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    16-10-2024 : विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन।

    प्रकाशित तिथि: अक्टूबर 16, 2024

    जय हिन्द!

    विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर, सिकदर बेकरी उत्पादों की श्रृंखला का अनावरण करते हुए आज हमें बहुत खुशी हो रही है। मैं दून बेकर्स एसोसिएशन और उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग द्वारा इस विशेष उत्पाद श्रृंखला ‘सिकदर रेंज’ का शुभारंभ करने पर बधाई देते हुए इसकी सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूँ। यह प्रसन्नता की बात है कि यह उत्पाद राधानाथ सिकदर की स्मृति को समर्पित है, जिन्होंने सबसे पहले माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई का मापन किया था।

    मुझे मालूम हुआ है कि इन सभी उत्पादों में हिमालयी क्षेत्र की विशेष सामग्री का उपयोग किया गया है, जिनमें सी-बकथॉर्न, गोजी बेरी, केसर और विभिन्न प्रकार के मिलेट्स शामिल हैं। ये सामग्री न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी हैं, क्योंकि इनमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है।

    यह बड़ी अच्छी बात है कि, हमारे राज्य की विशिष्टताओं को दर्शाते हुए, आज तीन खास पेस्ट्रीज का भी शुभारंभ किया जा रहा है – गढ़वाली पेस्ट्री, कुमाऊँनी पेस्ट्री और जौनसारी पेस्ट्री। गढ़वाली पेस्ट्री में हमारे राज्य के पुष्प, बुरांश का स्वाद है। कुमाऊँनी पेस्ट्री को अल्मोड़ा के प्रसिद्ध बाल मिठाई के साथ चॉकलेट के स्वाद का मेल कर बनाया गया है, और जौनसारी पेस्ट्री में दूध और अखरोट का उपयोग किया गया है, जो इसे समृद्ध स्वाद प्रदान करता है। ये सभी उत्पाद राज्य के सभी बेकरी, कैफे और होटलों में उपलब्ध होंगे ताकि उत्तराखण्ड आने वाले पर्यटक इस क्षेत्र के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद ले सकें।

    मुझे विश्वास है कि इन विशेष उत्पादों के माध्यम से उत्तराखण्ड के स्वाद, संस्कृति और परंपराओं को एक नया आयाम मिलेगा। हमारी यह पहल स्थानीय उत्पादों और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटन अनुभव को भी समृद्ध करेगी। मुझे आशा है कि इन नवाचारों से राज्य के लोगों के साथ ही पर्यटकों को स्थानीय पौष्टिक खाद्य सामग्री उपलब्ध करा पाएंगे। साथ ही इससे उत्तराखण्ड के किसानों को भी फायदा पहुंचेगा।

    ‘सिकदर रेंज’ उत्पाद श्रृंखला मार्केट में अपनी अलग ही छवि स्थापित करे, इसके लिए मेरी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं।

    साथियों,

    हम सभी जानते हैं कि भारत में जीवंत और विविधता पूर्ण खाद्य संस्कृति मौजूद है। हमारे किसान भारतीय खाद्य इको-सिस्टम का आधार है। ये किसान ही हैं, जिन्होंने पाक कला संबंधी उत्कृष्टता की पौष्टिक और स्वादिष्ट परंपराओं का निर्माण सुनिश्चित किया है। वर्तमान युग में, हमारा प्रयास होना चाहिए कि प्रगतिशील कृषि पद्धतियों, मजबूत प्रशासनिक ढांचे और अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से, भारत खाद्य क्षेत्र में नवाचार, स्थिरता और सुरक्षा के वैश्विक मानक स्थापित करें।

    आजादी का शुरुआती दौर, देश में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण दौर था। लेकिन आज का नया भारत अब एक खाद्य अधिशेष (थ्ववक ैनतचसने) देश है। आज भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है। अच्छी नीतियों और किसानों के मेहनत के बल पर आज अपना देश, दुनिया में दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। इसके अलावा, भारत खाद्यान्न, फल, सब्जी, कपास, चीनी और चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी बन गया है।

    यह बड़ी अच्छी बात है कि पिछले 10 वर्षों के दौरान, अपने देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए व्यापक सुधार शुरू किए गए हैं। खाद्य प्रसंस्करण में 100 प्रतिशत एफडीआई, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकरण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, इन सभी पहलों के माध्यम से, देश भर में आधुनिक बुनियादी ढांचे, मजबूत आपूर्ति श्रृंखलाओं और रोजगार सृजन का एक मजबूत इको-सिस्टम तैयार हो रहा है।

