14-05-2025:राज्यपाल ने बुधवार को वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित हैकाथॉन ‘‘उत्कर्ष 1.0’’ में प्रतिभाग किया।
वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में माननीय राज्यपाल महोदय का उद्बोधन
(दिनांकः 14 मई, 2025)
जय हिन्द!
मुझे वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, देहरादून द्वारा आयोजित हैकाथॉन उत्कर्ष 1.0 के पुरस्कार वितरण एवं ।प् त्-क् भ्नइए प्वज् स्ंइ व त्वइवजपबे स्ंइ के उद्घाटन समारोह में आकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
मैं आज पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रत्येक छात्र और उनकी संस्था को बधाई देता हूँ। और अन्य समस्त प्रतिभागी छात्रों को भी अपनी सृजनात्मकता का उपयोग कर उत्कृष्ट एआई उत्पाद तैयार करने के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ।
उत्तराखण्ड राज्य में ज्ञान प्राप्ति और विद्वता की समृद्ध विरासत है। वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड के इतिहास में एक महान योद्धा और विकास के पुरोधा के रूप में जाने जाते हैं। और इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा जाना स्वतः इस विश्वविद्यालय को चुनौतियों का समाधान की प्रेरणा देता है। मैं वीर माधो सिंह भण्डारी और उत्तराखण्ड की धरती पर जन्मे ऐसे असंख्य वीर योद्धाओं, बलिदानियों को नमन करते हुए उन्हें भावपूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।
वर्तमान समय में विश्व भर में एआई आधारित तकनीकों का विकास विभिन्न क्षेत्रों में देखने को मिला है, जिसके चलते मानवीय बुद्धिमत्ता के साथ-साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमारी विभिन्न गतिविधियों में विशेष स्थान बनाता जा रहा है। विश्वविद्यालय द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के संतुलित विकास में एआई की उपयोगिता दर्शाने हेतु राज्य स्तरीय हैकाथान (न्जजंतंाींदक ।प् त्मंकपदमेे वित ैनेजंपदंइसम क्मअमसवचउमदज भ्ंबांजीवद) आयोजित कर युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सृजनात्मकता प्रदर्शित करने का एक सुअवसर उपलब्ध कराया है जो एक सराहनीय पहल है।
भारत वर्ष सर्वाधिक युवा आबादी का देश है जिसके चलते हमारे पास एआई व इससे जुड़े हुए विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार करने तथा अपनी व्यवस्थाओं को दक्ष बनाने का एक स्वर्णिम अवसर उपलब्ध है यह हमारे पास वैश्विक पटल पर अग्रणी बनाने का अवसर है। जिसका समय रहते सदुपयोग किया जाना नितान्त आवश्यक है।
इस विश्वविद्यालय में एआई के प्रचार-प्रसार हेतु प्रौद्योगिकी के छात्रों को समय रहते सकारात्मक वातावरण देकर उनकी क्षमताओं का सदुपयोग किए जाने का प्रयास सराहनीय है। मेरी अपेक्षा है कि प्रोद्यौगिकी विश्वविद्यालय में एआई आधारित नवाचारों से आम नागरिकों, सरकारों, संस्थानों, सेवाओं आदि को दक्ष बनाने हेतु अधिकाधिक चैटबॉट, डैशबोर्ड व मोबाइल ऐप बनाने की जिम्मेदारी निभाई जाए।
आज ।प् त्-क् भ्नइ की स्थापना प्रतीकात्मक रूप से विश्वविद्यालय के सभी संस्थानों में ।प् स्ंइ की स्थापना हेतु प्रेषित कर इनका उपयोग समाजोपयोगी सामग्री तैयार किए जाने का एक अच्छा प्रयास है। विश्वविद्यालय में उच्च लागत की प्वज् स्ंइ व त्वइवजपबे स्ंइ का उपयोग विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थानों के छात्रों द्वारा भी किए जाने की सुविधा देने से उन्हें इन विधाओं में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने व नए उत्पाद तैयार करने में मदद मिलेगी।
