14-10-2025 : विश्व मानक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
जय हिन्द!
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आज हम सभी “विश्व मानक दिवस 2025” के अवसर पर एकत्र हुए हैं। मैं इस आयोजन से जुड़े सभी विशिष्ट अतिथियों, अधिकारियों, उद्योग प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और नागरिकों का हार्दिक स्वागत करता हूँ।
यह दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि मानव समाज की उस साझा चेतना का उत्सव है, जिसने एक बेहतर, सुरक्षित और संतुलित विश्व की परिकल्पना को संभव बनाया है। यह दिन हमें यह स्मरण कराता है कि विकास, गुणवत्ता और स्थायित्व के हर प्रयास के केंद्र में ‘मानक’ (Standards) ही वह मौन शक्ति हैं जो सबको जोड़ती हैं, दिशा देती हैं और प्रगति की गति सुनिश्चित करती हैं।
हर वर्ष 14 अक्टूबर को विश्व मानक दिवस मनाया जाता है, ताकि दुनिया को यह याद रहे कि मानक केवल तकनीकी दस्तावेज नहीं, बल्कि विश्वास, पारदर्शिता और गुणवत्ता का प्रतीक हैं।
मानकीकरण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उत्पाद, सेवाएँ और प्रणालियाँ न केवल एक समान स्तर पर निर्मित हों, बल्कि वे सुरक्षा, विश्वसनीयता और स्थायित्व के उच्चतम मानदंडों को भी पूरा करें। जब हम मानकों का पालन करते हैं, तो हम केवल गुणवत्ता नहीं बढ़ाते, बल्कि संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग, उपभोक्ता संरक्षण और वैश्विक सहयोग को भी प्रोत्साहन देते हैं।
साथियों,
इस वर्ष के विश्व मानक दिवस का विषय- “Partnerships for the Goals ” – अत्यंत सारगर्भित और समयानुकूल है।
यह विषय हमें यह संदेश देता है कि केवल संकल्प और नीति पर्याप्त नहीं हैं, यदि हमें सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) को साकार करना है, तो सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत, शोध संस्थानों और नागरिक समाज, सभी के बीच सशक्त साझेदारियाँ आवश्यक हैं।
मानक इन साझेदारियों की साझा भाषा हैं। ऐसी भाषा, जो सीमाओं को मिटाती है, भिन्नताओं को जोड़ती है और विश्व को एक सूत्र में पिरोती है। जब हम सब एक समान मानकों पर काम करते हैं, तो हमारी दृष्टि स्पष्ट होती है, दिशा एक होती है, और लक्ष्य भी एक होता है, वह है एक बेहतर, सुरक्षित और समरस विश्व का निर्माण।
साझा दृष्टि का अर्थ केवल साथ चलना नहीं, बल्कि साथ सोचने और साथ बढ़ने की भावना है। यही भावना “वसुधैव कुटुम्बकम्” भारत की प्राचीन सांस्कृतिक चेतना का भी मूल है। अर्थात् पूरा विश्व एक परिवार है। यह वही दृष्टिकोण है जो मानकों की आत्मा में निहित है – सहयोग में समरसता, विविधता में एकता और विकास में साझेदारी।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में SDG 17 सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है, क्योंकि यह सभी अन्य 16 लक्ष्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक आधार तैयार करता है। यह हमें सिखाता है कि कोई भी लक्ष्य अकेले हासिल नहीं किया जा सकता। याद रखिए! विकास हमेशा सामूहिक प्रयास से ही संभव होता है।
भारत इस दृष्टि से एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” की नीति,SDG 17 की भावना का मूर्त रूप है।
आज सरकार, उद्योग जगत, स्टार्टअप्स, शैक्षणिक संस्थान और नागरिक समाज, सभी एक साझा संकल्प और राष्ट्रीय भावना के साथ, ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं। यह समन्वय और सहयोग ही वह सशक्त ऊर्जा है, जो हमें आत्मनिर्भर भारत के संकल्प से आगे बढ़ाकर “विकसित भारत 2047” की दिशा में गतिमान कर रहा है।
प्रिय नागरिकों,
मानक किसी राष्ट्र की गुणवत्ता संस्कृति (Quality Culture) की पहचान होते हैं। वे उद्योगों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देते हैं, उपभोक्ताओं को भरोसा देते हैं, और शासन को पारदर्शिता देते हैं।
जब उद्योग मानक अपनाते हैं, तो उनके उत्पादों को वैश्विक बाजार में विश्वसनीयता और पहचान मिलती है। जब सरकारें मानकों को नीतिगत ढांचे में शामिल करती हैं, तो योजनाएँ अधिक प्रभावी और परिणामोन्मुख बनती हैं। और जब समाज मानकीकरण की भावना को आत्मसात करता है, तो जीवन की गुणवत्ता स्वतः ऊँची उठती है।
