Close

    14-11-2025-सेंट जॉर्ज कॉलेज, मसूरी में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन

    प्रकाशित तिथि : नवम्बर 14, 2025

    जय हिन्द!

    उपस्थित अध्यापकगण और बच्चों! इस पवित्र और गौरवशाली अवसर पर पहाड़ों की रानी मसूरी स्थित सेंट जॉर्ज कॉलेज, मसूरी की ऐतिहासिक धरती पर भारत के उज्ज्वल भविष्य और इनके शिल्पियों के मध्य उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता और गर्व की अनुभूति हो रही है।

    आज हम राष्ट्र निर्माण की धारा में शिक्षा के उज्ज्वल दीप प्रज्वलित करने वाले शिक्षा के मंदिर सेंट जॉर्ज कॉलेज, मसूरी के पावन प्रांगण में एक अद्भुत संगम के साक्षी हैं। उत्तराखण्ड राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने का उत्सव, च्ंजतपबपंद ठतवजीमते की भारत में 150 वर्षों की प्रेरणादायक उपस्थिति का गौरव, और साथ ही हमारे बच्चों को समर्पित बाल दिवस का उल्लासमय पर्व।

    यह दिन केवल तीन महत्वपूर्ण अवसरों का संगम नहीं, बल्कि सेवा, शिक्षा और समर्पण की उस दीर्घ यात्रा का प्रतीक है जिसने अनगिनत पीढ़ियों का भविष्य गढ़ा, चरित्र का निर्माण किया और राष्ट्र निर्माण की धारा में शिक्षा के उज्ज्वल दीप प्रज्वलित किए हैं।

    अर्थात् आज का यह दिवस उत्तराखण्ड की उपलब्धियों, च्ंजतपबपंद ठतवजीमते की शिक्षा, सेवा की परंपरा और हमारे बच्चों की असीम संभावनाओं – इन तीनों के मिलन का गौरवशाली उत्सव है।

    प्रिय उपस्थित जनों,

    हमारी देवभूमि, वीरभूमि और योगभूमि उत्तराखण्ड केवल हिमालय की प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक नहीं, बल्कि मानव आत्मा के साहस, श्रद्धा और सेवा का जीवंत रूप है। यहाँ के पर्वत सिखाते हैं दृढ़ता, नदियाँ सिखाती हैं निरंतरता, वनों की हरियाली सिखाती है संतुलन, और यहाँ के लोग सिखाते हैं कि विनम्रता में ही सच्ची महानता छिपी है।

    इन्हीं मूल्यों ने उत्तराखण्ड की आत्मा को गढ़ा है- शांत पर दृढ़, सरल पर सामर्थ्यवान, और विनम्र पर विजयी। यह हमारा परम सौभाग्य है कि यह देवभूमि हमारी जन्मभूमि, कर्मभूमि या शैक्षणिक स्थली है।

    पिछले 25 वर्षों में उत्तराखण्ड ने दिखाया है कि नवोदित राज्य भी बड़े सपनों के साथ आगे बढ़ सकते हैं। इस राज्य ने जिस प्रकार साहस, श्रम और आत्मविश्वास से अपनी पहचान गढ़ी है, वह प्रत्येक नागरिक के लिए गर्व का विषय है।

    पिछले 25 वर्षों में हमारे प्रदेश ने हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। हमारे सैनिकों ने सीमाओं पर पराक्रम दिखाया, हमारे वैज्ञानिकों ने प्रयोगशालाओं में नई दिशा दी, हमारे युवा उद्यमियों ने नवाचारों से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान दिया, हमारी महिलाओं ने समाज के हर क्षेत्र में नेतृत्व की मिसाल कायम की, और हमारे विद्यार्थी-आप जैसे युवा शिक्षा, कला, संस्कृति और खेल के क्षेत्र में निरंतर राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं।

    प्रिय शिक्षकों और विद्यार्थियों,

    च्ंजतपबपंद ठतवजीमते ने भारत में 150 वर्षों की अपनी यात्रा में केवल संस्थान नहीं बनाए, चरित्र गढ़े हैं। उन्होंने यह दिखाया कि शिक्षा केवल इन्फॉर्मेशन नहीं, बल्कि ट्रांसफॉर्मेशन है।

    उन्होंने इस बात को सिद्ध किया कि जब शिक्षा में संवेदना, नैतिकता और समर्पण जुड़ते हैं, तो वह समाज को दिशा देने वाली शक्ति बन जाती है।

    सेंट जॉर्ज कॉलेज इसी आदर्श का जीवंत उदाहरण है। जहाँ शिक्षा का अर्थ केवल परीक्षा में अंक लाना नहीं, बल्कि जीवन में अर्थ लाना है, जहाँ विद्यार्थी केवल ज्ञान अर्जित नहीं करते, बल्कि जीवन जीने की कला, देने की भावना, और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व सीखते हैं।

    प्रिय विद्यार्थियों,

    आज बाल दिवस के इस पावन अवसर हम पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम कहा करते थे- ष्क्तमंउ पे दवज जींज ूीपबी लवन ेमम ूीपसम ेसममचपदहय पज पे ेवउमजीपदह जींज कवमे दवज समज लवन ेसममचण्ष् सपना वह नहीं जो हम नींद में देखते हैं, बल्कि वह है जो हमें जगाए रखता है।

