Close

    15-04-2025:हिमाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन

    प्रकाशित तिथि: अप्रैल 15, 2025

    * हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड एक ही आत्मा के दो रूप-जहाँ साहस, सहनशक्ति और सादगी जीवन का अभिन्न हिस्सा

    * ‘हरित उत्तराखण्ड-हरित हिमाचल’ की भावना राष्ट्रीय हित में अत्यंत आवश्यक

    * उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश-फिल्मों के लिए आदर्श डेस्टिनेशन

    * डिजिटल तकनीक, नवाचार और स्टार्टअप में हिमालयी युवाओं की अग्रणी भूमिका

    * हिमाचल प्रदेश ने विकास और प्रकृति के संतुलन का अनुकरणीय मॉडल किया प्रस्तुत

    * ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के तहत राष्ट्रीय एकता को मिल रहा बल

    जय हिन्द!

    आज हम सभी हिमाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के इस गौरवमयी अवसर को हर्ष और उत्साह के साथ मना रहे हैं। यह दिन न केवल हिमाचल की ऐतिहासिक यात्रा की याद दिलाता है, बल्कि उन महान व्यक्तित्वों को भी नमन करने का दिन है, जिन्होंने इस प्रदेश की नींव रखने और इसे प्रगति की राह पर आगे बढ़ाने में अहम योगदान दिया।

    इस विशेष अवसर पर, मैं उत्तराखण्ड राज्य की ओर से हिमाचल प्रदेश के समस्त नागरिकों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ।

    हिमाचल प्रदेश, आस्था की भूमि, वीरभूमि और संस्कृति की समृद्ध भूमि है। यहाँ की नदियाँ, पर्वत, घाटियाँ सब कुछ इस प्रदेश को विशिष्ट बनाते हैं। यह अत्यंत हर्ष और गर्व का विषय है कि हम इस महान राज्य के स्थापना दिवस को ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प के साथ मना रहे हैं।

    साथियों,

    हिमाचल प्रदेश के गठन से लेकर आज तक यह राज्य निरंतर विकास की ऊँचाइयों को छू रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में हिमाचल ने देश के अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

    हिमाचल प्रदेश की सुंदरता केवल उसके पहाड़ों, घाटियों और हिल स्टेशनों तक सीमित नहीं है। यह राज्य प्रकृति और संस्कृति का अनुपम संगम है, जहाँ एक ओर बर्फ से ढके पहाड़ और हरे-भरे जंगल मन को मोह लेते हैं वहीं दूसरी ओर यहाँ की लोक कला, लोक संगीत और धार्मिक आस्थाएँ आत्मा को छू जाती हैं।

    यहाँ की लोकसंस्कृति, लोककलाएँ, लोकगीत, नृत्य, वेशभूषा इस राज्य को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाती हैं। यह सांस्कृतिक विविधता न केवल हिमाचल की पहचान है, बल्कि भारत की ‘एकता में अनेकता’ की अवधारणा को भी प्रकट करती है। इन परंपराओं में निहित सौहार्द, सहयोग और साझेदारी की भावना, हमारे समाज को एक मजबूत और संवेदनशील आधार प्रदान करती है। यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए, बल्कि अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जनजीवन में रची-बसी आत्मीयता के लिए भी पूरे देश में विशेष स्थान रखता है।

    हिमाचल की पुण्यभूमि श्रद्धा और अध्यात्म का एक ऐसा संगम है, जहाँ परंपरा, भक्ति और प्रकृति एक साथ मिलकर एक दिव्य अनुभव कराती हैं। यहाँ माँ चामुंडा, माँ नैना देवी, माँ ज्वाला जी और माँ श्री भीमाकाली जैसे प्रतिष्ठित शक्तिपीठ स्थित हैं। ये तीर्थस्थल केवल आस्था और भक्ति के केंद्र नहीं हैं, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक गौरव, आध्यात्मिक विरासत और धार्मिक परंपराओं के जीवंत प्रतीक भी हैं।

    शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी, चंबा, खजियार, कुल्लू और कसौली जैसे सुरम्य एवं मनोहारी पर्यटन स्थल न केवल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, बल्कि उन्हें आत्मिक शांति और प्रकृति से एक विशेष जुड़ाव का अनुभव भी कराते हैं। यहाँ हर ऋतु में प्रकृति एक नया रूप लेकर प्रकट होती है, कभी बर्फ की सफेद चादर ओढ़े हुए, तो कभी फूलों और हरियाली से सजी हुई घाटियों के रूप में। हिमाचल के ये पर्यटन स्थल राज्य की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और जीवनशैली के अभिन्न अंग भी हैं। यहीं से हिमाचल की वह पहचान आकार लेती है, जो उसे ‘‘पर्यटन की धरोहर’’ बनाती है।

    हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड आज फिल्म निर्माण के लिए भी देश के सबसे आकर्षक और सुविधाजनक स्थल बनकर उभर रहे हैं। यहाँ का अनुकूल वातावरण, सुविधाजनक फिल्म पॉलिसी और शूटिंग के लिए आवश्यक प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक विविधता फिल्म निर्माताओं को आकर्षित कर रहे हैं। इससे न केवल स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर नई पहचान भी मिल रही है।

    वास्तव में, हिमाचल की संस्कृति एक ऐसी जीवंत परंपरा है, जो आधुनिकता के साथ संतुलन बनाए रखते हुए अपनी जड़ों से जुड़ी हुई है। यहाँ का जीवन कृषि, पर्यटन, हस्तशिल्प और प्रकृति से गहराई से जुड़ा हुआ है। हाथ से बने कालीन, प्रसिद्ध चंबा रुमाल, गरिमामयी कुल्लू शॉल, विशिष्ट हिमाचली टोपी और बारीक कांगड़ा चित्रकला में निहित रचनात्मकता न केवल हिमाचल की समृद्ध विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह राज्य की आर्थिक सशक्तता और स्थानीय कारीगरों के आत्मसम्मान का आधार भी है।

