14-01-2025 : “वेटरन्स डे” के अवसर पर राजभवन में आयोजित “एक शाम सैनिकों के नाम” समारोह के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय हेतु भाषण का आलेख
जय हिन्द!
मैं 9वें भूतपूर्व सैनिक दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड के सभी भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवार के सदस्यों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में आप सभी माननीय भूतपूर्व सैनिकों, विशिष्ट अतिथिगणों व सभी सम्मानित अतिथियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ।
आज हम यहाँ भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा देने वाले पुरुषों और महिलाओं के प्रति सम्मान और अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एकत्रित हुए हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर, सशस्त्र सेना भूतपूर्व सैनिक दिवस पर हम अपने भूतपूर्व सैनिकों के साहस, प्रतिबद्धता और बलिदान का जश्न मनाते हैं, जिन्होंने हमारे राष्ट्र की सुरक्षा और प्रगति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मुझे खुशी और सौभाग्य की अनुभूति हो रही है कि मुझे उत्तराखण्ड के गौरवशाली बेटे-बेटियों, हमारे पूज्य दिग्गजों, वीर नारियों और उनके परिजनों से मिलने का अवसर मिला। वर्दी पहनने वाले सैनिकों, नौसैनिकों, वायुसैनिकों और अधिकारियों ने शांति और संघर्ष के समय में अद्वितीय वीरता, लचीलापन और देशभक्ति का परिचय दिया है।
मैं इस अवसर पर अपने उन शहीदों को याद करता हूँ जिन्होंने देश के लिए सर्वाेच्च बलिदान दिया और मातृभूमि की रक्षा करते हुए हमारे दिलों और राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास में अपना नाम हमेशा के लिए अंकित कर दिया है। हमारे दिग्गजों द्वारा दिए गए बलिदान अतुलनीय हैं। उनमें से कई ने अपने युवाकाल, अपने परिवार और अपने जीवन को हमारे देश की सेवा में दे दिया है। यह उनके अटूट समर्पण का ही परिणाम है कि हम एक सुरक्षित और स्वतंत्र राष्ट्र में रह रहे हैं।
आज पूरा उत्तराखण्ड और पूरा देश उनका हमेशा के लिए ऋणी है। हम 14 जनवरी को भूतपूर्व सैनिक सम्मान दिवस के रूप में मनाते हैं और हर साल इस दिन हम अपने सभी भूतपूर्व सैनिकों को सम्मानित करते हैं। आज, मैंने दिन की शुरुआत सबसे पहले शौर्य स्थल पर उत्तराखण्ड के वीरों को श्रद्धांजलि देकर की है।
उत्तराखण्ड जिसे वीरभूमि भी कहा जाता है, इसकी पावन भूमि पर महान वीर योद्धाओं ने जन्म लिया है, हर जिले के हर घर से एक वीर सैनिक को देश की सेवा के लिए भेजने की परंपरा एक मिसाल है। हमारे देश की सीमाओं और अखंडता की रक्षा करते हुए, उत्तराखण्ड के पूर्व सैनिकों ने कभी भी विपरीत परिस्थितियों की परवाह नहीं की और हमारे देश की आन, बान और शान को बनाए रखा है। मैं आपके त्याग और बलिदान की भावना का तहे दिल से सम्मान करता हूँ।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, उत्तराखण्ड में देशभक्ति और बलिदान की गहरी परंपरा रही है, और इसी भावना को सम्मानित करते हुए राज्य में ‘सैन्य धाम’ के रूप में पांचवें धाम का निर्माण किया जा रहा है। 1734 शहीद सैनिकों के घर-आंगन से एकत्रित मिट्टी सैन्य धाम की शोभा बढ़ाएगी और हमारे वीरों की कहानी को प्रमाणित करेगी। इसके प्रांगण में बाबा हरभजन सिंह जी और बाबा जसवंत सिंह जी के स्मारक भी बनाए जा रहे हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को उनके बलिदानों की अमर कहानी सुनाएंगे। यह बहुत खुशी की बात है कि सैन्य धाम का निर्माण कार्य जोरों पर चल रहा है और शीघ्र ही पूरा हो जाएगा। यह धाम उत्तराखण्ड और पूरे देश के लिए गर्व का केंद्र बनेगा।
भारतीय सेना आज उत्तराखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन और साहसिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है। इसके अंतर्गत सेवानिवृत्त सैनिकों द्वारा संचालित साहसिक गतिविधियों का सेना द्वारा संयुक्त रूप से आयोजन किया जा रहा है, जिसमें ऊंचाई वाले क्षेत्रों में चरम खेलों को बढ़ावा दिया जाएगा। ऐसी कई और गतिविधियों के माध्यम से भारतीय नागरिक भारत की सीमाओं पर पर्यटन पर जा सकेंगे, इसके साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और इन सबके कारण आर्थिक सुधार भी होगा। सीमांत दूरदराज के क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन में भी कमी आएगी।
आज, जब हम अपने सैनिकों के अद्वितीय योगदान पर विचार करते हैं, तो यह हमारा दायित्व बनता है कि हम उन परिवारों को भी याद करें, जिन्होंने सेवा कर इस यात्रा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये परिवार हर कठिन घड़ी में साहस, धैर्य और ताकत के प्रतीक बने रहे और हमारे सैनिकों को हर चुनौती का सामना करने में समर्थन दिया है।
अंत में, मैं अपने सभी दिग्गजों को उनकी असाधारण सेवा के लिए अपना आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। आप हमारे देश के सच्चे नायक हैं, और हम सब आपके ऋणी हैं। आपकी प्रतिबद्धता और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा और आपकी विरासत हर भारतीय के दिलों में सदैव जिंदा रहेगी।
आइए हम एक सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में अपने संकल्प को और दृढ़ करें। एक ऐसा भारत जो न केवल अपने रक्षकों का सम्मान करता है, बल्कि अपने सैनिकों के योगदान के प्रति भी अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता है, और स्वतंत्रता और शांति के मूल्यों को संजोता है।
धन्यवाद!
जय हिंद!
जय उत्तराखण्ड!