उच्च क्षमताओं के साथ एक दक्ष ।प् डवकमस क्ममच ैीपअं तैयार किए जाने की चुनौती मैं अपने राज्य की भावी पीढ़ी के सामने इस उम्मीद के साथ रखना चाहता हूँ कि वे उत्तराखण्ड राज्य में इस प्रकार की कोई उपलब्धि देकर वैश्विक स्तर पर सबको गौरवान्वित करने का काम करेगा।
मैंने विगत दो वर्षों में उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों के स्तर से कई एआई आधारित चैटबॉट, डैशबोर्ड, मोबाइल एप्लीकेशन निर्मित होते देखे है, जो मुझे इस विश्वास से भर देते है कि हमारे छात्रों में समुचित तकनीकी दक्षता है। जरूरत इस बात की है कि हम अपने छात्रों को एआई के क्षेत्र में नवाचार करने को प्रेरित करें तथा उन्हें अपनी क्षमताओं का सदुपयोग करने के लिए तैयार करें।
वर्तमान में हर क्षेत्र में डिजिटल हस्तक्षेप बेहद जरूरी हो गया है, चाहे वह शासन, प्रशासन, शिक्षण-अधिगम, लेखा और वित्त प्रबंधन, छात्र प्रबंधन, आदि से संबंधित हो। आज ज्ञान साझा करने, अपडेट करने और छात्र-छात्राओं की समझ को संवर्धित करने में, इंटरनेट, स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि की अधिक पहुँच का सकारात्मक उपयोग करना होगा।
प्यारे विद्यार्थियों,
यह प्रसन्नता का विषय है कि हमारे भारत की युवा पीढ़ी भारत के नव-निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही है। आज जब मैं आप जैसे होनहार तकनीकी विद्यार्थियों के बीच उपस्थित हूँ, मुझे विश्वास है कि आप अपनी बौद्धिक क्षमता के बल पर देवभूमि उत्तराखण्ड को अब टेक्नोलॉजी भूमि के रूप में भी पहचान दिलाने में सफल होंगे।
समय आ गया है कि आप अपने चरित्र, नवाचार और समाज के प्रति समर्पण के साथ अपनी सेवाओं के माध्यम से इस देश के अतीत के गौरव को पुनर्जीवित करें और प्राप्त करें। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि आप तेजी से विकसित हो रही ।प्ए फनंदजनउ ब्वउचनजपदहए प्वज् व त्वइवजपबे जैसी तकनीकों का लाभ समाज और मानवता को देने के लिए अपने ज्ञान का पूर्ण उपयोग करने का संकल्प लें।
वर्तमान में हम ऐसे युग में जी रहे हैं जिसे चौथी औद्योगिक क्रांति कहा जा रहा है। इस क्रांति की आधारशिला एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (प्वज्) और रोबोटिक्स जैसे नवाचारों पर टिकी है। ये न केवल हमारे दैनिक जीवन को बदल रहे हैं, बल्कि भारत को विश्व पटल पर एक वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
एआई अब स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर कृषि, शिक्षा और रक्षा तक, सभी क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है। भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘प्दकपं ।प् मिशन’ देश में एआई स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे रहा है। उत्तराखण्ड जैसे राज्य में एआई का उपयोग आपदा प्रबंधन, पर्वतीय कृषि और हेल्थकेयर में अभूतपूर्व संभावनाएँ प्रस्तुत करता है।
क्वांटम कंप्यूटिंग की बात करें, तो इस क्षेत्र में भारत अब पीछे नहीं है। ‘छंजपवदंस फनंदजनउ डपेेपवद’ के तहत भारत ने 6000 करोड़ से अधिक का निवेश कर विश्व की अग्रणी क्वांटम शक्ति बनने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। आने वाले वर्षों में हम भारतीय वैज्ञानिकों को क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम एन्क्रिप्शन और क्वांटम मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका में देखेंगे।
प्वज् (प्दजमतदमज व िज्ीपदहे) का युग वस्तुतः ‘स्मार्ट युग’ है। स्मार्ट शहरों से लेकर स्मार्ट खेती तक, प्वज् भारत की ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था दोनों को सशक्त बना रहा है। विशेष रूप से उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य में, जहाँ मौसम, भूमि और भौगोलिक परिस्थितियाँ विशिष्ट हैं, प्वज् आधारित समाधान प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और स्थायी विकास को नई दिशा दे सकते हैं।
