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    16-05-2025:सिक्किम राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: मई 16, 2025

    जय हिन्द!

    आज के इस सुअवसर पर आप सभी का उत्तराखण्ड राजभवन में हार्दिक स्वागत करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। सबसे पहले, मैं सभी सिक्किम वासियों को राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ।

    राज्य स्थापना दिवस एक ऐतिहासिक अवसर है, जब हम अपने राज्य की यात्रा, उसकी उपलब्धियों और सामूहिक रूप से किए गए प्रयासों का उत्सव मनाते हैं। सिक्किम के लिए यह दिन विशेष रूप से गौरवपूर्ण है, क्योंकि 16 मई, को ही 1975 में सिक्किम भारत का 22वां राज्य बना। पिछले पांच दशकों में सिक्किम सफलतापूर्वक भारतीय संघ में शामिल हुआ है और अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखी है।

    असाधारण प्राकृतिक सुंदरता और मेहनती लोगों से परिपूर्ण यह एक अद्भुत राज्य है। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भी सिक्किम राज्य की बहुत महत्ता है, क्योंकि मैंने सिक्किम में अपनी सैन्य सेवाएँ दी हैं। यह राज्य न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ के लोगों की संस्कृति, संघर्ष और समर्पण भी उतना ही प्रेरणादायक है।

    सिक्किम, कंचनजंघा के सुंदर पहाड़ों की तलहटी में बसा हुआ, देश के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है। यहाँ की शांतिपूर्ण सुंदरता और वहाँ के लोगों का आतिथ्य, यह दोनों ही इस राज्य को एक अनूठा स्थान प्रदान करते हैं।

    सिक्किम की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह देश का पहला पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक खेती करने वाला राज्य है, जो न केवल भारतीय कृषि के क्षेत्र में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक प्रेरणा स्रोत बन चुका है।

    भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल की तरह, मैं सिक्किम को त्रिशक्ति के रूप में देखता हूँ- आकांक्षा, पुनः जागृति और विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने वाला राज्य। सिक्किम का दृढ़ संकल्प, समर्पण और उसकी प्रगति की राह ने इसे एक सफल राज्य बनाया है।

    चाहे वह सिक्किम की प्रकृति के लिए प्रतिबद्धता हो, या यहाँ के अतिथि सत्कार की संस्कृति, या फिर प्रतिबद्ध कार्यबल और रचनात्मक उद्यमिता की भावना, सिक्किम ने हर क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है।

    पूर्वाेत्तर का यह प्रदेश प्राकृतिक दृष्टि से ही संपन्न नहीं है बल्कि भारत की सनातन संस्कृति का भी संवाहक हैं। प्रकृति की सुंदरता संजोए यह धरती का दूसरा स्वर्ग है। जिस तरह से स्थानीय लोगों ने सिक्किम की प्रकृति संरक्षण परंपराओं को सहेज रखा है, वह देश के अन्य राज्यों के लिए भी अनुकरणीय है।

    पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सिक्किम की अभिनव नीतियाँ प्रशंसनीय हैं, जिसमें प्रत्येक नवजात शिशु के लिए 180 पेड़ लगाने की पहल भी शामिल है। दृढ़ इच्छाशक्ति द्वारा समर्थित इस तरह की नीतियाँ सिक्किम को अलग पहचान दिलाती है।

    मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सिक्किम के अनेक युवा छात्र-छात्राएँ उत्तराखण्ड में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आप सभी पूरी मेहनत और समर्पण के साथ अपनी पढ़ाई का आनंद ले रहे होंगे।

    सिक्किम ने हमेशा राष्ट्र की प्रगति में योगदान दिया है, चाहे वह आर्थिक विकास हो, या पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उसकी पहल। सिक्किम, देश का सबसे कम कार्बन फुटप्रिंट वाला राज्य है और यह भारत के अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श बन चुका है।

    मैं आप सभी को उत्तराखण्ड में सिक्किम के एंबेसडर के रूप में देखता हूँ। मुझे उम्मीद है कि आप जब भी उत्तराखण्ड से वापस जाएंगे या यहाँ रहेंगे, तो आप यहाँ की संस्कृति और विचारधारा को सद्भावना दूत के रूप में फैलाएंगे।

    सिक्किम नाम हमें दो महान विभूतियों की याद दिलाता है- फुटबॉल खिलाड़ी बाइचुंग भूटिया और फिल्म स्टार डैनी डेन्जोंगपा, जिन्होंने न केवल अपने-अपने क्षेत्र में अद्वितीय कार्य किए, बल्कि सिक्किम की धरोहर को भी राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया।

    भारत एक महान राष्ट्र है जो अपनी विविध संस्कृतियों और परंपराओं से भरा हुआ है। विविधताओं में एकता, यह हमारे देश की सबसे खूबसूरत विशेषता है।

    पूर्वाेत्तर क्षेत्र, जिसमें सिक्किम भी शामिल है, भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे विविध जनजातीय और भाषाई क्षेत्र है। इन राज्यों में हर राज्य की अपनी विशिष्टता और संस्कृति है।

    सिक्किम हमें बर्फ से ढके ऊँचे पहाड़ों की याद दिलाता है, जो न केवल यहाँ के पर्यावरण को अनूठा बनाते हैं, बल्कि यह हजारों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सचमुच, अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है, तो वह सिक्किम में ही है।

    माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के तहत इस प्रकार के आयोजन देश के विभिन्न राज्यों के स्थापना दिवस मनाने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं।

    ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की अवधारणा के तहत इस प्रकार के आयोजन हमें एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने और समझने का अवसर प्रदान करते हैं, और राष्ट्र के भावनात्मक एकीकरण में सहायक बनते हैं।

    प्रसन्नता की बात है कि यह आयोजन विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का सशक्त माध्यम बन रहे हैं। मेरी सोच, विचार और धारणा है कि संस्कृति केवल रंगमंच पर होने वाला एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि यह वह चेतना है जो हमें जोड़ती है। जब हम किसी अन्य राज्य की भाषा सुनते हैं, विभिन्न माध्यमों से उनकी संस्कृति से रूबरू होते हैं, तो हमें मनोरंजन के साथ ही आत्मीयता की भी अनुभूति होती है। यह आत्मीयता एवं भारतीयता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

    संस्कृति एवं अनेकों परंपराओं की हमारी विविधता ही हमारे देश को विशेष बनाती है। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ अभियान का उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक, सामाजिक और भावनात्मक एकता को और मजबूत करना है। यह परिकल्पना माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की दूरदृष्टि का सुखद प्रतिफल है।

    मुझे विश्वास है कि इस तरह के आयोजनों के माध्यम से हमारी युवा पीढ़ी हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से परिचित होकर उन्हें आत्मसात करते हुए राष्ट्र के प्रति गर्व की भावना को अपने भीतर अनुभव करेंगे। निश्चित तौर पर विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच इस तरह की बातचीत, लोगों के बीच परस्पर समझ, सम्मान और प्रशंसा की भावना पैदा करेगी, जिससे राष्ट्रीय एकता की भावना समृद्ध होगी।

    मैं एक बार फिर सिक्किम राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आपको पूरे उत्तराखण्ड प्रदेश की ओर से बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ और मुझे विश्वास है कि सिक्किम राज्य समृद्धि और विकास की नई ऊँचाइयों तक पहुँचेगा और राष्ट्र के विकास में योगदान करता रहेगा।

    जय हिन्द!