Close

    16-12-2024 : कुमाऊँ विश्वविद्यालय के 19वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन।

    प्रकाशित तिथि: दिसम्बर 16, 2024

    जय हिन्द!

    दीक्षांत समारोहों में ऊर्जा और उत्साह से भरे भारत के अमृतकाल की अमृत पीढ़ी के बीच आकर मुझे अपार खुशी की अनुभूति होती है। दीक्षांत समारोह का यह उत्सव हम सभी के लिए गर्व और खुशी का प्रतीक है। यह दिन उन सभी विद्यार्थियों के अथक परिश्रम, दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास का उत्सव है, जिन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा को पूर्ण कर आज इस समारोह में डिग्री प्राप्त की हैं। मैं आप सभी को दिल से बधाई देता हूँ और आपकी सफलता में योगदान देने वाले आपके माता-पिता, परिवारजनों और गुरुजनों को भी शुभकामनाएं देता हूँ।

    उपाधि की प्राप्ति एक युग के अंत और एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। यह खट्टा-मीठा पल उपाधि प्राप्त करने वालों और उनके प्रियजनों के लिए सभी प्रकार की भावनाओं से भरा होता है, जिनमें अलविदा कहने से लेकर खुशी के आँसू, भविष्य सँवारने की चिंता और एक नए जीवन की शुरुआत का उत्साह समाया होता है।

    प्रिय विद्यार्थियों!

    दीक्षांत समारोह केवल डिग्रियों का वितरण नहीं है, यह अवसर आपकी शिक्षा यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह वह क्षण है, जब आपके भीतर एक नया दृष्टिकोण विकसित होता है। यह अवसर आपके ज्ञान को आपके जीवन, समाज, और राष्ट्र के विकास में योगदान देने की शक्ति प्रदान करता है। यह अहम दिवस आपके सपनों, आपकी मेहनत और आपकी क्षमता को उड़ान देने का क्षण है। आप सभी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!

    मुझे यह देखकर बेहद खुशी होती है कि आज हमारी बेटियां शिक्षा ही नहीं, हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हुए नाम कमा रही है। आज आप देखिए, सेना के अग्रिम मोर्चों में बेटियों की तैनाती हो रही हैं। हमारी बेटियां अब बड़ी संख्या में फाइटर पायलट बन रही हैं। आज पुलिस में भी बड़ी संख्या में भर्ती होकर बेटियां योगदान दे रही हैं। आज बड़ी-बड़ी कंपनियों की कमान हमारी बेटियां संभाल रही हैं। देश में किसानों के, पशुपालकों की 1200 ऐसी सहकारी समितियां हैं, जिनका नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। खेल का मैदान हो या पढ़ाई का, बेटियां हर क्षेत्र में देश को आगे बढ़ा रही हैं।

    साथियों!

    विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्थान नहीं है, यह एक ऐसा पवित्र स्थल है जहाँ भविष्य का निर्माण होता है। यहाँ दी जाने वाली शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह युवाओं को भविष्य के दृष्टिगत सामथ्र्यवान बनाता है। मुझे खुशी है कि यह विश्वविद्यालय आज अपने नवाचारों, अनुसंधान, और समाज उपयोगी पहलों के कारण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जा रहा है।

    कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, उद्योग जगत के विशेषज्ञों, और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों को विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया है। यह पहल शिक्षा और उद्योग के बीच एक मजबूत सेतु का कार्य कर रही है। यहां स्थापित बायोफ्लॉक फिश टेक्नोलॉजी सेंटर न केवल नैनीताल झील में देशी मछलियों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए कार्यरत है, बल्कि विद्यार्थियों को जैव प्रौद्योगिकी और पर्यावरण संरक्षण की आधुनिक तकनीकों से भी परिचित कराता है।

    विश्वविद्यालय द्वारा आंतरिक शोध वित्तपोषण के तहत योग्य शिक्षकों को शोध कार्य के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना, छात्रों और शिक्षकों को उनके नवाचारों को पेटेंट कराने में सहायता प्रदान करने के लिए पेटेंट सेल की स्थापना, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, छात्रों की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने के लिए टैलेंट हंट प्रोग्राम शुरू करना, वीसी इंटर्नशिप फेलोशिप और पेड इंटर्नशिप प्रोग्राम की शुरुआत, ये सभी कदम वास्तव में सराहनीय हैं।

    मैं विश्वविद्यालय के उन छात्रों को बधाई देना चाहता हूँ, जिन्होंने टैलेंट हंट प्रोग्राम के तहत अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया। जिन्होंने ‘बाखली’ के माध्यम से हमारी संस्कृति, शोध, और साहित्य को एक नया मंच दिया। और उन शिक्षकों को धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिन्होंने अपने ज्ञान और मेहनत से इस विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया।

    प्यारे बच्चों!