रोबोटिक्स के क्षेत्र में भी भारत विश्व मंच पर अपनी पहचान बना रहा है। भारतीय स्टार्टअप्स और युवा इंजीनियर आज रक्षा, स्वास्थ्य, निर्माण व सेवा क्षेत्र में उन्नत रोबोटिक तकनीकों का विकास कर रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (प्ैत्व्) द्वारा विकसित महिला रोबोट ‘व्योममित्र’ इसका उत्कृष्ट उदाहरण है।
साथियों,
आज भारत अपनी परंपरा और प्रगति, दोनों को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है। विकास और विरासत, यही हमारा मंत्र है। हम देख रहे हैं कि भारत में परंपरा और तकनीक एक साथ कैसे फल-फूल सकते हैं। आज हम डिजिटल लेन-देन में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हैं। वहीं, हम अपनी परंपरा के खजाने योग और आयुर्वेद को पूरी दुनिया तक पहुँचा रहे हैं। आज दुनिया भारत में निवेश करने के लिए उत्सुक है। पिछले एक दशक में भारत को रिकॉर्ड स्तर पर थ्क्प् (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) प्राप्त हुआ है।
किसी भी देश का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम अपने युवाओं को उनके भविष्य के लिए और भारत के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए तैयार करें। इसमें देश की शिक्षा व्यवस्था की बहुत बड़ी भूमिका है। इसीलिए हम 21वीं सदी की जरूरतों को पूरा करने के लिए देश की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक बना रहे हैं। देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश की गई है, जिसे शिक्षा में वैश्विक मानकों पर फोकस करके विकसित किया गया है।
आज नया भारत हर क्षेत्र में अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। बदलते भारत का सबसे बड़ा सपना है- 2047 तक विकसित भारत। इसे हासिल करने के लिए हमारे देश में सामर्थ्य भी है, संसाधन भी हैं और इच्छा शक्ति भी है। स्वामी विवेकानंद कहते थे – ‘‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’’ हम सभी के सामूहिक प्रयास विशेषकर युवाओं की भागीदारी, विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगी, मुझे पूरा भरोसा है।
प्रिय विद्यार्थियों,
यह अत्यंत आवश्यक है कि आप इन तकनीकों के सिर्फ उपभोक्ता न बनें, बल्कि इनके निर्माता और नवाचारकर्ता बनें। भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आपका योगदान निर्णायक होगा। भारत की युवा शक्ति आज जिस ऊर्जा और उत्साह से नवाचार कर रही है, वह पूरे विश्व को चौंका रही है। स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों ने भारत को एक वैश्विक टेक्नोलॉजी पावर हाउस बनने की राह पर अग्रसर कर दिया है।
मुझे विश्वास है कि उत्तराखण्ड के तकनीकी संस्थान – आप जैसे युवाओं की जिज्ञासा, अनुसंधान और साहसिक प्रयोगों के माध्यम से भारत के तकनीकी स्वाभिमान को और अधिक ऊँचाइयों तक पहुँचाएँगे। मैं आप सभी से एक प्रभावी, उत्तरदायी, संवेदनशील, समावेशी और जवाबदेह समाज की स्थापना के लिए परिवर्तन एजेंट बनने का आह्वान करता हूँ और आशा करता हूँ कि उत्तराखण्ड इसमें अग्रणी राज्य रहेगा।
मेरे युवा दोस्तों! आपके भीतर वह जोश जज्बा और सामर्थ्य है जो भारत को तकनीकी नेतृत्व प्रदान कर सकता है। इसलिए कहता हूँ कि यह समय है – सही समय है, लेकिन सोचने का नहीं, कुछ कर दिखाने का। इस आशा, अपेक्षा और विश्वास के साथ, आप सभी को इस क्षेत्र में सफलता प्राप्ति के लिए असीम शुभकामनाएँ।
जय हिन्द!