड़क दुर्घटनाओं में 11 प्रतिशत मौतें होती हैं, तथा हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। पिछले दशक में भारत में इस कारण 13 लाख लोग मारे गये और 50 लाख घायल हुए। अपने देश में सड़क यातायात दुर्घटनाएं 3 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही हैं, जो सोचनीय विषय है।

    हम देख रहे हैं कि ज्यादातर सड़क दुर्घटना के कारण ही ट्रॉमा के मामले सामने आते हैं, इसलिए वर्ल्ड ट्रॉमा-डे मनाने का मुख्य उद्देश्य सड़क सुरक्षा उपायों को भी बढ़ावा देना है। जैसे-नशे में गाड़ी चलाने से बचना, गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट पहनना, ड्राइविंग के नियमों को फॉलो करना।

    उत्तराखण्ड में सड़क दुर्घटनाओं को कम करना एक बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। हेल्थ, एसडीआरएफ, एनसीसी और रेडक्रॉस की टीमों को समन्वय कर इसे आगे बढ़ाना चाहिए। हमारे प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां बड़ी विकट और विषम हैं। इसलिए यहाँ दुर्घटना के दौरान दिए जाने वाले फस्ट एड के संबंध में जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है।

    उत्तराखण्ड में अधिकतर मौतें दुर्घटनाओं के कारण होती हैं। ऐसे में एम्स का प्रयास हो कि अधिक से अधिक लोगों को ट्रॉमा के प्रति सजग और जागरूक किया जाय। मुझे लगता है कि राज्य में दुर्घटना मृत्यु दर कम करने के लिए सटीक सिस्टम विकसित करना जरूरी है। कैंसर की तरह ही ट्रॉमा के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं। इसके लिए हमें ट्रॉमा जागरूकता और ट्रॉमा चिकित्सा को और ज्यादा मजबूत करने की आवश्यकता है।

    मैं एम्स द्वारा आयोजित किए जा रहे जन-जागरूकता कार्यक्रमों की सराहना करता हूँ। मुझे बताया गया कि एम्स ऋषिकेश द्वारा किए गए सबसे प्रभावशाली प्रयासों में से एक है, पिछले छह वर्षों में लगभग 5000 छात्रों को प्रशिक्षण देना। जिसमें छात्रों को तीन वर्षों की अवधि में नियमित रूप से प्रशिक्षित किया जाता है। यह पहल एक मजबूत और सुरक्षित समुदाय बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

    आज की दुनिया में, स्वास्थ्य सेवाओं में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। एम्स ऋषिकेश का ट्रॉमा टेलीमेडिसिन कार्यक्रम एक गेम चेंजर साबित हुआ है। इस पहल के माध्यम से अब तक 25,000 से अधिक मरीजों को देखभाल प्रदान की जा चुकी है, और 100 से अधिक जीवन और अंगों को बचाया गया है। मैं इसके लिए एम्स परिवार की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ।

    एम्स ऋषिकेश ने राज्य सरकार के साथ मिलकर 250 से अधिक मरीजों की सफलतापूर्वक हेलीकॉप्टर द्वारा निकासी की है, जिससे समय पर जीवनरक्षक चिकित्सा सहायता प्रदान की जा सकी है। एम्स ऋषिकेश द्वारा संचालित हेली एम्बुलेंस और टेलिमेडिसिन सुविधा से विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले इस पहाड़ी राज्य में स्वास्थ्य से संबंधित चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।

    मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि आने वाले दिनों में ‘संजीवनी’ नामक परियोजना शुरू होने जा रही है, जिसके तहत अगले एक वर्ष तक मरीजों को निःशुल्क हेलीकॉप्टर से निकाला जाएगा। इस परियोजना के अंतर्गत प्रति माह 50 ट्रॉमा रोगियों को बिना किसी खर्च के निकासी और चिकित्सा सहायता प्रदान की जाएगी।

    एम्स ऋषिकेश ने उत्तराखण्ड राज्य के स्वास्थ्य रोडमैप की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह राज्य क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्र के साथ सहयोग कर रहा है। मुझे विश्वास है कि यह साझेदारी राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करेगी और ट्रॉमा और आपातकालीन सेवाओं को अधिक सुलभ बनाएगी।

    हर साल हजारों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करने वाले धार्मिक आयोजन चारधाम यात्रा के दौरान एम्स ने महत्वपूर्ण ट्रॉमा देखभाल सेवाएं प्रदान की हैं, जिससे तीर्थयात्रियों को आपातकालीन स्थिति में तुरंत चिकित्सा सहायता उपलब्ध हो सकी, जो सराहनीय कार्य है।
    मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि 2025 में 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखण्ड में किया जाएगा। एम्स ऋषिकेश का ट्रॉमा सर्जरी विभाग इस महत्वपूर्ण आयोजन के दौरान खेल चोटों का प्रबंधन करेगा और इसमें प्रमुख भूमिका निभाएगा। विभाग का विशेषज्ञता से भरा अनुभव यह सुनिश्चित करेगा कि एथलीटों को समय पर और उचित चिकित्सा देखभाल मिले।

    इसमें कोई शक नहीं है कि पिछले छह वर्षों से एम्स ऋषिकेश ट्रॉमा मरीजों के लिए एक आशा की किरण और उत्तराखण्ड राज्य के लिए एक मजबूत स्तंभ बना हुआ है। ट्रॉमा सर्जरी विभाग और संपूर्ण चिकित्सा टीम की निष्ठा और अटूट प्रयासों से न केवल अनगिनत जीवन बचाए गए हैं, बल्कि ट्रॉमा देखभाल के क्षेत्र में नए मानदंड भी स्थापित किए गए हैं। इस अवसर पर, मैं इस संस्था की इन सभी अद्वितीय उपलब्धियों के लिए सराहना करता हूँ।

    विश्व ट्रॉमा दिवस के अवसर पर, हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने समुदायों को सुरक्षित और अधिक सक्षम बनाएंगे। हम एक ऐसे भविष्य की दिशा में काम करें, जहाँ सभी के लिए ट्रॉमा देखभाल सुलभ हो और कोई भी जान किसी रोकथाम योग्य चोट के कारण न खोई जाए।

    एक बार फिर से, मैं एम्स ऋषिकेश को उसकी उत्कृष्ट उपलब्धियों और ट्रॉमा देखभाल में उसकी निष्ठा के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ।
    जय हिन्द!