    देश के इतिहास का कौन सा ऐसा कालखंड नहीं था, जब युवाओं ने अपनी प्रतिभा व ऊर्जा से समाज को नई दिशा न दी हो। जब भारत की धरती से श्री राम ने राक्षसी प्रवृत्ति को पूरी तरह समाप्त करने का आह्वान किया था, तब राम युवा ही थे। मथुरा को कंस व राक्षसों के अत्याचार से मुक्त करने वाले श्रीकृष्ण भी युवा ही थे। दुनिया को निर्माण का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध, ने जब पहला उपदेश दिया,तब वे भी युवा ही थे।

    शंकराचार्य हों या विवेकानंद, महाराणा प्रताप हो या छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोविंद सिंह हो या रानी लक्ष्मीबाई, नेता जी सुभाष चंद्र बोस हो या वीर सावरकर, भारत की आजादी के क्रांतिदूत, बलिदानी चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, सुखदेव, राजगुरु ये सभी युवा ही तो थे। हमारा गौरवशाली इतिहास गवाह है जिन लोगों ने देश की धारा को बदलने का कार्य किया, वे सभी युवा थे।

    आपकी आयु हर चुनौती से जूझने का जज्बा रखती है। युवा हर विपरीत परिस्थिति को अपने अनुकूल लाने का सामथ्र्य रखता है। युवाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं, बस करने का जज्बा होना चाहिए। हाँ एक महत्वपूर्ण बात, आपको देश-काल, समाज की वर्तमान स्थितियों की जानकारी भी होनी चाहिए। हमारे युवाओं को नवाचार, नए शोध व आसपास घटित होने वाली घटनाओं का अवलोकन करने की कार्यशैली विकसित करनी चाहिए। ऐसी घटनाएं सीखने और जानने का अवसर देती हैं।

    प्यारे विद्यार्थियों!

    जीवन में अनेक अवसर आते हैं, जो व्यक्ति को महान बनने का मौका प्रदान करते हैं। यह आपके विवेक पर निर्भर करता है कि उसके अनुरूप खुद को ढालने का सामथ्र्य रख पा रहे हैं या नहीं। मेरा इस युवा पीढ़ी को सुझाव है, तकनीक से भागे नहीं। याद रखें! जो समाज रिफॉर्म, साइंस और टेक्नोलाॅजी से भागा, वह कभी आगे नहीं बढ़ पाया।

    आज हर सेक्टर में टेक्नोलॉजी का, डेटा का बहुत महत्व है। ये सदी टेक ड्रिवन, डेटा ड्रिवेन सदी है। बीते दशक में भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या करीब 4 गुना बढ़ी है। डिजिटल ट्रांजेक्शन्स में तो नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। आज नया भारत, दुनिया को डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी और डेटा की असली ताकत दिखा रहा है। भारत ने दिखाया है कि कैसे डिजिटल टेक्नोलॉजी का डेमोक्रेटाइजेशन, हर क्षेत्र, हर वर्ग को फायदा पहुंचा रहा है। मेरा आपसे आग्रह है कि आप भी भारत की टेक पावर का हिस्सा बनें, मेरा दावा है, ये आपकी सफलता का मंत्र बनेगा।

    आप जैसे ऊर्जावान युवाओं की प्रतिभा के बल पर ज्ञान, कौशल और मूल्यों के साथ विकसित भारत के लक्ष्य को पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ने का समय है। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप उद्यमी बनें और रोजगार सृजन करें। भारत को नौकरी चाहने वालों की नहीं, बल्कि नौकरी देने वालों और नौकरी सृजक की जरूरत है। भारत को महाशक्ति बनने के लिए, हमें सभी क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं को बढ़ाना होगा।