    मेरी सोच और मानना है कि देश के विकास का मूल मंत्र अंतिम व्यक्ति का उदय है। हमारा ध्येय हमेशा वंचित, गरीब, मजदूर और किसान का उत्थान होना चाहिए। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इन सब की चिंता करते हुए उनके उत्थान के लिए, जन-धन योजना में हर परिवार का बैंक खाता, प्रधानमंत्री जीवन-ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं अटल पेंशन योजना, आदि योजनाएं शुरू की हैं।

    “अन्नदाता सुखी भवः” मोदी जी की सर्वाेच्च प्राथमिकता रही है। हमारे किसान अथक मेहनत कर देश को खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हैं। उनके हितों का ध्यान रखते हुए, कृषि विकास के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, सॉइल हेल्थकार्ड, बिजली की बेहतर उपलब्धता, नई “यूरिया नीति” लाई गई है।

    मेरा मानना है कि आज देश और दुनिया में हर व्यक्ति को पौष्टिक और सुरक्षित भोजन उपलब्ध कराना आवश्यक है। इसके लिए अपने देश में, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और पोषण मिशन योजनाएं संचालित की गई हैं, जो जरूरतमंदों को भोजन और पोषण प्रदान करने में सहायक हैं।

    हमारे एक प्राचीन धर्मग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता’ में लिखा गया है कि ‘‘जब भोजन शुद्ध होता है, तो इससे मस्तिष्क शुद्ध होता है। जब मस्तिष्क शुद्ध होता है, तो स्मृति स्थिर होती है। जब स्मृति स्थिर होती है, तो हृदय की सभी गांठें (अज्ञान, संदेह, आसक्ति) खुल जाती हैं और व्यक्ति मुक्ति प्राप्त करता है’’। इसलिए हमें मानसिक स्पष्टता और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने के लिए शुद्ध भोजन करना चाहिए, यह भोजन, स्वास्थ्य और कल्याण के बीच महत्वपूर्ण संबंध को दर्शाता है।

    भोजन और कृषि के बारे में हमारी परंपराएं और अनुभव हमारे देश की तरह ही प्राचीन हैं। भारत में कृषि परंपरा में विज्ञान को प्राथमिकता दी जाती रही है। हमें आयुर्वेद से जुड़ी स्थाई खाद्य आदतों के महत्व को समझना होगा। वर्तमान में वैश्विक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमें प्राचीन ज्ञान को लागू करते हुए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देना होगा।

    वर्तमान समय में लोग पोषक खान-पान की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आज आम जनता का जैविक कृषि पर भरोसा बढ़ रहा है। लोग जैविक खाद्य पदार्थों का उपभोग कर रहे हैं। इसलिए हमें जैविक कृषि और पारंपरिक खेती को वरीयता देनी होगी।

    श्री अन्न (मिलेट) समूची दुनिया के लिए महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है। पोषक तत्वों से भरपूर श्री अन्न की खेती को सामान्य भूमि में किया जा सकता है। इसमें फर्टिलाइजर की आवश्यकता नहीं होती है। मिलेट्स का पौधा भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में योगदान करता है। साथ ही इसकी खेती पर्यावरण को भी संरक्षित करती है। मिलेट्स आधारित उत्पादन के उपयोग से थाली में जो पोषक तत्वों का अभाव है, उसे पूरा किया जा सकता है। आज आवश्यकता है कि खेत से बाजार तक और एक देश से दूसरे देश तक, साझा जिम्मेदारियों के साथ श्री अन्न की एक नई आपूर्ति श्रृंखला विकसित की जाए।

    मैं इस महत्वपूर्ण दिवस पर किसानों का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, जिनकी अथक मेहनत से देश खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनता जा रहा है। इस अवसर पर मैं आप सभी से ये आह्वान करता हूँ कि सभी लोग खाद्य बर्बादी को रोकें और प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग करें, ताकि हर किसी को भोजन उपलब्ध हो सके।

    आइए! हम आगे बढ़ें तथा स्थाई, सुरक्षित, समावेशी तथा पौष्टिक दुनिया के निर्माण के सपने को साकार करें।

    आइए! हम सब मिलकर एक बेहतर, स्वस्थ और भूख मुक्त दुनिया बनाने के लिए योगदान करें।

    जय हिन्द!