    साथियों,

    उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश केवल पड़ोसी राज्य ही नहीं हैं, बल्कि हमारे दिल भी एक जैसे हैं। इन दोनों पर्वतीय राज्यों के बीच सदैव एक आत्मीय संबंध रहा है। हमारी संस्कृति, हमारे पर्व, रीति-रिवाज, बोली-बानी, जीवनशैली, सभी कुछ इस प्रकार से जुड़े हुए हैं जैसे एक ही आत्मा के दो रूप हों। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद दोनों हिमालयी राज्यों के नागरिकों में सहनशक्ति, साहस और आत्मबल है। यहाँ के लोग प्रकृति से संघर्ष करना नहीं, बल्कि उसके साथ सामंजस्य बनाकर जीना जानते हैं। पर्वतों की ऊँचाई और घाटियों की गहराई जैसे इनके जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। इनकी जीवनशैली में सादगी है, लेकिन विचारों में गहराई और कर्म में निष्ठा है।

    चाहे पर्वतीय विकास की चुनौतियाँ हों, या आपदाओं से निपटने की योजनाएँ, हम दोनों राज्यों ने एक-दूसरे से सीखा है, सहयोग किया है, और मिलकर आगे बढ़े हैं। ऐसे में जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौती के विरुद्ध भी हम दोनों राज्यों को संयुक्त प्रयास करने हैं। हिमालयी पारिस्थितिकी को बचाने, जल-संरक्षण को बढ़ावा देने, हरित ऊर्जा को प्रोत्साहित करने और आपदाओं के लिए बेहतर तैयारी करने में दोनों राज्यों का सहयोग न केवल क्षेत्रीय बल्कि राष्ट्रीय हित में भी होगा। यह समय है कि हम ‘हरित उत्तराखण्ड-हरित हिमाचल’ की भावना के साथ आगे बढ़ें और भावी पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित करें।

    आज जब देश डिजिटल क्रांति के मार्ग पर अग्रसर है, तब उत्तराखण्ड और हिमाचल ने भी ैजंतजनचए ैापसस क्मअमसवचउमदज और नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी डिजिटल सेवाओं की पहुँच बढ़ रही है। आज हिमालयी क्षेत्र के युवा तकनीक का उपयोग करके अपने नवाचारों को न केवल स्थानीय, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाकर आत्मनिर्भरता का सपना साकार कर रहे हैं।

    बागवानी के क्षेत्र में भी इन दोनों राज्यों ने उल्लेखनीय प्रगति की है। हिमाचल का सेब आज एक ब्रांड के रूप में किसानों की मेहनत, अनुसंधान और प्राकृतिक अनुकूलता का प्रतिफल है, जिसने राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ बागवानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का मार्ग भी प्रशस्त किया है। वहीं उत्तराखण्ड राज्य भी ‘मिशन एप्पल’ जैसी अभिनव पहल के माध्यम से बागवानी क्षेत्र को गति दे रहा है। इस मिशन के तहत न केवल सेब उत्पादकों को प्रोत्साहन मिल रहा है, बल्कि उत्तराखण्ड को सेब उत्पादन में एक नई पहचान भी मिली है।

    शिक्षा के क्षेत्र में दोनों राज्यों में उत्कृष्ट शिक्षण संस्थानों, प्रतिभावान युवाओं और ज्ञानपरक परंपराओं की सशक्त विरासत मौजूद है। नवाचार, शैक्षणिक आदान-प्रदान, म.स्मंतदपदह चसंजवितउे और युवाओं के लिए प्दजमतदेीपच एवं ेजंतजनच जैसी पहल हमें न केवल अकादमिक रूप से समृद्ध बनाएँगे, बल्कि दोनों राज्यों की नई पीढ़ी को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भी तैयार करेंगे।

    प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को दोनों हिमालयी राज्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान, भाषा, पर्यटन आदि के माध्यम से न केवल गति प्रदान कर रहे हैं, बल्कि इसे जन-जन से भी जोड़ रहे हैं।

    हिमाचल प्रदेश ने जैव विविधता के संरक्षण, हरित ऊर्जा के प्रयोग, और स्थायी पर्यटन के माध्यम से जो दिशा दिखायी है, वह अत्यंत सराहनीय है। आज यह प्रदेश उन मुख्य राज्यों में से एक है जहाँ विकास और प्रकृति के मध्य संतुलन का अनुपम उदाहरण देखने को मिलता है।
    यह हमें सिखाता है कि जब विकास, संवेदना और दूरदृष्टि के साथ किया जाता है, तो परिणाम न केवल प्रभावशाली होते हैं, बल्कि स्थायी भी होते हैं।

    आइए! हम दोनों राज्य मिलकर, आपसी सहयोग और भाईचारे की भावना से प्रेरित होकर अपने-अपने राज्यों को और अधिक समृद्ध, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाएं, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस मित्रता और सहयोग को न केवल एक विरासत के रूप में देखें, बल्कि उसे आगे बढ़ाकर एक नए युग का निर्माण करें।

    यह साझेदारी केवल संसाधनों की नहीं, बल्कि मूल्यों, संस्कृति और साझा संकल्पों की भी है, जो हमारे देश की एकता और अखंडता को और मजबूती प्रदान करेगी।

    एक बार पुनः हिमाचल प्रदेश के स्थापना दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
    जय हिन्द!