मानक वास्तव में विकास के अदृश्य आधार स्तंभ हैं। वे हमें सुरक्षा, टिकाऊपन और नवाचार के बीच संतुलन सिखाते हैं।
साथियों,
देवभूमि उत्तराखण्ड, जहाँ प्रकृति स्वयं एक अद्भुत मानक स्थापित करती है। स्वच्छ नदियाँ, शुद्ध वायु, हरित वन और सजीव संस्कृति। यहाँ मानकीकरण का महत्व और भी बढ़ जाता है।
यहाँ की भौगोलिक संवेदनशीलता हमें यह सिखाती है कि विकास के हर कदम पर संतुलन और जिम्मेदारी आवश्यक है। यदि हमारी योजनाएँ, निर्माण कार्य और सेवाएँ मानकों के अनुरूप हों, तो हम न केवल पर्यावरण की रक्षा करेंगे बल्कि टिकाऊ विकास के आदर्श भी स्थापित करेंगे।
चाहे वह जल प्रबंधन हो, पर्यावरण संरक्षण हो, पर्यटन विकास हो, ऊर्जा उत्पादन हो, या पर्वतीय उत्पादों का प्रसंस्करण। हर क्षेत्र में मानकीकरण दक्षता और पारदर्शिता लाता है।
मुझे यह कहते हुए संतोष है कि उत्तराखण्ड में कई क्षेत्रों में गुणवत्ता और मानकीकरण को लेकर सकारात्मक पहलें हो रही हैं। लेकिन हमें इसे ग्राम स्तर तक, छोटे उद्योगों और सहकारी समितियों तक ले जाकर और भी व्यापक बनाना होगा।
मेरा मानना है कि राज्य के युवाओं, इंजीनियरों और उद्यमियों को मानकीकरण की शिक्षा और प्रशिक्षण से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। हमें ऐसे “मॉडल प्रोजेक्ट्स” तैयार करने होंगे जो मानकों के अनुरूप हों और अन्य सभी के लिए प्रेरणा बनें।
हममें से कुछ लोग मानकों को बंधन के रूप में देखते हैं, जबकि वस्तुतः वे अवसर का द्वार हैं। मानक हमें अनुशासन देते हैं, पर साथ ही नवाचार के लिए सही दिशा भी दिखाते हैं। जब नियम स्पष्ट होते हैं, तो रचनात्मकता सुरक्षित और उत्पादक बन जाती है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के “शून्य दोष – शून्य प्रभाव” (Zero Defect] Zero Effect) के दृष्टिकोण ने देश में गुणवत्ता और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के नए मानक स्थापित किए हैं। यह नीति न केवल ‘मेक इन इंडिया’ की आत्मा है, बल्कि ‘विकसित भारत 2047’ के मार्ग की आधारशिला भी है।
हाल के वर्षों में मानकीकरण के पारिस्थितिकी तंत्र का कृषि, सड़क निर्माण, स्वास्थ्य, ऊर्जा, सेवा क्षेत्र और स्टार्टअप्स तक जो विस्तार हुआ है, निःसंदेह वह भारत को विश्व स्तर पर गुणवत्ता के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित कर रहा है।
प्रिय साथियों,
साझेदारी का अर्थ केवल सहयोग नहीं, बल्कि साझी जिम्मेदारी भी है। जब सरकार, उद्योग, वैज्ञानिक, शिक्षक, किसान और नागरिक एक साथ चलते हैं, तब विकास सर्वस्पर्शी और टिकाऊ बनता है। SDG17 इसी भावना को आगे बढ़ाता है, कि साझेदारी ही सतत विकास की आत्मा है।
आज के इस अवसर पर हम सबको यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने-अपने क्षेत्रों में मानकीकरण को बढ़ावा देंगे, गुणवत्ता की संस्कृति को अपनाएँगे और उत्तराखण्ड को मानक आधारित शासन व विकास का आदर्श राज्य बनाएँगे।
अंत में, मैं यह कहना चाहूँगा कि सतत विकास की यात्रा में, साझा दृष्टि और साझेदारी हमारी सबसे बड़ी शक्ति हैं। मानक इन साझेदारियों की आत्मा हैं, जो हमें जोड़ते हैं, मार्गदर्शन करते हैं और हमें एक बेहतर, संतुलित और सुरक्षित विश्व की ओर ले जाते हैं।
आज के इस अवसर पर, मैं भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और इस आयोजन से जुड़े सभी अधिकारियों, विशेषज्ञों और भागीदार संस्थानों को हृदय से बधाई देता हूँ। आपने समाज में गुणवत्ता, सुरक्षा और पारदर्शिता की चेतना को जागृत किया है।
आज का यह दिवस हमें यही प्रेरणा देता है कि साझा दृष्टि से, साझा प्रयास से और साझा जिम्मेदारी से ही एक “बेहतर, सुरक्षित और सतत विश्व” का निर्माण संभव है। आइए! हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि, हम मानक अपनाएँगे, गुणवत्ता बढ़ाएँगे और साझेदारी से एक बेहतर भारत बनाएँगे।
मैं आशा करता हूँ कि आने वाले वर्षों में उत्तराखण्ड, मानकीकरण और सतत विकास का एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर पूरे देश को दिशा देगा। इस अपेक्षा और विश्वास के साथ अपनी वाणी को विराम देता हूँ।
जय हिन्द!