13-07-2024 : एम्स ऋषिकेश में आयोजित “यूरोलाॅजिकल कैंसर्स के प्रति जागरूकता” कार्यक्रम में माननीय राज्यपाल महोदय का सम्बोधन।
जय हिन्द!
पतित पावनी माँ गंगा के तट पर स्थित योग नगरी, ऋषिकेश में, आज इस महत्वपूर्ण ‘यूरोलाॅजिकल कैंसर्स के प्रति सामाजिक जागरूकता’ कार्यक्रम ‘क्लोज द केयर गैप’ में उपस्थित होकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
विभिन्न रोगों के संबंध में समाज को जागरूक करते रहना स्वास्थ्य महकमे की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। यह प्रसन्नता की बात है कि मूत्र सम्बन्धी कैंसरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एम्स ऋषिकेश के मूत्ररोग (नतपदंतल कपेमंेम) विभाग द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जो हमारे समाज के हित के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण एवं सराहनीय कार्य है।
हम जानते हैं कि भारत में, यूरोलॉजिकल कैंसरों की प्रसार की दर काफी ज्यादा है। यूरोलॉजिकल कैंसर, जिसमें प्रोस्टेट, मूत्राशय, गुर्दे और अन्य जनन अंगों के कैंसर शामिल हैं, जो आधुनिक चिकित्सा में एक बड़ी चुनौती पैदा कर रहे हैं। हमारे समाज में कैंसरों के प्रति भय तो है, लेकिन इनके प्रति आम जनता में जागरूकता की कमी है, जिस कारण से समय से उपचार न हो पाने के कारण कई मरीज ठीक नहीं हो पाते हैं।
यह गौर करने वाली बात है कि कई मरीज आर्थिक तंगी के कारण समय पर इलाज नहीं करा पाते हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। इसके अलावा यूरोलॉजिकल लक्षणों से जुड़ी सामाजिक शर्मिंदगी के कारण कई लोग समय पर जांच नहीं कराते हैं, जो कि विचारणीय प्रश्न है।
मेरी सोच है कि इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को देखते हुए, हमें एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। सबसे पहले, हमें यूरोलॉजिकल कैंसरों के लक्षणों, निदान और उपचार के बारे में समाज में व्यापक जागरूकता फैलानी होगी। लोगों को शिक्षित करना और उन्हें प्रोत्साहित करना होगा कि वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और नियमित जांच कराएं, यह नितांत जरूरी है।
हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सभी मरीजों को सुलभ और सस्ती चिकित्सा सेवाएं मिलें। इसके लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करना होगा, ताकि हम एक मजबूत स्वास्थ्य सेवा तंत्र का निर्माण कर सकें जो समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित कर सके। मुझे इस बात की खुशी है कि एम्स ऋषिकेश समाज के सभी वर्गों को सर्वाेत्तम किफायती देखभाल प्रदान कर रहा है।
कैंसर के मरीजों के संबंध में, परिवार जनों का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, जो मरीजों की देखभाल और समर्थन में निरंतर खड़े रहते हैं। उनका साथ देना और उन्हें प्रेरणा देना, मरीजों को अपने उपचार में नई ऊर्जा और उत्साह देता है।
यह प्रसन्नता की बात है कि आज के इस कार्यक्रम में ‘होप एंड हीलिंगः अनलॉकिंग द मिस्टीरिज ऑफ यूरोलॉजिकल कैंसर्स’ पुस्तक का अनावरण भी किया जा रहा है। इस पुस्तक का अनावरण मातृभाषा हिंदी में ‘आशा और उपचारः मूत्र संबंधी कैंसरों के रहस्यों को उजागर करना’ के नाम के साथ भी किया जा रहा है।
इस पुस्तक में मूत्र सम्बन्धी कैंसरों के जोखिमों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है, जो निदान, उपचार और अनुसंधान में नवीनतम प्रगति का व्यापक अवलोकन प्रदान करेगी। इस क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञों द्वारा लिखित, यह पुस्तक चिकित्सकों, शोधकर्ताओं, छात्रों और आम जनता के लिए भी अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
एम्स ऋषिकेश के यूरोलॉजी विभाग को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए मेरी शुभकामनाएं। मुझे आशा है कि यह पुस्तक यूरोलॉजिकल कैंसरों के खिलाफ लड़ाई में निरंतर नवाचार और समर्पण को प्रेरित करेगी, जिससे पूरे भारतवर्ष के मरीजों का जीवन बेहतर होगा। इसके साथ ही, इस अवसर पर यूरोलॉजिकल कैंसर मरीजों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी लॉन्च किया जा रहा है, निश्चित ही इससे मरीजों और उनके परिवारों को सहायता प्राप्त हो सकेगी।
साथियों,
हम सभी ने अपने देश को विकसित भारत बनाने का संकल्प लिया है। भारत को विकसित बनाने के लिए उसकी स्वास्थ्य सेवाओं का विकास करना भी उतना ही जरूरी है। जब भारत के लोगों को आधुनिक अस्पताल और इलाज की सुविधाएं मिलेंगी, तो वे जल्दी ठीक होंगे, उनकी ऊर्जा सही दिशा में लगेगी और वे ज्यादा काम कर पाएंगे। भारत सरकार देश में आधुनिक कैंसर सुविधाओं के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
साथियों,
किसी भी देश की हेल्थकेयर सिस्टम तभी मजबूत बनती है जब वो हर तरह से समाधान मुहैया कराती है। इसलिए पिछले दस सालों में होलिस्टिक हेल्थकेयर को देश की सर्वाेच्च प्राथमिकताओं में रखा गया है। आज गरीब से गरीब व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए एक-दो नहीं बल्कि छह मोर्चों पर एक साथ काम करके देश की स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर और मजबूत किया जा रहा है।
