13-12-2024 : राज्यपाल ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. हरबंस कपूर के जीवन एवं कृतित्व पर आधारित पुस्तक का किया विमोचन।
श्रद्धेय स्व. हरबंस कपूर जी की तृतीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनके जीवन पर कृतित्व को समर्पित पुस्तकः हरबंस कपूर ‘‘राजनैतिक एवं सामाजिक मूल्यों की धरोहर‘‘ के विमोचन कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन
जय हिन्द!
हम सभी के लिए प्रेरणादायी व्यक्तित्व, उत्तराखण्ड की राजनीति के आधार स्तम्भ, स्व. हरबंस कपूर जी की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर हम उनको विनम्र भाव से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
स्व. हरबंस कपूर जी की जीवन यात्रा के 75 वर्ष असाधारण उपलब्धियों से भरे रहे। मुझे गर्व की अनुभूति हो रही है कि आज मुझे उनकी जीवनी और राजनैतिक एवं सामाजिक दर्शन पर आधारित पुस्तकः हरबंस कपूर ‘‘राजनैतिक एवं सामाजिक मूल्यों की धरोहर‘‘ का विमोचन करने का सौभाग्य मिला है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक लोगों को प्रेरित करेगी और उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए सही दिशा दिखाएगी।
हरबंस कपूर जी, जो अपनी जीवन यात्रा में निरंतर जन सेवा में लगे रहे, यह खुशी का विषय है कि आज उनके जीवन दर्शन और कृतित्व को एक पुस्तक के रूप में समाज के समक्ष लाया गया है। मैं आशा करता हूँ कि यह पुस्तक अपने शीर्षक को चरितार्थ करते हुए समाज को प्रेरणा देने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज सिद्ध होगा।
इस अभिनव प्रयास के लिए मैं स्व. हरबंस कपूर मेमोरियल ट्रस्ट के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों, विशेषतः ट्रस्ट की सम्मानित अध्यक्षा एवं देहरादून कैंट क्षेत्र से विधायक श्रीमती सविता कपूर जी एवं ट्रस्ट के सचिव साथ ही इस पुस्तक के सम्पादक एवं लेखक डॉ. ओ.पी कुलश्रेष्ठ को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
स्व. हरबंस कपूर जी वास्तव में एक आदर्श जननेता थे, जिन्होंने अपने जीवन का हर पल जनसेवा को समर्पित किया। वे अविभाजित उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड में लगातार 8 बार विधायक बने। उत्तराखण्ड विधान सभा के स्पीकर के रूप में उन्होंने जन समस्याओं को सुलझाने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए अपने पद के दायित्व को बखूबी निभाया। उनका राजनीतिक सफर अनुकरणीय है।
‘सादा जीवन उच्च विचार’ के मंत्र को आत्मसात करने वाले, वे केवल एक कुशल राजनेता ही नहीं, बल्कि एक समर्पित समाजसेवी भी थे, जो सदैव गरीब, वंचित और जरूरतमंद लोगों के कल्याण के लिए सक्रिय रहे। उनके जीवन में अनुशासन, सत्यनिष्ठा, और नैतिक मूल्यों की प्रतिबद्धता रही, जो आज के राजनेताओं के साथ ही आमजन के लिए एक आदर्श है। उनके कार्य आज भी हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं।
अविभाजित भारत में उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के बन्नू में आपके जन्म के उपरांत, भारत के विभाजन के बाद आपका परिवार देहरादून में बस गया। स्वभाव में नेतृत्व के गुण होने के कारण छात्र जीवन में ही डी.ए.वी. कालेज छात्र संघ में महासचिव पद पर निर्वाचित हुए।
परिवार द्वारा देश के विभाजन से उत्पन्न कठिनाइयों एवं परिस्थितियों को झेलने का प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव श्री हरबंस कपूर के जीवन पर भी पड़ा, और राष्ट्रीयता का भाव उनके दैनिक जीवन के क्रिया-कलापों में स्पष्ट झलकने लगा।
1985 में पहली बार विधान सभा चुनाव मैदान में उतरने पर आप विजयश्री का वरण तो नहीं कर पाए परन्तु अथक परिश्रम के परिणाम स्वरूप आपने ऐसा जनाधार खड़ा किया कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 1989, 1991, 1993 व 1996 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में 2002, 2007, 2012 व 2017 में उत्तराखण्ड विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। किसी भी व्यक्ति के लिए एक ही विधान सभा से लगातार आठ बार चुनाव जीतना यह दर्शाता है कि वह क्षेत्र की जनता के हृदय में बसते थे।
1989 से 2000 तक उत्तर प्रदेश में मंत्री और विभिन्न समितियों में सदस्य रहे। नवम्बर 2000 में उत्तराखण्ड राज्य के गठन के पश्चात् आपने 20 सूत्री कार्यक्रम समिति के पहले उपाध्यक्ष का पदभार संभाला।
मार्च 2007 से 2012 तक आपने उत्तराखण्ड विधान सभा के अध्यक्ष पद के दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन किया।
आपके द्वारा आपके क्षेत्र के विकास एवं समाज सेवा के उदाहरणों की लम्बी शृंखला है। आपकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए आपको अनेक बार सम्मानित किया गया। हरबंस कपूर जी का हमारे बीच से जाना एक युग का अंत है। हमने राजनीति एवं समाज की सेवा में अग्रणी रहने वाली एक धरोहर को खो दिया है।
‘‘हरबंस कपूरः राजनैतिक एवं सामाजिक मूल्यों की आधारशिला’’ पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगी। यह पुस्तक न केवल उनकी जीवनी और उनके सेवा कार्यों का संग्रह है, बल्कि इसमें उनके द्वारा स्थापित आदर्शों और मूल्यों का भी वर्णन है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक सच्चे नेता को जनता के दिलों में जगह बनाकर सेवा करनी चाहिए।
मैं आप सभी से अनुरोध करता हूँ कि हम सभी स्व. हरबंस कपूर जी जैसे नेताओं से प्रेरणा लेकर उनके दिखाए मार्ग पर चलें, और समाज के अंतिम छोर पर खड़े साधन हीन व्यक्ति को साधन सम्पन्न बनाने में योगदान देते हुए राष्ट्र की प्रगति में गिलहरी की भूमिका निभाएं।
स्व0 कपूर जी की सादगी, उनका सेवा भाव, और उनके द्वारा समाज के प्रति किए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी विरासत सदैव हमें प्रेरणा देती रहेगी।
अंत में, मैं इस कार्यक्रम को अपनी गरिमामायी उपस्थिति से सफल बनाने में योगदान के लिए यहां उपस्थित सभी जनों को हृदय से साधुवाद देता हूँ।
जय हिन्द!