    बच्चों! जीवन में कठिनाइयाँ अवश्य आएँगी, लेकिन अपने सपनों से कभी समझौता मत कीजिए। सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष की आग और सेवा की भावना दोनों आवश्यक हैं। और याद रखिए! सफलता केवल वही नहीं जो हम अपने लिए अर्जित करें, बल्कि वह है जो हम दूसरों की उन्नति में सहायक बन सकें। आपको इस दुनिया को बदलने के लिए किसी सुपर हीरो बनने की जरूरत नहीं है, बल्कि आवश्यकता एक अच्छा इंसान बनने की है।

    प्रिय शिक्षकों,

    आप राष्ट्र के उन अदृश्य शिल्पकारों में से हैं जो भावी भारत की नींव तैयार कर रहे हैं। आपका धैर्य, आपका मार्गदर्शन और आपका आचरण विद्यार्थियों के जीवन को दिशा देता है। जैसे दीपक स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देता है, वैसे ही शिक्षक अपने श्रम और त्याग से राष्ट्र की आत्मा को उजाला देते हैं।

    मेरा मानना है- शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण है। इसलिए शिक्षा के साथ-साथ नैतिक और चारित्रिक मूल्यों का समावेश आवश्यक है। ईमानदारी, करुणा, अनुशासन, और राष्ट्रभक्ति जैसे मूल्य ही किसी विद्यार्थी को पूर्ण नागरिक बनाते हैं।

    प्रिय विद्यार्थियों,

    वर्तमान में हम ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ भारत विश्व मंच पर एक नई ऊर्जा के साथ उदित हो रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने आर्थिक, तकनीकी, रक्षा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।

    आज भारत डिजिटल क्रांति का अग्रदूत है, चंद्रयान-3 की सफलता से चंद्रमा पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है, जी-20 अध्यक्षता के माध्यम से विश्व को “वसुधैव कुटुम्बकम्” का संदेश दे चुका है, और आत्मनिर्भर भारत के माध्यम से अपने विकास मॉडल का निर्माण कर रहा है।

    यह वह भारत है जो अपनी संस्कृति पर गर्व करता है और विज्ञान में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है। यह वह भारत है जो “राष्ट्र प्रथम” के मंत्र से प्रेरित होकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

    मेरी सोच है कि शिक्षा ही वह साधन है जो इस नए भारत को विकसित भारत 2047 की दिशा में अग्रसर कर सकती है। भारत जब ज्ञान, विज्ञान और संस्कार के संगम पर खड़ा होता है, तब वह स्वाभाविक रूप से विश्व गुरु बनता है।

    आज आवश्यकता है ऐसी शिक्षा की जो विद्यार्थियों की बुद्धि के साथ हृदय को भी शिक्षित करे, जो प्रतिस्पर्धा के साथ करुणा, और सफलता के साथ सेवा का भाव सिखाए। यही वह शिक्षा है जो भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करेगी। और यही वह शिक्षा है जो “विकसित भारत 2047” के सपने को साकार करेगी।

    प्रिय विद्यार्थियों,

    आप इस राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी हैं। आपका परिश्रम, आपका संकल्प, और आपका चरित्र ही इस देश का भविष्य है। आपके हृदय में राष्ट्र प्रथम का भाव, आपके कर्म में सेवा का समर्पण, और आपके जीवन में नैतिकता का प्रकाश बना रहे, इसी में भारत की उन्नति निहित है।

    इस अवसर पर मैं सेंट जॉर्ज कॉलेज मसूरी के प्रिन्सिपल, शिक्षकों और च्ंजतपबपंद ठतवजीमते ब्वउउनदपजल को अपनी हार्दिक बधाई देता हूँ। आपके 150 वर्षों की यह गौरवशाली यात्रा केवल शिक्षा की नहीं, बल्कि मानवता, नैतिकता और सेवा की यात्रा रही है।

    मुझे विश्वास है कि यह संस्थान आने वाले वर्षों में भी संस्कार, संवेदना और समर्पण का प्रकाश फैलाता रहेगा और विद्यार्थियों को ऐसे नागरिक बनाएगा जो अपने कर्म से देश का गौरव बढ़ाएँगे।

    अंत में, मैं आप सभी से यह आग्रह करना चाहता हूँ कि हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि – हम अपने राज्य और अपने राष्ट्र के प्रति सच्चे, सजग और समर्पित नागरिक बनेंगे। हम अपने जीवन में नैतिक मूल्यों को सर्वाेच्च स्थान देंगे। हम हर कार्य में राष्ट्र प्रथम का ध्येय रखेंगे। और हम ऐसा भारत बनाएँगे जो विकसित, आत्मनिर्भर और विश्व का मार्गदर्शक बने।

    विद्या का यह पावन मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का केंद्र बना रहे। आप सबके उज्ज्वल भविष्य और इस संस्थान की निरंतर उन्नति के लिए मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।

    जय हिन्द! जय उत्तराखण्ड!