पहला मोर्चा है प्रिवेंटिव हेल्थकेयर को बढ़ावा देना। दूसरा मोर्चा है गांवों में छोटे और आधुनिक अस्पताल खोलना। तीसरा मोर्चा है शहरों में मेडिकल कॉलेज और मेडिकल रिसर्च के बड़े संस्थान खोलना। चैथा मोर्चा है देशभर में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ाना। पांचवां मोर्चा है मरीजों को सस्ती दवाइयां और उपकरण उपलब्ध कराना। और छठा मोर्चा है टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके मरीजों की परेशानियों को कम करना। इन छह मोर्चों पर आज केंद्र सरकार हजारों करोड़ रुपये खर्च करके रिकॉर्ड निवेश कर रही है।
साथियों,
हमारे यहां हमेशा से कहा जाता रहा है कि बीमारी से बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है। इसी सोच के साथ देश में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर इतना जोर दिया जा रहा है। जब हम रोकथाम के लिए काम करेंगे तो बीमारियां भी कम होंगी।
योग और आयुष को लेकर देश में अभूतपूर्व जागरूकता आई है। दुनिया में योग के प्रति आकर्षण बढ़ा है। फिट इंडिया अभियान देश के युवाओं में लोकप्रिय हो रहा है। स्वच्छ भारत अभियान ने अनेक बीमारियों की रोकथाम में मदद की है। पोषण अभियान और जल जीवन मिशन से कुपोषण को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है। सरकार ने अपनी माताओं-बहनों को एलपीजी कनेक्शन देकर उन्हें धुएं से होने वाली बीमारियों और कैंसर जैसी विपत्तियों से भी बचाया है।
साथियों,
सरकार गांवों को आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर विकसित कर रही है। करीब सवा लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर काम करना शुरू भी कर चुके हैं। देशभर में फैले इन हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में करोड़ लोगों की कैंसर के लिए जांच की जा चुकी है।
केंद्र सरकार देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज बनाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। एक समय देश में सिर्फ 7 एम्स थे। आज ये संख्या भी बढ़कर 20 से अधिक हो गई है। सिर्फ कैंसर अस्पतालों की बात की जाय तो केंद्र सरकार ने देशभर में लगभग 40 विशेष कैंसर संस्थानों को मंजूरी दी है, जिनमें से कई अस्पतालों ने सेवाएं देना शुरू भी कर दिया है।
साथियों,
जितना जरूरी अस्पताल बनाना है, उतना ही जरूरी है पर्याप्त संख्या में अच्छे डॉक्टर और दूसरे पैरामेडिक्स का होना। इसके लिए भी देश में मिशन मोड पर काम हो रहा है। साल 2014 से पहले देश में 400 से भी कम मेडिकल कॉलेज थे। वहीं, बीते 10 साल में देश में 200 से ज्यादा नए मेडिकल कॉलेज बने हैं।
हम सबका अनुभव है कि बीमारी की स्थिति में गरीबों को अपना घर या जमीन बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता था। इसलिए सरकार ने मरीजों को सस्ती दवाइयां और इलाज उपलब्ध कराने पर भी उतना ही जोर दिया है। आयुष्मान भारत ने गरीबों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी है। इसमें कैंसर के अनेक मरीज भी शामिल हैं।
इतना ही नहीं, पूरे देश में जन औषधि केंद्रों का नेटवर्क है, जहां कैंसर की दवाइयां भी बहुत कम कीमत पर मिल रही हैं। कैंसर की दवाओं की कीमतों में करीब-करीब 90 प्रतिशत की कमी की गई है। देशभर में करीब 9 हज़ार जन औषधि केंद्रों पर सस्ती दवाइयां मिलने से गरीबों की दिक्कतें भी कम हो रही हैं।
आधुनिक तकनीक ने सरकार के समग्र स्वास्थ्य सेवा अभियान में नया आयाम जोड़ा है। आयुष्मान भारत डिजिटल स्वास्थ्य मिशन यह सुनिश्चित कर रहा है कि हर मरीज को समय पर और कम से कम परेशानी के साथ गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें। अब देश में मेड इन इंडिया 5जी सेवाएं शुरू की जा रही हैं। इससे सुदूर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में क्रांति आएगी।
इस अवसर पर, मैं डॉक्टरों, रेसिडेंटों, नर्सों और सभी स्वास्थ्य कर्मियों की भी सराहना करता चाहता हूं। उनके अथक प्रयास, समर्पण और मानवता की सेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता वास्तव में प्रशंसनीय है। इन फ्रंटलाइन योद्धाओं की बदौलत ही हम कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और अपने समाज को स्वस्थ बना सकते हैं।
साथियों,
मेरा मानना है कि कैंसर से डरने की नहीं, उससे लड़ने की ज़रूरत है। इसका इलाज संभव है। समय पर पहचान और समय पर इलाज ही इस रोग का समाधान हैं। मैं डाक्टर्स से भी विशेष आग्रह करना चाहूँगा कि हमें कैंसर से होने वाले डिप्रेशन से लड़ने में मरीजों और उनके परिवारों की मदद करनी है। मैं सभी उपस्थित जनों और हेल्थकेयर से जुड़े साथियों से भी आग्रह करूँगा कि कैंसर के प्रति जन जागरूकता फैलाएं।
सबके प्रयास से हम कैंसर के खिलाफ़ देश की लड़ाई को मज़बूत करेंगे। आइए! हम सब मिलकर इस लड़ाई में अपना योगदान दें और एक स्वस्थ और जागरूक समाज का निर्माण करें। इसी विश्वास के साथ, आप सभी को शुभकामनाएँ, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
जय हिन्द!