    प्रिय विद्यार्थियों,

    आज आप एक नई यात्रा शुरू कर रहे हैं। यह यात्रा कठिन हो सकती है, लेकिन याद रखें, आपसे पहले भी कई लोग इस कठिन रास्ते पर चले हैं और सफलता पाई है। अपने भीतर साहस, ईमानदारी, और लगन को हमेशा जीवित रखें। यह सफर केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों का नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र की प्रगति का भी है। आप सभी में वह शक्ति और क्षमता है, जो समाज के समक्ष मौजूद चुनौतियों का समाधान निकाल सकती है। आज मैं आपसे तीन बातें सांझा करना चाहूँगा-

    सपने देखें, और खुली आंखों से सपने देखें, लेकिन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि उस समाज के लिए भी जिसने आपको इस मुकाम तक पहुंचाया।

    प्रगति करें, लेकिन साथ ही अपने नैतिक मूल्यों को जीवित रखें और अपने कर्तव्यों को हमेशा याद रखें।

    आप वही बनते हैं, जो आप बार-बार करते हैं। इसलिए अपने हर कार्य में उत्कृष्टता को आदत बनाएं।

    इस विश्वविद्यालय ने आपके सपनों को एक दिशा दी है। अब समय आ गया है कि आप अपनी शिक्षा और अनुभव का उपयोग समाज को बदलने और देश को आगे बढ़ाने में करें। अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए आत्म अनुशासन, आत्मबल और प्रतिबद्धता के बल पर आगे बढ़ें। मुझे पूर्ण विश्वास है, आपके प्रयासों से ही हमारा देश विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत, और विश्व गुरु भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर विश्व का सर्वश्रेष्ठ देश बनेगा।

    दीक्षांत समारोह आपकी जीवन यात्रा में एक मील का पत्थर है, आपके ज्ञान और शिक्षण का दायरा यहीं समाप्त नहीं हो जाता है। शिक्षण जीवन भर जारी रहेगा और रहना भी चाहिए। आप ज्ञान और कौशल से समर्थ होकर, नई चुनौतियों का सामना करने, अवसरों का लाभ उठाने और अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार होकर दुनिया में कदम रख रहे हैं। याद रखिए, आप अविश्वसनीय कार्यों को पूरा कर इतिहास रचने में सक्षम हैं, इसलिए अपनी सफलता की कहानी स्वयं लिखें और पूरे सामथ्र्य, उत्साह और जुनून के साथ उसे क्रियान्वित करें!

    प्रिय विद्यार्थियों,

    भारत को आपसे बहुत अपेक्षाएं हैं और क्यों न हो? आप इस महान भारत के नागरिक हैं, जहां मानव जाति का छठा हिस्सा निवास करता है। आज भारत का प्रभाव और प्रभुत्व पूरी दुनिया भी महसूस कर रही है। आज विदेश में भारतीय होना हमारे लिए गर्व की बात है, क्योंकि दूसरे लोग अब हमें एक नए सकारात्मक नजरिए से देखते हैं। जीवन में इससे बड़ा कोई आनंद नहीं हो सकता कि हम अपने राष्ट्र और अपनी मातृ संस्था और अपने समाज के ज्यामितीय उत्थान में योगदान दें। मुझे विश्वास है कि आप सभी इस बात को हमेशा ध्यान में रखेंगे।

    भारत बहुत तेजी से बदल रहा है। भारत किसी भी अन्य देश से अधिक बदल रहा है लेकिन भारत की प्रगति की लंबी छलांग हमारे विश्वविद्यालयों से शुरू होगी। मुझे आप जैसे युवा मस्तिष्कों से, युवा पेशेवरों से बहुत उम्मीदें हैं, आप की ऊर्जा पर, आपके कौशल पर, आपके सामथ्र्य पर पूरा भरोसा है। आप भारत का भविष्य हैं, आप भारत के सैनिक हैं, जो भारत को 2047 तक राम राज्य की अवधारणा के अनुरूप सर्वाेच्च शिखर पर ले जाकर नया इतिहास बनाएंगे।

    हम अमृत काल में हैं और यह हमारा गौरव काल है। मेरा आग्रह है कि आज हम यहां से एक संकल्प लेकर जाएं- हम सभी मिलकर इस कालखंड को भारत का स्वर्णिम काल बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से कार्य करेंगे। मैं आपके पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में आपके भावी प्रयासों की पूर्ण सफलता की कामना करते हुए उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूँ।

    जय हिन्द!